चुनाव मायने रखता है
पादरी डेमियन के कार्यक्रम में मृत्यु के करीब दो लोगों का अस्पताल दौरा शामिल था जिन्होंने दो अलग-अलग जीवन पथ चुने थे। एक अस्पताल में अपने परिवार की एक प्यारी महिला थी। उनकी निस्वार्थ सार्वजनिक सेवा ने उन्हें कई लोगों का प्रिय बना दिया था। यीशु में अन्य विश्वासी उसके चारों ओर इकट्ठे हो गए थे, और आराधना, प्रार्थना और आशा से कमरा भर गया था। एक अन्य अस्पताल में पादरी डेमियन के चर्च के एक सदस्य के रिश्तेदार की भी मृत्यु हो रही थी। उनके कठोर हृदय के कारण उनका जीवन कठिन हो गया था और उनका अस्त-व्यस्त परिवार उनके खराब निर्णयों और कुकर्मों के कारण परेशानी का जीवन जी रहा था। दोनों वातावरणों में अंतर प्रत्येक के रहने के तरीके में विरोधाभास को दर्शाता है।
जो लोग इस बात पर विचार करने में विफल रहते हैं कि वे जीवन में कहाँ जा रहे हैं, वे अक्सर स्वयं को असुविधाजनक, अवांछनीय, एकाकी स्थानों में फँसा हुआ पाते हैं। नीतिवचन 14:12 कहता है कि "ऐसा मार्ग है जो सीधा दिखाई देता है, परन्तु अन्त में मृत्यु ही पहुंचाता है।" युवा या बूढ़ा, बीमार या स्वस्थ, धनी या दरिद्र - अपने पथ का पुनर्परीक्षण करने में अभी देर नहीं हुई है। यह कहां ले जाएगा? क्या यह परमेश्वर का सम्मान करता है? क्या यह दूसरों की मदद करता है या उन्हें परेशान करता है? क्या यह यीशु में विश्वास करने वाले के लिए सबसे अच्छा मार्ग है?
चुनाव मायने रखते हैं, और स्वर्ग का परमेश्वर हमें सर्वोत्तम विकल्प चुनने में मदद करेगा जब हम उसके पुत्र, यीशु के माध्यम से उसकी ओर मुड़ेंगे, जिसने कहा, "मेरे पास आओ।" . . और मैं तुम्हें विश्राम दूंगा” (मत्ती 11:28)।
परमेश्वर के लिए अच्छा करना
हालाँकि वह आम तौर पर अपने साथ पैसे नहीं रखता था, लेकिन पैट्रिक को महसूस हुआ कि परमेश्वर घर से बाहर निकलने से पहले उसे जेब में पाँच डॉलर (लगभग ₹400) रखने के लिए प्रेरित कर रहे है। उसे समझ आया कि जिस स्कूल में वह काम करता था, वहाँ दोपहर के भोजन के दौरान कैसे परमेश्वर ने उसे एक बेहद ज़रुरी काम को पूरा करने के लिए तैयार किया है। लंचरूम की चहलपहल के बीच, उसने ये शब्द सुने: "स्कॉटी [एक जरूरतमंद बच्चे] को अपने खाते में 5 डॉलर डालने की जरूरत है ताकि वह सप्ताह के बाकी दिनों में दोपहर का खाना खा सके।" कल्पना कीजिए कि पैट्रिक ने स्कॉटी की मदद के लिए अपना पैसा देते समय क्या भावनाएँ अनुभव की होंगी!
