असीमित कृपा
दो मित्र एक इलेक्ट्रॉनिक स्टोर में लैपटॉप खरीद रहे थे, तब ही उनकी मुलाकात बास्केटबॉल के महान शक्युइल ओनील(Shaquelle O’Neal) से हुयी l यह जानते हुए कि ओ’नील ने हाल ही में अपनी बहन और एक पूर्व साथी को खोया था, उन्होंने सहानुभूतिपूर्वक अपनी संवेदना व्यक्त की l जब दोनों लोग अपनी खरीदारी करने लगे, तो शेक उनके पास आया और उनसे बोला कि जो सबसे अच्छा लैपटॉप उन्हें मिल सके, उसे चुन लें l फिर उसने इसे उनके लिए खरीद दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने उसे एक कठिन समय से गुज़र रहे व्यक्ति के रूप में देखा और उनकी दयालुता से प्रभावित हुआ l
उस आकस्मिक भेंट से हज़ारों साल पहले, सुलैमान ने लिखा था, “कृपालु मनुष्य अपना ही भला करता है”(नीतिवचन 11:17) l जब हम दूसरों की ज़रूरतों पर विचार करते हैं और उनकी मदद करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, तो हम स्वयं पुरुस्कृत होते हैं l यह लैपटॉप या भौतिक चीज़ों के साथ शायद नहीं हो, लेकिन परमेश्वर के पास हमें आशीष देने के ऐसे तरीके हैं जिन्हें यह संसार माप नहीं सकता है l जैसा कि सुलैमान ने उसी अध्याय के पहले केवल एक पद में समझाया था, “दयालु स्त्री का सम्मान होता है, और कठोर परिश्रम करनेवाला पुरुष धन प्राप्त करता है”(पद.16 HINDICLBSI) l परमेश्वर की ओर से ऐसे उपहार हैं जिनका मूल्य पैसों से कहीं अधिक है, और वह उन्हें अपनी सम्पूर्ण बुद्धि और तरीके से उदारतापूर्वक मापता है l
दयालुता और उदारता परमेश्वर के चरित्र का हिस्सा हैं, और वह उन्हें हमारे हृदय और जीवन में व्यक्त होते देखना पसंद करता है l सुलैमान ने इस मामले को अच्छी तरह से संक्षिप्त करता है : “जो दूसरों की खेती सींचता है, उसकी भी सिंची जाएगी”(पद.25) l
असीमित प्यार
“परमेश्वर हमारे प्रति बहुत भला रहा है! मैं हमारी वर्षगाँठ के लिए उसको धन्यवाद देना चाहती हूँ l टेरी(Terry) की आवाज़ स्थिर थी, और उसकी आँखों में आंसू उसकी ईमानदारी को दर्शा रहे थे l हमारे छोटे समूह के लोग बहुत प्रभावित हुए l हम जानते थे कि टेरी और उसके पति पर पिछले वर्षों में क्या बीता था l विश्वासी होने के बावजूद, रॉबर्ट अचानक गंभीर मानसिक बिमारी से पीड़ित हो गया और उसने अपनी चार साल की बेटी की जान ले ली l उसे मानसिक रूप से देखभाल करने वाली संस्था में दशकों तक रखा जाएगा, लेकिन टेरी ने उससे मुलाकात की, और ईश्वर ने उसे माफ़ करने में मदद करते हुए एक सुंदर चंगाई का कार्य किया l अत्यधिक हृदय वेदना के बावजूद, उसका एक-दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ता गया l
ऐसा प्रेम और क्षमा केवल एक ही श्रोत से आ सकते हैं l दाऊद परमेश्वर के बारे में इस तरह लिखता है, “उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया . . . उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है”(भजन 103:10,12) l
परमेश्वर हम पर जो करुणा दिखाता है वह उसके व्यापक प्रेम के द्वारा आता है : “जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करुणा[उसका प्यार] उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है”(पद.11) l इतने गहरे प्यार ने उसे हमारे पापों को दूर करने के लिए क्रूस और कब्र की गहराई तक जाने के लिए मजबूर किया ताकि वह उन सभी को अपने पास ला सके जो “उसे ग्रहण [करते हैं]”(यूहन्ना 1:12) l
टेरी सही थी l “परमेश्वर हमारे लिए बहुत अच्छा रहा है!” उसका प्रेम और क्षमा अकल्पनीय सीमाओं से परे तक पहुंचता है और हमें ऐसा जीवन प्रदान करता है जो कभी समाप्त नहीं होता l
जब विश्वास करना देखना है
