Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by ऐनी सिटास

अब अनुग्रह

मेरी दोस्त जेरी को काम से एक छोटा सा ब्रेक मिला था इसलिए हम जल्दी-जल्दी एक फास्ट-फूड रेस्तरां में गए ताकि एक साथ लंच कर सके। रेस्तरां के दरवाज़े पर लगभग हमारे साथ ही साथ, छह युवक अन्दर घुसे। हमें पता था कि हमारे पास बहुत थोड़ा सा समय है इसलिए हम मन ही मन कुड़कुड़ाने लगे क्यूंकि वे दोनों काउंटर पर एक झुण्ड में खड़े थे,यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनमें से प्रत्येक पहले ऑर्डर कर सके। फिर मैंने जैरी को खुद से फुसफुसाते हुए सुना, "  अब अनुग्रह दिखाओ ।" निश्चित रूप से, अगर वें हमें पहले जाने देते तो यह अच्छा होता, लेकिन यह कितनी अच्छी याद दिलाने वाली बात थी कि हमें केवल अपनी ही नहीं, पर दूसरों की जरूरतों और इच्छाओं के बारे में भी सोचना है।

बाइबल सिखाती है कि प्रेम धैर्यवान, दयालु और निःस्वार्थ होता है; यह "आसानी से क्रोधित नहीं होता" (1 कुरिन्थियों 13:5)। "यह अक्सर . . अपने स्वयं के बदले [दूसरों की] भलाई, संतुष्टि और लाभ को प्राथमिकता देता है,'' इस प्रेम के टिप्पणीकार मैथ्यू हेनरी ने लिखा। परमेश्वर का प्रेम पहले दूसरों के बारे में सोचता है।

ऐसी दुनिया में जहां हममें से बहुत से लोग आसानी से झुंझलाता जाते हैं, हमारे पास अक्सर परमेश्वर से मदद और अनुग्रह मांगने का अवसर होता है कि हम दूसरों के साथ धैर्यवान और दयालु बनें (पद 4)। नीतिवचन 19:11 आगे कहता है, “जो मनुष्य बुद्धि से चलता है वह विलम्ब से क्रोध करता है, और अपराध को भुलाना उस को सोहता है।”  यह उस प्रकार का प्रेमपूर्ण कार्य है जो परमेश्वर को सम्मान दिलाता है। और वह इसका उपयोग दूसरों तक अपने प्रेम के विचार लाने के लिए भी कर सकता है।

परमेश्वर की सामर्थ से, आइए अब अनुग्रह दिखाने के हर अवसर का लाभ उठाएँ।

परमेश्वर की थाली में रख दें

वर्षों तक, एक माँ ने प्रार्थना की और अपनी व्यस्क बेटी को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का मार्ग निर्देशन करना और परामर्श और सर्वोत्तम दवाएं खोजने में सहायता की l उसकी अत्यधिक ऊंचाइयां(highs) और गहरा उतार(lows) दिन-ब-दिन उसकी माँ के हृदय पर भारी पड़ता जा रहा था l अक्सर उदासी से थक जाने पर उसे एहसास हुआ कि उसे अपना भी ख्याल रखना होगा l एक मित्र ने सुझाव दिया कि वह अपनी चिंताओं और जिन चीज़ों को वह नियंत्रित नहीं कर सकती, उन्हें कागज़ के छोटे टुकड़ों पर लिखकर उन्हें अपने सिरहाने “परमेश्वर की थाली” पर रखें l इस सरल अभ्यास से सारा तनाव समाप्त नहीं हुआ, लेकिन उस थाली को देखकर उसे याद आया कि ये चिंताएं परमेश्वर की थाली में हैं, उसकी नहीं l 

एक तरह से, दाऊद के कई भजन उसकी परेशानियों को सूचीबद्ध करने और उन्हें परमेश्वर की थाली में रखने का उसका तरीका था (भजन 55:1,16-17) l यदि बेटे अबशालोम द्वारा तख्तापलट के प्रयास का वर्णन किया जा रहा है, तो दाऊद के “घनिष्ठ मित्र” अहितोपेल ने वास्तव में उसे धोखा दिया था और उसे मारने की साजिश में शामिल था (2 शमूएल 15-16) l इसलिए “सांझ को, भोर को, और दोपहर को [दाऊद] दोहाई [देता रहा] और कराहता [रहा],” और [परमेश्वर ने उसकी] प्रार्थना सुन [ली]” (भजन 55:1-2, 16-17) l उसने “अपना बोझ यहोवा पर डाल [देने]” का निर्णय लिया और उसकी देखभाल का अनुभव किया (पद.22) l 

