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Articles by डेव ब्रेनन

लोगों से यीशु के बारे में बताएं

पौलुस यहूदी शुद्धिकरण समारोह में मंदिर में गया था(प्रेरितों 21:26) l लेकिन कुछ उपद्रवियों ने सोचा कि वह क़ानून के विरुद्ध शिक्षा दे रहा था, इसलिए उन्होंने उसे मार डालना चाहा(पद.31) l रोमी सैनिक तुरंत हस्तक्षेप कर पौलुस को गिरफ्तार कर लिये, उसे बाँध दिया, और भीड़ के चिल्लाते हुए, “उसका अंत कर दो!”(पद.36) उसे मंदिर क्षेत्र से बाहर ले गए l 

प्रेरित ने इस धमकी पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त दी? उसने पलटन के सरदार से पुछा कि क्या वह “लोगों से बात [कर सकता है]”(पद.39) l जब रोमी सरदार ने अनुमति दी, तो पौलुस, जिसका खून बह रहा था, और घायल था, क्रोधित भीड़ की ओर मुड़ा और यीशु में अपना विश्वास साझा किया(22:1-16) l 

यह दो हज़ार साल से भी पहले की बात है—बाइबल की एक पुरानी कहानी जिससे हमें जुड़ना मुश्किल हो सकता है l ऐसे देश में जहां विश्वासियों पर नियमित रूप से अत्याचार किया जाता है, अभी हाल ही में, पीटर नाम के एक व्यक्ति को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह जेल में बन्द अपने एक मित्र से मिलने गया था जो यीशु में विश्वास करता था l पीटर को जेल की एक अँधेरी कोठरी में डाल दिया गया और पूछताछ के दौरान उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी गयी l जब आँखों से पट्टी हटाई गयी तो उसने चार सैनिकों को बंदूकें ताने हुए देखा l पीटर की प्रतिक्रिया? उसने इसे अपना विश्वास साझा करने के “एक उत्तम अवसर के रूप में देखा l”

पौलुस और एक आधुनिक/modern-day पीटर एक कठिन, महत्वपूर्ण सत्य की ओर इशारा करते हैं l भले ही परमेश्वर हमें कठिन समय का अनुभव करने की अनुमति देता है—यहाँ तक कि सताव भी—हमारा कार्य एक ही है : “सुसमाचार प्रचार [करें]”(मरकुस 16:15) l वह हमारे साथ रहेगा और हमें अपना विश्वास साझा करने के लिए बुद्धि और सामर्थ्य देगा l 

यीशु के लिए दौड़ना

जब लोग 100 मीटर दौड़ के बारे में विचारते हैं, तो वर्तमान विश्व-रिकॉर्ड धारक उसेन बोल्ट(Usain Bolt) का ख्याल आ सकता है l लेकिन हम जूलिया “हरिकेन” हॉकिंस(Julia “Hurricane” Hawkins”) के बारे में नहीं भूल सकते हैं l 2021 में, जूलिया ने लुइसियाना सीनियर गेम्स(Louisiana Senior Games) में 100 मीटर दौड़ जीतने के लिए अन्य सभी धावकों से पहले समापन रेखा पार कर ली l उसका समय बोल्ट(Bolt) के 9.58 सेकंड से थोड़ा धीमा था—60 सेकंड से थोड़ा अधिक l लेकिन उनकी उम्र भी 105 वर्ष थी!

उस महिला के विषय पसंद करने लायक बहुत कुछ है जो इस उम्र में भी फर्राटा दौड़ रही है l और यीशु में विश्वासियों के बारे में पसंद करने लायक बहुत कुछ है जो उसे अपने लक्ष्य के रूप में लेकर दौड़ना कभी नहीं छोड़ते(इब्रानियों 12:1-2) l भजनकार जीवन के बाद के चरणों में विश्वासयोग्य लोगों के बारे में यह कहता है : “धर्मी लोग खजूर के पेड़ की तरह फूले फलेंगे . . . वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे”(भजन 92:12-14) l 

पुराने विश्वासी जो इस प्रकार के मानक का पालन करते हैं, उन्हें प्रेरित पौलुस के तीतुस को लिखे पत्र में और निर्देश मिल सकते हैं l अनुभवी पुरूषों का “विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो”(तीतुस 2:2), और बूढ़ी स्त्रियाँ “अच्छी बातें सिखानेवाली हों”(पद.3) l 

