विश्वास सुनने से आता है
जब पादरी बॉब को चोट लगी जिससे उनकी आवाज पर इसका असर हुआ, तो उन्होंने पंद्रह साल तक संकट और निराशा का सामना किया। उन्होने सोचा, कि एक पादरी जो बात नहीं कर सकता वह क्या करे? वह इस प्रश्न से जूझता रहा, उसने अपने दुःख और भ्रम को परमेश्वर के सामने उंडेल दिया। उन्होंनेबताया, “मैं केवल एक चीज करना जानता था – परमेश्वर के वचन की तलाश करना।” जैसे–जैसे उसने बाइबल पढ़ने में समय बिताया, परमेश्वर के लिए उसका प्यार बढ़ता गया— “मैंने अपना जीवन पवित्रशास्त्र में आत्मसात करने और उसमें डूबने के लिए समर्पित कर दिया है क्योंकि विश्वास सुनने से और सुनना परमेश्वर के वचन से आता है।”
रोमियों को लिखी प्रेरित पौलुस की पत्री में हम इस वाक्यांश को पाते हैं “विश्वास सुनने से आता है” । पौलुस अपने सभी साथी यहूदी लोगों से मसीह में विश्वास करने और बचाए जाने की लालसा रखता था रोमियों (10:9)। वे कैसे विश्वास करेंगे? उस विश्वास के द्वारा जो वचन सुनने से — मसीह के वचन से (पद 17)।
पादरी बॉब मसीह के वचन को ग्रहण करना और उसमें विश्वास करना चाहते हैं, खासकर जब वह बाइबल पढ़ते हैं। वह दिन में केवल एक घंटे के लिए ही बोल सकते हैं और ऐसा करने पर उन्हें लगातार दर्द होता है, लेकिन वह पवित्रशास्त्र में अपने आप को डुबो देने के द्धारा परमेश्वर से शांति और संतोष पाते रहते हैं । इसलिए हम भी भरोसा कर सकते हैं कि यीशु हमारे संघर्षों में खुद को हमारे सामने प्रकट करेंगे। जब हम उसका वचन सुनते हैं, चाहे हम किसी भी चुनौती का सामना करें, वह हमारे विश्वास को बढ़ाएगा।
परीक्षाओं के माध्यम से सामर्थी होना
जब मैंने कुछ लिफाफों में एक स्टिकर को देखा, जिस पर लिखा था,“मैंने आँखों की जाँच कराई है”, तो मेरी यादें फिर से ताजा हो गईं। अपने मन में मुझे अपने चार साल के बेटे का ध्यान आया जिसने अपनी आंखों में चुभने वाली दवा को सहन करने के बाद गर्व से यह स्टिकर लगा रखा था। आँख की कमजोर मांसपेशियों के कारण, उसे सही और शक्तिशाली आंख पर हर दिन घंटों तक पट्टी बांध कर रखना पड़ता था ताकि कमजोर आँख विकसित हो सके । उसे सर्जरी की भी आवश्यकता थी । उसने सांत्वना के लिए अपने माता-पिता के रूप में हमारी ओर देखते हुए, और बच्चों के समान विश्वास के साथ परमेश्वर पर निर्भर रहते हुए, एक-एक करके इन चुनौतियों का सामना किया। इन चुनौतियों के माध्यम से उसमें बहुत मजबूती (प्रतिरोध क्षमता) आ गई थी ।
जो लोग परीक्षाओं और कष्टों को सहन करते हैं, वे अक्सर उस अनुभव के द्वारा परिवर्तित हो जाते हैं। परन्तु प्रेरित पौलुस ने और आगे बढ़कर कहा कि “हम अपने क्लेशों में भी घमंड करें” क्योंकि उन्हीं के द्वारा हम धीरज को विकसित करते हैं। धीरज से खरा निकलना उत्पन्न होता है; और खरे निकलने से, आशा उत्पन्न होती है (रोमियों 5:3-4)। पौलुस निश्चय ही उन परीक्षाओं को जानता था, जिसमें न केवल जहाज़ों का टूटना था , बल्कि उसके विश्वास के लिए कारावास भी था। फिर भी उसने रोम के विश्वासियों को लिखा कि “आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है” (पद 5)। इस प्रेरित ने पहचान लिया कि जब हम परमेश्वर पर अपना भरोसा रखते हैं तो परमेश्वर का आत्मा यीशु में हमारी आशा को जीवित रखता है।