तीतुस में, पौलुस ने यीशु में विश्वासियों को याद दिलाया कि वे “अपने धर्म के कामों के कारण उद्धार नहीं पाए थे” (3:5) “जिन्हों ने परमेश्वर की प्रतीति की है, वे भले- भले कामों मे लगे लगे रहना सीखें ” (पद- 8; पद- 14) जीवन भरा हुआ, अत्यधिक व्यस्त और चहल-पहल भरा हो सकता है। अपने हित का ख्याल रखना पराजित कर सकता है; और फिर भी, यीशु में विश्वासियों के रूप में, हमें "अच्छे कामों के लिए तैयार" रहना है। जो हमारे पास नहीं है और जो हम नहीं कर सकते उससे अभिभूत होने के बजाय, आइए इस बारे में सोचें कि हमारे पास क्या है और हम क्या कर सकते हैं क्योंकि परमेश्वर हमारी मदद करते हैं। ऐसा करने से, हम दूसरों की ज़रूरत के समय में उनकी मदद कर सकते है, और परमेश्वर का आदर होता है। "तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके, कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें" (मत्ती 5:16)।
परमेश्वर केपुनरुद्धार (बहाली)के लिए तैयार
मेरे पास एक मित्र की आ रही तस्वीरें आश्चर्यजनक थीं! ये उनकी पत्नी के लिए एक आश्चर्यजनक उपहार की तस्वीरें थीं— एक फिर से नई की गई लक्जरी कार, बाहरी शानदार गहरा नीला रंग, चमकदार क्रोम के रिम्स, अन्दर की अपहोलस्टरी फिर से काले रंग की बनाई हुई, और एक मोटर जो अन्य ऊंची कोटि के सुधारों से मेल खा रही थीA उसी वाहन की "पहले"की तस्वीरें भी थीं - एक फीका, घिसा-पिटा, प्रभावहीन पीला प्रारूप ।हालाँकि इसकी कल्पना करना कठिन हो सकता है, यह संभव है कि जब वाहन असेंबली लाइन से निकली हो तो यह ध्यान आकर्षित करने वाली हो। लेकिन समय, टूट-फूट और अन्य कारकों ने इसे पुनरुद्धार के लिए (ज्यों का त्यों बनाये जाने के लिये)तैयार कर दिया था।
पुनरुद्धार के लिए तैयार! भजन संहिता 80 में परमेश्वर के लोगों की स्थिति ऐसी ही थी और इस प्रकार बार-बार प्रार्थना की गई: “हेपरमेश्वर,हम को ज्यों के त्यों कर दे; और अपने मुख का प्रकाश चमका, तब हमारा उद्धार हो जाएगा!" (पद3,7, 19)। हालाँकि उनके इतिहास में मिस्र से बचाव और cgqrk;r dh भूमि में yxk;k जाना शामिल था ( पद 8-11), अच्छे समय आए और गए। विद्रोह के कारण, वे परमेश्वर के न्याय का अनुभव कर रहे थे (.पद12-13)। इस प्रकार, उनकी प्रार्थना:"हे सेनाओं के परमेश्वर, फिर आ! स्वर्ग से ध्यान देकर देख, और इस दाखलता की सुधि ले," (पद14).
क्या आपको कभी ईश्वर से नीरस, दूर या अलग हुआ महसूस होता है? क्या आनंदपूर्ण आत्म-संतुष्टि नहीं है ? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि यीशु और उसके उद्देश्यों के साथ तालमेल नहीं है ? परमेश्वर बहाल करने के लिए हमारी प्रार्थनाएँ सुनते हैं (पद 1)। कौन सी चीज आपको परमेश्वर से मांगने से रोक रही है ?
