यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है,और उसकी करूणा सदा की हैभजन संहिता 136:1

कुछ भी सदा बना नहीं रहता, इस पीड़ादायक सत्य को साफ़ साफ़ समझने के लिए आपको बहुत लम्बा समय संसार में जीने की आवश्यकता नहीं हैl जिस कार को खरीदते समय आपको बहुत गर्व हो रहा था अब वह ज़्यादातर समय मरम्मत के लिए मकैनिक के पास ही खड़ी रहती हैl वे कपड़े जो आपने सेल में बड़े चाव से खरीदे थे अब बेकार कपड़ों के बक्से में पड़े हैंl घर की छत कभी न कभी टपकने ही लगती है, उपकरण खराब हो जाते हैं, कालीन बदलने वाला हो जाता हैl और वे रिश्ते जो हम सोचते हैं कि कायम रहेंगे, अक्सर टूट कर बिखर जाते हैंl

कोई भी समस्या परमेश्वर की सदा की दया से बड़ी नहीं है l

कुछ भी सदा बना नहीं रहता, लेकिन बस एक चीज़ – परमेश्वर की करुणाl भजन संहिता 136 में हमें यह प्रेरणादायक सत्य 26 बार स्मरण कराया गया हैl 26 बार लेखक हमें कुछ ऐसा बताता है जिसके लिए हमें परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए, और फिर वह हमें स्मरण दिलाता है, “उसकी करुणा सदा की हैl”

इसके अर्थ पर विचार करेंl जब हम पाप करते हैं और हमें क्षमा की आवश्यकता हो, तो उसकी करुणा सदा की हैl जब हमारा जीवन एक ऐसी उलझन जैसा दिखाई दे जो हमारे नियंत्रण से बाहर है, तो उसकी करुणा सदा की हैl जब कोई ऐसा न मिले जिसके पास हम मदद के लिए जा सकें, तो परमेश्वर की करुणा सदा की हैl जब बीमारी, निराशा या झगड़े के कारण हर दिन एक संघर्ष हो, तो उसकी करुणा सदा की हैl जब जीवन एक बोझ लगे तो हम तब भी प्रभु की स्तुति कर सकते हैं, जैसा कि भजनकार ने किया – क्योंकि परमेश्वर की करुणा हमेशा नयी और ताज़ा हैl

किसी भी समस्या की अवधि परमेश्वर की सदा की करुणा से लंबी नहीं है!

 

मेरा उद्धारकर्ता करता है अंत तक मेरी अगुवाई –

इससे ज़्यादा मैं और क्या माँगूं?

जिसने जीवन भर मुझे चलाया क्या सम्भव है,

मैं कभी उसकी कोमल करुणा पर संदेह करूं?– फ्लिन्ट

परमेश्वर के हृदय से करुणा

सदा बहती रहती हैl

पढ़ने के लिए आज का बाइबिल पाठ – भजन संहिता 136:1-9

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करुणा सदा की है।  जो ईश्वरों का परमेश्वर है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करुणा सदा की है।  जो प्रभुओं का प्रभु है, उसका धन्यवाद करो, उसकी करुणा सदा की है।  उसको छोड़कर कोई बड़े बड़ेआश्चर्यकर्म नहीं करता, उसकी करुणा सदा की है।  उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, उसकी करुणा सदा की है।  उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, उसकी करुणा सदा की है।  उसने बड़ी बड़ीज्योतियाँ बनाईं, उसकी करुणा सदा की है।  दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, उसकी करुणा सदा की है;  और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करुणा सदा की है।

अंतर्दृष्टि

भजन 136 में, परमेश्वर की “सदा की करुणा” की प्रशंसा ऐसे कई कारणों से की गई है जिन सबका सम्बन्ध उन तरीकों से है जिनके द्वारा परमेश्वर ने स्वयं को हम पर प्रगट किया हैl 1-9 पदों में परमेश्वर की करुणा उसकी उस शक्ति में दिखाई देती है जो उसके द्वारा रचित सृष्टि में प्रकट हैl 10-22 पदों में परमेश्वर की करुणा इस्राएल की सन्तान को मिस्र की गुलामी में से निकालने के उसके शक्तिशाली छुटकारे में दिखाई देती हैl अंत में, 23-26 पदों में उसकी करुणा उसकी उस दया में प्रकट होती है जो वह हम पर करता है, भले ही हम इसके हकदार नहीं हैंl आश्चर्य नहीं है कि भजनकार यह कहते हुए अपनी बात समाप्त करता है, “स्वर्ग के परमेश्वर का धन्यवाद करो, उसकी करूणा सदा की है” (भजन संहिता 136:26)l