"मैं जो देख रहा था उस पर विश्वास नहीं कर पा रहा था!" मेरी पत्नी कैरी ने मुझे खिड़की के पास बुलाया और हमारे बाड़े के ठीक बाहर जंगल में एक हिरणी को दिखाया, जो हमारे आँगन के एक छोर से दूसरे छोर तक उछल-कूद कर रही थी। बाड़े के अंदर हमारे बड़े कुत्ते, उसकी गति से ताल-मेल मिला रहे थे, लेकिन वे भौंक नहीं रहे थे। लगभग एक घंटे तक वे आगे-पीछे चलते रहे। जब हिरणी रुकी और उनका सामना किया, कुत्ते भी रुक गए, अपने आगे के पैरों को सीधा किया और पीछे की ओर झुक गए, फिर से दौड़ने के लिए तैयार हो गए। यह शिकारी और शिकार जैसा बर्ताव नहीं लग रहा था; हिरणी और कुत्ते एक-दूसरे की संगति का आनंद लेते हुए एक साथ खेल रहे थे!
कैरी और मेरे लिए, उनकी सुबह की उछल-कूद ने परमेश्वर के आने वाले राज्य की एक तस्वीर प्रदान की। भविष्यवक्ता यशायाह ने उस राज्य के बारे में परमेश्वर के वादे की घोषणा इन शब्दों के साथ की, "देख, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करने पर हूं," (यशायाह 65:17)। वह आगे कहता है कि "भेड़िया और मेम्ना एक साथ चरेंगे, और सिंह बैल के समान भूसा खाएगा" (पद 25)। न कोई शिकारी होगा, न कोई शिकार। सिर्फ दोस्त।
यशायाह के शब्द हमें दिखाते हैं कि परमेश्वर के अनंतकाल के राज्य में जानवर होंगे; वे यह भी इशारा करते हैं कि परमेश्वर अपनी रचना के लिए क्या तैयारी कर रहा है, विशेषकर "उन लोगों के लिए जो उससे प्रेम करते हैं"(1 कुरिन्थियों 2:9)। वह कितनी सुंदर जगह होगी! जब हम विश्वास के साथ उस पर भरोसा करते हैं, परमेश्वर हमारी आँखों को उस वास्तविकता की ओर उठाता है जो आने वाली है: उसकी उपस्थिति में हमेशा की शांति और सुरक्षा!
-जेम्स बैंक्स
दोषी करार दिया गया और स्वतंत्र किया गया
“मैंने यह नहीं किया!” यह एक झूठ था, और मैं इससे लगभग बच ही गया था, जब तक कि परमेश्वर ने मुझे नहीं रोका l जब मैं माध्यमिक स्कूल(middle school) में था, मैं एक प्रदर्शन के दौरान हमारे बैंड के पीछे स्पिटबॉल शूट(spitball shoot) करने वाले समूह का हिस्सा था l हमारे निदेशक एक पूर्व नौसैनिक थे और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध थे, और मैं उनसे डरता था l इसलिए जब अपराध में मेरे साझेदारों ने मुझे फंसाया, तो मैंने इस बारे में उससे झुझ बोला l फिर मैंने अपने पिता से भी झूठ बोला l
लेकिन ईश्वर झूठ को चलने नहीं देने वाला था l उसने मुझे इसके बारे में बहुत ही दोषी विवेक दिया l कई सप्ताहों तक विरोध करने के बाद, मैं मान गया l मैंने ईश्वर और अपने पिता से क्षमा मांगी l थोड़ी देर बाद, मैं अपने निदेशक के घर गया और रोते हुए स्वीकार किया l शुक्र है, वह दयालु और क्षमाशील था l
मैं कभी नहीं भूलूंगा कि उस बोझ का हटाया जाना कितना अच्छा लगा l मैं कई सप्ताहों में पहली बार अपराधबोध के बोझ से मुक्त और आनंदित था l दाऊद अपने जीवन में भी दृढ़ विश्वास और स्वीकारोक्ति के समय का वर्णन करता है l वह परमेश्वर से कहता है, “जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हड्डियाँ पिघल गयीं l क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा l” वह आगे कहता है, “मैंने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया” (भजन संहिता 32:3-5) l
परमेश्वर के लिए सत्यता माने रखती है l वह चाहता है कि हम उसके सामने अपने पापों को स्वीकार करें और उन लोगों के लिए क्षमा भी मांगे जिनके साथ हमने अन्याय किया है l दाऊद घोषणा करता है, “तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया [है]” (पद.5) l परमेश्वर की क्षमा की स्वतंत्रता को जानना कितना अच्छा है!