व्याकुल आत्माएं, ईमानदार प्रार्थनाएं
जनवरी 1957 में उनके घर पर एक बम विस्फोट होने से तीन दिन पहले, डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के साथ एक ऐसा सामना हुआ जिसने उन्हें जीवन भर के लिए यादगार बना दिया। एक धमकी भरा फ़ोन कॉल प्राप्त करने के बाद, किंग ने नागरिक अधिकार(civil rights) आंदोलन से बाहर निकलने की रणनीति पर विचार करना शुरू कर दिया। तब उनकी आत्मा से प्रार्थनाएँ निकलीं। “मैं यहां उस बात के लिए खड़ा हो रहा हूं जिसे मैं सही मानता हूं। लेकिन अब मैं डर गया हूं। मेरे पास कुछ नहीं बचा है। मैं उस जगह पर आ गया हूँ जहाँ मैं अकेले इसका सामना नहीं कर सकता।” उनकी प्रार्थना के बाद शांति का आश्वासन मिला। किंग ने कहा, “लगभग तुरंत ही मेरा डर ख़त्म होने लगा। मेरी अनिश्चितता दूर हो गई।
यूहन्ना 12 में, यीशु ने कहा, "अब मेरा जी व्याकुल है" (पद.27)। वह अपने आंतरिक स्वभाव के प्रति पारदर्शी रूप से ईमानदार था; फिर भी वह अपनी प्रार्थना में परमेश्वर-केंद्रित था। “हे पिता, अपने नाम की महिमा कर” (पद.28)। यीशु की प्रार्थना परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण था।
जब हम अपने सामने परमेश्वर का सम्मान करने या न करने का विकल्प पाते हैं तो भय और असुविधा का पीड़ा महसूस करना हमारे लिए कितना मानवीय है; जब बुद्धि के लिए रिश्तों, आदतों या अन्य पैटर्न/स्वरूप (अच्छे या बुरे) के बारे में कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि हमें किस चीज़ का सामना करना पड़ा है, जब हम साहसपूर्वक परमेश्वर से प्रार्थना करते है, वह हमें हमारे और डर और असहजता पर काबू पाने और वह करने के लिए सामर्थ्य देगा जो उसको महिमा देता है—हमारी भलाई और दूसरों की भलाई के लिए।
परमेश्वर की भलाई के बारे में बताएं
गवाही का समय हमारी चर्च आराधना का वह समय था जब लोग साझा करते थे कि परमेश्वर उनके जीवन में क्या काम कर रहे थे। आंटी - या सिस्टर लैंगफ़ोर्ड, जैसा कि हमारे चर्च परिवार में अन्य लोग उन्हें जानते थे - अपनी गवाही में बहुत सारी प्रशंसाएँ भरने के लिए जानी जाती थीं। ऐसे अवसरों पर जब उसने अपनी व्यक्तिगत उद्धार की कहानी साझा की, तो कोई उम्मीद कर सकता था की आराधना का ज्यादा समय लेंगी। उसका हृदय परमेश्वर की स्तुति से गूँज उठा जिसने दयालुता पूर्वक उसका जीवन बदल दिया!
इसी प्रकार, भजन 66 के लेखक की गवाही प्रशंसा से भरी हुई है क्योंकि वह इस बात की गवाही देता है कि परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए क्या किया है। "आओ परमेश्वर के कामों को देखो; वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भययोग्य देख पड़ता है।"(पद 5) उनके कार्यों में चमत्कारी बचाव(पद 6), सुरक्षा (पद 9), और परीक्षण और अनुशासन भी शामिल था जिसके परिणामस्वरूप उनके लोगों को एक बेहतर स्थान पर लाया गया (पद 10-12)। जबकि ऐसे ईश्वर-अनुभव हैं जो यीशु में अन्य विश्वासियों के साथ हमारे समान हैं,लेकिन हमारी व्यक्तिगत यात्राओं के लिए कुछ अनोखी चीज़ें भी हैं। क्या आपके जीवन में ऐसे समय आए हैं जब परमेश्वर ने स्वयं को विशेष रूप से आपके सामने प्रकट किया है? वे दूसरों के साथ साझा करने लायक हैं जिन्हें यह सुनने की ज़रूरत है कि उसने आपके जीवन में कैसे काम किया है। "हे परमेश्वर के सब डरवैयो, आकर सुनो, मैं बताऊँगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है।"(पद 16)