हम प्रामाणिक रूप से स्वीकार कर सकते हैं कि चिंताएं और भय हम सभी को प्रभावित करते हैं l हमारे मन में भी दाऊद जैसे विचार आ सकते हैं : “भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता” (पद.6) l परमेश्वर निकट है और केवल वही है जो परिस्थितियों को बदलने की सामर्थ्य रखता है l सब उसकी थाली में रख दें l  

सचमुच जियो

2000 में जब पादरी एड डॉब्सन को ए एल एस का पता चला तो हजारों लोगों ने उनके लिए प्रार्थना की। कई लोगों का मानना ​​था कि जब वे उपचार के लिए विश्वास के साथ प्रार्थना करते हैं, तो परमेश्वर तुरंत जवाब देंगे। बारह वर्षों तक उस बीमारी से संघर्ष करने के बाद जिसके कारण एड की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगीं (और उनकी मृत्यु से तीन साल पहले), किसी ने उनसे पूछा कि उन्हें क्यों लगता है कि परमेश्वर ने उन्हें अभी तक ठीक नहीं किया है। "कोई अच्छा उत्तर नहीं है, इसलिए मैं नहीं पूछता," उन्होंने उत्तर दिया। उनकी पत्नी लोर्ना ने कहा, "यदि आप हमेशा उत्तर पाने की धुन में रहते हैं, तो आप वास्तव में जीवित नहीं रह सकते।"

क्या आप एड और लोर्ना के शब्दों में परमेश्वर के प्रति सम्मान सुन सकते हैं? वे जानते थे कि उसकी बुद्धि उनकी बुद्धि से ऊपर है। फिर भी एड ने स्वीकार किया, " कल की चिंता न करना मुझे लगभग असंभव लगता है।" वह समझ गया था कि यह बीमारी बढ़ती विकलांगता का कारण बनेगी, और उसे नहीं पता था कि अगला दिन कौन सी नई समस्या लेकर आएगा। 

खुद को वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए, एड ने इन वचनों को अपनी कार में, बाथरूम के दर्पण पर और अपने बिस्तर के बगल में रखा: “परमेश्वर ने कहा है, 'मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा; मैं तुम्हें कभी नहीं त्यागूंगा।' इसलिए हम विश्वास के साथ कहते हैं, 'प्रभु मेरा सहायक है; मैं नहीं डरूंगा'' (इब्रानियों 13:5-6)। जब भी उसे चिंता होने लगती, वह अपने विचारों को सत्य पर फिर से केंद्रित करने में मदद करने के लिए वचनों को दोहराता। कोई नहीं जानता कि अगला दिन क्या लेकर आएगा। शायद एड का अभ्यास हमें अपनी चिंताओं को विश्वास के अवसरों में बदलने में मदद कर सकता है।

 

आप अतिप्रिय हैं

अपना दुःख व्यक्त करने के लिए, ऐली नाम की एक युवा लड़की ने लकड़ी के एक टुकड़े पर लिखा और उसे एक पार्क में रख दिया : “ईमानदारी से कहूँ तो, मैं दुखी हूँ l कोई भी कभी भी मेरे साथ घूमना नहीं चाहता, और मैंने उस एकमात्र व्यक्ति को खो दिया है जो मेरी बात सुनता है l मैं हर दिन रोती हूँ l” 

जब किसी को वह लकड़ी का टुकड़ा मिला, तो वह पार्क में फुटपाथ पर लिखने वाले चौक(chalk) ले आयी और लोगों से ऐली के लिए अपने विचार लिखने के लिए कहा l पास के स्कूल के छात्रों द्वारा समर्थन के दर्जनों शब्द छोड़े गए : “हम आपसे प्रेम करते हैं l” “ईश्वर आपसे प्यार करता है l” “तुम प्रिय हो l” स्कूल के प्राचार्य ने कहा, “यह एक छोटा सा तरीका है जिससे हम पहुँच सकते हैं और शायद [उसकी कमी] को भरने में मदद कर सकते हैं l वह हम सभी का प्रतिनिधित्व करती है क्योंकि किसी न किसी समय हम सभी को दुःख और पीड़ा का अनुभव होता है या होगा l”

