“उस तारे को देखकर वे अति आनन्दित हुए। और उस घर में पहचुंकर उस बालक को उस की माता मरियम के साथ देखा, और मुंह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया; और अपना अपना थैला खोलकर उसे सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेट चढ़ाई ।“ मत्ति 2:10-11

बचपन से ही, दिसंबर महिना हमेशा से मेरा साल का पसंदिदा महिना रहा । मै हमेशा दिसंबर के पहले दिन की प्रतीक्षा रकिया कती । जैसी मेरी पाठशाला में छुट्टिया होती मेरा दिल खुशी से नाचने लगता, उमंग के साथ मै रुकी रहती, एक पेपर का लालटेन जो बिलकुल तारे समान दिखाई देता था उसके लिए । रविवार के पूर्व हमने उसे बाजार से खरीदा था, और मेरे पिताजी ने मुझे कांधो पर उठाकर उस तारे को लटकाने के लिए कहा, उससे मेरा हृदय उत्साहित हो उठा। जबकि अड़ोसपड़ोस में हमारे अकेला का घर ही एक मसीही घर था। सारे पडोस के बच्चे मेरे घरमें इकठ्ठा होकर उस तारे को देखते रहते, जैसे वह अपनी महिमा में चमक रहा हो । उसके द्वारा लाखों भिन्न भिन्न रंग के प्रतिबिंब जमीन पर दिखाई दे रहे थे । और मै हर रात उस तारे को जला देती ।

मै आश्चर्य करते हुए सोच मे पड़ गई जब उन ज्ञानी व्यक्तियो ने उस तारे को देखा होगा वे भी इसी तरह के आनन्द और उत्साह से भरे होंगे । और वह वहाँ ठहर गया जहाँ पर बालक था। उन्होंने आकाश का कई वर्षों तक अध्ययन किया होगा और उस भविष्यद्वाणी पर सोचा होगा कि मानवजाति को बचाने के लिए वह आएगा । इस कठीन यात्रा के बाद वे नम्रता से वहां पहुंचे जहाँ से थोड़ी ही दूर चरनी में लेटा हुआ बालक यीशु था ।

तारा हमारे पोर्च और बाल्कनीयों में से बहुत चमकता तो है, परन्तु हमारे जीवन की जीवित गवाही और भी ज्यादा प्रकाशमान होनी है । यीशु ने उसके अनुयायियों से कहा, तमु जगत की ज्योति हो, जो नगर चट्टान पर है उसे छुपा नही सकते ।” मत्ती 5:14 जैसे हमारे पडोसी और मित्र इस मासैम में हमें देखते है, क्या वे हमारे जीवन में उस ज्योंति को देखेंगे ? दया, प्रेम, धीरज और क्षमा यह ऐसे मसीह स्वरुप चरित्र है जो कभी भी छुपाएं नही जा सकते। जब हमारे पडोसी इस को देखते है, वे हमारे घरों में प्रवेश करेंगे, केवल इस सिझन के आनन्द के लिए नहीं परन्तु आदर और आराधना के लिए जो परमेश्वर के गुण है; वही सारे भक्ती और आदर के योग्य है।

प्रिय पिता, मेरे जीवन की ज्योति के द्वारा मैं दुसरों की अगुवाई करूं । ऐसा हो कि मेरे क्रियाओं और शब्दों के द्वारा आपकी ज्योती इस सिझन में हमेशा चमके । आमीन ।

– रिबकेा विजयन