पाप को दूर करना
जब मैंने देखा कि हमारे बरामदे के पास बगीचे की पाइप के बगल में एक टहनी निकली हुयी है, तो मैंने उस हानिकारक न लगनेवाली बदसूरत वनस्पति को नज़रअंदाज़ कर दिया l एक छोटा सा खरपतवार संभवतः हमारे लॉन (lawn)को कैसे नुक्सान पहुंचा सकता है? लेकिन जैसे-जैसे सप्ताह बीतते गए, वह दुखदायी वनस्पति एक छोटी झाड़ी के आकार का हो गया और हमारे अहाते पर कब्ज़ा करने लगा l उसकी फैली हुयी डालियाँ रास्ते के एक भाग पर झुक गए और अन्य जगहों पर उग आए l इस विनाशकारी स्थिति को स्वीकार करते हुए, मैंने अपने पति से कहा कि वे जंगली खरपतवार को जड़ से हटाने में मेरी सहायता करें और फिर खरपतवार नाशक से हमारे अहाते की रक्षा करें l
जब हम पाप की उपस्थिति को अनदेखा या अस्वीकार करते हैं, तो वह हमारे जीवन पर अवांछित अतिवृद्धि(overgrowth) की तरह आक्रमण कर सकता है और हमारे व्यक्तिगत स्थान को अँधेरा कर सकता है l हमारे निष्पाप परमेश्वर में कोई अन्धकार नहीं है . . . बिलकुल भी नहीं l उनके बच्चों के रूप में, हम सीधे पापों का सामना करने के लिए तैयार और सामर्थी किये गए हैं ताकि हम “ज्योति में चल सकें, जैसा कि वह ज्योंति में है”(1 यूहन्ना 1:7)अंगीकार और पश्चाताप के द्वारा, हम क्षमा और पाप से स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं (पद.8-10) क्योंकि हमारे पास एक महान अधिवक्ता है—यीशु (2:1)उसने स्वेच्छा से हमारे पापों के लिए अंतिम कीमत चुकाई है—अपने जीवन का लहू—और “केवल हमारे ही नहीं वरन् सारे जगत के पापों का भीI” (पद.2)
जब परमेश्वर के द्वारा हमारे पाप हमारे ध्यान में लाए जाते हैं, तो हम इन्कार, टाल-मटोल, या उत्तरदायित्व से विमुख होना चुन सकते हैं l लेकिन जब हम स्वीकार करते हैं और पश्चाताप करते हैं, तो वह उन पापों को मिटा देता हैं जो उसके साथ और दूसरों के साथ हमारे संबंधों को नुक्सान पहुंचाते हैं l
हम अकेले नहीं हैं
फ्रेड्रिक ब्राउन की लघु रोमांचक कहानी “नॉक”(दस्तक/Knock) में उन्होंने लिखा, पृथ्वी (गृह/planet) पर का आखिरी आदमी एक कमरे में अकेला बैठा थाl दरवाजे पर दस्तक हुयीl” हाँ! वे कौन हो सकते हैं,और वे क्या चाहते हैं? उसके लिए कौन रहस्यमय प्राणी आया है? आदमी अकेला नहीं है l
हम भी नहीं हैं l
लौदीकिया की कलीसिया ने अपने द्वार पर दस्तक सुनीI (प्रकाशितवाक्य 3:20) उनके लिए कौन सा अलौकिक प्राणी आया था? उसका नाम यीशु था, “प्रथम और अंतिम . . . जो जीवता हैI” (1:17-18) उसकी आखें आग की तरह प्रज्वलित थीं, और उसका मुख “ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है” (पद.16) जब उसके सबसे अच्छे मित्र यूहन्ना ने उसकी महिमा की एक झलक देखी, तो वह “उसके पांवों पर मुर्दा सा गिर पड़ा” (पद.17) मसीह में विश्वास का आरम्भ परमश्वर के भय से होती हैl
हम अकेले नहीं हैं,और यह सुकून देने वाला भी हैl यीशु “परमेश्वर की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है,और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है”(इब्रानियों 1:3) फिर भी मसीह हमें मारने के लिए नहीं बल्कि हमसे प्रेम करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता हैl उसका निमंत्रण सुने, “यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ” (प्रकाशितवाक्य 3:20) हमारा विश्वास डर से शुरू होता है—दरवाजे पर कौन है?—और यह एक स्वागत और मजबूत आलिंगन में समाप्त होता है l यीशु हमेशा हमारे साथ रहने की प्रतिज्ञा करता है, भले ही हम पृथ्वी पर अंतिम व्यक्ति हों l ईश्वर का धन्यवाद हो, हम अकेले नहीं हैं l
