तीन वर्ष तक, घरेलु ज़रूरतों के अलावा, सुज़न ने अपने लिए कुछ भी नहीं ख़रीदा l कोविड-19 महामारी ने मेरे मित्र की आय को प्रभावित किया और उसने एक साधारण जीवन शैली अपना ली l उसने बताया, “एक दिन, अपने अपार्टमेन्ट की सफाई करते समय, मैंने देखा कि मेरी चीज़ें कितनी जर्जर और फीकी दिख रही थीं l” “तभी मुझे नयी चीज़ों की कमी महसूस होने लगी—ताज़गी और उत्साह की अनुभूति l मेरा परिवेश थका हुआ और नीरस लग रहा था l मुझे ऐसा लगा जैसे आगे देखने के लिए कुछ भी नहीं है l” 

सुज़न को बाइबल की एक अविश्वसनीय पुस्तक में प्रोत्साहन मिला l यरूशलेम के बेबीलोन के कब्जे में आने के बाद यिर्मयाह द्वारा लिखित, विलापगीत नबी और लोगों द्वारा सहे गए दुःख  के खुले घाव का वर्णन करता है l हालाँकि, दुःख की निराशा के बीच, आशा के लिए निश्चित आधार है—परमेश्वर का प्रेम l यिर्मयाह ने लिखा, “उसकी दया अमर है l प्रति भोर वह नयी होती रहती है”(3:22-23) l 

सुज़न को स्मरण आया कि परमेश्वर का गहरा प्यार हर दिन नए सिरे से आता है l जब परिस्थितियाँ हमें यह महसूस कराती हैं कि अब आगे देखने के लिए कुछ नहीं है, तो हम उसकी विश्वासयोग्यता को स्मरण कर सकते हैं और आशा कर सकते हैं कि वह हमारे लिए कैसे प्रबंध/प्रदान करेगा l हम विश्वास के साथ परमेश्वर पर आशा रख सकते हैं, यह जानते हुए कि हमारी आशा कभी व्यर्थ नहीं जाती(पद.24-25) क्योंकि यह उसे दृढ़ प्रेम और करुणा में सुरक्षित है l 

सुज़न कहती है, “परमेश्वर का प्यार मेरे लिए हर दिन कुछ नया है l” “मैं आशा के साथ आगे देख सकती हूँ l”