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Articles by आदम अर होल्ज़

अधिक महान महिमा

कभी-कभी आश्चर्यजनक रूप से आत्मिक संदेश जहाँ हम सोचते नहीं एसे स्थानों में मिल जाते हैं, जैसे उदाहरण के लिए एक कॉमिक बुक में। मार्वल कॉमिक्स के प्रकाशक, स्टैन ली का 2018 में निधन हो गया, वे अपने पीछे स्पाइडर-मैन, आयरन मैन, फैंटास्टिक फोर, हल्क और कई अन्य जैसे प्रतिष्ठित नायकों की विरासत छोड़ गए। 

हमेशा मुस्कुराते हुए और धूप का चश्मा पहने, एक प्रसिद्ध व्यक्ति का एक व्यक्तिगत तकियाकलाम था जिसे वह, जिसे वह दशकों से मार्वल कॉमिक्स में मासिक कॉलम में हस्ताक्षरित करता था - यह शब्द एक्सेलसियर था। 2010 में, ली ने इसका अर्थ समझाया: "'ऊपर और आगे, अधिक से अधिक गौरव की ओर!' मैं तुम्हारे लिए यही कामना करता हूं...एक्सेलसियर!"

मुझे यह पसंद आया। स्टैन ली को इसका एहसास था या नहीं, पर उनका इस असामान्य वाक्यांश का उपयोग निश्चित रूप जो पौलुस ने फिलिप्पियों को लिखा था, उसके साथ मेल खाता है जब वह विश्वासियों को पीछे नहीं, बल्कि आगे और ऊपर की ओर देखने की सलाह देता है: "लेकिन यह एक काम मैं करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।” (पद 13-14)।

हम आसानी से पछतावे या पिछले निर्णयों के बारे में दूसरे अनुमान लगाने में फंस सकते हैं। लेकिन मसीह में, हमें पछतावों को त्यागने और उस क्षमा और उद्देश्य को अपनाने के द्वारा से परमेश्वर की अति महान महिमा की ओर बढ़ने के लिए आमंत्रित किया गया है जो वह इतनी दयालुता से हमें देता है! एक्सेलसियर!

मैं केवल चालक हूँ

“पिताजी, क्या मैं अपनी सहेली के संग रात बिता सकती हूँ?” मेरी बेटी ने अभ्यास के बाद कार में बैठते हुए पुछा l “प्रिय, तुम्हें उत्तर मालूम है,” मैंने कहा l “मैं केवल ड्राईवर हूँ l मुझे नहीं पता क्या हो रहा है l चलो माँ से बात करते हैं l”

“मैं केवल ड्राईवर हूँ” हमारे घर में एक मजाक बन गया है l प्रतिदिन, मैं अपनी व्यवस्थित पत्नी से पूछता हूँ कि मुझे कहाँ, कब रहना है और मैं किसे कहाँ ले जा रहा हूँ l तीन किशोरों के साथ, एक “टैक्सी ड्राईवर” के रूप में मेरा अतिरिक्त कार्य कभी-कभी दूसरी नौकरी की तरह महसूस होती है l अक्सर, मैं वह नहीं जानता जो मैं नहीं जानता l इसलिए, मुझे कैलेंडर में रिकॉर्ड रखने वाले से जांच करनी होगी l 

मत्ती 8 में, यीशु का सामना एक ऐसे व्यक्ति से हुआ जो निर्देश लेने और देने के बारे में भी कुछ जानता था l इस आदमी, रोमी सूबेदार, ने समझा कि यीशु के पास चंगा करने का अधिकार था, जैसे सूबेदार के पास उसके अधीन लोगों को आदेश जारी करने का अधिकार था l “केवल मुख से कह दे और मेरा सेवक चंगा हो जाएगा l क्योंकि मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ, और सिपाही मेरे अधीन हैं” (पद.8-9) l मसीह ने उस व्यक्ति के विश्वास की सराहना की (पद.10,13), यह जानकार आश्चर्यचकित हुआ कि वह समझ गया कि उसका अधिकार कार्य में कैसा दिखता है l 