वाक्यांश “तू प्रिय है” मुझे मूसा द्वारा अपने मरने से ठीक पहले बिन्यामीन के इस्राएली गोत्र को दिए गए एक सुन्दर आशीष की याद दिलाता है : “यहोवा के प्रिय को उस में सुरक्षित रहने दो” (व्यवस्थाविवरण 33:12) l मूसा परमेश्वर के लिए एक मजबूत अगुआ था, उसने शत्रु राष्ट्रों को हराया, दस आज्ञाएँ प्राप्त कीं और उन्हें परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए चुनौती दी l उसने उन्हें परमेश्वर के दृष्टिकोण के साथ छोड़ दिया l प्रिय शब्द का प्रयोग हमारे लिए भी किया जा सकता है, क्योंकि यीश ने कहा, “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया” (यूहन्ना 3:16) l 

जैसा कि ईश्वर हमें इस सच्चाई पर सुरक्षित रूप से भरोसा करने में सहायता करता है कि यीशु में प्रत्येक विश्वासी “प्रिय” है, हम दूसरों से प्यार करने के लिए आगे बढ़ सकते हैं जैसा कि ऐली के दोस्तों ने किया l 

 

जब समय आएगा

जब मेरे दोस्त अल और कैथी शिफर ने अपने प्रतिष्ठित, द्वितीय विश्व युद्ध-युग के हवाई जहाज को एयरशो के लिए उड़ाया, तो यह बुजुर्ग युद्ध के दिग्गजों की प्रतिक्रियाएं थीं जो उनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखती थीं। वे इसलिए आते थे ताकि वे उन युद्धों के बारे में बात कर सकें जिनमें उन्होंने भाग लिया था और जिन हवाई जहाजों को उन्होंने उड़ाया था। उनकी अधिकांश युद्ध कहानियाँ उनकी आँखों में आँसुओं के साथ सुनाई गईं। कई लोगों ने कहा है कि अपने देश की सेवा करते समय उन्हें जो सबसे अच्छी खबर मिली, वह ये शब्द थे, "युद्ध समाप्त हो गया है, लड़कों। अब घर जाने का समय है।"

पिछली पीढ़ी के ये शब्द उस युद्ध से संबंधित हैं जिसमें यीशु में विश्वास करने वाले लोग लगे हुए हैं - हमारी आत्माओं के दुश्मन शैतान के खिलाफ विश्वास की हमारी अच्छी लड़ाई। प्रेरित पतरस ने हमें चेतावनी दी: “तुम्हारा शत्रु शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।” वह हमें विभिन्न तरीकों से प्रलोभित करता है और हमें यीशु में हमारे विश्वास से दूर करने के लिए पीड़ा और उत्पीड़न में हतोत्साहित करता है। पतरस ने अपने शुरुवाती पाठकों और आज हमें "सतर्क और सचेत रहने" की चुनौती दी (1 पतरस 5:8)। हम पवित्र आत्मा पर निर्भर हैं इसलिए हम दुश्मन को हमें लड़ाई में आत्मसमर्पण करने और हमें नीचे गिराने नहीं देंगे।

हम जानते हैं कि एक दिन यीशु वापस आयेंगे। जब वह आएगा, तो उसके शब्दों का वैसा ही प्रभाव होगा जैसा युद्धकालीन सैनिकों पर हुआ था, जिससे हमारी आँखों में आँसू और हमारे दिलों में खुशी होगी: “युद्ध समाप्त हो गया है, बच्चों। अब घर जाने का समय है।"

 

स्थल में परिवर्तन

2020 में जैसे ही कोरोनोवायरस फैलना शुरू हुआ, मेरी दोस्त जोआन का स्ट्रोक से निधन हो गया। पहले उसके परिवार ने प्रकाशित किया कि उसकी स्मारक सभा उसके चर्च में होगी, लेकिन फिर यह निर्धारित किया गया कि इसे अंतिम संस्कार गृह में आयोजित करना सबसे अच्छा होगा ताकि लोगों के समूह का बेहतर  नियंत्रण किया जा सके। नया नोटिस ऑनलाइन में यूँ लिखा गया: जोआन वॉर्नर्स-स्थल में परिवर्तन।

