पढ़ें: मत्ती 25:31-46

मैं बीमार था, और तुमने मेरी सुधि ली (पद 36)।

वर्षों पहले, परिवार का एक सदस्य जो द्विध्रुवी विकार (बाइपोलर डिसऑर्डर– एक मानसिक बीमारी) से पीड़ित था, उसे अत्यधिक मानसिक विकार का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उसकी नौकरी छूट गई, जेल जाना पड़ा और बेघर होना पड़ा। दो महीने तक मैं सामाजिक कार्यकर्ताओं, कानून प्रवर्तन (जो कानून लागू करते हैं) अधिकारियों, दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ फोन पर यह जानने की कोशिश कर रहा था कि उसकी मदद कैसे की जाए। मैंने अपने परिवार के सदस्य के चर्च से भी संपर्क किया। लेकिन वहां कोई भी मेरी मदद के लिए उचित दिशा नहीं बता सका। परमेश्वर की कृपा से आज मेरे परिवार का सदस्य अच्छा है। लेकिन वो दिन मेरे जीवन के सबसे कठिन थे।

चर्च में अधिकांश लोग प्रशिक्षित चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर नहीं हैं, इसलिए वे अक्सर अनिश्चित होते हैं कि मानसिक रूप से बीमार लोगों की मदद कैसे करें। मैंने जो सीखा है वह यह है कि मदद की शुरुआत प्यार और करुणा से होती है। मत्ती 14:14 हमें बताता है कि यीशु को भीड़ में दुखी लोगों पर दया आई। उसने बीमारों को चंगा किया। वास्तव में, सुसमाचार लगातार सभी प्रकार के बीमार लोगों के लिए यीशु की देखभाल को प्रदर्शित करते हैं। वह न तो बीमारियों से भागा और न ही उनसे हार मानी। उसने उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया या उनकी बीमारियों के लिए उन्हें शर्मिंदा नहीं किया। इसके बजाय, यीशु ने उनके साथ व्यक्तिगत बातचीत की। वह उनकी ओर बढ़ा (मत्ती 14:13-14, 20:29-32)। उसकी सामर्थ से, हम भी ऐसा कर सकते हैं।

जिस तरह से हम अपने भाई-बहनों को, जो मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, प्रेम दिखा सकते हैं, वह है एक दयालु और सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना। हमारी आँखें, हमारी आवाज़ का लहजा और हमारा बिना शब्दों का प्रयोग किये संचार या तो तिरस्कार या दया प्रकट कर सकते है।

प्यार और दया प्रदर्शित करने का एक और तरीका यह है कि हम मानसिक रूप से बीमार लोगों की जरूरतों और मदद के लिए क्या उपलब्ध हैं, दोनों के बारे में जागरूक रहें। परमेश्वर की करुणा दिखाना और बीमार लोगों को सहायक संसाधनों की ओर निर्देशित करना ऐसे कुछ तरीके हैं जिनसे हम बीमारों की देखभाल कर सकते हैं – और इस तरह स्वयं यीशु की सेवा कर सकते हैं (पद 36)।

—मार्लेना ग्रेव्स

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भजन संहिता 42:3-5, 11 में गहरे दर्द की हाव भाव पढ़ें और विचार करें कि आप मानसिक बीमारी से पीड़ित उन लोगों की सहायता कैसे कर सकते हैं जो इस तरह महसूस कर सकते हैं।

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यहां तक कि यीशु में सच्चे विश्वासी भी निराशा और अन्य प्रकार की मानसिक बीमारियों से पीड़ित हैं। क्या इसे समझना कठिन है? क्यों या क्यों नहीं? आपको क्या लगता है कि यीशु आपके जीवन में मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों की देखभाल कैसे करेंगे?