तो हमारा क्या? यीशु से मिलने वाले दैनिक कार्यों के लिए उस पर भरोसा करना कैसा लगता है? क्योंकि भले ही हम सोचते हैं कि हम “सिर्फ चालक” हैं, प्रत्येक कार्य का एक अलग अर्थ और उद्देश्य होता है l 

यीशु दाग ​​हटाता है

"क्या आप। मज़ाक कर रहे  है?!" मैं चिल्लाया, मै ड्रायर (सुखाने की मशीन) को पकड कर अपनी कमीज़ ढूंढ रहा था। ओह! मुझे मिल गई  और यह क्या मुझे कुछ और भी मिला। मेरी सफेद कमीज़ पर स्याही का धब्बा था। वास्तव में, यह जगुआर की खाल जैसा दिखता था! वास्तव में  स्याही के धब्बों ने सब कुछ खराब कर दिया था। मैंने अपनी जेबे नहीं देखीं थीं।  और एक पैन था जो लीक कर गया था जिससे सब पर धब्बे पड गये थे।

पवित्रशास्त्र अक्सर पाप का वर्णन करने के लिए धब्बा (दाग) शब्द का उपयोग करता है। दाग किसी चीज़ के कपड़े में घुस जाता है और उसे बर्बाद कर देता है। और इस प्रकार परमेश्वर ने, भविष्यवक्ता यिर्मयाह के माध्यम से बोलते हुए, पाप का वर्णन किया, और अपने लोगों को याद दिलाया कि उनका दाग साफ करना उनकी क्षमता से परे है: "यद्यपि आप अपने आप को साबुन से धोते हैं, फिर भी आपके अपराध का दाग अभी भी मेरे सामने है” (यिर्मयाह 2:22)। 

शुक्र है, पाप को अंतिम शब्द नहीं मिलता। यशायाह 1:18 में, हम परमेश्वर का वादा सुनते हैं कि वह हमें पाप के दाग से शुद्ध कर सकता है: “ तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम की नाईं उजले हो जाएंगे; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तौभी वे ऊन के समान श्वेत हो जाएंगे।" 

मैं अपनी शर्ट से स्याही का दाग नहीं हटा सका। न ही मैं अपने पाप का दाग मिटा सकता हूँ। भला है, परमेश्वर हमें मसीह में शुद्ध करते हैं, जैसा कि 1 यूहन्ना 1:9 वादा करता है: "यदि हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं, तो वह विश्वासयोग्य और न्यायी है और हमारे पापों को क्षमा करेगा और हमें सभी अधर्म से शुद्ध करेगा।"

 

परमेश्वर द्वारा दिए गए व्यक्तित्व और वरदान

दशकों पहले, मैं एक कॉलेज रिट्रीट में गया था जहाँ हर कोई व्यक्तित्व परीक्षण के बारे में बात कर रहा था। "मैं एक आई एस टी जे हूं!" एक ने कहा। दूसरे ने चहकते हुए कहा, "मैं एक ई एन एफ पी हूं"। मैंने सबको भरमाते हुए कहा, "मैं ए बी सी एक्स वाई जेड हूं," मैंने मजाक किया।

तब से, मैंने मायर्स-ब्रिग्स मूल्यांकन नामक उस व्यक्तित्व परीक्षण के बारे में बहुत कुछ सीखा है। मैं उन्हें रोचक पाता हूं क्योंकि वे हमें खुद को और दूसरों को समझने में मदद कर सकते हैं, मददगार, प्रकट कर देने वाले तरीकों से - हमारी प्राथमिकताओं, शक्तियों और कमजोरियों पर प्रकाश डालते हुए। बशर्ते हम उनका अत्यधिक उपयोग न करें, वे एक उपयोगी उपकरण हो सकते हैं जिसका उपयोग परमेश्वर हमें बढ़ने में मदद करने के लिए करते हैं।

पवित्रशास्त्र हमें व्यक्तित्व परीक्षण पेश नहीं करता है। लेकिन यह परमेश्वर की दृष्टि में प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्टता की पुष्टि करता है (भजन 139:14-16; यिर्मयाह 1:5 देखें), और यह हमें दिखाता है कि कैसे परमेश्वर हम सभी को उसके राज्य में दूसरों की सेवा करने के लिए एक अद्वितीय व्यक्तित्व और अद्वितीय वरदानों से सुसज्जित करता है। रोमियों 12:6 में, पौलुस इस विचार को उजागर करना शुरू करता है, जब वह कहता है, "उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन-भिन वरदान मिले हैं।"