पुराने विश्वासियों से दौड़ में भाग लेना बंद करने का कोई बुलावा नहीं है l शायद उस तरह नहीं जैसे जूलिया ट्रैक पर करती है लेकिन उन तरीकों से जो परमेश्वर का आदर करते हैं क्योंकि वह उन्हें ज़रूरी सामर्थ्य देता है l आइये हम सब उसकी और दूसरों की अच्छी सेवा करने की दौड़ में भाग लें l 

परमेश्वर की दी हुयी सुरक्षा

मेरी पत्नी और मैं हर साल अपनी साइकिल से अपने घर के आसपास की पगडंडियों पर सैकड़ों मील की दूरी तय करते हैं l अनुभव को बेहतर बनाने के लिए, हमारे पास कुछ सहायक उपकरण हैं जिन्हें हमने अपनी साइकिल से जोड़ा है l सू(Sue) के पास साइकिल के आगे की लाइट, एक बैक लाइट, एक ओडोमीटर(odometer-गति मापने का मीटर), साइकिल का एक ताला है l मेरी साइकिल में पानी की बोतल रखने वाला है l वास्तव में, हम हर दिन अपने मार्ग पर सफलतापूर्वक यात्रा कर सकते हैं और बिना अतिरिक्त खर्च के समस्त दूरी तय कर सकते हैं l वे सहायक हैं लेकिन वैकल्पिक हैं l

इफिसियों की पत्री में, प्रेरित पौलुस सहायक उपकरणों के एक और सेट के बारे में लिखता है—लेकिन ये वैकल्पिक नहीं हैं l उसने लिखा कि हमें यीशु में अपना विश्वास दर्शाने के लिए इन चीज़ों को “धारण करना” चाहिए l हमारे जीवन सरल पथ नहीं हैं l हम एक ऐसी लड़ाई में हैं जिसमें हमें “शैतान की युक्तियों के विरुद्ध खड़ा [होना है]”(6:11), इसलिए हमें अच्छी तरह से सुसज्जित होना चाहिए l 

पवित्रशास्त्र की बुद्धिमत्ता के बिना, हमें त्रुटी स्वीकार करने के लिए भटकाया जा सकता है l हम यीशु की सहायता के बिना “सच्चाई” को जी नहीं पाएंगे, और झूठ के आगे झुक जायेंगे (पद.14) l “सुसमाचार” के बिना, हमारे पास कोई “शांति” नहीं है(पद.15) l “विश्वास” द्वारा हमारी रक्षा नहीं होने पर, हम संदेह के शिकार हो जाएंगे(पद.16) l हमारा “उद्धार” और पवित्र आत्मा हमें परमेश्वर के लिए अच्छा जीवन जीने के लिए सहारा देते हैं(पद.17) l यह हमारा कवच/हथियारबंदी है l 

यह कितना विशेष है कि हम जीवन के वास्तविक खतरों से सुरक्षित रहकर यात्रा करें l हम ऐसा तब करते हैं जब मसीह हमें रास्ते में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है—जब हम परमेश्वर द्वारा प्रदान किये गए कवच/शस्त्र को “धारण” कर लेते हैं l 

अब से हम विदेशी नहीं

"तुम यहाँ की नहीं हो।" इन शब्दों ने एक आठ साल की बच्ची के दिल को गहरा दुख पहुंचाया और यह दुख उसके साथ बना रहा । उसका परिवार युद्धग्रस्त देश के एक शरणार्थी शिविर से एक नए देश में पहुँचा था, और उसके आप्रवास कार्ड ( किसी दूसरे देश में रहने के लिए आना) पर विदेशी शब्द अंकित था। उसे महसूस हुआ जैसे वह अलग की हुई है।