प्रार्थना के प्रति समर्पित
बुजुर्ग महिला ने कहा, "मैं पचास साल से आपके लिए प्रार्थना कर रही हूं।" मेरे मित्र लोउ ने उसकी आँखों में गहन कृतज्ञता से देखा। वह बल्गेरियाई गाँव का दौरा कर रहा था जहाँ उसके पिता बड़े हुए और किशोरावस्था में चले गए। यीशु में विश्वासी वह महिला उसके दादा-दादी के बगल में रहती थी। जैसे ही उसने लू के जन्म के बारे में सुना, जो एक महाद्वीप दूर था, उसने उसके लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया। अब, आधी सदी से भी अधिक समय के बाद, वह एक व्यापारिक यात्रा पर गाँव का दौरा कर रहे थे, और वहाँ उन्होंने एक समूह से अपने विश्वास के बारे में बात की; लोउलगभग तीस वर्ष की आयु तक यीशु में विश्वासी नहीं बना था, और जब यह महिला उसके बोलने के बाद उसके पास आई, तो उसे आश्चर्य हुआ कि उसकी लगातार प्रार्थनाओं ने उसके विश्वास में आने पर क्या प्रभाव डाला था।
हम स्वर्ग के इस तरफ अपनी प्रार्थनाओं का पूरा प्रभाव कभी नहीं जान पाएंगे। लेकिन पवित्रशास्त्र हमें यह सलाह देता है: "प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो।"" (कुलुस्सियों 4:2)। जब पौलुस ने कुलुस्से के छोटे से शहर में विश्वासियों को ये वचन लिखे, तो उसने स्वयं के लिए भी प्रार्थना करने के लिए कहा ताकि वह जहां भी जाए, परमेश्वर उसके संदेश के लिए " द्वार खोल दे" (पद 3)।
कभी-कभी हम सोच सकते हैं, मेरे पास प्रार्थना का आत्मिक वरदान नहीं है। लेकिन बाइबल में सूचीबद्ध सभी आत्मिक वरदानों में से प्रार्थना उनमें से नहीं है। शायद इसका कारण यह है कि परमेश्वर चाहता है कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति ईमानदारी से प्रार्थना करें, ताकि हम देख सकें कि केवल वह क्या कर सकता है।
उदारतापूर्वक दिया गया एवं साझा किया गया
जब मेरी पत्नी और मैंने अपनी उच्च शिक्षा पूरी की, हम पर बहुत अधिक कर्ज था जिसे हमें कम ब्याज दर के साथ देना ज़रूरी था l हमने स्थानीय बैंक में ऋण के लिए आवेदन किया था लेकिन हमें अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि हम लम्बे समय से उस शहर में नहीं रहे थे या काम नहीं किये थे l कुछ दिनों बाद, जो कुछ मेरे साथ हुआ था मैंने अपने मित्र के साथ साझा किया जो हमारे चर्च में एक वृद्ध व्यक्ति था l “मैं यह बात अपनी पत्नी से कहना चाहूँगा,” उसने कहा l
कुछ घंटो बाद फोन की घंटी बजी l यह मेरा मित्र था : “मेरी पत्नी और मैं आपको व्याज मुक्त, आपकी ज़रूरत का पैसा उधार देना चाहेंगे,” उन्होंने प्रस्ताव रखा l मुझे नहीं पता था कि क्या कहूँ, इसलिए मैंने ने उत्तर दिया, “मैं आपसे यह नहीं मांग सकता l” ”आप नहीं मांग रहे हैं!” मेरे मित्र ने ख़ुशी से उत्तर दिया l उन्होंने सहजता से हमें ऋण दिया, और मैंने और मेरी पत्नी ने जितनी जल्दी हो सकता था उसे वापस कर दिया l
