एक धोबिन के रूप में सात दशकों की कड़ी मेहनत——हाथ से कपड़े साफ़ करना, सुखाना और प्रेस करना——के बाद, ओसियोला मैक्कार्टी अंततः छियासी वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार थी l उन्होंने इतने वर्षों में ईमानदारी से अपनी अल्प कमाई बचाई थी, और अपने समुदाय को आश्चर्यचकित करते हुए, उन्होंने ज़रूरतमंद छात्रों के लिए छात्रवृत्ति कोष बनाने के लिए पास के विश्वविद्यालय को $150,000(लगभग 1.24 करोड़) का दान दिया l उनके निस्वार्थ उपहार से प्रेरित होकर, सैकड़ों लोगों ने उनकी निधि को तीन गुना करने के लिए पर्याप्त दान दिया l 

ओसियोला समझ गयी कि उसकी संपत्ति का असली मूल्य उसे अपने लाभ के लिए उपयोग करने में नहीं, बल्कि दूसरों को आशीर्वाद देने में है l प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को उत्साहित किया कि वह उन लोगों को आज्ञा दे जो इस वर्तमान संसार में धनी हैं, “भले कामों में धनी बने”(1 तीमुथियुस 6:18) l हममें से प्रत्येक को प्रबंधन के लिए धन दिया गया है, चाहे वह वित्तीय साधनों के रूप में हो या अन्य संसाधनों के रूप में l अपने संसाधनों पर भरोसा करने के बजाय, पौलुस हमें केवल परमेश्वर पर आशा रखने (पद.17) और “उदार और सहायता देने में तत्पर” (पद.18) बनकर स्वर्ग में धन इकठ्ठा करने की चेतावनी देता है l 

परमेश्वर की अर्थव्यवस्था में, रोक के रखना और उदार न होना केवल खालीपन की ओर ले जाता है l प्रेम से दूसरों को देना पूर्णता का मार्ग है l अधिक के लिए प्रयास करने के बजाय, हमारे पास जो कुछ है उसमें भक्ति और संतुष्टि दोनों रखना, महान लाभ है (पद.6) l ओसियोला की तरह अपने संसाधनों के प्रति उदार होना हमारे लिए कैसा रहेगा? आइये आज हम अच्छे कामों से समृद्ध होने का प्रयास करें क्योंकि परमेश्वर हमारी अगुआई करता है l