जब डायनासोर पृथ्वी पर घूमा करते थे और समुद्री-तल तेल की झीलों से जमा हुआ था उससे भी बहुत पहले, वहाँ एक महान राजा था कोई भी नहीं जानता कि यह राजा कहाँ से आया या हमें अब तक की सबसे महानतम कहानी देने से पहले क्या करता थाI उसके बारे में हम बस इतना ही जानते है जब वह एक स्वतंत्र दुनिया का दर्शन लेकर प्रकट हुआ जो उसके जीवन और सुख को साझा करेगीI आगे जो है वह उसकी—और हमारी कहानी हैI
उसके शब्द के द्वारा
राजा का सबसे पहला काम अपनी योजना को बताने के लिए एक जगह तैयार करना थाI कोई भी शक्ति इसे समझा नहीं सकती कि कैसे उस राजा ने एक आदेश दिया और पूरा ब्रह्मांड अस्तित्व में आ गयाI बाद में जब नवजात गृह(पृथ्वी) पानी और अंधकार तले ठंडा हुआ तो राजा ने कहा ”उजियाला हो” और अंधकार उससे दूर भाग गयाI
राजा इतना महान था फिर भी छोटी से छोटी बारीकियों का उसे ध्यान/चिंता थीI
जबकि अधिकांश ब्रह्मांड बंजर और ख़ाली था, राजा ने नीचे पहुँच कर विशाल द्वीपों को गहरे पानी से उठा लिया जो उसके अपने चुने हुए गृह को ढके हुए थे,फिर उसने सूखे मैदानों को वर्षा वनों और हरी घास के मैदानों के स्वर्ग में परिवर्तित कर दियाI उसने ऊँचे पर्वत, गहरी घाटी और रेतीले समुद्र तट बनायेI उसने अत्यधिक जटिलता के वातावरण तैयार किएI बारीकियों के ऊपर असीम ध्यान देते हुए राजा ने पृथ्वी को रंग,बनावट,ध्वनी और सुगंध से भर दिया और हर चीज़ को बनाकर उसने अपने व्यक्तित्व का व्यापक विस्तार और महानता दिखाईI
अनंत ज्ञान और अंतर्दृष्टि के साथ उन्होंने वायु,भूमि,और समुद्र को हर आकार और प्रकार के जीवित प्राणियों से भर दिया,ऊंट से लेकर चिंपांज़ी तक,सूक्ष्म कीड़ों से लेकर विशाल ‘रेड वुड’ जंगलों तक राजा ने पौधों और जानवरों की एक अंतहीन विविधता तैयार की, और जो कुछ भी राजा ने किया उसने अपनी क्षमता शून्य में से भी कुछ बना कर और आरजकता में से भी व्यवस्था स्थापित करने में दिखाईIअपने ब्रह्मांड की विशालता और जटिलता से उसने यह दिखाया कि ऐसा कुछ भी बहुत बड़ा या बहुत छोटा नहीं है जो उसके ध्यान से या सोच/चिंता से बच कर निकल जायेI
अपनी समानता में
उसने जो कुछ भी बनाया था उसमें ‘फिनिशिंग टच’(अंतिम रूप) देने के लिए,राजा ने नीचे हाँथ बढ़ा कर मुट्ठी भर मिटटी ली और उसकी नज़रों के सामने मिटटी के ढेले ने आकार ले लियाI फिर राजा ने उस आकार में अपना श्वास फूँका और वह आदमी बन गया और जैसे ही आदमी ने अपनी आँखे खोली, भोर की धुंद और कोमल किरणों/रौशनी ने उसकी आँखों को आश्चर्य से भर दियाI सब कुछ नया था,हवा स्वच्छ थी, रंग और सुगंध एकदम ताज़े और कोमल थेI जैसे वह पेड़ों के बीच चल रहा था उस राजा के समरूप(आदमी) को यह अहसास हुआ कि सभी की नज़रें उसी पर ही टिकी हुई हैIउसने देखा कि एक सफ़ेद पूँछ वाला हिरण जो घांस चरते-चरते रुक कर उसी की ओर देख रहा हैI वह भेड़िये को सहलाने के लिए आगे बढ़ता है जो उससे मिलने आया थाI वह हँसता है जब एक मेमना भेड़िये को धक्का दे कर किनारे कर देता है और अपना सिर उसके पैरों पर रगड़ता हैI
“इनकी देखभाल करो और तुम देखोगे कि कैसे मैंने तुम्हारी देखभाल की हैI”
जैसे आदमी बगीचे से परिचित होता गया वह राजा कि बुद्धि और रचनात्मकता के प्रति उसकी प्रशंसा में बढ़ता गया ऐसा लगता था कि राजा की कल्पना और भलाई का कोई अंत ही नहीं हैI “यह सब मेरे है”, राजा ने कहा “मै इन्हें तुम्हे सौंप रहा हूँ, “इनकी देखभाल करो और तुम्हे पता चलेगा कि कैसे मैंने तुम्हारी देखभाल की हैI”