मेरा मानना है कि ये मित्र परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम के कारण उदार थे l जैसा कि पवित्रशास्त्र हमें बताता है, “जो पुरुष अनुग्रह करता और उधार देता है, उसका कल्याण होता है, वह न्याय में अपने मुकदमे को जीतेगा” (भजन 112:5) l जो लोग परमेश्वर पर भरोसा करते हैं उनके पास “भरोसा रखने वाला” और “संभला हुआ” हृदय होता है (पद.7-8), यह समझते हुए कि वह उनके जीवन में हर अच्छी चीज़ का श्रोत है l
परमेश्वर हमारे प्रति उदार रहा है, उसने हमें जीवन और क्षमा दी है l आइये ज़रूरतमंद लोगों के साथ उनके प्यार और हमारे संसाधनों को ससझा करने में उदार बने l
यीशु का अधिकार
हलाकि यीशु ने मेरे बेटे ज्योफ को वर्षों के नशीले द्रव्यों के सेवन से मुक्त कर दिया था, तब भी मुझे चिंताएँ थीं। हमने साथ में बहुत कुछ झेला था और मेरा ध्यान कई बार परमेश्वर ने उसके लिए जो भविष्य में रखा था उसके बजाय उसके कठिन अतीत पर चला जाता। नशे की लत के बच्चों के माता-पिता अक्सर इसकी पुनरावृत्ति के बारे में चिंता करते हैं, और एक दिन एक पारिवारिक समारोह में, मैंने ज्योफ को एक तरफ खींचा। "याद रखना," मैंने उससे कहा, "हमारा एक बैरी है, और वह शक्तिशाली है।" "मुझे पता है, पिताजी," उसने जवाब दिया। "उसके पास शक्ति है, लेकिन उसके पास कोई अधिकार नहीं है।"
उस पल में, मुझे हमें हमारे पापों से बचाने और जब हम उसकी ओर देखते हैं तो हमारे जीवन को बदलने के लिए यीशु के अतुलनीय अधिकार की याद आई। तुरंत ही मैंने उनके स्वर्ग में अपने पिता के पास लौटने से कुछ समय पहले चेलों से कहे गए शब्दों के बारे में सोचा: “स्वर्ग और पृथ्वी पर सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाओ. .” (मत्ती 28:18-19) ।
क्रूसित और जी उठे यीशु ने हमारे लिए एक मार्ग तैयार किया है जिसके द्वारा हम उसके पास आ सकते है बिना अपने अतीत की परवाह किए हुए। वह हमारे अतीत और हमारे भविष्य दोनों को सम्हालता है। क्योंकि उसने हमेशा हमारे साथ रहने का वादा किया है (पद 20), हम आश्वासित रह सकते है कि वह अपने उद्देश्यों को पूरा करेगा और हमारा जीवन उसके अटूट हाथों में है। यीशु हमें अद्वितीय आशा देता है, ऐसी आशा जिसे हम अपने तक ही सीमित नहीं रख सकते। शैतान और संसार के पास थोड़ी देर के लिए कुछ शक्ति हो सकती है, लेकिन "सारा अधिकार" हमेशा के लिए यीशु ही का है।
प्रशंसा की घाटी
कवि विलियम काउपर अपने जीवन के अधिकांश समय अवसाद से जूझते रहे। आत्महत्या के प्रयास के बाद, उन्हें एक अस्पताल में रख दिया गया था। लेकिन वहाँ एक मसीही चिकित्सक की देखभाल के माध्यम से काउपर को यीशु में अपने मन से महत्वपूर्ण विश्वास आया। इसके तुरंत बाद, काउपर पादरी और स्तुति गीत लेखक जॉन न्यूटन से परिचित हो गए, जिन्होंने उन्हें अपने चर्च के लिए एक स्तुति गीत पर सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। काउपर द्वारा लिखे गए स्तुति गीतों में "गॉड मूव्स इन ए मिस्टीरियस वे" था, जिसमें अनुभव की भट्टी से निकले ये शब्द शामिल हैं: "हे भयभीत संतों, साहसी बनो; जिन बादलों से तुम इतना डरते हो, वे दया से बड़े हैं और तुम्हारे सिर पर आशीष के रूप में टूट पड़ेंगे।”
