अमरीका का 26 वाँ राष्ट्रपति (1901-1909) बनने के कुछ वर्ष पूर्व, थियोडोर रूजवेल्ट का ज्येष्ठ पुत्र, थियोडोर जूनियर बीमार हुआ l जबकि वह स्वस्थ्य हो जाता, टेड की बीमारी ने रूजवेल्ट को गंभीर आघात पहुंचाई l डॉक्टरों के अनुसार वह ही अपने पुत्र की बीमारी का कारण था l टेड “नसों की थकान” से पीड़ित था, जिसे थियोडोर ने “लड़ाका” नायक बनने हेतु विवश किया था क्योंकि अपने दुर्बल बचपन में वह खुद नायक नहीं बन पाया था l यह सुनकर, ज्येष्ठ रूजवेल्ट ने शपथ खायी : “अब से मैं टेड को किसी प्रकार कभी विवश नहीं करूँगा l”
पिता अपने वचन में अडिग रहकर अपने पुत्र से सही व्यवहार किया जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में उटाह तट पर सहयोगी सेना के अवतरण में बहादुरी से नेतृत्व किया l
परमेश्वर ने हममें से प्रत्येक को दूसरे के जीवन को प्रभावित करने की जिम्मेदारी दी है l हमारे पास उन रिश्तों में गहरी जिम्मेदारी है, केवल माता-पिता और बच्चों में नहीं, किन्तु मित्रों, कर्मचारियों, और ग्राहकों के प्रति भी l हम विवशता, अधिक मांग, उन्नत्ति हेतु बाध्यता, अथवा सफलता के लिए मजबूर करने की परीक्षा, द्वारा सोचे बगैर दूसरों की हानि कर सकते हैं l इस कारण, मसीह के अनुयायियों को परस्पर धीरजवंत और कोमल बनने को कहा गया है (कुलु. 3:12) l चूँकि परमेश्वर पुत्र यीशु दीनता में आया, हम एक दूसरे से दयालुता दूर कैसे रख सकते हैं?