संयम पर काबू करना संभवतः सबसे कठिन है l कितनी बार हम एक गन्दी आदत, एक घटिया आचरण, अथवा एक गलत सोच द्वारा पराजित हुए हैं? हम सुधरने का वादा करते हैं l हम किसी से हमें उत्तरदायी ठहराने को कहते हैं l किन्तु अन्दर गहराई में, हमें मालूम है कि बदलने की हमारी इच्छा या योग्यता नहीं है l हम बात कर सकते हैं, योजना बना सकते हैं, हम स्व-सहायता पुस्तकें पढ़ सकते हैं, किन्तु फिर भी हम अपने अन्दर की अनेक बातों पर जय पाने या उनको नियंत्रित करने में स्वयं को अयोग्य पाते हैं!
धन्यवाद हो, परमेश्वर हमारी कमजोरी और उसका हल भी जानता है! बाइबिल कहती है, “पर आत्मा का फल प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम है; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई भी व्यवस्था नहीं” (गला.5:22-23) l आत्म-नियंत्रण प्राप्त करने का एकमात्र तरीका पवित्र आत्मा को हमें नियंत्रित करने देना है l
अर्थात्, हमारा मुख्य ध्यान प्रयास नहीं किन्तु समर्पण है-हर क्षण खुद पर भरोसा करने के बदले प्रभु पर भरोसा करना l पौलुस के अनुसार “आत्मा के अनुसार चलने” (पद.16) का अर्थ यही है l
क्या आप परिवर्तन के लिए तैयार हैं? आप बदल सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर आपमें है l जब आप अपना नियंत्रण उसके हाथों में देते हैं, वह आपको अपने स्वरुप में फलदायी बनाएगा l