पौलुस समझाता है, वे वरदान केवल हमारे लिए नहीं हैं, बल्कि परमेश्वर के लोगों, मसीह की देह की सेवा करने के उद्देश्य से हैं (पद 5)। वे उसके अनुग्रह और भलाई की अभिव्यक्ति हैं, जो हम सभी में और उसके माध्यम से काम कर रही हैं। वे हममें से प्रत्येक को परमेश्वर की सेवा में एक अद्वितीय पात्र बनने के लिए आमंत्रित करते हैं।

 

“मेरे अविश्वास का उपाए कर!”

“मेरा विश्वास कहाँ है?—यहाँ गहराई में भी खालीपन और अँधेरे के सिवा कुछ भी नहीं है . . . यदि ईश्वर है तो कृपया मुझे क्षमा करें l” 

उन शब्दों की लेखिका आपको आश्चर्यचकित कर सकती है : मदर टेरेसा l भारत के कलकत्ता में गरीबों की एक अथक सेविका के रूप में प्रिय और प्रसिद्ध, मदर टेरेसा ने पांच दशकों तक चुपचाप अपने विश्वास के लिए एक हताश युद्ध छेड़ा l 1997 में उनकी मृत्यु के बाद, वह संघर्ष तब सामने आया जब उनकी पत्रिका के अंश कम बी माई लाईट(Come Be My Light) पुस्तक में प्रकाशित हुए l 

हम ईश्वर की अनुपस्थिति के अपने संदेहों या भावनाओं के साथ क्या करते हैं? वे क्षण कुछ विश्वासियों को दूसरों की तुलना में अधिक परेशान कर सकते हैं l लेकिन यीशु में कई वफादार विश्वासियों को, अपने जीवन में किसी बिंदु पर, ऐसे संदेह के क्षणों या अवसरों का अनुभव हो सकता है l 

मैं आभारी हूँ कि पवित्रशास्त्र ने हमें एक सुन्दर, असंगत/दोअर्थी प्रार्थना दी है जो विश्वास और उसकी कमी दोनों को बताती है l मरकुस 9 में, यीशु का सामना एक ऐसे पिता से होता है जिसका बेटा बचपन से ही दुष्टात्मा पीड़ित था (पद.21) l जब यीशु ने कहा कि मनुष्य में विश्वास होना चाहिए (“विश्वास करनेवाले के लिए सब कुछ हो सकता है,” पद.23), तो उस व्यक्ति ने जवाब दिया, “मैं विश्वास करता हूँ, मेरे अविश्वास का उपाय कर” (पद.24) l 

वह ईमानदार, स्नेहपूर्ण विनती उनको आमंत्रित करती है जो संदेह के साथ संघर्ष करते हुए इसे ईश्वर को सौंपते हैं, विश्वास के साथ कि वह हमारे विश्वास को मजबूत कर सकता है और उन सबसे गहरी, अँधेरी घाटियों में भी हमें मजबूती से थामे रख सकता है, जिनसे हम कभी गुजरे होंगे l 

मसीह में शांत विश्वसनीयता

पहले तो मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया।

मैं अपने होटल में नाश्ते के लिए आया था। भोजन कक्ष में सब कुछ साफ़ था। बुफ़े टेबल(buffet table) भरी हुई थी. रेफ्रिजरेटर में सामान भरा हुआ था, बर्तन डिब्बे भरे हुए थे। सब कुछ सही था।                                 

फिर मैंने उसे देखा l एक सीधा-सादा आदमी ने इसे फिर से भरा, उसे पोछा l उसने अपनी ओर ध्यान नहीं खींचा, लेकिन जितनी देर मैं बैठा रहा, उतना ही मैं चकित होता गया। वह आदमी बहुत तेज़ी से काम कर रहा था, हर चीज़ पर ध्यान दे रहा था, और इससे पहले कि किसी को किसी चीज़ की ज़रूरत हो सब कुछ फिर से भर रहा था। मैंने देखा कि एक खाद्य सेवा अनुभवी के रूप में, हर चीज पर उसका निरंतर ध्यान था । सब कुछ सही था क्योंकि यह आदमी ईमानदारी से काम कर रहा था—भले ही केवल कुछ लोगों ने ही ध्यान दिया हो।