एक वयस्क के रूप में, हालाँकि उसने यीशु में अपना विश्वास रखा, फिर भी वह  अलग-थलग महसूस कर रही थी - इस भावना से आहत थी कि वह एक अप्रिय विदेशी थी। अपनी बाइबल पढ़ते समय, उसने इफिसियों 2 में लिखे वादों को पाया। पद 12 में, उसने उस पुराने, परेशान करने वाले शब्द अलग को देखा। "तुम लोग उस समय मसीह से अलग और इस्त्राएल की प्रजा के पद से अलग किए हुए, और प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे।" लेकिन जैसे-जैसे वह पढ़ती रही, उसने देखा कि कैसे मसीह के बलिदान ने उसकी स्थिति बदल दी थी। उसे पद 19 मिला, जिसने उससे कहा, " तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए।"   वह परमेश्वर के लोगों की "साथी नागरिक" थी। यह जानकर कि उसकी नागरिकता स्वर्ग की है, वह आनंद से भर गई। अब वह फिर कभी विदेशी नहीं कहलाएगी। परमेश्वर ने उसे अंदर ले लिया है और उसे स्वीकार किया है।

हमारे पाप के कारण, हम परमेश्वर से बहुत दूर थे। लेकिन अब हमें उसी दशा में नहीं रहना। यीशु उन सभी के लिए शांति लाया जो "दूर" थे (पद 17), उन सभी को जो उस पर भरोसा करते है, अपने अनंतकाल के राज्य का साथी नागरिक बना दिया - मसीह की देह के रूप में एकजुट हो गए।

एक बच्चे की आशा

जब मेरी पोती एलियाना सिर्फ सात वर्ष की थी, उसने अपने स्कूल में ग्वाटेमाला के एक अनाथालय के बारे में एक विडियो देखा l उसने अपनी माँ से कहा, “हमें उनकी सहायता करने के लिए वहाँ जाना होगा l” उसकी माँ ने उत्तर दिया कि वो इसके बारे में तब विचार करेंगी जब वह बड़ी हो जाएगी l 

एलियाना कभी नहीं भूली, और निश्चित रूप से, जब वह दस वर्ष की थी, तो उसका परिवार अनाथालय में सहायता करने गया l दो वर्ष बाद, वे पुनः गए, इस बार वे एलियाना के स्कूल के दूसरे परिवारों से एक जोड़े को भी साथ ले गए l जब एलियाना पंद्रह वर्ष की थी, तो वह और उसके पिता सेवा करने के लिए पुनः ग्वाटेमाला गए l 

हम कभी-कभी सोचते हैं कि छोटे बच्चों की इच्छाएँ और सपने वयस्कों की आशाओं का बोझ नहीं उठाते l लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि बाइबल ऐसा कोई भेद नहीं करती l परमेश्वर बच्चों को बुलाता है, जैसे शमूएल के मामले में (1 शमूएल 3:4) l यीशु छोटों के विश्वास का सम्मान करता है (लूका 18:16) l और पौलुस ने कहा कि युवा विश्वासियों को लोगों को केवल इसलिए उन्हें नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि वे “युवा हैं” (1 तीमुथियुस 4:12) l 

इसलिए, हमें अपने बच्चों का मार्गदर्शन करने के लिए बुलाया गया है (व्यवस्थाविवरण 6:6-7; नीतिवचन 22:6), यह पहचानते हुए कि उनका विश्वास हम सभी के लिए एक आदर्श है (मत्ती 18:3) और यह समझना कि उन्हें रोकना कुछ ऐसा है जिसके खिलाफ मसीह ने चेतावनी दी थी (लूका 18:15) l 

जब हम बच्चों में आशा की चिंगारी देखते हैं, तो वयस्कों के रूप में हमारा काम उसे प्रज्वलित करने में मदद करना है l और जैसे ही ईश्वर हमारी अगुवाई करता है, उन्हें यीशु में विश्वास और उनकी सेवा के लिए समर्पित जीवन के लिए प्रोत्साहित करें l 

सुंदर वाला

130 से अधिक वर्षों से, एफिल टॉवर पेरिस शहर के ऊपर शान से खड़ा है, जो वास्तुशिल्प प्रतिभा और सुंदरता का प्रतीक है। शहर गर्व से टावर को अपनी भव्यता के प्रमुख तत्व के रूप में प्रचारित करता है। हालाँकि, जब इसे बनाया जा रहा था, तो कई लोगों ने इसके बारे में बहुत कम सोचा। उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक गाइ डी मौपासेंट ने कहा कि इसका "फ़ैक्टरी की चिमनी जैसा हास्यास्पद पतला आकार" था। वह इसकी सुंदरता नहीं देख सका।

