Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by एलिसा मॉर्गन

पारिवारिक मामले

मेरी बहन, भाई और मैं अपने अलग-अलग राज्यों से अपने चाचा के अंतिम संस्कार के लिए हवाई यात्रा कर के पँहुचे, और अपनी नब्बे वर्षीय दादी को देखने के लिए रुके। वह एक स्ट्रोक के कारण लकवाग्रस्त हो गई थी, बोलने की क्षमता खो चुकी थी और केवल अपने दाहिने हाथ का उपयोग कर पा रही थी। जैसे ही हम उसके बिस्तर के चारों ओर खड़े थे, उसने अपना हाथ बढ़ाया और हम सबके हाथों को पकड़ लिया, एक को दूसरे के ऊपर अपने दिल के ऊपर रखा और उन्हें जगह पर थपथपाया। इस शब्दहीन भाव-भंगिमा के साथ, मेरी दादी ने हमारे कुछ हद तक टूटे हुए और दूर के भाई-बहन के रिश्ते के बारे में बात की। "पारिवारिक मामले।"

परमेश्वर के परिवार, चर्च में, हम अलग भी हो सकते हैं। हम कड़वाहट को एक-दूसरे से अलग करने की अनुमति दे सकते हैं। इब्रानियों के लेखक ने उस कड़वाहट का उल्लेख किया है जिसने एसाव को उसके भाई से अलग कर दिया था (इब्रानियों 12:16) और हमें भाइयों और बहनों के रूप में परमेश्वर के परिवार में एक-दूसरे को थामे रहने की चुनौती देता है। "सभी के साथ शांति से रहने का हर संभव प्रयास करें" (पद 14)। यहां हर प्रयास शब्द परमेश्वर के परिवार में हमारे भाइयों और बहनों के साथ शांति स्थापना में एक जानबूझकर और निर्णायक निवेश को व्यक्त करते हैं। ऐसा हर प्रयास फिर सभी पर लागू होता है। प्रत्येक का एक। एक का।

 

एक दूसरे से प्रेम द्वारा परमेश्वर प्रति प्रेम

अल्बा परिवार ने केवल तेरह महीने के अंतर पर एक जैसे जुड़वां बच्चों के दो जोड़े (quadruplets को जन्म देने की दुर्लभ घटना का अनुभव किया । उन्होंने अपनी माता-पिता की जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी नौकरी को कैसे निभाया? उनके दोस्तों और परिवार के समुदाय ने आगे बढ़कर उनकी मदद की। दोनों तरफ से नाना–नानी और दादा-दादी दिन के दौरान जुड़वा बच्चों की एक जोड़ी ले जाते थे ताकि बच्चों के माता-पिता काम कर सकें और स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान कर सकें। एक कंपनी ने डायपर की एक साल की आपूर्ति दी। दंपत्ति के सहकर्मियों ने अपने निजी बीमारी की छुट्टियों का दान दिया। दंपत्ति ने सहमती में कहा "हम अपने समुदाय के बिना यह नहीं कर सकते थे,"। वास्तव में, एक लाइव इंटरव्यू (साक्षात्कार) के दौरान, सह-मेजबान ने अपना माइक हटा दिया और भटकते हुए उनके एक नन्हे बच्चे को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागी और इस प्रकार उसने भी अपना सामुदायिक योगदान दिया!

मत्ती 25:31-46 में, यीशु इस बात को स्पष्ट करने के लिए एक दृष्टांत बताते हैं कि जब हम दूसरों की सेवा करते हैं, तो हम परमेश्वर की सेवा करते हैं। सेवा के कार्यों को सूचीबद्ध करने के बाद, जिसमें भूखे को भोजन देना, प्यासे को पानी देना, बेघरों को घर देना, नग्न लोगों को कपड़े देना और बीमारों का इलाज करना शामिल है (पद- 35-36), यीशु ने दृष्टांत इस तरह पूरा किया, "मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया,वह मेरे ही साथ किया” (पद 40)।

