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Articles by एमी बाउचर पाई

यीशु का चरित्र दर्शाना

अफगानिस्तान में एक चुनौतीपूर्ण दौरे के बाद, ब्रिटिश सेना में एक सार्जेंट/हवलदार स्कॉट थक गया l उसे याद आया : “मैं एक अँधेरी जगह में था l” परन्तु जब उसने “यीशु को खोजकर उसका अनुसरण करना आरम्भ किया,” तो उसका जीवन मौलिक रूप से बदल गया l अब वह मसीह के प्रेम को दूसरों के साथ साझा करना चाहता है, विशेष रूप से सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ, जिनके साथ वह प्रतिस्पर्धात्मक खेलों(Invictus Games) में भाग लेता है, जो घायल और चोटिल सदस्यों और सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है l 

स्कॉट के लिए, बाइबल पढ़ना, प्रार्थना करना और स्तुति गीत सुनना उसे खेलों में जाने से पहले तैयार करता है l तब परमेश्वर उसे “यीशु के चरित्र को दर्शाने और वहाँ प्रतिस्पर्धा करने वाले साथी सेवानिवृत्त सैनिकों के प्रति दयालुता, नम्रता और अनुग्रह दिखाने” में मदद करता है l 

स्कॉट ने यहाँ आत्मा के कुछ फलों का उल्लेख किया है जिनके बारे में प्रेरित पौलुस ने गलातिया के विश्वासियों को लिखा था l उन्होंने झूठे शिक्षकों के प्रभाव में संघर्ष किया, इसलिए पौलुस ने उन्हें “आत्मा के नेतृत्व में” होने के कारण, परमेश्वर और उसके अनुग्रह के प्रति सच्चे बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की(गलातियों 5:18) l ऐसा करने से, तब वे आत्मा का फल उत्पन्न करेंगे—“प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम”(पद.22-23) l 

परमेश्वर की आत्मा के हमारे भीतर रहने से, हम भी आत्मा की भलाई और प्रेम के साथ खिल पड़ेंगे l हम भी अपने आस-पास के लोगों के प्रति नम्रता और दयालुता दिखाएंगे l 

यीशु का चरित्र दर्शाना

अफगानिस्तान में एक चुनौतीपूर्ण दौरे के बाद, ब्रिटिश सेना में एक सार्जेंट/हवलदार स्कॉट थक गया l उसे याद आया : “मैं एक अँधेरी जगह में था l” परन्तु जब उसने “यीशु को खोजकर उसका अनुसरण करना आरम्भ किया,” तो उसका जीवन मौलिक रूप से बदल गया l अब वह मसीह के प्रेम को दूसरों के साथ साझा करना चाहता है, विशेष रूप से सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ, जिनके साथ वह प्रतिस्पर्धात्मक खेलों(Invictus Games) में भाग लेता है, जो घायल और चोटिल सदस्यों और सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है l 

स्कॉट के लिए, बाइबल पढ़ना, प्रार्थना करना और स्तुति गीत सुनना उसे खेलों में जाने से पहले तैयार करता है l तब परमेश्वर उसे “यीशु के चरित्र को दर्शाने और वहाँ प्रतिस्पर्धा करने वाले साथी सेवानिवृत्त सैनिकों के प्रति दयालुता, नम्रता और अनुग्रह दिखाने” में मदद करता है l 

स्कॉट ने यहाँ आत्मा के कुछ फलों का उल्लेख किया है जिनके बारे में प्रेरित पौलुस ने गलातिया के विश्वासियों को लिखा था l उन्होंने झूठे शिक्षकों के प्रभाव में संघर्ष किया, इसलिए पौलुस ने उन्हें “आत्मा के नेतृत्व में” होने के कारण, परमेश्वर और उसके अनुग्रह के प्रति सच्चे बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की(गलातियों 5:18) l ऐसा करने से, तब वे आत्मा का फल उत्पन्न करेंगे—“प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम”(पद.22-23) l 

परमेश्वर की आत्मा के हमारे भीतर रहने से, हम भी आत्मा की भलाई और प्रेम के साथ खिल पड़ेंगे l हम भी अपने आस-पास के लोगों के प्रति नम्रता और दयालुता दिखाएंगे l 

