बचपन में, मैं डाक टिकटें इकट्ठा करता था। जब मेरे अंगकोंग (फुकिएनीज़ में “दादा” के लिए) ने मेरे शौक के बारे में सुना, तो उन्होंने हर दिन अपने कार्यालय के मेल से टिकटें सहेजना शुरू कर दिया। जब भी मैं अपने दादा-दादी से मिलने जाता, अंगकोंग मुझे कई तरह के खूबसूरत टिकटों से भरा एक लिफ़ाफ़ा देता। एक बार उसने मुझसे कहा, “भले ही मैं हमेशा व्यस्त रहता हूँ, लेकिन मैं तुम्हें नहीं भूलूँगा।”
अंगकोंग को खुलेआम स्नेह दिखाने की आदत नहीं थी, लेकिन मैंने उसके प्यार को गहराई से महसूस किया। असीम रूप से गहरे तरीके से, परमेश्वर ने इस्राएल के प्रति अपने प्यार का प्रदर्शन किया जब उसने घोषणा की, “मैं तुम्हें नहीं भूलूँगा!” (यशायाह 49:15)। बीते दिनों में मूर्तिपूजा और अवज्ञा के कारण बेबीलोन में पीड़ित, उसके लोगों ने विलाप किया, “प्रभु ने मुझे भूल गया है” ( पद 14)। लेकिन अपने लोगों के लिए परमेश्वर का प्यार नहीं बदला था। उसने उन्हें क्षमा और पुनर्स्थापना का वादा किया (पद 8-13)।
परमेश्वर ने इस्राएल से कहा, “मैंने तेरा चित्र अपनी हथेलियों पर खोदकर बनाया है” जैसा कि वह आज हमसे भी कहता है (पद.16)। जब मैं उसके आश्वासन के शब्दों पर विचार करता हूं, यह मुझे गहराई से यीशु के कीलों से दागे हाथों की याद दिलाता है—जो हमारे लिए और हमारे उद्धार के लिए प्रेम में फैला हुआ था (यूहन्ना 20:24-27)। यह मुझे यीशु के कीलों से जख्मी हाथों का बहुत गहराई से याद दिलाता है- जो हमारे लिए और हमारे उद्धार के लिए प्रेम में फैला हुआ है (यूहन्ना 20:24-27)। मेरे दादाजी के टिकटों और उनके स्नेहपूर्ण शब्दों के तरह, परमेश्वर अपने प्रेम के अनन्त प्रतीक के रूप में अपना क्षमाशील हाथ बढ़ाता है। आइए हम उसके प्रेम—एक अपरिवर्तनीय प्रेम के लिए उन्हें धन्यवाद दें। वह हमें कभी नहीं भूलेगा।
—केरेन हुआंग
आपको यह स्पष्ट रूप से कब याद दिलाया गया कि परमेश्वर हमें कभी नहीं भूलता? उनका अपरिवर्तनीय प्रेम आपके वर्तमान स्थिति में आपको आशा और सुरक्षा कैसे दे सकता है?
हे पिता, आपके निरंतर प्रेम और उपस्थिति के लिए धन्यवाद।