आप चाहे किसी भी कठिनाई का सामना करें,परन्तु यह जान लें कि परमेश्वर आप पर अपना अनुग्रह और दया उंडेलेगा। वहआप से प्रेम करता है।
दुख और आनंद
एंजेला का परिवार दुख से भर गया क्योंकि उन्होंने केवल चार हफ्तों में तीन शोक का अनुभव किया। अपने भतीजे की अचानक मृत्यु के बाद, एंजेला और उसकी दो बहनें तीन दिनों के लिए रसोई की मेज के आसपास इकट्ठा हुईं, केवल कलश खरीदने, खाना मंगवाने और अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निकलीं। जब वे मेसन की मृत्यु पर रोए, तो उन्होंने अपनी सबसे छोटी बहन के भीतर गर्भ में पनप रहे नए जीवन की अल्ट्रासाउंड तस्वीरों पर भी खुशी मनाई।
समय के साथ, एंजेला को एज्रा के पुराने नियम की किताब से आराम और आशा मिली। यह परमेश्वर के लोगों के यरुशलेम लौटने का वर्णन करता है जब बाबेलवासीयों ने मंदिर को नष्ट कर दिया और उन्हें उनके प्रिय शहर से निकाल दिया (एज्रा 1 देखें)। जब एज्रा ने मंदिर को फिर से बनते हुए देखा, तो उसने परमेश्वर की आनन्दमय स्तुति सुनी (3:10-11)। परन्तु उसने उन लोगों का रोना भी सुना, जिन्होंने निकाले जाने से पहले के जीवन को स्मरण किया था (पद. 12)।
एक पद ने एंजेला को विशेष रूप से सांत्वना दी: "और कोई आनन्द के शब्द को रोने के शब्द से अलग न कर सका, क्योंकि लोग इतना कोलाहल कर रहे थे" (पद. 13)। उसने महसूस किया कि भले ही वह गहरे दुःख में भीग गई हो, फिर भी खुशी प्रकट हो सकती है।
हम भी किसी प्रियजन की मृत्यु का शोक मना सकते हैं या किसी अन्य हानि का शोक मना सकते हैं। यदि ऐसा है, तो हम अपने दर्द की चीखों को अकेले ही व्यक्त कर सकते हैं जी परमेश्वर के लिए आनन्दित होने के हमारे क्षणों के साथ, यह जानकर कि वह हमें सुनता है और हमें अपनी बाहों में समेट लेता है।
महान प्रेम
पवित्र सप्ताह के कुछ दिन पहले, जब दुनिया भर के ईसाई यीशु के बलिदान को याद करते हैं और उनके पुनरुत्थान का जश्न मनाते हैं, एक आतंकवादी ने दक्षिण पश्चिम फ्रांस के एक सुपरमार्केट में आग लगा दी और दो लोगों की हत्या हुई। बातचीत के बाद, आतंकवादी ने सभी को रिहा कर दिया पर एक को बंधक बनाया, जिसे उसने खुद को बचाने के लिए एक मानव ढाल के रूप में उपयोग किया। खतरे को जानते हुए, पुलिस अधिकारी अरनौद बेल्ट्रैम ने अकल्पनीय काम किया: उन्होंने महिला की जगह स्वेच्छा से खुद को सौंपा। अपराधी ने उसे छोड़ दिया, लेकिन आगामी हाथापाई में बेल्ट्रैम घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
एक मंत्री जो उस पुलिस अधिकारी को जानते थे, उन्होंने उसकी वीरता का जिम्मेदार यीशु में उसके विश्वास को ठहराया, यूहन्ना 15:13 में उसके शब्दों की ओर इशारा करते हुए: "इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपना प्राण दे।" ये वे शब्द थे जो मसीह ने अपने शिष्यों के साथ उनके अंतिम भोजन के बाद कहे थे। उसने अपने दोस्तों से कहा कि "जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो" (पद. 12) और यह कि सबसे बड़ा प्रेम यह है कि एक दूसरे के लिये अपना प्राण दे दे (पद. 13)। ठीक यही यीशु ने अगले दिन किया, जब वह हमें हमारे पापों से बचाने के लिए क्रूस पर चढ़े - जो केवल वही कर सकते थे।