काउपर की तरह, यहूदा के लोगों को भी अप्रत्याशित रूप से परमेश्वर की दया मिली। जैसे ही सेनाओं के एक गठबंधन ने उनके देश पर आक्रमण किया, राजा यहोशापात ने लोगों को प्रार्थना के लिए इकट्ठा किया। जैसे ही यहूदा की सेना आगे बढ़ी, अग्रिम पंक्ति के लोगों ने परमेश्वर की स्तुति की (2 इतिहास 20:21)। हमलावर सेनाओं ने खुद पर हमला कर दिया, और “कोई नहीं… बचा ।… इतनी लूट हुई कि उसे इकट्ठा करने में तीन दिन लग गए” (पद 24-25)।
चौथे दिन, वही स्थान जहां परमेश्वर के लोगों के खिलाफ एक शत्रुतापूर्ण आक्रमणकारी सेना एकत्र हुई थी, उसे बराका की घाटी (पद 26) कहा गया - शाब्दिक रूप से, "प्रशंसा की घाटी" या " आशीष" क्या बदलाव है! परमेश्वर की दया हमारी सबसे कठिन घाटियों को भी प्रशंसा के स्थानों में बदल सकती है जब हम उन्हें उन्हें सौंप देते हैं।
स्वामी या प्रबंधक (अधिकारी) ?
"क्या मैं स्वामी हूं या प्रबंधक?" एक अरबों डॉलर की कंपनी के सी.ई.ओ ने स्वयं से यह सवाल पूछा क्योंकि उन्होंने सोचा कि उनके परिवार के लिए सबसे बेहतर क्या है। बहुत अधिक धन के साथ आने वाले प्रलोभनों के बारे में चिंतित होकर, वह अपने उत्तराधिकारियों पर उस चुनौती का बोझ नहीं डालना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी कंपनी का स्वामित्व(मालिकाना हक़) छोड़ दिया और 100 प्रतिशत वोटिंग स्टॉक (मताधिकार वाले शेयर) एक ट्रस्ट (किसी अन्य व्यक्ति की संपति की देखभाल के लिए, की गई वैधानिक व्यवस्था) में रख दिया। यह मानते हुए कि उनके पास जो कुछ भी है वह परमेश्वर का है, जिन्होंने उनको यह निर्णय लेने में मदद की है, कि उनका परिवार वहाँ काम करके अपनी जीविका कमा सकें और साथ ही भविष्य में मिले मुनाफ़े द्वारा मसीही सेवकाई में भी मदद कर सकें।
भजन संहिता 50:10 में, परमेश्वर अपने लोगों से कहते हैं “वन के सारे जीव-जन्तु और हज़ारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैI” सभी चीज़ों के सृष्टिकर्ता के रूप में, परमेश्वर को हमसे कुछ भी नहीं चाहिए और न ही उन्हें कोई ज़रुरत ही है। वह कहते हैं। “मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशाला से बकरे लूँगा” (पद 9)। वे उदारतापूर्वक वह सब कुछ प्रदान करते है जो हमारे पास है और उनका उपयोग भी करते है, साथ ही जीविका कमाने के लिए शक्ति और क्षमता भी प्रदान करते है। क्योंकि वह करता है, जैसा कि भजन हमें दिखाता है, वह हमारी हार्दिक आराधना के योग्य है। परमेश्वर सभी चीज़ों के स्वामी है लेकिन अपनी भलाई के कारण जब भी कोई उनके पास आता है तब उसके साथ रिश्ते में जुड़ने के लिए परमेश्वर स्वयं को भी समर्पित करने का निर्णय लेते है । “क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।" (मरकुस 10:45) जब हम उपहारों से अधिक महत्व उपहार देने वाले को देते हैं और उन उपहारों से उसकी सेवा करते हैं, तो हम उसमें सदैव आनंदित रह कर धन्य हो जाते हैं।