अपने प्रेम के द्वारा
कुछ समय के लिए, उस देख भाल करने वाले ने एकांत में अपने कार्य का आनंद लिया,हालांकि,कुछ समय पश्चात ही वह अपने भीतर के खालीपन से अवगत हो गया थाI यद्यपि वह राजा के साथ नियमित रूप से मुलाकातों का आनंद लेता था और अपने इर्द-गिर्द मैत्री-पूर्ण पशु पक्षियों से भी घिरा हुआ था फिर भी उसके पास उसके जैसा कोई भी नहीं था जिसके साथ वह खोज और आश्चर्य की भावनाओं को साझा कर सकता थाI राजा ने उस रखवाले के अकलेपन को समझाI परंतु इस बार एक और मुट्ठी भर मिट्टी लेने के बजाय उसने अपने समरुप (देखभाल करने वाले) को सुला दिया और मनुष्य के दिल के पास से कुछ निकाल कर उसी में से एक दूसरा समरुप बनायाI
जब देखभाल करने वाला नींद से जागा तो उसने देखा कि राजा ने उसे क्या दिया है और वह मुस्कुरा उठा और प्रतिक्रिया में दूसरे समरुप ने भी उसे देख कर मुस्कुरा दियाI वे एक जैसे होते हुए भी एक दूसरे से भिन्न थे, वे दूसरे की अनदेखी को देखने की अपनी क्षमता पर हँसतेI थोड़े ही समय में वे राजा द्वारा दिए गए कार्य को निर्वाह करने का आनंद उठा रहे थेI यह सबसे पहले जोड़े के अच्छे दिन थेI उनका राजा के साथ और एक दूसरे के साथ अद्भुत रिश्ता थाI सुखदायी शाम के समय वे सभी पेड़ों के बीच एक साथ टहलते थे जिन्हें राजा ने उनकी देखरेख में उन्हें दे रखा थाI
राजा ने जोड़े के लिए बहुत कुछ किया थाI हर एक चीज़ जो उनके बगीचे के घर में थी वह राजा की ओर से उनके लिए उपहार थी परन्तु इन सब से कही अधिक स्वयं राजा ने उनका दिल जीत रखा थाI वह आश्चर्यों से भरा हुआ था,परन्तु उसने यह नहीं छिपाया की वह उनके बारे में कैसा महसूस करता हैI देखभाल करने वालों के लिए उसका प्रेम और आदर स्पष्ट थाI
हालांकि राजा उनके सभी विचारों और कार्यों को नियंत्रित कर सकता था, वे बुद्धिमान था परन्तु उसने बड़ा जोखिम उठाकर उन्हें चुनाव का उपहार दिया यहाँ तक की उसने देखभाल करने वालों को पर्याप्त छूट दी थी कि यदि वे चाहते तो उससे दूर जा सकते थेI वे जानता था कि यदि वे उसे छोड़ कर नहीं जा सकते तो वे ठहरने का चुनाव भी नहीं कर सकते थेI चुनाव और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आभाव में राजा के स्वतंत्र दुनिया के दर्शन के सपने को साकार नहीं किया जा सकता थाI
सत्य की परख
देखभाल करने वालों को स्वतंत्रता देने के लिए राजा ने बगीचे के बीच में दो पेड़ लगायेI एक को उसने जीवन का वृक्ष कहा और दूसरे को उसने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष के रूप में वर्णित कियाI बगीचे में एक केन्द्रीय पथ दोनो पेड़ों को बीच में से काटते हुए दो अलग दिशाओं में चला गयाI राजा के अनुसार वह जोड़ा बगीचे के सिर्फ एक पेड़ को छोड़ कर बाकी सभी पेड़ों के फल को खा सकता थाI
यदि वे भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष से फल खाएंगे, तो वे मर जाएंगेI देखभाल करने वाले समझ गए थे कि राजा उन्हें चुनाव दे रहा था लेकिन वे निश्चित नहीं थे कि मरने से राजा का क्या तात्पर्य हैI उसने इतना कुछ उन्हें आनंद लेने के लिए दिया था तो फिर वे कुछ भी उनके लिए सीमा से बाहर क्यों रखेगा?
