जब जॉन की नौकरी छूट गयी तो वह टूट गया l अपनी आजीविका/career) के आरम्भ की तुलना में अंत के करीब, उसे पता चला कि किसी नयी जगह से आरम्भ करना कठिन होगा l वह सही नौकरी के लिए प्रार्थना करने लगा l फिर जॉन ने अपना बायोडाटा अपडेट किया, साक्षात्कार युक्तियाँ/सलाहें पढ़ीं और बहुत सारे फोन कॉल किये l कई हफ़्तों तक आवेदन करने के बाद, उसने शानदार शेड्यूल/समय-सारणी और आसान आवागमन के साथ एक नया पद स्वीकार कर लिया l उसकी विश्वासयोग्य आज्ञाकारिता और परमेश्वर का प्रावधान एक आदर्श चौराहे पर मिले थे l
इसका एक अधिक नाटकीय उदाहरण मिस्र में इस्राएल की दासता के समय योकेबेद(निर्गमन 6:20) और उसके परिवार के साथ हुआ l जब फिरौन ने आदेश दिया कि सभी नवजात इब्री पुत्र नील नदी में डाल दिये जाएँ(1:22), तो योकेबेद भयभीत हो गयी होगी l वह क़ानून नहीं बदल सकती थी, लेकिन परमेश्वर की आज्ञा मानने और अपने बेटे को बचाने की कोशिश करने के लिए वह कुछ कदम उठा सकती थी l विश्वास में उसने उसे मिस्रियों से छुपाया l उसने एक छोटी, जलरोधी पपाएरस(papyrus-एक प्रकार का सरकंडा) की टोकरी बनायी और “उसमें बालक को रखकर नील नदी के किनारे कांसों के बीच छोड़ आई”(2:3) l परमेश्वर ने उसके जीवन को आश्चर्यजनक ढंग से संरक्षित करने के लिए कदम उठाया(पद.5-10) और बाद में उसका उपयोग पूरे इस्राएल को दासत्व से छुटकारा दिलाने के लिए किया(3:10) l
जॉन और योकेबेद ने बहुत अलग कदम उठाए, लेकिन दोनों कहानियाँ विश्वास से भरी क्रियाओं द्वारा चिन्हित हैं l भय हमें पंगु बना सकता है l भले ही परिणाम वह न हो जिसकी हमें उम्मीद थी या आशा थी, विश्वास हमें परिणाम की परवाह किये बिना परमेश्वर की अच्छाई पर भरोसा रखने की सामर्थ्य देता है l
आपने कब स्वयं को भय या चिंता में डूबा हुआ पाया है? आप ईमानदारी से परमेश्वर को आदर देनेवाला अगला कदम कैसे उठा सकते हैं?
प्रिय परमेश्वर, कृपया मुझे उस मार्ग पर हर कदम ईमानदारी से उठाने में मदद करें जो आपने मेरे लिए तय किया है l