सभी के लिए एक दरवाजा
मेरे बचपन के पड़ोस में रेस्तरां के प्रोटोकॉल 1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक की शुरुआत में सामाजिक और नस्लीय गतिशीलता के अनुरूप थे। रसोई में सहायक के तौर पर - मेरी, रसोइया और बर्तन धोने वाले मेरे जैसे काले लोग थे; हालाँकि, रेस्तरां में संरक्षक/ पालक गोरे लोग थे। काले ग्राहक भोजन का ऑर्डर दे सकते थे, लेकिन उन्हें इसे पिछले दरवाजे से लेना पड़ता था। ऐसी नीतियों ने उस युग में काले लोगों के साथ असमान व्यवहार को और बढ़ावा दिया । हालाँकि हम तब से काफ़ी लंबा सफर तय कर चुके हैं, फिर भी हमारे पास परमेश्वर की छवि में बने लोगों के रूप में एक-दूसरे से जुड़ने के तरीके में अभी भी विकास की गुंजाइश है।
जैसे पवित्रशास्त्र में रोमियों 10:8-13 हमें यह देखने में मदद करता हैं कि परमेश्वर के परिवार में सभी का स्वागत है; कोई पिछला दरवाज़ा नहीं है. सभी एक ही रास्ते से प्रवेश करते हैं - शुद्धिकरण और क्षमा के लिए यीशु की मृत्यु में विश्वास के माध्यम से। इस परिवर्तनकारी अनुभव के लिए बाइबल का शब्द है उद्धार पाए हुये (बचाये गये) (पद- 9, 13)। आपकी सामाजिक स्थिति या नस्लीय (जातीय) स्थिति या फिर दूसरों की अन्य स्थिति से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। "जैसा कि पवित्रशास्त्र कहता है, 'जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा। क्योंकि यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिए कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालों के लिए उदार है " (पद 11- 12) क्या आप अपने हृदय में यीशु के बारे में बाइबल के संदेश पर विश्वास करते हैं? तो उसके परिवार में आपका स्वागत है!
असीम करुणा
फास्ट-फूड रेस्तराँ में काम करने वाले केविन फोर्ड ने सत्ताईस वर्षों की अपनी नौकरी में एक भी छुट्टी नहीं की थी। उसकी दशकों की सेवा के उपलक्ष्य में उसे मिले एक मामूली उपहार के लिए उसकी विनम्र कृतज्ञता का प्रदर्शन करने वाले एक वीडियो के सामने आने के बाद, हजारों लोगों ने उसके प्रति करुणा दिखाने के लिए एकजुट होकर रैली की। और जब एक धन उगाहने (जुटाने) के प्रयास में 2,50,000 डॉलर केवल एक ही सप्ताह में जमा हो गए तो उसने कहा कि “यह उस सपने की तरह है, जो सच हो गया है।”
बंधुआई में गया यहूदा का राजा यहोयाकीन भी अत्यधिक करुणा का पात्र था। बेबीलोन के राजा की उदारता के परिणामस्वरूप उसकी स्वतंत्रता से पहले उसे सैंतीस वर्षों तक बंदीगृह में रखा गया था। “[राजा ने] यहोयाकीन कोबंदीगृह से निकालकर...और उससे मधुर-मधुर वचन कहकर, जो राजा उसके साथ बाबुल में बंधुए थे, उनके सिंहासनों से उसके सिंहासन को अधिक ऊँचा किया” (यिर्मयाह 52:31-32)। यहोयाकीन को नया पद, नए वस्त्र और नया निवास दिया गया था। और प्रति दिन के खर्च के लिये बाबुल के राजा के यहां से उसको नित्य कुछ मिलने का प्रबन्ध हुआ”
यह कहानी चित्रित करती है कि आत्मिक रूप से क्या होता है, जब स्वयं या दूसरों के योगदान के बिना, यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान में विश्वास करने वाले लोगों को ईश्वर से अलगाव से बचाया जाता है। उन्हें अंधकार और मृत्यु से प्रकाश और जीवन में लाया गया है; परमेश्वर की अत्यधिक दयालुता के कारण उन्हें परमेश्वर के परिवार में लाया गया है।
मुझे धो!