हो सकता है हमें कभी भी अरनौद बेल्ट्रैम की वीरता का अनुसरण करने के लिए न बुलाया जाए। लेकिन जब हम परमेश्वर के प्रेम में बने रहते हैं, तो हम दूसरों की सेवा बलिदान के साथ कर सकते हैं, यह इच्छा रखते हुए हैं कि उसके महान प्रेम को दूसरों के साथ बाटे अपनी योजनाओं और इच्छाओं को पीछे रखते हुए।
तरोताजगी देनेवाला मरुद्यान
जब एंड्रयू और उनका परिवार केन्या में सफारी की सैर पर गया, तो उन्हें एक छोटी सी झील में बार-बार आनेवाले कई तरह के जानवरों को देखने का आनंद मिला, जो हलचल भरे परिदृश्य में दिखाई दिए l जिराफ़, अफ़्रीकी बारासिंघे, दरियाई घोड़े, और जलपक्षी सभी इस जीवन देनेवाले पानी के स्रोत पर आते थे l जब एंड्रयू ने उनके आने और जाने का अवलोकन किया, उन्होंने सोचा कि कैसे “बाइबल एक दिव्य पानी के गड्ढे/झील की तरह है” —न केवल यह मार्गदर्शन और बुद्धि का स्रोत है, बल्कि यह एक ताज़ा मरुउद्यान है जहाँ जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग अपनी प्यास बुझा सकते हैं l
एंड्रयू के अवलोकन ने भजनकार को प्रतिध्वनित किया जिसने लोगों को “धन्य” कहा जब वे ईश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न होते हैं और उस पर ध्यान देते हैं, पुराने नियम में उनके निर्देश और आज्ञाओं का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जानेवाला शब्द l जो लोग पवित्रशास्त्र पर मनन करते हैं, वे “उस वृक्ष के समान हैं, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है,और अपनी ऋतु में फलता हैI” (भजन 1:3)जिस प्रकार एक पेड़ की जड़ें ताज़गी के स्रोत को खोजने के लिए मिट्टी में पहुँचती हैं, वैसे ही जो लोग वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करते हैं और उनसे प्यार करते हैं, वे खुद को पवित्रशास्त्र में गहराई से जड़ पकड़ लेंगे और उन्हें वह ताकत मिलेगी जिसकी उन्हें ज़रूरत है l
अपने आप को परमेश्वर की बुद्धि के अधीन करना हमारी नींव को उसमें गहराई से जोड़े रखेगा; हम “भूसी के समान नहीं होंगे जो पवन से उड़ाई जाती हैI” (पद.4) जब हम मनन करते हैं कि परमेश्वर ने हमें बाइबल में क्या दिया है, तो हम पोषण प्राप्त करते हैं जो हमें स्थायी फल उत्पन्न करने की ओर ले जा सकता है l
जीवन का जल
एंड्रिया का घरेलू जीवन अस्थिर था, और वह चौदह साल की उम्र में घर छोड़ कर चली गई थी, नौकरी ढूंढ रही थी और दोस्तों के साथ रह रही थी। प्यार और स्वीकृति/समर्थन के लिए तरसते हुए, वह बाद में एक ऐसे व्यक्ति के साथ रहने लगी जिसने उसे ड्रग्स(नशीले पदार्थ) लेने की आदत डाल दी, उसने उसे शराब में मिला दिया जिसे वह पहले से ही नियमित रूप से पीती थी। लेकिन संबंध और पदार्थों(नशीले) ने उसकी लालसाओं को पूरा नहीं किया। वह खोजती रही, और कई वर्षों के बाद वह यीशु में विश्वास रखने वाले कुछ विश्वासियों से मिली जो उसके पास आये थे और उसके साथ प्रार्थना करने कि पेशकश की। कुछ महीनों के बाद, आखिरकार उसे वह मिल गया जो उसकी प्रेम की प्यास को बुझा सकता था— वह था यीशु।