खोज और बचाव

कुछ दोस्त इंग्लिश चैनल (अटलांटिक महासागर की एक शाखा) में नौका विहार करने गए, इस उम्मीद में कि तूफानी मौसम का जो अनुमान लगाया गया था वो बदल जाएगा। लेकिन हवाएँ तेज़ हो गईं और लहरें भी अशांत होने लगी, जिससे उनके जहाज की सुरक्षा खतरे में पड़ गई, इसलिए उन्होंने मदद के लिए आर.एन.एल.आई (रॉयल नेशनल लाइफबोट इंस्टीट्यूशन) को रेडियो संदेश भेजा। कुछ तनावपूर्ण क्षणों के बाद, उन्होंने दूर से अपने बचावकर्ताओं को देखा और राहत महसूस की कि वे जल्द ही सुरक्षित हो जाएंगे। जैसा कि मेरे मित्र ने बाद में कृतज्ञतापूर्वक इस बात को कहा, "चाहे लोग समुद्र के नियमों की उपेक्षा करें या नहीं, आर.एन.एल.आई फिर भी बचाव के लिए आता है।"  

जब वह यह कहानी सुना रहे थे, तो मैं यीशु के बारे में सोचने लगी कि कैसे उन्होंने परमेश्वर के खोज-और-बचाव मिशन का संचालन किया। वह मनुष्य के रूप में इस पृथ्वी पर आ गए, हम में से एक के समान ही जिए। अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, उन्होंने हमें एक बचाव योजना प्रदान की जब हमारे पाप और आज्ञा ना मानने के कारण हम परमेश्वर से अलग किए हुए थे। इस सत्य पर पौलुस द्वारा ज़ोर दिया गया है जब वह गलातिया की कलीसिया को लिखता है: “प्रभु यीशु मसीह . . . हमें वर्तमान बुरे युग से बचाने के लिये हमारे पापों के लिये अपने आप को दे दिया” (गलातियों 1:3-4)। पौलुस गलातियों को याद दिलाता है कि कैसे उन्हें यीशु की मृत्यु के द्वारा नए जीवन का वरदान मिला है ताकि वे दिन-प्रतिदिन परमेश्वर का आदर करें। यीशु, हमारा बचानेवाला, उसने स्वेच्छा से हमारे लिए अपनी जान दी ताकि हम खोए न। उनके ऐसा करने के द्वारा से, हमारे पास परमेश्वर के राज्य में जीवन है, और हम कृतज्ञ होकर इस जीवन- बचाने वाली खबर को अपने आस-पास के लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

परमेश्वर से चिपके रहना

जब जॉनी एरिक्सन टाडा राइका के बारे में बात करती है, तो वह अपने दोस्त की “ईश्वर में गहरी, समय-परीक्षणिक आस्था” और एक दुर्बल पुरानी स्थिति के साथ रहते हुए उसके द्वारा विकसित किए गए धैर्य पर प्रकाश डालती है l राइका पिछले पंद्रह वर्षों से भी अधिक समय से बिस्तर पर पड़ी है और अपने कमरे की छोटी सी खिड़की से चाँद को देखने में भी असमर्थ है l लेकिन उसने उम्मीद नहीं खोई है; वह ईश्वर पर भरोसा करती है, बाइबल पढ़ती है और उसका अध्ययन करती है, और जैसा कि जॉनी इसका वर्णन करती है, वह “जानती है कि निराशा के विरुद्ध भयंकर लड़ाई के दौरान कैसे दृढ रहना है l” 

जॉनी ने राइका की दृढ़ता की तुलना एलीआज़र से की, जो राजा दाऊद के समय का एक सैनिक था, जिसने पलिश्तियों से भागने से इनकार कर दिया था l भागने वाले सैनिकों में शामिल होने के बजाय, एलीआज़र अपनी बात पर अड़ा रहा “जब तक उसका(एलीआज़र) [का] हाथ थक न गया, और तलवार हाथ से चिपट न गयी” (2 शमूएल 23:10) l परमेश्वर की सामर्थ के द्वारा, “यहोवा ने बड़ी विजय कराई(प्राप्त की)” (पद.10) l जैसा कि जॉनी ने देखा, जैसे एलीआज़र ने दृढ संकल्प के साथ तलवार को पकड़ लिया, वैसे ही राइका भी “आत्मा की तलवार, जो परमेश्वर का वचन है” से चिपक गयी (इफिसियों 6:17) l और वहाँ, ईश्वर में वह अपनी शक्ति पाती है l 

