मरा हुआ आदमी बाहर आयाI यहुन्ना 11:44

1896 में,कला परिदृश्य/ कला मंच पर हेनरी ओसावा टैनर अपने मास्टरपीस लेकर आए थे जिसका नाम था लाज़र का पुनरुत्थान,पेंटिंग ने पेरिस सैलून में एक पदक/मैडल अर्जित किया टैनरI एक घटना बन गए थेI लाज़र की सबसे आश्चर्यजनक विशेषता यीशु और लाज़र के चारों ओर एकत्रित लोगों के चेहरे पर चित्रित कई उद्वोधक भाव (याद ताज़ा करने वाले भाव) हैI टैनर अपनी इच्छा को समझाते है कि बाइबिल की कहानी पर रोशनी डालने के साथ ही साथ वह उसमे मानवीय स्पर्श को भी जोड़ना चाहते है जो सम्पूर्ण संसार को एक रिश्ते में बांधता हैI

टैनर जानते थे कि हमारे बीच में अंतर होने के बावजूद भी मनुष्य होने के कारण हम सभी अटल मृत्यु के कारण एक दूसरे से जुड़े हैI और टैनर का मानना था कि हम सभी एक साथ येशु में आशा पा सकते है जो मृत्यु पर विजयी हुआ हैI यहुन्ना 11:1 में लिखा है,”एक आदमी (जो) बीमार था” परन्तु सच्चाई यह है कि हम सभी किसी ना किसी प्रकार/रूप से बीमार है और कब्र के लिए अभिशप्त हैंI यद्यपि मरियम और मारथा ने यीशु से मदद मांगी थी मगर लाज़र यीशु के पहुँचने से पहले ही मर गया थाI निश्चित रूप से तो यह कहानी का अंत थाI सभी जानते थे कि मृत्यु के पास ही अंतिम शब्द थाI

यीशु इस बात से असहमत थेI

मरे हुए आदमी की कब्र और अचंभित लोगों के सामने यीशु ने बड़े शब्द से पुकारा,कि हे “लाज़र,निकल आ!” (वचन-4 )और लाज़र अपनी कब्र से बाहर निकल कर आ गयाI

हम सभी मृत्यु और भय के बोझ को जानते हैI हमारे शरीर की, हमारे संबंधों की, हमारी आशाओं की मृत्यु परन्तु यीशु के पास अंतिम शब्द है उसके परिवर्तनकारी रास्ते/तरीके संसार में प्रकाश और जीवन लाते रहे हैI

आपने मृत्यु के कड़वे प्रभावों का अनुभव कैसे किया?आपने परमेश्वर को आपके और आपके अनुभवों में जीवनदायी शब्द बोलते हुए कहाँ देखा है?

यीशु,मृत्यु सभी जगह है क्या आप मुझे अपना जीवन प्रदान करेंगे?क्या आप अंतिम शब्द बोलेंगे?

यहुन्ना 11:1-14, 40-44

1 लाजर नामक एक व्यक्‍ति बीमार पड़ गया। वह मरियम और उसकी बहिन मार्था के गाँव बेतनियाह का निवासी था। 2 यह वही मरियम थी, जिसने इत्र से प्रभु का अभ्‍यंजन किया और अपने केशों से उनके चरण पोंछे थे। उसका भाई लाजर बीमार था। 3 दोनों बहिनों ने येशु को समाचार भेजा, “प्रभु! देखिए, जिसे आप प्‍यार करते हैं, वह बीमार है।” 4 येशु ने यह सुन कर कहा, “इस बीमारी का अन्‍त मृत्‍यु नहीं, बल्‍कि यह परमेश्‍वर की महिमा के लिए है। इसके द्वारा परमेश्‍वर का पुत्र महिमान्‍वित होगा।” 5 येशु मार्था, उसकी बहिन मरियम और लाजर से प्रेम करते थे। 6 यह सुन कर कि लाजर बीमार है, वह जहाँ थे, वहाँ और दो दिन ठहर गये; 7 किन्‍तु इसके बाद उन्‍होंने अपने शिष्‍यों से कहा, “आओ! हम फिर यहूदा प्रदेश को चलें।” 8 शिष्‍य बोले, “गुरुवर! कुछ ही दिन पहले वहाँ के लोग आप को पत्‍थरों से मार डालना चाहते थे और आप फिर वहीं जा रहे हैं?” 9 येशु ने उत्तर दिया, “क्‍या दिन के बारह घण्‍टे नहीं होते? जो दिन में चलते हैं, वे ठोकर नहीं खाते, क्‍योंकि वे इस संसार के प्रकाश को देखते हैं। 10 परन्‍तु जो रात में चलते हैं, वे ठोकर खाते हैं, क्‍योंकि उनमें प्रकाश नहीं होता।” 11 इतना कहने के बाद वह फिर उन से बोले, “हमारा मित्र लाजर सो गया है। किन्‍तु मैं उसे नींद से जगाने जा रहा हूँ।” 12 शिष्‍यों ने कहा, “प्रभु! यदि वह सो रहा है, तो स्‍वस्‍थ हो जाएगा।” 13 येशु ने यह उसकी मृत्‍यु के विषय में कहा था, लेकिन उनके शिष्‍यों ने समझा कि वह नींद के विश्राम के विषय में कह रहे हैं। 14 इसलिए येशु ने उन से स्‍पष्‍ट शब्‍दों में कहा, “लाजर मर गया है, 40 येशु ने उसे उत्तर दिया, “क्‍या मैंने तुम से यह नहीं कहा कि यदि तुम विश्‍वास करोगी, तो परमेश्‍वर की महिमा देखोगी?” 41 इस पर लोगों ने पत्‍थर हटा दिया। येशु ने आँखें ऊपर उठा कर कहा, “पिता! मैं तुझे धन्‍यवाद देता हूँ; तूने मेरी प्रार्थना सुन ली है। 42 मैं जानता था कि तू सदा मेरी प्रार्थना सुनता है। किन्‍तु मैंने आसपास खड़े लोगों के कारण ऐसा कहा है, जिससे वे विश्‍वास करें कि तूने मुझे भेजा है।” 43 यह कह कर येशु ने ऊंचे स्‍वर से पुकारा, “लाजर! बाहर निकल आओ!” 44 मृतक बाहर निकल आया। उसके हाथ और पैर पट्टियों से बंधे हुए थे और उसके मुख पर अंगोछा लपेटा हुआ था। येशु ने लोगों से कहा, “इसके बन्‍धन खोल दो और इसे जाने दो।”