जिस सामरी स्त्री से येशु ने कुएं पर पानी मांगा था, उस स्त्री ने भी अपनी प्यास बुझाई। वह दिन की गर्मी में वहाँ थी (यूहन्ना 4:5-7), शायद अन्य महिलाओं की नज़रों और आलोचनाओं से बचने के लिए, जो उसके कई पतियों के इतिहास और उसके वर्तमान व्यभिचारी संबंधों को जानती होंगी (पद 17-18) जब यीशु उसके पास आया और उससे पीने के लिए पानी माँगा, तो उसने उस दिन के सामाजिक सम्मेलनों को रोक दिया, क्योंकि वह, एक यहूदी शिक्षक के रूप में, सामान्य रूप से एक सामरी महिला से संगत नहीं कर सकता था। लेकिन वह उसे जीवन के जल का उपहार देना चाहता था जो उसे अनन्त जीवन की ओर ले जाएगा (पद.10) वह उसकी प्यास बुझाना चाहता था।
जब हम यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करते हैं, तो हम भी इस जीवन के जल को पीते हैं। हम तब दूसरों के साथ एक प्याला साझा कर सकते हैं जब हम उन्हें उनका अनुसरण करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
अच्छा चारवाहा
जब पास्टर वॉरेन ने सुना कि उनके चर्च में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और परिवार को छोड़ दिया है, तो उन्होंने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उस व्यक्ति से कही पर अचानक से मिलने में उसकी मदद करें ताकि उन्हें उस व्यक्ति से बात-चीत करने का मौका मिल जाए। और परमेश्वर ने ऐसा ही किया! जब वारेन एक रेस्टोरेंट में गए तो उन्होंने उस सज्जन को पास ही में एक टेबल/मेज़ पर बैठे देखा। "क्या इस मेज़ पर दूसरे भूखे व्यक्ति के लिए कुछ जगह है?" उन्होंने पूछा, और जल्द ही,कुछ ही पलों में वे गहराई से अपनी भावनाए साझा कर रहे थे और एक साथ प्रार्थना कर रहे थे।
एक पास्टर के रूप में, वॉरेन अपने चर्च समुदाय के लोगों के लिए एक चरवाहे के रूप में कार्य कर रहे थे, यहाँ तक कि परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यहेजकेल के माध्यम से कहा कि वह अपने झुंड की देखभाल करेगा। परमेश्वर ने अपनी बिखरी हुई भेड़ों की देखभाल करने, उन्हें बचाने और उन्हें एक साथ इकट्ठा करने की प्रतिज्ञा की (यहेजकेल 34:12-13) वह “उन्हें अच्छे चरागाह में चराएगा” और “खोई हुई को ढूँढ़ेगा और भटकी हुई को लौटा लाएगा”; वह "घायलों पर पट्टी बांधेगा, और निर्बलों को बलवन्त करेगा" (पद. 14-16) इनमें से प्रत्येक चित्र के माध्यम से अपने लोगों के लिए परमेश्वर का प्रेम प्रतिध्वनित होता है। यद्यपि यहेजकेल के शब्द परमेश्वर के भविष्य के कार्यों का अनुमान लगाते हैं, वे परमेश्वर और चरवाहे के अनंत हृदय को दर्शाते हैं जो एक दिन स्वयं को यीशु में प्रकट करेंगे।
चाहे हमारी स्थिति कुछ भी हो, परमेश्वर हम में से प्रत्येक के पास पहुँचता है, हमें बचाने की कोशिश करता है और हमें एक समृद्ध चरागाह में शरण देता है। वह चाहता है कि हम अच्छे चरवाहे का अनुसरण करें, वह जो अपनी भेड़ों के लिए अपना प्राण देता हैI (देखें यूहन्ना 10:14-15)
सिंहों की माँद से बाहर
जब ताहिर और उसकी पत्नी डोन्या, यीशु में विश्वासी बन गये, तो वे जानते थे कि उन्होंने अपने देश में उत्पीड़न का जोखिम उठाया है। दरअसल, एक दिन ताहिर की आंखों पर पट्टी बांधी गई, हथकड़ी लगाई गई, कैद किया गया और अपने धर्म का त्याग करने का आरोप लगाया गया। मुकदमे में पेश होने से पहले वह और डोन्या सहमत थे कि वे यीशु को धोखा नहीं देंगे।