हमारी दयालुता के अंतिम प्राप्तकर्ता के रूप में यीशु की कल्पना करना हमारे पड़ोस, परिवारों, चर्चों और दुनिया में सेवा करने के लिए सच्ची प्रेरणा है। जब वे हमें दूसरों की जरूरतों में त्यागपूर्वक योगदान देने के लिए प्रेरित करते है, तब हम उनकी सेवा करते हैं। जब हम दूसरों से प्रेम करते हैं, तब हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं।

चौराहे पर परमेश्वर

कई दिनों की बीमारी और फिर तेज़ बुखार के बाद, यह स्पष्ट था कि मेरे पति को आपातकालीन देखभाल की आवश्यकता थी। अस्पताल ने उन्हें तुरंत भर्ती कर लिया; एक दिन अगले दिन में बदल गया। उनकी हालत में सुधार हुआ, लेकिन इतना नहीं कि उन्हें अस्पताल से छोड़ दिया जाये।  मुझे अपने पति के साथ रहने या एक महत्वपूर्ण कार्य यात्रा को पूरा करने के कठिन विकल्प का सामना करना पड़ा जहां कई लोग और परियोजनाएं शामिल थीं। मेरे पति ने मुझे आश्वासन दिया कि वह ठीक हो जायेंगे। लेकिन मेरा दिल उसके और मेरे काम के बीच बंटा हुआ था।

 परमेश्वर के लोगों को जीवन के निर्णयों के चौराहे पर उनकी सहायता की आवश्यकता थी। बहुत बार, उन्होंने उसके प्रकट निर्देशों का पालन नहीं किया था। इसलिए मूसा ने लोगों से उसकी आज्ञाओं का पालन करके "जीवन को चुनने" का आग्रह किया (व्यवस्थाविवरण 30:19)। बाद में, भविष्यवक्ता यिर्मयाह ने परमेश्वर के भटके हुए लोगों को दिशा-निर्देश दिए, और उन्हें उसके मार्गों पर चलने के लिए प्रेरित किया : “सड़कों पर खड़े होकर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी पर चलो” (यिर्मयाह 6:16)। पवित्रशास्त्र के प्राचीन मार्ग और ईश्वर के पिछले प्रावधान हमें निर्देशित कर सकते हैं।

मैंने खुद को एक भौतिक चौराहे पर कल्पना की और यिर्मयाह के ज्ञान के नमूना (template) को लागू किया। मेरे पति को मेरी जरूरत थी, और मेरे काम को भी। तभी, मेरे संचालक ने फोन किया और मुझे घर पर रहने के लिए प्रोत्साहित किया। मैंने राहत की सांस ली और चौराहे पर परमेश्वर के प्रावधान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। परमेश्वर का निर्देश हमेशा स्पष्ट रूप से नहीं आता, लेकिन आता है। जब हम चौराहे पर खड़े हों, तो आइए सुनिश्चित करें कि हम उसकी तलाश करें।

कलीसिया हो

कोविड-19 महामारी के दौरान, डेव और कार्ला ने एक घरेलू कलीसिया की तलाश में महीनों बिताए। स्वास्थ्य दिशा निर्देशों का पालन करना, जो विभिन्न व्यक्तिगत मिलन को सीमित कर, इसे और भी कठिन बना दिया। वे यीशु में विश्वासियों के एक समूह से जुड़ने की लालसा रखते थे। कार्ला ने मुझे ई-मेल किया, "कलीसिया ढूंढने का कठिन समय है।" मेरे अंदर अपनी कलीसिया परिवार के साथ फिर से जुड़ने की मेरी अपनी लालसा ने एक अहसास जाग दिया। मैंने उत्तर दिया, "कलीसिया होना कठिन है।" उस समय, हमारी कलीसिया ने आसपास के इलाकों में भोजन की पेशकश करने, ऑनलाइन सेवाएं सृजन करना और प्रत्येक सदस्य को समर्थन और प्रार्थना के साथ फोन करने पर जोर दिया गया । मेरा पति और मैं इसमें भाग लेने के बाद भी सोच रहे थे कि हमारे बदली हुई दुनिया में "कलीसिया बनने" के लिए और क्या कर सकते हैं।

 

इब्रानियों 10:25 में, लेखक पाठकों से “एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें” और ज्यों-ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों-त्यों और भी अधिक यह किया करो” की उपेक्षा न करने का आग्रह करता है । संभवतः उत्पीड़न के कारण (पद. 32-34) या शायद केवल थके होने का परिणाम (12:3), संघर्षरत प्रारंभिक विश्वासियों को कलीसिया बने रहने के लिए एक प्रोत्साहन की आवश्यकता थी।

और आज, मुझे भी एक प्रोत्साहन की आवश्यकता है। क्या आपको चाहिए? जब परिस्थितियाँ बदल जाती हैं तो हम कलीसिया का अनुभव कैसे करते हैं, क्या हम कलीसिया बने रहेंगे? जैसे परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है आइए रचनात्मक रूप से एक दूसरे को प्रोत्साहित करें और एक-दूसरे का निर्माण करें। अपने संसाधनों को साझा करें। समर्थन का संदेश भेजें। इकट्ठा हों जिस तरह हम सक्षम हैं। एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें। आइए कलीसिया बने रहें ।

परमेश्वर में शक्ति एकत्रित करना

ग्रिंजर मैकॉय एक कलाकार हैं जो पक्षियों का अध्ययन करते हैं और उनकी सुंदरता, कमजोरी और शक्ति को कैद करते हुए उनका पुतला बनाते हैं। उनकी एक रचना का शीर्षक रिकवरी है। यह एक पिंटेल बत्तख के एकल दाहिने पंख को दर्शाता है, जो खड़ा स्थिति में ऊंचा फैला हुआ है। नीचे, एक पट्टिका पक्षी के पुनर्प्राप्ति(रिकवरी) चरण को "उड़ान में पक्षी की सबसे बड़ी कमजोरी का क्षण, साथ ही वह क्षण है जब वह आगे की यात्रा के लिए ताकत इकट्ठा करती है" के रूप में वर्णित करता है। ग्रिंगर इस पद का इस्तेमाल करते है: “मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है।” (2 कुरिंन्थियों 12:9)

प्रेरित पौलुस ने ये शब्द कुरिन्थ की कलीसिया को लिखे। एक ऐसे दौर को सहते हुए जब वह व्यक्तिगत संघर्ष से विचलित हो गया, पौलुस ने परमेश्वर से विनती की कि वह उसे हटा दे जिसे उसने "मेरे शरीर में एक काँटा" कहा था (पद 7) उसका कष्ट शायद शारीरिक बीमारी या आध्यात्मिक विरोध रहा होगा। क्रूस पर चढ़ने से एक रात पहले बगीचे में यीशु की तरह(लूका 22:39-44), पौलुस ने बार-बार परमेश्वर से उसकी पीड़ा दूर करने के लिए प्रार्थना की। पवित्र आत्मा ने उसे यह आश्वासन देकर जवाब दिया कि वह आवश्यक शक्ति प्रदान करेगा। पौलुस ने सीखा, "जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी बलवन्त होता हूँ।"(2 कुरिंन्थियों 12:10)

ओह, इस जीवन में हमें कितने काँटों का अनुभव होता है! जैसे एक पक्षी आगे की यात्रा के लिए अपनी ताकत इकट्ठा करती है, वैसे ही हम जो भी सामना कर रहे हैं उसके लिए परमेश्वर की ताकत इकट्ठा कर सकते हैं। उसकी शक्ति में हम अपना अस्तित्व पाते हैं।

विश्राम की अनुमति

मेरी सहेली सूज़ी और मैं समुद्र तट के कुछ शिलाखंडों पर बैठकर, समुद्र के झाग को धनुषाकार छल्ले उछालते हुए देख रहे थे l एक के बाद एक लहरों को लौटकर चट्टानों से टकराते हुए देखकर, सूज़ी बोल पड़ी, “मुझे समुद्र से प्यार हैl वह गतिमान रहता है इसलिए मुझे ज़रूरत नहीं! 

क्या यह दिलचस्प नहीं है कि हममें से कुछ महसूस करते हैं कि हमें अपने काम से विश्राम करने के लिए “अनुमति” की ज़रूरत होती है? और बिल्कुल यही है जो हमारा अच्छा परमेश्वर हमें प्रदान करता है! छह दिनों तक, परमेश्वर ने प्रकाश, भूमि, वनस्पति, जानवरों और मनुष्यों को बनाकर पृथ्वी को अस्तित्व में लाया l फिर सातवें दिन, परमेश्वर ने विश्राम किया (उत्पत्ति 1:31-2:2) दस आज्ञाओं में, परमेश्वर ने उसका सम्मान करने के लिए स्वस्थ जीवन के लिए अपने नियमों को सूचीबद्ध किया (निर्गमन 20:3-17) जिसमें सब्त को विश्राम के दिन के रूप में याद रखने की आज्ञा शामिल है (पद.8-11) नए नियम में हम यीशु को नगर के सभी बीमारों को चंगा करते हुए देखते हैं (मरकुस 1:29:34) और फिर अगली सुबह प्रार्थना करने के लिए एकांत स्थान पर जाते हुए पाते हैं (पद.35) उद्देश्यपूर्ण ढंग से, हमारे परमेश्वर ने काम किया और विश्राम किया l 

कार्य में, परमेश्वर के प्रावधान की लय और विश्राम के लिए उसका निमंत्रण हमारे चारों ओर गूंजता हैl वसंत के रोपण से ग्रीष्मकाल में वृद्धि, पतझड़ में फसल और शीतकाल में विश्राम मिलाता है l सुबह, दोपहर, दोपहर, शाम, रात l परमेश्वर हमारे जीवन को काम और आराम दोनों के लिए आदेश देता है, हमें दोनों करने की अनुमति देता है l 

गुलाबी कोट

ब्रेंडा मॉल से बाहर निकल रही थी, जब एक प्रदर्शन खिड़की (डिस्पले विन्ड़ो) से गुलाबी रंग की एक चीज ने उसका ध्यान आकर्षित  किया। वह मुड़ी और एक हल्के गुलाबी रंग के कोट को देखा; वह उसके   सामने मंत्रमुग्ध सी होकर खड़ी रही। उसने सोचा कि  हॉली इसे पसंद करेगी! हॉली, उसकी सहकर्मी मित्र के लिए आर्थिक तंगी थी, जो एक अकेली माँ थी, और जब ब्रेंडा जानती थी कि  हॉली को एक गर्म कोट की आवश्यकता है, तो उसे यह भी विश्वास था कि उसकी सहेली अपने लिए ऐसी खरीदारी पर कभी भी  पैसा नहीं खर्च सकती है। थोड़ा सोचने के बादए ब्रेंडा मुस्कुराई, अपना बटुआ निकाला, और कोट को हॉली के घर भेजने की व्यवस्था की। उसने एक गुमनाम कार्ड  लिखकर उसमें रखा “तुम बहुत प्यारी हो।” और फिर  ब्रेंडा खुशी  में भरकर व्यावहारिक रूप से नाचती हुई अपनी कार तक गई ।

आनंद, ईश्वर द्वारा दिए गए देने का उप फल  है। जैसा कि पौलुस ने कुरिन्थियों को उदारता की कला में निर्देश दिया थाए उसने कहा, “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करेय न कुढ़ कुढ़ के और न दबाव सेए क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है” (2 कुरिन्थियों 9:7)  उसने यह भी कहा, “जो बहुत  बोता है, वह बहुत काटेगा” (पद 6)।

कभी कभी हम भेंट की थाली में नकद रख देते हैं। अन्य समयों में हम एक योग्य सेवकाई को ऑनलाइन दान करते हैं। और फिर ऐसे क्षण आते हैं जब परमेश्वर अपने प्रेम की मूर्त अभिव्यक्ति के साथ एक मित्र की आवश्यकता का प्रत्युत्तर देने के लिए हमारी अगुवाई करता है। हम किराने का सामान, गैस का एक टैंक प्रदान करते हैं। या एक बिल्कुल गुलाबी कोट का उपहार भी।

फास्ट-फूड प्रोत्साहन

मारीया अपने फ़ास्ट फ़ूड खाने को लेकर एक खाली टेबल पर गई। जैसे ही उसने अपने बर्गर को खाया, उसकी निगाह कई टेबलों दूर बैठे एक युवक पर गई। उसके कपड़े गंदे, उसके बाल ढीले लटके हुए, और वह एक खाली कागज़ के कप को पकड़े हुए था। स्पष्ट रूप से वह भूखा था। वह मदद कैसे करती? पैसे का दान देना बुद्धिमानी नहीं लग रही थी। यदि वह भोजन लाकर उसे देती, हो सकता है वह शर्मिंदा हो जाता?

