पुनरुत्थान की कहानी का एक विवरण मुझमें हमेशा जिज्ञासा पैदा किया है l यीशु ने अपने क्रूसीकरण के दाग़ अपने हथेलियों में क्यों रखे? शायद, वह कोई भी इच्छित पुनरुथित देह ले सकता था, फिर भी उसने दाग़ चुना जिसे देखकर स्पर्श किया जा सकता था l क्यों?

मैं मानता हूँ कि हथेलियों, पैरों, और पंजर के निशान बगैर पुनरुत्थान की कहानी अधूरी है (यूहन्ना 20:27) l मानव चमकते सीधे दांत और झुर्री रहित त्वचा एवं आदर्श शारीरिक बनावट की महत्वकांक्षा रखते हैं l हम एक बनावटी स्थिति की कल्पना करते हैं : खूबसूरत देह l किन्तु यीशु के लिए, एक कंकाल और मानव त्वचा में सिमित होना एक बनावटी स्थिति थी l दाग़ उसके पृथ्वी पर सिमित होने और दुःख के दिनों का स्थायी ताकीद है l

स्वर्गिक परिप्रेक्ष्य से, ये दाग़ संसार के इतिहास में सबसे भयानक घटना बताते हैं l चाहे, वह घटना भी, स्मरण बन गया हो l पुनरुत्थान के कारण, हमारी आशा है कि हम अपने खोए हुए मित्रों और प्रियों के लिए जो आंसू बहाते हैं, जो कष्ट सहते हैं, भावनात्मक दर्द, दुःख – यह सब यीशु के दाग़ की तरह यादगार बन जाएंगे l दाग़ हमेशा के लिए नहीं जाते, किन्तु तकलीफ भी नहीं देते l किसी दिन हमारे पास पुनःरचित देह और पुनःरचित स्वर्ग और पृथ्वी होगी (प्रका. 21:4) l हमारा आरंभ नया होगा, पुनरुत्थान आरंभ l