जब धार्मिक अगुओं का एक समूह एक व्यभिचारिणी को यीशु के पास लाए, वे नहीं जान पाए कि वे उसे अनुग्रह के एक पत्थर फेंकने की दूरी के निकट ला रहे हैं l उनकी आशा उसे अपमानित करना था l उसने उस स्त्री को जाने देने पर वे उसे मूसा की व्यवस्था को तोड़नेवाला कहते l परन्तु यदि वह उसे मृत्यु के लिए दोषी ठहराता, उसका अनुसरण करनेवाली भीड़ उसकी करुणा और अनुग्रह के शब्दों को रद्द कर देते l
किन्तु यीशु ने दोषारोपण करनेवालों पर मेज उलट दी l बाइबिल कहती हैं कि सीधे उनको उत्तर देने की बजाए, वह भूमि पर लिखने लगा l जब अगुए प्रश्न पूछते रहे, उसने निर्दोष को पत्थर फेंकने हेतु बुलाया, और पुनः भूमि पर लिखने लगा l अगली बार जब वह उनको देखा, सभी दोष लगानेवाले जा चुके थे l
अब जो उस पर पत्थर फेंक सकता था-एकमात्र निर्दोष व्यक्ति-स्त्री को देखकर उस पर करुणा किया l “ ‘मैं भी तुझ पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता,’ यीशु ने घोषणा की l ‘जा, और फिर पाप न करना l’ “ (यूहन्ना 8:11) l
दूसरों पर दोषारोपण के लिए चाहे आज आपको क्षमा चाहिए अथवा आश्वासन कि उसके अनुग्रह से कोई पाप अछूता नहीं, इससे उत्साहित हों : आज कोई पत्थर नहीं फेंक रहा है; जाएं और परमेश्वर की करुणा से बदल जाएँ l