हाँ, उसका स्थान बदल गया था! वह पृथ्वी के स्थान से स्वर्ग के स्थान पर चली गई थी। परमेश्वर ने वर्षों पहले उसका जीवन बदला था, और उसने लगभग पचास वर्षों तक प्रेमपूर्वक उसकी सेवा की। यहां तक कि जब वह अस्पताल में मौत के करीब थी, तब भी उसने अपने प्रियजनों के बारे में पूछा जो संघर्ष कर रहे थे। अब वह उसके साथ उपस्थित है; उसका स्थल बदला हुआ है।

प्रेरित पौलुस की इच्छा थी कि मसीह के साथ वह परिवर्तित स्थान पर हो (2 कुरिन्थियों 5:8), लेकिन उसने यह भी महसूस किया कि जिन लोगों की उसने सेवा की उनके लिए यह बेहतर होगा कि वे पृथ्वी पर ही रहें। उसने फिलिप्पियों को लिखा, "मेरा शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है" (फिलिप्पियों 1:24)। जब हम जोआन जैसे किसी व्यक्ति के लिए शोक मनाते हैं, तो हम ईश्वर को कुछ इसी तरह से पुकार सकते हैं: मुझे और कई अन्य लोगों को जिनसे वह प्रेम और सेवा करती थी यहां उनकी जरूरत है। लेकिन परमेश्वर उनके और हमारे स्थान परिवर्तन के लिए सबसे उपयुक्त समय जानता है।

आत्मा की सामर्थ में, अब हम "[परमेश्वर] को प्रसन्न करना अपना लक्ष्य बनाते हैं" (2 कुरिन्थियों 5:9) जब तक हम उसे आमने-सामने न देखें - जो कहीं बेहतर होगा।

 

साथी फरिश्ते

जैसे-जैसे मेडिकल परीक्षण के बाद बीनू का शेड्यूल पूरा होता गया, वह अभिभूत और परेशान हो गई। डॉक्टरों ने उसे तब चिंतित कर दिया जब उन्होंने उसे बताया कि वे उसके शरीर में कहीं न कहीं कैंसर की तलाश कर रहे हैं। प्रत्येक दिन जब वह परमेश्वर की ओर मुड़ती थी या बाइबल पढ़ती थी, तो परमेश्वर उसे अपनी उपस्थिति और स्थायी शांति के वादों के साथ ईमानदारी से प्रोत्साहित करता था। वह अनिश्चितताओं से जूझती रही और बार-बार "क्या होगा अगर" को परमेश्वर के कंधों पर डालना सीखती रही। एक सुबह बीनू को निर्गमन 23 में एक पद मिला जो एक गंभीर सर्जरी से पहले उसके दिल से निकला था: "सुन, मैं एक दूत तेरे आगे आगे भेजता हूँ जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा" (पद 20)।

वे शब्द परमेश्वर ने मूसा के द्वारा अपनी प्रजा, इस्राएलियों से कहे थे। वह अपने लोगों को पालन करने के लिए अपने नियम दे रहा था और उन्हें नई भूमि पर ले जा रहा था (पद 14-19)। लेकिन उन निर्देशों के बीच में, उसने उनसे कहा कि वह "रास्ते में [उनकी] रक्षा करने के लिए" उनके आगे एक स्वर्गदूत भेजेगा। हालाँकि यह बीनू के जीवन की स्थिति नहीं थी, फिर भी उसे याद आया कि स्वर्गदूतों की देखभाल का उल्लेख पवित्रशास्त्र में कही और भी किया गया है। भजन संहिता 91:11 कहता है, "वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा कि वे तेरे सब मार्गों में तेरी रक्षा करें।" और इब्रानियों 1:14 हमें बताता है कि परमेश्वर यीशु में विश्वासियों की सेवा करने के लिए स्वर्गदूतों को "सेवा करने वाली आत्माओं" के रूप में भेजता है।

यदि हम मसीह को जानते हैं, तो हमारी सुरक्षा करने के लिए हमारे पास एक स्वर्गदूत या अधिक स्वर्गदूत हैं।

 

