ब्रिटेन के शासक के रूप में अपने ऐतिहासिक सत्तर वर्षों के दौरान, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने व्यक्तिगत प्रस्तावना के साथ अपने जीवन के बारे में केवल एक आत्मकथा का समर्थन किया, द सर्वेंट क्वीन एंड द किंग शी सर्वस(The Servant Queen and the King She Serves) l उनके नब्बेवें जन्मदिन के उपलक्ष्य में जारी की गयी यह पुस्तक बताती है कि कैसे उनके विश्वास ने उन्हें अपने देश की सेवा करते समय मार्गदर्शन किया l प्रस्तावना में, महारानी एलिज़ाबेथ ने सभी प्रार्थना करनेवालों के प्रति आभार व्यक्त किया, और परमेश्वर को उनके दृढ़ प्रेम के लिए धन्यवाद दिया l उन्होंने निष्कर्ष निकाला, “मैंने वास्तव में उसकी विश्वासयोग्यता देखी है l”

महारानी एलिज़ाबेथ का सरल कथन पूरे इतिहास में उन लोगों साक्षी को दोहराता है जिन्होंने अपने जीवन में ईश्वर की व्यक्तिगत, विश्वासयोग्य देखभाल का अनुभव किया है l यह वह विषय है जो राजा दाऊद द्वारा अपने जीवन पर चिंतन करते हुए लिखे गए एक सुन्दर गीत में ख़ास है l 2 शमुएल 22 में लिखित, यह गीत दाऊद की रक्षा करने, उसका भरण-पोषण करने और यहाँ तक कि जब उसका जीवन खतरे में था तब उसे बचाने में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता की बात करता है (पद.3-4, 44) l परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के अपने अनुभव के जवाब में, दाऊद ने लिखा, “मैं . . . तेरे नाम का भजन गाऊँगा” (पद.50) l 

हालाँकि जब परमेश्वर की विश्वासयोग्यता लम्बे जीवनकाल में देखी जाती है तो इसमें अतिरिक्त सुन्दरता होती है, हमें अपने जीवन में उसकी देखभाल का वर्णन करने के लिए इंतज़ार नहीं करना पड़ता है l जब हम पहचानते हैं कि यह हमारी अपनी क्षमताएं नहीं हैं जो हमें जीवन भर आगे बढ़ाती हैं, बल्कि एक प्यारे पिता की विश्वासयोग्य देखभाल है तो हम कृतज्ञता और प्रशंसा की ओर प्रेरित होते हैं l