Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by बिल क्राऊडर

बलिदान को याद करना

 
रविवार की सुबह की आराधना सभा के बाद, मास्को में मेरे मेज़बान मुझे किले के बाहर एक रेस्तरां में दोपहर के भोजन के लिए ले गये। पहुंचने पर हमने क्रेमलिन की दीवार के बाहर एक अज्ञात सैनिक के मकबरे के पास शादी की पोशाक में नवविवाहित जोड़ों की एक पंक्ति देखी। उनकी शादी के दिन की खुशी में जान–बूझकर उन बलिदानों को याद करना शामिल था, जो दूसरों ने ऐसे दिन को संभव बनाने में मदद करने के लिए किए थे। यह एक गंभीर दृश्य था क्योंकि जोड़ों ने स्मारक पर शादी के फूल चढ़ाने से पहले तस्वीरें लीं। 
हम सभी के पास उन लोगों के लिए आभारी होने का कारण है जिन्होंने हमारे जीवन में कुछ हद तक परिपूर्णता लाने के लिए बलिदान दिया है। उनमें से कोई भी बलिदान न तो महत्वहीन है, और न ही वे बलिदान सबसे महत्वपूर्ण हैं। केवल एक बलिदान ही ऐसा है — यीशु द्वारा हमारे लिए दिया गया बलिदान और जब हम क्रूस के नीचे खड़े होकर उस बलिदान को देखते हैं तो यह समझने लगते हैं कि हमारे जीवन किस तरह पूर्ण रूप से हमारे उद्धारकर्ता के ऋणी हैं। 
प्रभु भोज में शामिल होना हमें यीशु के बलिदान की याद दिलाता है — रोटी और प्याले में चित्रित। पौलुस ने लिखा, “जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो” (1 कुरिन्थियों 11:26)। काश कि प्रभु भोज की मेज़ पर हमारा समय हमें हर दिन उस बलिदान की याद और कृतज्ञता में जीने की याद दिलाये जो यीशु ने हममें और हमारे लिए किया है। 

कहानी सुनाएं

 
अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बेटे, रॉबर्ट टॉड लिंकन, तीन प्रमुख घटनाओं के लिए उपस्थित थे- अपने ही पिता की मृत्यु के साथ-साथ राष्ट्रपति जेम्स गारफील्ड और विलियम मैककिनले की हत्याएं।  
लेकिन गौर कीजिए कि प्रेरित यूहन्ना इतिहास की चार सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में मौजूद था: यीशु का अंतिम भोज, गतसमनी में मसीह की पीड़ा, यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना, और उसका पुनरुत्थान। यूहन्ना जानता था कि इन घटनाओं का गवाह बनना ही, इन क्षणों में उसकी उपस्थिति का अंतिम कारण था। । यूहन्ना 21:24 में उसने लिखा, "यह वही चेला है, जो इन बातों की गवाही देता है, और जिस ने उन्हें लिख भी लिया है। हम जानते हैं कि उसकी गवाही सच्ची है।” 
यूहन्ना ने, 1 यूहन्ना के अपने पत्र में इसकी पुष्टि की। उसने लिखा, "वह जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, और जिसे हम ने ध्यान से देखा, और जिसे हम ने छूआ है, उसका प्रचार करते हैं" (1:1)।  यूहन्ना को लगा कि यह उसका कर्तव्य है कि वह यीशु के बारे में अपनी प्रत्यक्षदर्शी कहानी साझा करे। क्यों? उसने कहा, "जो कुछ हम ने देखा और सुना है, उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो" (पद. 3)। 
हमारे जीवन की घटनाएँ आश्चर्यजनक या साधारण हो सकती हैं, लेकिन दोनों ही स्थितियों में परमेश्वर उन्हें आयोजित कर रहा है ताकि हम उसकी गवाही दे सकें। जैसा कि हम मसीह के अनुग्रह और ज्ञान में विश्राम करते हैं, काश हम जीवन के आश्चर्यजनक क्षणों में भी उसके लिए बोल सकें।  
 

