पासबानी में, कभी-कभी कुछ लोग मुझ से अतिरिक्त आत्मिक सहायता मांगते हैं l जबकि, मैं उनके साथ समय बिताना पसंद करता हूँ, अक्सर मैं सीखता अधिक हूँ l यह तब सच निकला जब एक दुखित ईमानदार नये मसीही ने मुझसे कहा, “मेरे विचार से मेरे लिए बाइबल पठन अच्छा नहीं है l जितना अधिक मैं अपने लिए परमेश्वर की अपेक्षाओं के विषय पढ़ता हूँ, उतना अधिक मैं दूसरों का न्याय करता हूँ जो वचनानुसार व्यवहार नहीं करते हैं l”

जब उसने यह कहा, मैंने जाना कि उसके इस तरह के आलोचनात्मक होने में मेरा भी कुछ योगदान था l उस समय, मैंने यीशु में नए विश्वासियों को परमेश्वर का प्रेम दिखाने और पवित्र आत्मा को उन्हें आकार देने की जगह, मैंने उनको “विश्वासियों की तरह व्यवहार करने को कहा l”

अब मेरे अन्दर यूहन्ना 3:16-17 के प्रति एक नया आभार था l यीशु का पद 16 में उसपर विश्वास करने के आमंत्रण पश्चाताप ये शब्द हैं, “परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिए नहीं भेजा कि जगत पर दंड की आज्ञा दे, परन्तु … जगत उसके द्वारा उद्धार पाए l”

यीशु हमें दोषी ठहराने नहीं आया l किन्तु इन नए विश्वासियों को जांच-सूची देकर मैं उनको दूसरों को दोषी ठहराना सिखा रहा था, जिससे वे दूसरों का न्याय कर रहे थे l दोषी ठहरानेवाले बनने की जगह, हमें परमेश्वर के प्रेम और करुणा का राजदूत बनना है l