चाहे चमकता हुआ अच्छा स्वास्थ्य हो या पुरानी स्थिति से निराशा से जूझना हो, हम भी अपनी आशा के भण्डार को गहरा करने और हम सहन करने में मदद करने के लिए ईश्वर की ओर देख सकते हैं l मसीह में हम अपनी शक्ति पाते हैं l 

यीशु की सेवा करना

1800 के दशक की शुरुआत में, एलिजाबेथ फ्राई लंदन की महिला जेल की स्थितियों से भयभीत थीं। महिलाओं और उनके बच्चों को एक साथ इकट्ठा कर दिया गया और ठंडे पत्थर के फर्श पर सुलाया गया। हालाँकि उन्हें बिस्तर नहीं दिया गया था, परन्तु एक नल था, जिसमें से जिन की धारा बहती थी । वर्षों तक, उन्होंने जेल का दौरा किया और कपड़े उपलब्ध कराकर, एक स्कूल खोलकर और बाइबिल पढ़ाकर बदलाव की शुरुआत की। लेकिन कई लोगों ने उनका सबसे बड़ा प्रभाव उनकी प्रेमपूर्ण उपस्थिति और आशा के स्पष्ट संदेशों के रूप में देखा।

अपने कार्यों में, उसने जरूरतमंद लोगों की सेवा करने के यीशु के निमंत्रण का पालन किया। उदाहरण के लिए, जैतून पर्वत पर रहते हुए, मसीह ने युग के अंत के बारे में कई कहानियाँ साझा कीं, जिनमें से एक "अनन्त जीवन में धर्मी लोगों" के स्वागत के बारे में भी थी (मत्ती 25:46)। इस कहानी में, राजा धर्मी लोगों से कहता है कि उन्होंने उसे पीने के लिए कुछ दिया, उसे अंदर आमंत्रित किया और जेल में उससे मुलाकात की ( पद 35-36)। जब वे ऐसा करने को याद नहीं कर सके, तो राजा ने जवाब दिया: "तुमने मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।"  ( पद 40)।

क्या आश्चर्य है कि जब हम पवित्र आत्मा की सहायता से दूसरों की सेवा करते हैं, तो हम यीशु की भी सेवा करते हैं।  हम एलिजाबेथ फ्राई के उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं, और हम घर से भी सेवा कर सकते हैं, जैसे मध्यस्थता प्रार्थना या उत्साहवर्धक संदेश भेजकर। जब हम दूसरों की सहायता के लिए अपने आत्मिक वरदानों और प्रतिभाओं का उपयोग करते हैं तो यीशु हमसे प्रेम करने के लिए हमारा स्वागत करते हैं।

 

नम्र जोर्न(Jorn)

उन्होंने नहीं सोचा था कि भूमि पर खेती करने वाले काश्तकार/पट्टेदार जोर्न का महत्व इतना अधिक होगा l फिर भी अपनी कमजोर दृष्टि और अन्य शारीरिक सीमाओं के बावजूद, उसने नॉर्वे में अपने गाँव के लोगों के लिए खुद को समर्पित कर दिया, और कई रातों तक प्रार्थना की जब उनके दर्द ने उन्हें जगाए रखा l प्रार्थना में वह एक घर से दूसरे घर जाते थे, प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग नाम लेते थे, यहाँ तक कि उन बच्चों का भी, जिनसे वह तब नहीं मिले थे l लोग उनकी दयालु भावना को पसंद करते थे और उनकी बुद्धिमत्ता और सलाह लेते थे l यदि वह व्यवहारिक रूप से उनकी सहायता नहीं कर सका, तो उनकी जाने के बाद भी वे उसका प्यार पाकर धन्य महसूस करेगे l और जब जोर्न की मृत्यु हुयी, तो उसका अंतिम संस्कार उस समुदाय में अब तक का सबसे बड़ा अंतिम संस्कार था, भले ही उसका कोई परिवार नहीं था l उसकी प्रार्थनाएं फलीभूत हुयी और उसकी कल्पना से भी परे फल प्राप्त हुआ l 

