सितम्बर 11, 2001 के दिन, स्टैनली प्रेमनाथ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर साउथ टावर के 81वें तल में कार्य कर रहा था जब उसने एक हवाई जहाज़ को सीधे अपनी ओर आते देखा l स्टैनली ने शीघ्र एक प्रार्थना करते हुए एक मेज़ के नीचे सुरक्षा के लिए छिप गया : “प्रभु, मैं यह नहीं कर सकता! आप अपने हाथों में ले लें!”
उस हवाई जहाज़ के टक्कर के भयानक परिणाम ने स्टैनली को मलबे में दबा दिया l किन्तु प्रार्थना करते हुए वह मदद के लिए चिल्लाया l एक अन्य कार्यालय का एक कार्यकर्ता, ब्रायन क्लार्क उसकी गुहार सुनकर आया l मलबे और अँधेरे में, दोनों 80 तल से सीढ़ियों के सहारे भूमितल तक और फिर बाहर आ गए l
भयानक आतंक का सामना करते समय, दाऊद ने परमेश्वर से मदद मांगी l वह युद्ध में शत्रु का सामना करते समय परमेश्वर की निकटता का आश्वासन चाहता था l आंतरिक विनय में दाऊद ने कहा, “मेरे लिए सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिसमें मैं नित्य जा सकूँ … हे परमेश्वर, मुझ से दूर न रह; … परमेश्वर मेरी सहायता के लिए फुर्ती कर” (भजन 71:3,12) l
हमें प्रत्येक कठिन परिस्थिति में जिसका सामना हम करते हैं छुटकारे की प्रतिज्ञा नहीं मिली है l किन्तु हम निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनकर हर समय हमारे निकट रहेगा l