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हियाव बांधकर दृढ़ हो जा, भय न खा और तेरा मन कच्चा न हो, क्योंकि जहाँ जहाँ तू जायेगा वहाँ वहाँ तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहेगा (पद 9)। (यहोशू 1:2–9)

हम आशा और संभावनाओं के सुखद मौसम में हैं। साल कितना भी मुश्किल क्यों न रहा हो, हममें से ज्यादातर लोग एक बेहतर और उज्जवल नए साल की उम्मीद करते हैं। पिछले साल के अंत में मुझे पता था कि मैं अपनी नौकरी के साथ–साथ मातृत्व अवकाश पर जा रही एक सहकर्मी की जिम्मेदारियों को उठाने के चुनौतीपूर्ण कार्य को भी संभालूंगी।

मूसा की मृत्यु के बाद, यहोशू एक बहुत बड़ी और कठिन जिम्मेदारी का सामना कर रहा था—वह इस्राएलियों को परमेश्वर द्वारा वादा किए गए देश में ले जा रहा था (यहोशू 1:1–2)। परमेश्वर ने हठी फिरौन के सामने विस्मयकारी चमत्कार करने और अपने लोगों को एक समृद्ध स्थान में ले जाने के लिये, 40 वर्षों तक जंगल में उनकी अगुवाई करने के लिए मूसा का इस्तेमाल किया था। लोगों ने दूध और शहद से बहने वाली भूमि में प्रवेश करने की वादा की गई आशा को साझा किया। मूसा की विरासत का पालन करना डराने वाला रहा होगा। इसलिये इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि परमेश्वर ने बार बार यहोशू के डर को संबोधित किया, उससे आग्रह किया कि “हियाव बांधकर दृढ़ हो जा” (पद 6–7,9।

परन्तु इस्राएल राष्ट्र के अगुवे के रूप में यहोशू की सफलता, यहोवा के प्रति उसकी आज्ञाकारिता पर निर्भर थी (पद 7)। परमेश्वर ने प्रकट किया कि उसके लिए परमेश्वर के वचन का अध्ययन और उस पर मनन करना और उसमें लिखी हर बात का पालन करने के लिए सावधान रहना महत्वपूर्ण था। केवल परमेश्वर और उसकी महान शक्ति पर निर्भर रहकर ही यहोशू सफलता प्राप्त कर सकता था (पद 8)।

हालाँकि मैं इस वर्ष मातृत्व अवकाश की अतिरिक्त ज़िम्मेदारियों से जूझ रही हूँ, मैं एक व्यक्ति के रूप में भी बढ़ी हूँ, उन क्षेत्रों में अनुभव प्राप्त कर रही हूँ जिन्हें विकसित करने का अवसर मुझे कभी नहीं मिलता। जब मैंने उसके वचन का अध्ययन करने और उसका पालन करने का प्रयास किया तो परमेश्वर विश्वासयोग्य साबित हुआ।

इस वर्ष, आइए हम पवित्रशास्त्र को पढ़ने, उसकी आज्ञाकारिता में चलने, और हियाव बांधकर दृढ़ होने में समय व्यतीत करें। भयभीत या निराश न हों, याद रखो कि तुम जहाँ भी जाओगे तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वहाँ तुम्हारे साथ है! (पद 9)

विचार

यशायाह 41:10 को पढ़ें और याद रखें कि आपको डरने या निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि परमेश्वर आपके साथ है।

जब आप एक नए साल के आगमन की आशा करते हैं, तो क्या कोई ऐसी चीज है जिससे आप भयभीत और चिंतित हैं? परमेश्वर कौन है और उसने हमें क्या करने के लिए बुलाया है इसकी स्पष्ट समझ से साहस कैसे आता है?