मसीह में समुदाय

बहामास के दक्षिण में भूमि का एक छोटा सा टुकड़ा है जिसे रैग्ड आइलैंड(Ragged Island) कहा जाता है। उन्नीसवीं सदी में यहाँ एक सक्रिय नमक उद्योग था, लेकिन उस उद्योग में गिरावट के कारण, कई लोग पास के द्वीपों में चले गए। 2016 में, जब वहां अस्सी से भी कम लोग रहते थे, द्वीप में तीन धार्मिक संप्रदाय थे, फिर भी सभी लोग प्रत्येक सप्ताह उपासना और संगति के लिए एक स्थान पर एकत्र होते थे। इतने कम निवासियों के साथ, समुदाय का भावना उनके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था।

 

आरंभिक कलीसिया के लोगों को भी समुदाय की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता और इच्छा महसूस हुई। वे अपने नए विश्वास को लेकर उत्साहित थे जो यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान से संभव हुआ था। लेकिन वे यह भी जानते थे कि वह अब शारीरिक रूप से उनके साथ नहीं हैं, इसलिए उन्हें पता था कि उन्हें एक-दूसरे की ज़रूरत है। उन्होंने खुद को प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने, और रोटी तोड़ने में लौलीन रहे (प्रेरितों 2:42)। “वे प्रार्थना करने और भोजन के लिए घरों में इकट्ठे होते और दूसरों की जरूरतों का ख्याल रखते थे। प्रेरित पौलुस ने कलीसिया का वर्णन इस प्रकार किया : “और विश्वास करनेवालों की मण्डली एक चित्त और एक मन की थी” (4:32)। पवित्र आत्मा से परिपूर्ण, उन्होंने लगातार परमेश्वर की स्तुति की और कलीसिया के जरूरतों को प्रार्थना में उसके पास लाए।

 

समुदाय हमारे विकास और समर्थन के लिए आवश्यक है। इसे अकेले जीने का प्रयास न करें। जब आप अपने संघर्षों और खुशियों को दूसरों के साथ साझा करेंगे और एक साथ उसके करीब आएंगे तो परमेश्वर समुदाय की भावनाओं को विकसित करेगा।

रोमांचक कार्य

“मसिहत मेरे लिए नहीं है। यह उबाऊ है। मेरा एक मूल्य जिस पर मैं कायम हूं वह है रोमांचक कार्य। यह मेरे लिए जीवन है,'' एक युवा महिला ने मुझसे कहा। मुझे दुख हुआ कि उसने अभी तक उस अविश्वसनीय खुशी और उत्साह को नहीं सीखी थी जो यीशु का अनुसरण करने से आता है - एक ऐसा रोमांचक कार्य जो सबसे अलग है। मैंने उत्साहपूर्वक उसके साथ यीशु के बारे में साझा किया और बताया कि उसमें सच्चा जीवन कैसे पाया जाता है।

परमेश्वर के पुत्र यीशु को जानने और उसके साथ चलने के रोमांचक कार्य का वर्णन करने के लिए मात्र शब्द अपर्याप्त हैं। लेकिन इफिसियों 1 में, प्रेरित पौलुस हमें उसके साथ जीवन की एक छोटी लेकिन शक्तिशाली झलक देते है। परमेश्वर हमें सीधे स्वर्ग से आत्मिक आशीष देते हैं (पद 3), परमेश्वर की नजर में पवित्र और निर्दोष होना (पद 4), और राजा के शाही परिवार में उनका लेपालक पुत्र होना (पद 5)। वह हमें अपनी क्षमा और अनुग्रह के भव्य उपहार से आशीष देता है (पद 7-8), उसकी इच्छा का भेद को बताना (पद 9), और "उसकी महिमा की स्तुति के कारण" जीने का एक नया उद्देश्य (पद 12)। पवित्र आत्मा हमें सशक्त बनाने और हमारा नेतृत्व करने के लिए हमारे अंदर रहने के लिए आता है (पद 13), और वह हमेशा के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में अनंत मीरास का बयाना है (पद 14)। 

जब यीशु मसीह हमारे जीवन में प्रवेश करते हैं, तो हमें पता चलता है कि उन्हें और अधिक जानना और उनका करीब से अनुसरण करना सबसे बड़ा रोमांच है। वास्तविक जीवन के लिए अभी और हर दिन उसे ढूंढे ।