हममें से जो लोग यीशु से प्रेम करते हैं और अपने उद्धारकर्ता के रूप में उन्हें अपना हृदय सौंप चुके हैं, वे उन्हें सुंदर मानते हैं उसने हमारे लिए जो किया है उसके लिए  और वह कौन है । फिर भी भविष्यवक्ता यशायाह ने ये शब्द लिखे: "उसके पास कोई सुंदरता या महिमा नहीं थी जो हमें उसकी ओर आकर्षित कर सके, उसके रूप में ऐसा कुछ भी नहीं था कि हम उसे चाहते" (53:2)।

लेकिन उसने हमारे लिए जो किया उसकी विशाल महिमा सुंदरता का सबसे सच्चा, शुद्धतम रूप है जिसे मनुष्य कभी भी जान सकेगा और अनुभव कर सकेगा। उन्होंने "हमारे दर्द को उठाया और हमारे कष्टों को सहन किया" (पद . 4)। वह “हमारे अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं (पद . 5)। हम कभी भी किसी को इतना सुंदर - उतना राजसी - नहीं जान पाएंगे, जितना कि उसे जिसने क्रूस पर हमारे लिए कष्ट सहा, हमारे पापों की अकथनीय सजा अपने ऊपर ली।

वह यीशु है. एक सुंदर वाला . आइए उसकी ओर देखें और जियें।

 

बड़े दिल(उदारता) से देना

स्कूल के बाद के बाइबल क्लब में, जहां मेरी पत्नी सू(Sue) सप्ताह में एक बार सेवा करती है, बच्चों को यूक्रेन के युद्धग्रस्त देश में बच्चों की सहायता के लिए पैसे दान करने के लिए कहा गया था l सू(Sue) द्वारा हमारी ग्यारह वर्षीय पोती मैगी को योजना के बारे में बताने के लघभग एक सप्ताह बाद, हमें डाक(mail) में उससे एक लिफाफा मिला l इसमें 3.45 डॉलर((लगभग 250 रूपये) थे, साथ में एक नोट(पर्ची) भी था : “यूक्रेन में बच्चों के लिए मेरे पास बस इतना ही है l मैं बाद में और भेजूंगी l 

सू(Sue) ने मैगी को यह सुझाव नहीं दिया था कि उसे मदद करनी चाहिए, लेकिन शायद आत्मा ने उसे प्रेरित किया l और मैगी ने किया, जो यीशु से प्यार करती है और उसके लिए जीना चाहती है l 

जब हम बड़े/उदार दिल से इस छोटे से उपहार के बारे में सोचते हैं तो हम बहुत कुछ सीख सकते हैं l यह 2 कुरिन्थियों 9 में पौलुस द्वारा दिए गए दान के बारे में कुछ निर्देशों को दर्शाता करता है l सबसे पहले, प्रेरित ने सुझाव दिया कि हमें “उदारता से” बोना चाहिए(पद.6) l “मेरे पास जो कुछ भी है” वह उपहार निश्चित रूप से एक उदार उपहार है l पौलुस ने यह भी लिखा कि हमारे उपहार ख़ुशी-ख़ुशी दिए जाने चाहिए जैसे कि ईश्वर मार्गदर्शन करता है और जैसा हम सक्षम हैं, इसलिए नहीं कि हम “कुढ़-कुढ़” कर दें (पद.7) l और उसने भजन 112:9 का सन्दर्भ देते हुए “दरिद्रों को दान”(पद.9) के मूल्य का उल्लेख किया l 

जब स्वयं उपहार देने का अवसर आता है, तो आइये पूछें कि परमेश्वर हमसे क्या प्रतिक्रिया चाहता है l जब हम अपने उपहारों को आवश्यकतामंदों तक पहुँचाने में उदार और प्रसन्न होते हैं, जैसे वह हमारा नेतृत्व करता है, तो हम इस तरह से देते हैं कि “परमेश्वर को धन्यवाद” प्राप्त होगा(2 कुरिन्थियों 9:11) l यह बड़े दिल वाला/उदार दान है l

 

उन्हें बताएं कि परमेश्वर ने क्या किया है

मेरे कॉलेज मित्र बिल टोबियास ने कई वर्षों तक एक द्वीप पर मिशनरी के रूप में कार्य किया। वह एक ऐसे युवक की कहानी बताता है जिसने अपना भाग्य तलाशने के लिए अपना गृहनगर छोड़ दिया था। लेकिन एक दोस्त उसे चर्च ले गया जहां उसने यीशु के सुसमाचार को सुना, और उसने मसीह पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में भरोसा किया।

वह युवक सुसमाचार को अपने उन लोगों तक ले जाना चाहता था जो "जादू-टोने में डूबे हुए थे", इसलिए उसने उन तक पहुँचने के लिए एक मिशनरी की तलाश की। लेकिन मिशनरी ने उससे कहा कि "जाओ और उन्हें बताओ कि परमेश्वर ने तुम्हारे लिए क्या किया है" (देखें मरकुस 5:19)। और उसने यही किया। उनके गृहनगर में कई लोगों ने यीशु को ग्रहण किया, लेकिन सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब शहर के ओझा को एहसास हुआ कि मसीह ही "मार्ग और सत्य और जीवन" है (यूहन्ना 14:6)। यीशु पर विश्वास रखने के बाद, उसने पूरे शहर को उसके बारे में बताया। चार वर्षों के भीतर, एक युवक की गवाही के कारण क्षेत्र में सात चर्चों की स्थापना हुई।

2 कुरिन्थियों में, पौलुस उन लोगों को सुसमाचार से परिचित कराने के लिए एक स्पष्ट योजना प्रस्तुत करता है जो अभी तक मसीह को नहीं जानते हैं - और यह उस बात के अनुरूप है जो उस मिशनरी ने यीशु में युवा विश्वासियों को कही थी। हमें "मसीह के राजदूत" बनना है - उनके प्रतिनिधि "मानो परमेश्वर हमारे द्वारा अपनी अपील कर रहे हो" (5:20)। प्रत्येक विश्वासी के पास यह बताने के लिए एक अनोखी कहानी है कि कैसे यीशु ने उन्हें "एक नई सृष्टि बनाया..जिसने उन्हें मिला दिया" परमेश्वर से (पद 17-18)। आइए दूसरों को बताएं कि उसने हमारे लिए क्या किया है।

 

परमेश्वर की अब से सर्वदा तक मौजूदगी

मृणालिनी संघर्ष कर रही थी। उसके मित्र जो यीशु में विश्वास करते थे, और वह उनके जीवन के संघर्षों को संभालने के तरीके का सम्मान करती थी। उसे उनसे थोड़ी ईर्ष्या भी हो रही थी। लेकिन मृणालिनी ने नहीं सोचा था कि वह उनकी तरह जीवन जी सकती है; उसने सोचा कि मसीह में विश्वास रखने का मतलब नियमों का पालन करना है। अंततः, कॉलेज के एक साथी छात्र ने उसे यह देखने में मदद की कि परमेश्वर उसका जीवन खराब नहीं करना चाहता था; अपितु वह उसके उतार-चढ़ाव के बीच उसके लिए सर्वोत्तम चाहता था। एक बार जब उसे यह समझ में आ गया, तो मृणालिनी यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में भरोसा करने के लिए तैयार हो गई और उसने अपने प्रति परमेश्वर के प्रेम के बारे में शानदार सच्चाई को अपना लिया।

राजा सुलैमान मृणालिनी को ऐसी ही सलाह दे सकते थे। उन्होंने स्वीकार किया कि इस दुनिया में दुख हैं। वास्तव में, "हर चीज़ का एक समय होता है" (सभोपदेशक 3:1) - "रोने का समय और हंसने का भी समय; छाती पीटने का समय, और नाचने का भी समय है" (पद 4)। लेकिन और भी बहुत कुछ है। परमेश्वर ने "मानव हृदय में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान भी उत्पन्न किया है" (पद 11)। अनन्त काल का अर्थ उसकी उपस्थिति में जीना है।

जैसा कि यीशु ने कहा था (यूहन्ना 10:10), मृणालिनी ने "पूरी तरह से" जीवन प्राप्त किया, जब उसने उस पर भरोसा किया। लेकिन उसे और भी बहुत कुछ हासिल हुआ! विश्वास के माध्यम से, "[उसके] हृदय में अनंत काल" (सभोपदेशक 3:11) एक भविष्य का वादा बन गया जब जीवन के संघर्षों को भुला दिया जाएगा (यशायाह 65:17) और परमेश्वर की गौरवशाली उपस्थिति एक शाश्वत वास्तविकता होगी।