पवित्रशास्त्र प्रशिक्षण
1800 के अंत में, विभिन्न स्थानों के लोगों ने एक ही समय में एक सी सेवकाई संसाधनों का विकास किया l पहला 1877 में मोंट्रियल,कनाडा में थाl 1898 में, न्यूयार्क शहर में एक और विचार/प्रत्यय शुरू की गयी l1922 तक, इनमें से कुछ पांच हज़ार कार्यक्रम हर वर्ष गर्मियों में उत्तरी अमेरिका में सक्रिय थे l
इस प्रकार वेकेशन बाइबल स्कूल(VBS) का प्रारंभिक इतिहास शुरू हुआl जिस जुनून(passion) उन VBS अग्रदूतों को प्रेरित किया, वह युवा लोगों के लिए बाइबल जानने की इच्छा थी l
पौलुस को अपने युवा शिष्य, तीमुथियुस के लिए भी ऐसा ही जुनून था, यह लिखते हुए कि “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है” और “और हर एक भले काम के लिए” तैयार करता हैI (2 तीमुथियुस 3:16-17) लेकिन यह केवल हितकारी सुझाव नहीं था कि “अपनी बाइबल पढ़ना अच्छा है l” पौलुस की सलाह सख्त चेतावनी का पालन करती है कि “अंतिम दिनों में कठिन समय आएँगे” (पद.1) झूठे शिक्षकों के साथ जो “सत्य की पहचान कभी नहीं” कर पाते हैं (पद.7)यह ज़रूरी है कि हम पवित्रशास्त्र के द्वारा स्वयं की रक्षा करें, क्योंकि यह हमें हमारे उद्धारकर्ता के ज्ञान में डुबो(ध्यानमग्न) देता है, हमें “मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिए बुद्धिमान बना सकता है” (पद.15)
बाइबल का अध्ययन करना केवल बच्चों के लिए ही नहीं है; यह वयस्कों के लिए भी है l और यह सिर्फ गर्मियों के अवकाश के लिए नहीं है; यह हर दिन के लिए हैं l पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा, “बचपन से पवित्रशास्त्र तेरा जाना हुआ है” (पद.15), लेकिन आरम्भ करने के लिए कभी देर नहीं होती l हम जीवन के किसी भी अवस्था में हों, बाइबल का ज्ञान हमें यीशु से जोड़ता है l यह हम सबके लिए परमेश्वर का VBS पाठ है l
परमेश्वर के सामने चुप रहना
एक जीवित व्यक्ति की पहली तस्वीर 1838 में लुई डागुएरे द्वारा ली गयी थी l तस्वीर में दोपहर के मध्य पेरिस में अन्यथा खाली सड़क पर एक आकृति को दर्शाया गया है l लेकिन इसके बारे में एक स्पष्ट रहस्य है; सड़क और फुटपाथों पर दिन के उस समय गाड़ियों और पैदल चलने वालों के यातायात से हलचल होनी चाहिए थी, फिर भी कोई दिखाई नहीं देता है l
वह आदमी अकेला नहीं था l लोग और घोड़े भी बुलवर्ड ड्यू टेम्पल(Boulevard du Temple) में मौजूद थे, वह लोकप्रिय क्षेत्र जहाँ यह तस्वीर ली गयी थी l वे तस्वीर में दिखे ही नहीं l तस्वीर को तैयार करने के लिए संसर्ग समय(exposure)(जिसे डागरेरोटाइप के रूप में जाना जाता है) को एक छवि लेने में सात मिनट लग गए, जो उस समय के दौरान स्थिर/अचल रहना था l ऐसा प्रतीत होता है कि फूटपाथ पर मौजूद व्यक्ति अकेला व्यक्ति था जिसकी फोटो खिंची गयी थी क्योकि वह ही स्थिर खड़ा था—वह अपने जूते पोलिश करा रहा था l
कभी-कभी स्थिरता वह कर देती है जो गति और प्रयास नहीं कर सकते l भजन 46:10 में परमेश्वर अपने लोगों से कहता है, “चुप हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ l” यहाँ तक कि जब राष्ट्र “झल्ला उठते हैं” (पद.6) और “पृथ्वी” चाहे उलट जाए (पद.2), तब भी जो चुपचाप उस पर भरोसा करते हैं, वे उसमें “अति सहज से मिलनेवाला सहायक” पाएँगे (पद.1)
इब्रानी भाषा की क्रिया(verb) “चुप रहो” का अनुवाद “प्रयास करना बंद करो” भी किया जा सकता है l जब हम अपने सीमित प्रयासों पर निर्भर रहने के बजाय परमेश्वर में विश्राम करते हैं, तो हम पाते हैं कि वह हमारा अजेय “शरणस्थान और बल” हैI (पद.1)