"मुझे धो!" हालाँकि वे शब्द मेरे वाहन पर नहीं लिखे गए थे, लेकिन वे हो सकते थे। तो, कार धोने के लिए मैं चला गया, और इसी तरह अन्य ड्राइवर नमकीन सड़कों से बचे हुए मैलों से राहत चाहते थे जो हाल ही में बर्फबारी के बाद हुआ था। कतारें लंबी थीं, और सेवा धीमी। लेकिन यह प्रतीक्षा के लायक था। मैं एक साफ वाहन के साथ निकला और सेवा में देरी के मुआवजे के लिए, कार का धुलाई नि:शुल्क था!
किसी और के खर्च पर शुद्ध होना—यही यीशु मसीह का सुसमाचार है। परमेश्वर ने, यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, हमारे पापों के लिए क्षमा प्रदान किया है। जब जीवन की "गंदगी और मैल" हमसे चिपकता है हम में से किसे "स्नान करने" का आवश्यकता महसूस नहीं होता? जब हम स्वार्थी विचारों या कार्यों से मैले हो जाते हैं जो हमें या दूसरों को नुकसान पहुँचाता हैं और परमेश्वर के साथ हमारा मेल को छीन लेता हैं? भजन संहिता 51 दाऊद का पुकार है जब उसके जीवन में प्रलोभन जीत गया था। उसके पाप के बारे में जब एक आत्मिक अगुआ ने उसका सामना किया (देखें 2 शमूएल 12), उसने प्रार्थना किया "मुझे धो!" प्रार्थना: जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊँगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूँगा। (पद. 7)। गंदा और दोषी महसूस कर रहे हैं? अपना रास्ता यीशु के तरफ बनायें और इन शब्दों को याद रखें: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)।
लिखित संदेश, मुसीबतें, और जीत
जिमी ने सामाजिक अशांति, खतरे और असुविधा की वास्तविकता को इसकी अनुमति नहीं दी थी कि वे उसे सेवकाई करने वालो को प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक की यात्रा करने से रोक सकें । घर में हमारी टीम को निरंतर भेजे गये टेक्स्ट संदेशों ने उन चुनौतियों का खुलासा किया जिनका उसने सामना किया — “प्रार्थना को सक्रिय करो। हम पिछले दो घंटों में दस मील जा चुके हैं। कार एक दर्जन बार गर्म हो चुकी है।” परिवहन बाधाओं का मतलब था कि वह उन लोगों को प्रचार करने के लिए आधी रात से ठीक पहले पहुँचे, जिन्होंने पाँच घंटे तक उनका इंतज़ार किया था। बाद में हमें एक अलग संदेश वाला टेक्स्ट मिला — “अदभुत सहभागिता का सुन्दर समय। करीब एक दर्जन लोग प्रार्थना के लिए आगे आए।” यह एक ज़बरदस्त शक्तिशाली रात थी!
ईमानदारी से परमेश्वर की सेवा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इब्रानियों 11 में सूचीबद्ध विश्वास करने वालों के उदाहरण इस बात से सहमत होंगे। ईश्वर में अपनी आस्था से विवश होकर सामान्य स्त्री–पुरुषों को असहज और अथाह परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कितनों ने उपहास और कोड़ों का सामना किया, और यहां तक कि जंजीरों में जकड़े जाने और कारावास का भी सामना किया (पद 36)। उनके विश्वास ने उन्हें जोखिम उठाने और परिणाम के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए मजबूर किया। हमारे लिए भी यही सच है। अपने विश्वास में बने रहना हमें शायद दूर के जोखिम भरे स्थानों पर तो न लेजाये, लेकिन यह हमें अपनी गली, या कार्य स्थल के परिसर में, या लंचरूम, या सभा क़़क्ष में एक खाली सीट पर ले जा सकता है। क्या यह जोखिम भरा है ? शायद। लेकिन इसका प्रतिफल, अभी या बाद में, जोखिम उठाने के लायक होंगा क्योंकि परमेश्वर हमारी मदद करता है।