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तू हियाव बांध और दृढ़ हो, मत ड़र और तेरा मन कच्चा न हो। व्यवस्थाविवरण 31:6, 8

जबकि अधिकांश जर्मन चर्च के नेताओं ने हिटलर के सामने समर्पण कर दिया था, धर्मशास्त्री और पादरी मार्टिन नीमोलर उन बहादुर व्यक्तियों में से थे जिन्होंने नाजी बुराई का विरोध किया था। मैंने एक कहानी पढ़ी जिसमें बताया गया था कि कैसे 1970 के दशक में वृद्ध जर्मन वासियों का एक समूह एक बड़े होटल के बाहर खड़ा था, जबकि ऐसा प्रतीत होता था कि एक युवा व्यक्ति समूह के सामान के साथ दौड धूप कर रहा था। किसी ने पूछा कौन है “ये लोग कौन हैं”; “जर्मन पादरी” जवाब आया। “और वह युवा व्यक्ति कौन है?” “वह मार्टिन नीमोलर है . वह अस्सी साल का है। लेकिन वह युवा है क्योंकि वह निडर है।”

नीमोलर डर का विरोध करने में सक्षम नहीं था क्योंकि परमेश्वर की कृपा के कारण उसके पास कुछ ईश्वरीय अलौकिक ड़र विरोधी (एंटीफियर) जीनस थे । वास्तव में, एक समय था जब उसके विचार यहूदी–विरोधी थे। लेकिन उसने पश्चाताप किया था और परमेश्वर ने उसे बहाल किया और उसे सत्य बोलने और जीने में मदद की।

मूसा ने इस्राएलियों को भय का विरोध करने और सच्चाई में परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित किया। जब वे यह जानकर भयभीत हो गए कि मूसा जल्द ही उनसे से ले लिया जाएगा, तो उसके पास उनके लिए एक निर्भीक शब्द था: “हियाव बान्धो और दृढ़ हो, मत ड़र और तेरा मन कच्चा न हो क्योंकि तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्वर है” (व्यवस्थाविवरण 31:6) अनिश्चित भविष्य के सामने डर से कांपने का कोई कारण नहीं था क्योंकि इसका केवल एक ही कारण था परमेश्वर उनके साथ था।

जो भी अँधेरा तुम्हें घेरे, जो भी डर तुम पर छाये, याद रखो —परमेश्वर तुम्हारे साथ है। परमेश्वर की दया से आप इस ज्ञान के साथ अपने डर का सामना कर सकते हैं कि परमेश्वर “आपको कभी न छोड़ेगा और न कभी त्यागेगा” (पद 6, 8)।

विचार

आप किस डर का सामना कर रहे हैं ? परमेश्वर की उपस्थिति आपके हृदय में कैसे साहस लाती है ?

बेखौफ जीने का मतलब यह नहीं है कि हम डर महसूस नहीं करते हैं बल्कि यह कि हम उसका पालन नहीं करते हैं।