तभी मारिया को रूत की कहानी याद आई, जिसमें बोअज़, एक धनी जमींदार, गरीब अप्रवासी विधवा को अपने खेतों से बीनने के लिए आमंत्रित करता है। उसने “अपने जवानों को आज्ञा दी,... “उसको पूलों के बीच बीच में भी बीनने दो, और दोष मत लगाओ। वरन् मुट्ठी भर जाने पर कुछ कुछ निकाल कर गिरा भी दिया करो, और उसके बीनने के लिये छोड़ दो, और उसे घुड़को मत।” (2:15-16)। एक ऐसी संस्कृति में जहां महिलाएं जीविका के लिए अपने संबंधित पुरुषों पर पूरी रीति से निर्भर थीं, बोअज़ ने परमेश्‍वर के प्रेममय प्रबन्ध को प्रदर्शित किया। आखिरकार, बोअज़ ने रूत से शादी कर ली, उसे उसकी गंभीर ज़रूरत से छुड़ाया (4:9-10)। जैसे मारिया जाने के लिए खड़ी हुई, उसने युवक से निगाहे मिलाते हुए, पास की टेबल पर अपने फ्राई का अनछुए पैकेट रख दिए। अगर वह भूखा था, तो वह उसके “फ़ास्ट-फ़ूड के खेत” में से कुछ बटोर सकता था। पवित्रशास्त्र की कहानियों में परमेश्वर का हृदय प्रकट होता है क्योंकि वे प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मक समाधानों का वर्णन करती हैं।

आनंदित धन्यवादी

मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट एम्मन्स के एक अध्ययन ने स्वयंसेवकों को तीन समूहों में विभाजित किया, जिनमें से प्रत्येक ने पत्रिकाओं में साप्ताहिक प्रविष्टियां कीं। एक समूह ने पांच चीजें लिखीं जिनके लिए वे आभारी थे। एक ने पांच दैनिक परेशानियों का वर्णन किया। और एक नियंत्रण समूह ने उन पांच घटनाओं को लिखा जिन्होंने उन्हें छोटे रूप  से प्रभावित किया था। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि कृतज्ञता समूह के लोग समग्र रूप से अपने जीवन के बारे में बेहतर महसूस करते थे, भविष्य के बारे में अधिक आशावादी थे, और स्वास्थ्य समस्याए कम थी ।

धन्यवाद देना हमारे जीवन को देखने के तरीके को बदलता है। धन्यवादी होना हमें और भी आनंदित बना है।

बाइबल में लंबे समय से परमेश्वर को धन्यवाद देने के लाभों की प्रशंसा की है, क्योंकि ऐसा करना हमें उसके चरित्र की याद दिलाता है। भजन संहिता बार-बार परमेश्वर के लोगों को धन्यवाद देने के लिए बुलाती है “क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करूणा सदा के लिये,” (भजन 100:5) और उसके अटल प्रेम और अद्भुत कार्यों के लिए उसका धन्यवाद करने के लिए (107:8, 15, 21, 31) .

जैसे प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों को लिखे अपने पत्र को समाप्त किया—यह पत्र अपने आप में एक कलीसिया है जिन्होंने उसकी सहायता की थी के लिए एक प्रकार का धन्यवाद-पत्र था—उसने आभारी प्रार्थनाओं को परमेश्वर की शांति के साथ जोड़ा " जो सारी समझ से परे है" (4:7)। जब हम परमेश्वर और उसकी भलाई पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम पाते हैं कि हम बिना किसी चिंता के, हर स्थिति में, धन्यवाद के साथ प्रार्थना कर सकते हैं। धन्यवाद देने से हमें एक ऐसी शांति मिलती है जो हमारे दिल और दिमाग की अद्भुत रूप से रक्षा करती है और हमारे जीवन को देखने के तरीके को बदल देती है। कृतज्ञता से भरा हृदय आनंद की भावना का पोषण करता है।