बाइबिल में लगभग हमेशा स्वर्गदूत के प्रगटन पर, उसके द्वारा प्रथम शब्द होते है, “मत डर” (दानि. 10:12, 19; मत्ती 28:5; प्रका.1:17) l कुछ अद्भुत l अलौकिक का पृथ्वी से सम्पर्क बनाते समय, वह अक्सर मानव समीक्षकों को स्तब्धकारी डर में अपने मुँह के बल कर देता है l किन्तु लूका परमेश्वर के विषय पृथ्वी पर भयभीत नहीं करनेवाला एक प्रगटन देता है l गौशाले में जन्मा और चरनी में लेटा, परमेश्वर आखिरकर, मसीह में, समीप आने का एक ऐसा मार्ग खोज लिया जिससे हमें डरने की ज़रूरत नहीं l एक नवजात शिशु से कम डरावना और क्या हो सकता है?
उलझे हुए संदेहवादी यीशु की सम्पूर्ण सेवा में उसका पीछा करते रहे l किस तरह बैतलहम का एक शिशु, एक बढ़ई का पुत्र, परमेश्वर की ओर से अभिषिक्त हो सकता है? किन्तु खेतों में चरवाहों का एक समूह स्वगर्दूतों से सीधे सुसमाचार सुनकर उसके विषय निश्चित था (2:8-14) l
परमेश्वर मानव क्यों बना? बाइबिल अनेक कारण देती है, कुछ एक ठोस धर्मविज्ञानी और कुछ एक व्यवहारिक; किन्तु युवक यीशु द्वारा मंदिर में रब्बियों को उपदेश हमें एक सुराग देता है (पद.46) l पहली बार, साधारण लोग परमेश्वर से दृश्य रूप में संवाद, चर्चा कर सकते थे l यीशु किसी से भी, “डर मत” कहे बिना संवाद कर सकता था-अपने माता-पिता, एक रबी, एक निर्धन विधवा से l
यीशु में, परमेश्वर हमारे निकट आता है l