इस विनम्र व्यक्ति ने प्रेरित पौलुस के उदाहरण का अनुसरण किया, जो उन लोगों से प्यार करता था जिनकी वह सेवा करता था और कैद में रहते हुए उनके लिए प्रार्थना करता था l जब वह संभवतः रोम में कैद था तब उसने इफिसुस के लोगों को लिखा, प्रार्थना करते हुए कि परमेश्वर उन्हें “ज्ञान और प्रकाश की आत्मा दे, और [उनके] मन की आँखें ज्योतिर्मय हो [जाएँ]” (इफिसियों 1:17-18) l उसकी इच्छा थी कि वे यीशु को जाने और आत्मा की शक्ति के द्वारा प्रेम और एकता के साथ रहें l 

जोर्न और प्रेरित पौलुस ने खुद को ईश्वर के सामने समर्पित कर दिया l क्या हम आज उनके उदाहरणों पर विचार कर सकते हैं कि हम किस प्रकार दूसरों से प्रेम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं l 

 

ईश्वर को ज्ञात कराना

कैथरीन के बाइबल अनुवाद कार्य में परमेश्वर और लोगों के प्रति प्रेम को सुदृढ़ करना है। उन्हें आनंद मिलता है जब भारत में महिलाएँ अपनी मातृभाषा में पवित्र शास्त्र पढ़कर उसकी गहरी समझ हासिल करती हैं। वह टिप्पणी करती है कि जब वे महिलाएँ ऐसा करती हैं, “वे अक्सर जयकार करना या ताली बजाना शुरू कर देती हैं। वें यीशु के बारे में पढ़ती हैं, और वे कहती हैं, 'ओह, अद्भुत!'

कैथरीन की इच्छा हैं कि अधिक से अधिक लोग अपनी भाषा में पवित्र शास्त्र को पढ़ सके। इस इच्छा में, वह पेटमोस द्वीप पर वृद्ध शिष्य यहून्ना के दर्शन को अपने दिल के करीब रखती है। आत्मा के द्वारा, परमेश्वर ने उसे स्वर्ग के सिंहासन कक्ष में पहुँचाया, जहाँ उसने "हर राष्ट्र, कुल, लोग और भाषा से एक ऐसी बड़ी भीड़ को, जिसे कोई गिन नहीं सकता था, सिंहासन और मेम्ने के सामने खड़ी देखी" (प्रकाशितवाक्य 7: 9). सबने मिलकर परमेश्वर की आराधना करते हुए कहा, “उद्धार हमारे परमेश्वर का है” (पद 10)।

परमेश्वर लगातार अपनी स्तुति करने वाले लोगों की बड़ी भीड़ में अधिकता करता जा रहा है। वह न केवल बाइबिल अनुवादकों और उनके लिए प्रार्थना करने वालों के काम का उपयोग करता है, बल्कि उन लोगों का भी उपयोग करता है जो यीशु के सुसमाचार को लेकर प्रेम से अपने पड़ोसियों तक पहुंचते हैं। हम इस आनंदमय मिशन में आनंदित हो सकते हैं, यह सोचकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि परमेश्वर कैसे अधिक लोगों को जोश से भरेंगे स्वर्गदूतों के साथ मिलकर यह कहेंगे के लिए, "हमारे परमेश्वर की स्तुति, और महिमा, और ज्ञान, और धन्यवाद, और आदर और सामर्थ और शक्ति युगानुयुग बनी रहें" (पद 12)।   

 

देखने वाली आँखें

जॉय अपने रिश्तेदार सैंडी के लिए चिंतित थी, जो वर्षों से शराब और मानसिक-स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहा था। जब वह सैंडी के अपार्टमेंट में गई, तो दरवाजे बंद थे और वह खाली लग रहा था। जैसे ही उसने और अन्य लोगों ने सैंडी को ढूँढने की योजना बनाई, जॉय ने प्रार्थना की, "परमेश्वर, मुझे वह देखने में मदद करें जो मैं नहीं देख पा रही हूँ।" जैसे ही वे जा रहे थे, जॉय ने पीछे मुड़कर सैंडी के अपार्टमेंट की ओर देखा और उसे पर्दे की हल्की सी हलचल दिखाई दी। उस क्षण, वह जान गयी की सैंडी जीवित है। हालाँकि उस तक पहुँचने के लिए आपातकालीन सहायता की आवश्यकता थी, लेकिन जॉय को प्रार्थना का उत्तर मिलने से खुशी हुई।

भविष्यवक्ता एलीशा परमेश्वर से उसकी वास्तविकता प्रकट करने के लिए कहने की शक्ति को जानता था। जब सीरियाई सेना ने उनके शहर को घेर लिया, एलीशा का सेवक डर से कांप उठा। हालाँकि, वह परमेश्वर का जन नहीं था, फिर भी परमेश्वर की सहायता से उसने अदृश्य की झलक देखी। एलीशा ने प्रार्थना की थी कि वह सेवक भी देखे, और "यहोवा ने उस सेवक की आंखें खोल दीं" और उसने "अग्निमय घोड़ों और रथों से भरी पहाड़ियां" देखीं (2 राजा 6:17)।

परमेश्वर ने एलीशा और उसके सेवक के लिए आत्मिक और भौतिक संसारो के बीच का पर्दा हटा दिया। जॉय का विश्वास करना कि परमेश्वर ने उसे पर्दे की छोटी सी झिलमिलाहट देखने में मदद की, उससे उसे आशा मिली। हम भी उससे हमारे आस-पास क्या हो रहा है, यह समझने के लिए आत्मिक दृष्टि पाने की प्रार्थना करे, चाहे हमारे प्रियजनों के साथ या हमारे समुदायों में। और हम भी उसके प्रेम, सत्य और करुणा के दूत बन सकते हैं।

 

देखने के लिए आँखें

जेनेवीव को अपने तीन बच्चों के लिए "आँखें" बनना था, जिनमें से प्रत्येक जन्मजात मोतियाबिंद के साथ पैदा हुए थे। जब भी वह उन्हें पश्चिमी अफ्रीका के बेनिन गणराज्य में अपने गांव में ले जाती थी, तो वह बच्चे को अपनी पीठ पर बांध लेती थी और अपने दो बड़े बच्चों की बांह और हाथ को पकड़कर रखती थी, हमेशा खतरे से डरती थी। ऐसी संस्कृति में जहां यह माना जाता था कि अंधापन जादू-टोना के कारण होता है, जेनेवीव निराश हो गई और उसने मदद के लिए परमेश्वर को पुकारा।

तब उसके गांव के एक व्यक्ति ने उसे मर्सी शिप्स के बारे में बताया, एक सेवा-संस्थान जो गरीबों के लिए, आशा और उपचार करने के, यीशु के द्वारा किए गए कामों को सम्मान देने सम्मान के लिए महत्वपूर्ण सर्जरी प्रदान करता है। उसे यकीन नहीं था कि वे मदद कर सकते हैं, लेकिन वह उनके पास गई। जब बच्चे अपनी सर्जरी के बाद उठे तो उन्हें दिखाई दिया !

परमेश्वर की कहानी हमेशा अंधकार में डूबे लोगों को रोशनी की ओर लाने के बारे में रही है। भविष्यद्वक्ता यशायाह ने घोषणा की कि परमेश्वर "अन्यजातियों के लिए ज्योति" होगा (यशायाह 42:6)। वह "अंधों की आंखें खोल देगा" (पद 7), न केवल भौतिक दृष्टि बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि भी बहाल करेगा। और उसने अपने लोगों का हाथ "पकड़ने" का वादा किया (पद 6)। उन्होंने अंधों को दृष्टि प्रदान की और अंधेरे में रहने वालों को प्रकाश प्रदान किया।

यदि आप अंधेरे से पराजित महसूस करते हैं, तो आशा से जुड़े रहें क्योंकि आप हमारे प्यारे पिता के वादों को अपनाते हैं और रोशनी लाने के लिए उनकी रोशनी मांगते हैं।