अमेरिकी गृहयुद्ध ने कई कड़वी भावनाओं को जन्म दिया, अब्राहम लिंकन ने दक्षिण के बारे में एक दयालु शब्द बोलना उचित समझा l एक हैरान दर्शक ने पूछा कि वह ऐसा कैसे कर सकता है l उन्होंने उत्तर दिया, “महोदया, क्या मैं अपने शत्रुओं को मित्र बनाकर उन्हें नष्ट नहीं कर देता हूँ?” एक शताब्दी के बाद उन शब्दों पर विचार करते हुए, मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने टिप्पणी की, “यह मुक्तिदायक प्रेम की शक्ति है l”

यीशु मसीह के शिष्यों को अपने शत्रुओं से प्रेम करने के लिए बुलाते समय, किंग ने यीशु की शिक्षाओं पर ध्यान दिया l उन्होंने कहा कि यद्यपि विश्वासियों को उन्हें सताने वालों से प्यार करने में कठिनाई हो सकती है, यह प्यार “परमेश्वर के प्रति निरंतर और पूर्ण समर्पण” से बढ़ता है l किंग ने कहा, “जब हम इस तरह से प्यार करते हैं, हम परमेश्वर को जानेंगे और उसकी पवित्रता की सुन्दरता का अनुभव करेंगे l” 

किंग ने यीशु के पहाड़ी उपदेश का सन्दर्भ दिया जिसमें उन्होंने कहा था, “अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो, जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की संतान ठहरोगे: (मत्ती 5:44-45) l यीशु ने अपने पड़ोसियों से प्रेम और अपने शत्रुओं से घृणा करने के उस समय के पारंपरिक ज्ञान के विरुद्ध सलाह दी l बल्कि, पिता परमेश्वर अपने बच्चों को विरोध करनेवालों से प्रेम करने की सामर्थ्य देता है l 

अपने शत्रुओं से प्यार करना असंभव लग सकता है, लेकिन जब हम मदद के लिए ईश्वर की ओर देखते हैं, तो वह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देगा l वह इस कठिन पद्धति को अपनाने का साहस देता है, क्योंकि जैसा कि यीशु ने कहा था, “परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है” (19:26) l