मासूमियत/भोलापन को खोना
वह स्त्री और पुरुष किसी ऐसे व्यक्ति से मिलने वाले थे जिसे राजा के शासन से उनकी तुलना में कही अधिक समस्याएँ थीI अब तक वे नहीं जानते थे कि राजा का कोई शत्रु हैI जो उनके जीवन में आने वाला था वह हमेशा से विद्रोही नहीं थाI कभी किसी समय और स्थान पर उसे भी सम्मान और विशेषाधिकार दिया गया थाI राजा की सेवा में उसे “ज्योति वाहक” और “सुबह का पुत्र” के नाम से जाना जाता थाI एक समय पर, आकर हालंकि,ज्योति वाहक अहंकार से भर गयाI
वे इस बात से आश्वस्त था कि जो कुछ भी उसे दिया गया है वह उसके योग्य हैI ज्योति वाहक यह कल्पना करने लगा कि सेवा करने की अपेक्षा करना कैसा होगाI वह मन ही मन अपने राज्य को बनाने के लिए साज़िश करने लगाI और अंत में जब उसने जाने का निर्णय लिया तो वह चुपचाप नहीं गयाI उसने एकतिहाई राजा के सेवकों को भी अपने साथ शामिल कर लियाI तभी से ज्योति वाहक अंधकार के राजकुमार के नाम से जाना जाने लगाI
रात के अंधकारमय आकाश के सामान अपनी अंधकारमयी योजना के साथ विद्रोही भेष बदल कर बगीचे में दाखिल हुआI
इसके पश्चात आने वाले दिनों में विद्रोही और उसके अनुयायी ब्रह्मांड में एक ऐसी जगह की तलाश में भटकते रहे जिसे वे अपना कह सकतेI और रास्ते में उन्होंने देखभाल करने वालों और बगीचे के घर के बारे में सुना जो राजा ने उन्हें दिया थाI रात के अंधकारमय आकाश के सामान अपनी अंधकारमयी योजना के साथ विद्रोही भेष बदल कर बगीचे में दाखिल हुआ, एक ऐसे आकर्षण के साथ जिसमे अपने उद्दश्यों को छुपाते हुए उसने स्त्री के साथ बात-चीत शुरू कीI
महत्वपूर्ण मोड़
उचित समयानुसार प्रश्न पूछ कर, विद्रोही ने अपना जाल बिछाया, “मैंने जो सुना क्या वह सच है? क्या राजा ने तुम्हे तुम्हारे घर के सभी हिस्से में जाने से मना किया है?”शुरुआत में स्त्री ने राजा का बचाव कियाI लेकिन फिर जैसे ही उसने उस जीव को ओर देखा तो उसने पाया कि उसके मन में ऐसे विचार है उसे पहले कभी नही आए थेI “राजा हमें किसी भी बात के लिए ना क्यों कहेगा?”वह हमें क्या नहीं जानने देना चाहता है?”सवाल आते रहेI क्या राजा उन पर अपनी पकड़/नियंत्रण बना रहा था?क्या उसने ज्ञान के वृक्ष पर बने वर्जित रास्ते के चिन्ह के बारे चेतावनी सिर्फ इसलिए दी थी क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वे दोनों को इतना ज्ञान प्राप्त हो जाये जितना कि उसे प्राप्त है?
अपने रचयिता के ऊपर संदेह करना यह एक नया अनुभव था उस स्त्री के लिएI वह अक्सर अपने साथी से राजा की बुद्धि के बारे में बात करतीI दोनों साथ में जिज्ञासा में सोचा करते कि वे कहाँ से आया है और उसे हर चीज़ के बारे में सबकुछ कैसे पता है?जैसे राजा अपने बारे में उनको और अधिक बताता गया उनका रिश्ता और गहरा होता चला गया हालांकि,अब,ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें जितनी भी जानकारी मिली वह पर्याप्त नहीं हैI आगे जो कुछ भी हुआ वह एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसे वह कभी नहीं भूलेंगे,स्त्री ने वर्जित रास्ते पर चलना शुरू कर दिया और अपने साथी को भी उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित कियाI एक क्षण के लिए पहला देखभाल करने वाला रुका,उसे याद आता है कि राजा ने उन्हें बताया था कि उस वर्जित रास्ते पर जाने का क्या परिणाम हो सकता हैI उसे राजा के प्रेम और चिंता भरे शब्द याद आयेI
स्त्री ने वर्जित रास्ते पर चलना शुरू कर दिया और अपने साथी को भी उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित कियाI
वह पुरुष अपने दिल की तेज़ धडकनों को सुन सकता थाI वह स्वयं को अपने साथी,राजा और अपनी स्वयं की जिज्ञासा के बीच फंसा और टूटता/बंटता हुआ महसूस करता हैI जैसे वह जोड़ा एक साथ उस रास्ते की ओर चल पड़ते है, ऐसा लगता है जैसे उन्होंने कोई प्रभावशाली नशा किया हुआ है, उनका मन बदल चुका था,उनकी मासूमियत चली गयी थीI वे निरावरण (नग्न) और असुरक्षित महसूस करने लगते हैI वे अपने पीछे भलाई और बुराई के ज्ञान के वृक्ष के साथ बगीचे से पत्तियाँ लेकर अपने आप को ढंकने के लिए कपड़े सिलते हैI