ब्लूस्टोन चर्च की घंटियाँ

ब्लूस्टोन एक आकर्षक किस्म का पत्थर है। जब आपस में टकराते है, तो कुछ ब्लूस्टोन संगीतमय स्वर के साथ बजते हैं। माइनक्लोहॉग, एक वेल्श(Welsh) गांव जिसके नाम का अर्थ "घंटी" या "बजने वाले पत्थर" हैं, अठारहवीं शताब्दी तक चर्च की घंटियों के रूप में ब्लूस्टोन का इस्तेमाल करता था। दिलचस्प बात यह है कि इंग्लैंड में स्टोनहेंज(Stonehenge) के खंडहर, ब्लूस्टोन से बने हैं, जिससे कुछ लोगों को आश्चर्य होता है कि क्या उस भूमि का मूल उद्देश्य संगीत संबंधी था। कुछ शोधकर्ताओं का दावा है कि स्टोनहेंज में ब्लूस्टोन को उनके अद्वितीय  ध्वनि संबंधी गुणों के कारण लगभग दो सौ मील दूर माइनक्लोहॉग के पास से लाया गया था। 
संगीतमय बजते हुए पत्थर परमेश्वर की महान रचना के चमत्कारों में से एक हैं, और वे हमें कुछ याद दिलाते हैं जो यीशु ने अपने खजूर के रविवार को यरूशलेम में प्रवेश के दौरान कहा था। जैसे ही लोगों ने यीशु की प्रशंसा की, धार्मिक नेताओं ने उनसे उन्हें फटकारने की माँग की। "मैं तुमसे कहता हूं, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे" (लूका 19:40)। 
यदि ब्लूस्टोन संगीत बना सकता है, और यदि यीशु ने अपने सृष्टिकर्ता की गवाही देने वाले पत्थरों का भी उल्लेख किया है, तो हम कैसे उसकी प्रशंसा करें जिसने हमें बनाया,  हमसे प्रेम करता है, और हमें बचाया? वह सारी आराधना के योग्य है। पवित्र आत्मा हमें उसे वह आदर देने के लिए उत्तेजित करें जिसका वह हकदार है। सारी सृष्टि उसकी स्तुति करती है।  

मित्र और शत्रु

विद्वान केनेथ ई. बेली ने एक अफ़्रीकी राष्ट्र के नेता के बारे में बताया जिसने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में एक असामान्य स्थान बनाए रखना सीखा था l उसने इस्राएल और उसके आस-पास के राष्ट्रों दोनों के साथ एक अच्छा सम्बन्ध स्थापित किया था l जब किसी ने उनसे पूछा कि उनका देश इस नाजुक संतुलन को कैसे बनाए रखता है, तो उन्होंने उत्तर दिया, “हम अपने दोस्त चुनते हैं l हम अपने मित्रों को हमारे शत्रु [हमारे लिए] चुनने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं l”

यह बुद्धिमानी है—और सच में व्यवहारिक है l उस अफ़्रीकी देश ने जो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नमूना पेश किया, वही पौलुस ने अपने पाठकों को व्यक्तिगत स्तर पर करने के लिए प्रोत्साहित किया l मसीह द्वारा बदले गए जीवन की विशेषताओं के एक लम्बे विवरण के बीच में, उसने लिखा, “जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो” (रोमियों 12:18)  वह हमें याद दिलाते हुए दूसरों के साथ हमारे व्यवहार के महत्व को सुदृढ़ करने के लिए आगे कहता है कि यहाँ तक कि जिस तरह से हम अपने शत्रुओं के साथ व्यवहार करते हैं (पद. 20-21) वह परमेश्वर और उसकी परम देखभाल में हमारे भरोसे और निर्भरता को दर्शाता है l 

हर किसी के साथ शांति से रहना हमेशा संभव नहीं हो सकता (आखिरकार,पौलुस “भरसक” कहता है) लेकिन यीशु में विश्वासियों के रूप में हमारी जिम्मेदारी उसकी बुद्धि को हमारे जीवन का मार्गदर्शन करने की अनुमति देना है (याकूब 3:17-18) ताकि हम अपने आसपास के लोगों  को शांतिदूतों के रूप में सम्मिलित

सूचना और प्रमाण

जब डोरिस किर्न्स गुडविन ने अब्राहम लिंकन के बारे में एक किताब लिखने का फैसला किया, उन्हें इस तथ्य ने भयभीत कर दिया था कि अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति के बारे में लगभग चौदह हजार किताबें पहले ही लिखी जा चुकी थीं, इस प्रिय नेता के बारे में कहने के लिए और क्या बाकि रह सकता है? अविचलित, गुडविन के काम का परिणाम ए टीम ऑफ़ राइवल्स: द पॉलिटिकल जीनियस ऑफ़ अब्राहम लिंकन था। लिंकन की नेतृत्व शैली पर उनकी ताज़ा अंतर्दृष्टि एक टॉप रेटेड और टॉप रिव्यूड वाली पुस्तक बन गई।

प्रेरित यूहन्ना ने एक अलग चुनौती का सामना किया जब उसने यीशु की सेवकाई और जुनून के बारे में अपना विवरण लिखा। यूहन्ना के सुसमाचार का अंतिम पद कहता है, “यीशु ने और भी बहुत से काम किए। यदि वे एक एक करके लिखे जाते तो मैं समझता हूं, कि जो पुस्तकें लिखी जातीं, वे संसार में भी न समाती" (यूहन्ना 21:25) यहुन्ना के पास जितना वह इस्तेमाल कर सकता था उससे कही अधिक तथ्य थे! इसलिए यहुन्ना की रणनीति केवल कुछ चुनिंदा चमत्कारों (संकेतों) पर ध्यान केंद्रित करने की थी जो यीशु के "मैं हूँ" के दावों का समर्थन करते थे। फिर भी इस रणनीति के पीछे यह शाश्वत उद्देश्य था: "ये इसलिये लिखे गए हैं कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है, और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ" (पद. 31) सबूतों के पहाड़ों में से, यूहन्ना ने यीशु पर विश्वास करने के लिए बहुत से कारण प्रदान किए। आज आप उसके बारे में किसे बता सकते हैं?

भीड़

दार्शनिक और लेखक हन्ना अरेंड्ट (1906–75) ने कहा, “पुरुषों को सबसे शक्तिशाली सम्राटों का विरोध करने और उनके सामने झुकने से इनकार करने के लिए पाया गया है।” उसने आगे कहा, “लेकिन वास्तव में भीड़ का विरोध करने के लिएए गुमराह जनता के सामने अकेले खड़े होने के लिएए हथियारों के बिना उनके उग्र उन्माद का सामना करने के लिए कुछ ही पाए गए हैं।” एक यहूदी के रूप में,अरेंड्ट ने इस सीधी खबर को अपने मूल जर्मनी में  देखा। समूह द्वारा अस्वीकार किए जाने के बारे में  कुछ भयानक बात होती है।

प्रेरित पौलुस ने ऐसी अस्वीकृति का अनुभव किया। एक फरीसी और रब्बी के रूप में प्रशिक्षित, उसका जीवन उल्टा हो गया जब उसने पुनर्जीवित यीशु का सामना किया। पौलुस उन लोगों को सताने के लिए दमिश्क की यात्रा कर रहा था जो मसीह में विश्वास करते थे (प्रेरितों के काम 9)। अपने बदलाव के बाद, प्रेरित ने स्वयं को अपने ही लोगों द्वारा अस्वीकार किया हुआ पाया। अपने पत्र, जिसे हम 2 कुरिन्थियों के रूप में जानते हैं, पौलूस ने उन कुछ परेशानियों की समीक्षा की जिनका उसने उनके हाथों सामना किया, उनमें से  “मारपीट”  और  “कैद”  था  (6:5) । 

इस तरह की अस्वीकृति का क्रोध या कटुता के साथ जवाब देने के बजाय, पौलुस ने चाहा कि वे भी यीशु को जानें। उन्होंने लिखा, “मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है, क्योंकि मैं यहाँ तक चाहता था कि अपने भाइयों के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, स्वयं ही मसीह से शापित हो जाता।”(रोमियों 9:2–3)। जैसे परमेश्वर ने अपने परिवार में हमारा स्वागत किया हैए वैसे ही वह हमें अपने विरोधियों को भी अपने साथ संबंध बनाने के लिए आमंत्रित करने में सक्षम करे।

मैंने घंटियाँ सुनी

मुझे पोंडिचेरी में अपना सप्ताहांत बहुत पसंद आया—फ्रेंच क्वार्टर(French Quarter) में परेड पर जाना, संग्रहालय का दौरा करना और ग्रिल्ड(भुनी हुयी) मछली का स्वाद लेना l लेकिन जब मैं अपने मित्र के खाली कमरे में सोया, तो मुझे अपनी पत्नी और बच्चों की याद आने लगी l मैं अन्य शहरों में प्रचार करने के अवसरों का आनंद लेता हूँ, लेकिन मुझे सबसे अधिक आनंद घर पर रहने में आता है l 

यीशु के जीवन का एक पहलु जिसे कभी-कभी अनदेखा कर दिया जाता है वह यह है कि उसकी कई विशेष घटनाएं सड़क/मार्ग पर घटित हुयीं l परमेश्वर के पुत्र ने बैतलहम में हमारे संसार में प्रवेश किया, जो उनके स्वर्गिक घर से बहुत दूर और उनके परिवार के गृहनगर नासरत से बहुत दूर था l जनगणना के लिए बैतलहम शहर में बड़ी संख्या में विस्तृत परिवार उमड़ रहे थे, इसलिए लूका का कहना है कि वहाँ एक भी अतिरिक्त कटैलिमा(katalyma), या “अतिथि कक्ष” उपलब्ध नहीं था (लूका 2:7) l 

यीशु के जन्म के समय जो कमी थी वह उनकी मृत्यु पर दिखायी दी l जब यीशु अपने शिष्यों को यरूशलेम में ले गया, तो उसने पतरस और यूहन्ना से कहा कि वे उनके फसह के भोज की तैयारी करें l उसे घड़ा ले जाने वाले व्यक्ति का उसके घर तक पीछा करना था और मालिक से थेकटालिमा(thekatalyma)—अतिथि कक्ष, जहाँ यीशु मसीह और उनके शिष्य अंतिम भोज खा सकते थे, के लिए पूछना था(22:10-12) l वहाँ, उधार लिए गए स्थान में यीशु ने जिसे आज प्रभु भोज (Communion) कहा जाता है उसे स्थापित किया, जिसने उसके आसन्न क्रूसीकरण का पूर्वाभास दिया (पद.17-20) l 

हम घर से प्यार करते हैं, लेकिन अगर हम यीशु की आत्मा के साथ यात्रा करते हैं, तो एक अतिथि कक्ष भी उसके साथ सहभागिता का स्थान हो सकता है l 

नियोजित भेंट/नियुक्ति

22 नवम्बर, 1963 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी, दार्शनिक और लेखक ऑल्ड्स हक्सले, और मसीही प्रचारक/पक्षसमर्थक(apologist) सी.एस. ल्युईस सभी की मृत्यु हो गयी l मौलिक रूप से भिन्न विश्वदृष्टिकोण वाले तीन प्रसिद्ध व्यक्ति l हक्सले, अज्ञेयवादी/अनीश्वरवादी(agnostic), अभी भी पूर्वी रहस्यवाद(Eastern mysticism) में डूबा हुआ था l कैनेडी, हालाँकि एक रोमन कैथोलिक थे, मानवतावादी दर्शन(humanistic philosophy) पर कायम थे l और ल्युईस एक पूर्व नास्तिक थे जो एक एंग्लिकन/इंग्लैंड के चर्च से सम्बंधित या सदस्य(Anglican) के रूप में यीशु में एक मुखर विश्वासी बन गया l मृत्यु किसी व्यक्ति का सम्मान नहीं करती क्योंकि इन तीनों प्रसिद्ध व्यक्तियों को एक ही दिन मृत्यु का सामना करना पड़ा l 

बाइबल कहती है कि मृत्यु मानव अनुभव में तब आई जब आदम और हव्वा ने अदन के बगीचे में अनाज्ञाकारी हुए(उत्पत्ति 3)—एक दुखद सच्चाई जिसने मानव इतिहास को चिन्हित किया है l मृत्यु महान समकारी/बराबर करनेवाला(equalizer) है या, जैसा कि एक व्यक्ति ने कहा है, वह नियुक्ति(appointment) जिसे कोई भी टाल नहीं सकता है l यह इब्रानियों 9:27 का मुद्दा है, जहां हम पढ़ते हैं, “मनुष्यों के लिए एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है l” 

हमें अपनी मृत्यु के बारे में आशा कहाँ से मिलती है और उसके बाद क्या होता है? मसीह में l रोमियों 6:23 इस सत्य को पूरी तरह से दर्शाता है : “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनंत जीवन है l” परमेश्वर का यह उपहार कैसे उपलब्ध हुआ? यीशु, परमेश्वर का पुत्र, मृत्यु को नष्ट करने के लिए मर गया और हमें हमेशा के लिए जीवन प्रदान करने के लिए कब्र से जी उठा(2 तीमुथियुस 1:10) l 

मसीह जैसा प्रतिउत्तर

जॉर्ज, कैरोलिना की गर्मियों की धुप में एक निर्माण कार्य पर काम कर रहा था, तभी पास में रहनेवाला कोई व्यक्ति उस कार्य स्थान में प्रवेश किया l स्पष्ट रूप से क्रोधित, पड़ोसी ने परियोजना के बारे में और इसे कैसे किया जा रहा है, के बारे में हर बात को कोसना और आलोचना करना आरम्भ कर दिया l जब तक क्रोधित पड़ोसी ने चिल्लाना बन्द नहीं किया तब तक जॉर्ज को बिना किसी प्रतिक्रिया के मौखिक चोट मिलते रहे l फिर उसने धीरे से उत्तर दिया, “आपका दिन सचमुच बहुत कठिन रहा है, है न?” अचानक, क्रोधित पड़ोसी का चेहरा नरम हो गया, उसका सिर झुक गया और उसने कहा, “मैंने तुमसे जिस तरह से बात की उसके लिए मैं खेदित हूँ l” जॉर्ज की दयालुता ने पड़ोसी के क्रोध को शांत कर दिया था l 

कई बार हम जवाबी हमला करना चाहते हैं l गाली के बदले गाली और अपमान के बदले अपमान देना l इसके बजाय जॉर्ज ने जिस दयालुता का नमूना दिया वह यीशु द्वारा हमारे पापों के परिणामों को सहन करने के तरीके में सबसे अच्छी तरह से देखी गयी थी : “वह गाली सुनकर गाली नहीं देता था, और दुःख उठाकर किसी को भी धमकी नहीं देता था, परन्तु अपने को सच्चे न्यायी के हाथ में सौंपता था”(1 पतरस 2:23) l 

हम सभी को ऐसे क्षणों का सामना करना पड़ेगा जब हमें गलत समझा जाएगा, गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा या हम पर हमला किया जाएगा l हम दयालुतापुर्वक प्रतिक्रिया देना चाह सकते हैं, लेकिन यीशु का हृदय हमें दयालु होने, शांति का प्रयास करने और समझ प्रदर्शित करने के लिए कहता है l जैसे वह आज हमें सक्षम बनाता है, शायद परमेश्वर हमें किसी कठिन दिन को सहने वाले को आशीष देने के लिए उपयोग कर सकता है l