 इस आदमी को इतनी सावधानी से काम करते हुए देखकर, मुझे थिस्सलुनिकियों को कहे गए पौलुस के शब्द याद आए l “चुपचाप रहने और अपना-अपना काम काज करने और अपने अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न करो; ताकि बाहरवालों से आदर प्राप्त करो” (1 थिस्सलुनीकियों 4:11-12)। पौलुस ने समझा कि यह इस बात की शांत गवाही देता है कि कैसे सुसमाचार दूसरों के लिए सेवा के छोटे-से प्रतीत होने वाले कार्य को भी गरिमा और उद्देश्य के साथ प्रेरित कर सकता है

मैं नहीं जानता कि जिस व्यक्ति को मैंने उस दिन देखा था वह यीशु में विश्वास करने वाला था या नहीं । लेकिन मैं आभारी हूं कि उसके शांत लगन  (परिश्रम) ने मुझे शांत विश्वसनीयता(ईमानदारी) के साथ जीने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने की याद दिलाई जो उसके विश्वसनीय तरीकों को दर्शाता है।

ध्यान भटकाने की इच्छा

छोटे स्क्रीन पर प्रसारित होने वाली छवियों, विचारों और सूचनाओं के निरंतर विस्फोट से थक कर मैंने अपना फ़ोन नीचे रख दिया। फिर, मैंने उसे उठाया और फिर से चालू कर दिया। क्यों?

 

अपनी 2013 की पुस्तक द शैलोज़(The Shallows) में, निकोलस कार ने वर्णन किया है कि कैसे इंटरनेट ने मौनता/शांति के साथ हमारे रिश्ते को आकार दिया है : “नेट जो कर रहा है वह एकाग्रता और चिंतन की मेरी क्षमता को ख़त्म कर रहा है। चाहे मैं ऑनलाइन हूं या नहीं, मेरा दिमाग अब उसी तरह से जानकारी लेने की उम्मीद करता है जैसे नेट उसे वितरित करता है : कणों की तेजी से चलती धारा में। एक समय मैं शब्दों के समुद्र में स्कूबा गोताखोर(श्वासयंत्र के साथ गोता लगानेवाला) था। अब मैं जेट स्की(पानी पर चलने वाला एक छोटा स्वचालित वाहन) पर सवार व्यक्ति की तरह सतह पर तेजी से चलता हूं।''

 

मानसिक जेट स्की पर जीवन बिताना स्वस्थ नहीं लगता। लेकिन हम स्थिर आत्मिक जल में गहराई से गोता लगाने के लिए, धीमे कैसे हो सकते हैं?

 

भजन 131 में, दाऊद लिखता हैं, “मैंने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है” (पद.2) l दाऊद के शब्द मुझे याद दिलाते हैं कि मेरे पास जिम्मेदारी है। आदत बदलने की शुरुआत मेरे शांत रहने के चुनाव से होता है—भले ही मुझे वह चुनाव बार-बार करना पड़े। हालाँकि, धीरे-धीरे, हम परमेश्वर के संतुष्टिदायक भलाई का अनुभव करते हैं। एक छोटे बच्चे की तरह, हम संतोष में आराम करते हैं, यह याद रखते हुए कि वह ही अकेले आशा प्रदान करता है (पद.3)—आत्मिक संतुष्टि जिसे कोई स्मार्टफोन ऐप नहीं छू सकता है और कोई सोशल मीडिया साइट प्रदान नहीं कर सकता।

पाप फिर स्मरण न करना

मैंने कभी बर्फ नहीं देखी। लेकिन मुझे यह महसूस हुआ।  पिकअप का पिछला हिस्सा जो मैं चला रहा था—मेरे दादा जी का— मछली की पूंछ की तरह फिसल गया। एक घुमाव, दो, तीन— और मैं हवा में पंद्रह फुट ऊंचे तटबंध से उड़ रहा था। मुझे याद है कि मैं सोच रहा था, अगर मैं मरने वाला नहीं होता तो यह बहुत शानदार होता। एक क्षण बाद, ट्रक खड़ी ढलान में फिसल गया और नीचे लुढ़क गया। मैं कुचली हुई गाड़ी से बिना किसी चोट के रेंगकर बाहर निकल गया।