जब सजा सुनाई गई तो वह हैरान हो गया। जज ने कहा, “पता नहीं क्यों, लेकिन मैं तुम्हें व्हेल और शेर के मुंह से निकालना चाहता हूं।” तब तहेर “जान गया कि ईश्वर कार्य कर रहा है”; अन्यथा बाइबल में दो पदों का संदर्भ देने वाले न्यायाधीश की वह व्याख्या नहीं कर सकता था (देखें योना 2, दानिय्येल 6) । ताहिर को जेल से रिहा कर दिया गया और परिवार को बाद में कहीं और निर्वासन (किसी दूसरे देश में जाकर रहना) मिला।
ताहिर की आश्चर्यजनक रिहाई में डेनियल की कहानी की प्रतिघ्वनि है। एक कुशल प्रशासक, उसे पदोन्नत किया जाने वाला था, जिससे उसके सहयोगियों को जलन हुई (दानिय्येल 6:3–5)। उसके पतन की साजिश रचते हुए, उन्होंने राजा दारा को, राजा के अलावा किसी और से प्रार्थना करने के खिलाफ एक कानून पारित करने के लिए मना लिया, जिसे दानिय्येल ने नजरअंदाज कर दिया। राजा दारा के पास उसे सिंहों की माँद में डालने के अलावा कोई चारा नहीं था (पद 16)। परन्तु परमेश्वर ने “दानिय्येल को बचाया”, उसे मृत्यु से बचाया (पद 27), जैसे उसने न्यायाधीश की आश्चर्यजनक रिहाई के द्वारा ताहिर को बचाया।
बहुत से विश्वासी आज यीशु का अनुसरण करने के लिए दुख उठाते हैं, और कभी कभी उन्हें मार भी दिया जाता है। जब हम उत्पीड़न का सामना करते हैं तो हम अपने विश्वास को गहरा कर सकते हैं जब हम समझते हैं कि परमेश्वर के पास ऐसे तरीके हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जान लें कि आप जिस भी लड़ाई का सामना करते हैं उसमें वह आपके साथ है।
जीवन के लिए मित्र
अंग्रेजी कवि, विलियम काउपर (1731-1800), अपने पादरी में एक मित्र को पाया, जॉन न्यूटन (1725-1807), एक पूर्व दास व्यापारी। काउपर अवसाद और चिंता से पीड़ित थे, उन्होंने एक से अधिक बार आत्महत्या करके मरने का प्रयास किया। जब न्यूटन उनसे मिलने आए, वे एक साथ लंबी सैर पर जाते और परमेश्वर के बारे में बात करते। यह सोचकर कि काउपर को रचनात्मक रूप से व्यस्त होने और अपनी कविता लिखने का एक कारण होने से लाभ होगा, सेवक के पास एक भजन संकलन का विचार आया। काउपर ने कई गीतों का योगदान दिया, जिनमें ये शामिल हैं “परमेश्वर रहस्यमय तरीके से चलते है” जब न्यूटन दूसरी कलीसिया में गए, वह और काउपर पक्के दोस्त बने रहे और काउपर के शेष जीवन के लिए नियमित रूप से मिलते रहे।
मैं काउपर और न्यूटन के पक्के दोस्ती और पुराने नियम में दाऊद और योनातन के बीच समानताएं देखता हूं। दाऊद गोलियत को हराने के बाद, “... तब योनातान का मन दाऊद पर ऐसा लग गया, कि योनातान उसे अपने प्राण के समान प्यार करने लगा।” (1 शमूएल 18:1)। भले ही योनातन राजा शाऊल का बेटा था, उसने राजा की जलन और क्रोध से दाऊद को बचाया, अपने पिता से यह पूछते हुए कि दाऊद को क्यों मार डाला जाना चाहिए। प्रत्युत्तर में, “तब शाऊल ने उसको मारने के लिये उस पर भाला चलाया... (20:33)। योनातन हथियार से कतराया और अपने मित्र के साथ शर्मनाक बरताव से दुखी था (v. 34)।
दोनों मित्रों के लिए, उनका बंधन जीवनदायी था वे एक दूसरे को परमेश्वर की सेवा करने और प्रेम करने के लिए प्रेरित करते थे। उसी तरह आप आज एक दोस्त को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं?