हाल ही में मुझे महान साहित्य को परिभाषित करनेवाला एक लेख प्राप्त हुआ l लेखक की सलाह थी कि महान साहित्य “आपको परिवर्तित करता है l पढ़ने के बाद, आप एक भिन्न व्यक्ति हैं l”
उस दृष्टिकोण से, परमेश्वर का वचन सर्वदा महान साहित्य पुकारा जाएगा l बाइबल पठन हमें बेहतर बनाती है l बाइबल के नायक हमें साहसी और दृढ़ बनाते हैं l बुद्धिमत्ता और भविष्यसूचक पुस्तकें हमें हमारे पतित स्वभाव के खतरों के प्रति आगाह करते हैं l परमेश्वर ने हमारे लाभ के लिए जीवन-परिवर्तन भजन लिखवाए l यीशु की शिक्षाएं हमें और उसके सामान बनने हेतु हमारे चरित्र को आकार देते हैं l पौलुस की पत्रियाँ पवित्र जीवन के लिए हमारे मनों और जीवनों को दिशा देती हैं l पवित्र आत्मा इन वचनों को हमारे मनों में लाकर हमारे जीवन परिवर्तन हेतु ताकतवर कारक बनाता हैं l
भजन 119 का लेखक अपने जीवन में परमेश्वर के वचन के रूपांतरण प्रभाव के लिए उससे प्रेम करता था l उसने जाना कि मूसा द्वारा दिया गया प्राचीन साहित्य उसे उसके शिक्षकों से अधिक बुद्धिमान और समझदार बना दिया (पद.99) l वह उसे बुराई से बचाया (पद.101) l उसकी पुकार में आश्चर्य नहीं, “ आहा! मैं तेरी व्यवस्था से कैसी प्रीती रखता हूँ!,” और “तेरे वचन मुझको …, … मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!” (पद. 97, 103) l
महान साहित्य से प्रेम के आनंद में स्वागत, विशेषकर परमेश्वर के वचन का जीवन-परिवर्तन सामर्थ्य!