1992 की दिसंबर की सुबह ट्रक पूरी तरह जलकर खाक हो गया।  परमेश्वर ने मुझे बचा लिया था । लेकिन मेरे दादा जी के बारे में क्या? वह क्या कहेंगे? दरअसल, उन्होंने ट्रक के बारे में एक शब्द नहीं कहा। एक भी नहीं। कोई डांट-फटकार नहीं थी, कोई पुनर्भुगतान योजना नहीं थी, कुछ भी नहीं था। बस माफ़ी। और दादा जी की मुस्कान कि मैं ठीक था।

मेरे दादा जी की अनुग्रह मुझे यिर्मयाह 31 में परमेश्वर की अनुग्रह की याद दिलाती है। वहां, उनकी जबरदस्त असफलताओं के बावजूद, परमेश्वर अपने लोगों के साथ एक पुनर्स्थापित रिश्ते का वादा करते हैं, यह कहते,"मैं उनका अधर्म क्षमा करूँगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूँगा।"(पद 34)

मुझे यकीन है कि मेरे दादा जी कभी नहीं भूले होंगे कि मैंने उनके ट्रक को बर्बाद कर दिया था। लेकिन उसने बिल्कुल वैसा ही व्यवहार किया जैसे परमेश्वर यहाँ करते है, इसे याद नहीं रखा, मुझे शर्मिंदा नहीं किया, मुझसे उस ऋण को चुकाने के लिए काम नहीं कराया जिसका मैं उचित हकदार था। जैसा कि परमेश्वर कहते हैं कि वह ऐसा करेंगे, मेरे दादा जी ने इसे याद नहीं रखने का फैसला किया, जैसे कि मैंने जो विनाशकारी काम किया था वह कभी हुआ ही नहीं।

सूची में सबसे पहले

के लिए मैं लगभग अपने बिस्तर से कूद कर बाहर निकला । बच्चों को स्कूल ले जाना । चेक । काम पर जाना। चेक । मैंने अपनी “काम को करने" की सूची लिखने में पूरा ज़ोर लगा दिया, जिसमें व्यक्तिगत और व्यावसायिक कार्य, बर्फीले तूफान जैसी सूची की तरह एक साथ गिरे:

“. . . 13. लेख संपादित करना 14. ऑफिस साफ़ करना 15. रणनीतिक टीम योजना बनाना. 16. टेक ब्लॉग लिखना. 17. बेसमेंट साफ़ करना 18. प्रार्थना करना।” जब मैं अठारहवें नंबर पर पहुंचा, तब मुझे याद आया कि मुझे परमेश्वर की मदद की ज़रूरत है। लेकिन काफी दूर अकेले जाने के बाद मुझे यह एहसास होता कि मैं तो अपनी खुद की गति तय करने की कोशिश कर रहा हूं I

यीशु जानते थे; उन्हें पता था कि हमारे दिन, लगातार होने वाली अत्याधिक आवश्यकता के सागर में एक-दूसरे से टकराते रहेंगे । इसलिए उन्होंने निर्देश दिया, “पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो, तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएंगी।“  (मत्ती 6:33)। यीशु के शब्दों को एक आदेश के रूप में सुनना स्वाभाविक है। और वे हैं भी। लेकिन यहां और भी कुछ है—एक निमंत्रण। मत्ती 6 में, यीशु हमें दिन-ब-दिन विश्वास के जीवन के लिए दुनिया की उत्तेजित करने वाली चिंता (पद 25-32) का आदान-प्रदान करने के लिए आमंत्रित करते है। परमेश्वर, अपनी कृपा से, हमारे सभी दिनों में हमारी मदद करते है - तब भी जब हम अपने जीवन को उनके दृष्टिकोण से देखने से पहले ही अपनी काम करने की सूची के अठारहवें नंबर पर पहुँच जाते है I