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Articles by जेनिफ़र बेन्सन शुल्ट्ज

परमेश्वर की बाँहे खुली हैं

मैंने घृणा से अपने सेलफोन (मोबाइल फ़ोन) को देखा और आहें भरी। चिंता ने मेरे माथे पर शिकन डाल दी। एक मित्र और मेरे बीच में हमारे बच्चों को लेकर एक मुद्दे पर गंभीर असहमति थी, और मुझे पता था कि मुझे उसे फोन करने और क्षमा माँगने की ज़रूरत है। मैं ऐसा नहीं करना चाहती थी क्योंकि हमारे दृष्टिकोण अभी भी संघर्ष में थे, इस पर मैं यह भी जानती थी कि पिछली बार जब हमने इस मामले पर चर्चा की थी तो मैं दयालु या विनम्र नहीं थी।

फ़ोन कॉल (करने)का अनुमान लगाते हुए, मैंने सोचा, क्या होगा अगर उसने मुझे माफ़ नहीं किया? क्या होगाI अगर वह हमारी मित्रता को जारी नहीं रखना चाहती है? तभी, एक गीत के बोल मेरे मस्तिष्क में आए और मुझे उस क्षण में वापस ले गए जब मैंने परमेश्वर के सामने एक परिस्तिथि में अपना पाप स्वीकार किया था। मुझे राहत महसूस हुई क्योंकि मैं जानती थी कि परमेश्वर ने मुझे क्षमा कर दिया है और मुझे अपराधबोध से मुक्त कर दिया है।

हम यह नियंत्रित नहीं कर सकते कि जब हम संबंधपरक समस्याओं को हल करने का प्रयास करेंगे तो लोग हमें कैसी प्रतिक्रिया देंगे। जब तक हम अपने हिस्से को स्वीकार करते हैं, विनम्रतापूर्वक क्षमा मांगते हैं, और आवश्यक परिवर्तन करते हैं, हम परमेश्वर के हाथों में बहाली/चंगाई सौंप सकते है। भले ही हमें अनसुलझे "लोगों की समस्याओं" का दर्द सहना पड़े, उसके साथ भी शांति हमेशा संभव है। परमेश्वर की बाहें खुली हुई हैं, और वह हमें वह अनुग्रह और दया दिखाने के लिए प्रतीक्षा कर रहा है जिसकी हमें आवश्यकता है। " यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने ,और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)

सही यीशु

जैसे ही पुस्तक क्लब के नेता ने उस उपन्यास का सारांश दिया जिस पर समूह चर्चा करने वाला था, कमरे का शोर एक आरामदायक चुप्पी में बदल गया। मेरे दोस्त जोन ने ध्यान से सुना लेकिन साजिश को नहीं पहचाना। अंत में, उसने महसूस किया कि उसने एक गैर.फिक्शन (कथायें जो काल्पनिक न हो) किताब पढ़ी थी जिसका शीर्षक अन्य लोगों द्वारा पढ़े गए फिक्शन (काल्पनिक कथा) के काम के समान था। हालाँकि उसे “गलत” किताब पढ़ने में मज़ा आया, लेकिन वह अपने दोस्तों में शामिल नहीं हो सकी क्योंकि उन्होंने “सही” किताब पर चर्चा करी।

प्रेरित पौलुस नहीं चाहता था कि यीशु में कुरिन्थ के विश्वासी एक गलत यीशु पर विश्वास करें। उसने बताया कि झूठे शिक्षक कलीसिया में घुस आये थे और लोगों को एक अलग  यीशु के बारे में बता रहे रहै थे  और उन्होंने उस झूठ को सह लिया था (2 कुरिन्थियों 11:3–4)।

पौलुस ने इन नकली शिक्षकों के विधर्म की निंदा की। हालाँकि, कलीसिया को लिखे अपने पहले पत्र में, उन्होंने पवित्रशास्त्र के यीशु के बारे में सच्चाई की समीक्षा की थी। यही यीशु मसीहा था जो  “हमारे पापों के लिए मरा —तीसरे दिन जी उठा था —और फिर बारहों को दिखाई दिया” और अंत में स्वयं पौलुस को (1 कुरिन्थियों 15:3–8)। यह यीशु मरियम नाम की एक कुँवारी के द्वारा पृथ्वी पर आया था और उसका नाम इम्मानुएल (परमेश्वर हमारे साथ) रखा गया था, ताकि उसकी दिव्य प्रकृति की पुष्टि की जा सके मत्ती (1:20–23)।

क्या यह उस यीशु की तरह लगता है जिसे आप जानते हैं? उसके बारे में बाइबल में लिखे गए सत्य को समझना और स्वीकार करना हमें विश्वास दिलाता है कि हम उस आत्मिक मार्ग पर हैं जो स्वर्ग की ओर ले जाता है।

सामान से छुटकारा

कॉलेज में, मैंने एक सत्र के लिए विलियम शेक्सपियर के लेखन का अध्ययन किया l कक्षा को एक विशाल पाठ्यपुस्तक की आवश्यकता थी जिसमें शेक्सपियर द्वारा लिखी गयी हर चीज़ शामिल हो l किताब का वजन कई पौंड(pound) था, और मुझे इसे उठाकर कई घंटों तक ले जाना पड़ा l उस वजन को इधर-उधर ले जाने से मेरी पीठ में दर्द होने लगा और अंततः मेरे पुस्तक के बैग का बंधन टूट गया!

कुछ चीज़ें हमारे उठाने के लिए बहुत भारी होती हैं l उदाहरण के लिए, अतीत की चोट का भावनात्मक बोझ हमें कड़वाहट और नफरत से दबा सकता है l परन्तु परमेश्वर चाहता है कि हम लोगों को क्षमा करके और, जब संभव हो, उनके साथ मेल-मिलाप करके स्वतंत्रता प्राप्त करें(कुलुस्सियों 3:13) l दर्द जितना गहरा होगा, इसमें उतना ही अधिक समय लग सकता है l वह ठीक है l एसाव को याकूब को उसके पहिलौठे का अधिकार और आशीष को चुराने के लिए माफ़ करने में कई साल लग गए(उत्पत्ति 27:36) l 

जब अंततः दोनों एक हो गए, तो एसाव ने दयालुतापुर्वक अपने भाई को माफ़ कर दिया और “उसको हृदय से [लगाया](33:4) l इससे पहले कि वे दोनों फूट-फूट कर रोने लगे, एक शब्द का भी आदान-प्रदान नहीं हुआ l समय के साथ, एसाव ने उस क्रोध को त्याग दिया जिसके कारण वह हत्या के बारे में सोचने लगा था(27:41) l और उन सभी वर्षों में याकूब को यह देखने का मौक़ा मिला कि उसने अपने भाई को कितना नुकसान पहुँचाया था l सम्पूर्ण पुनर्मिलन के दौरान वह विनम्र और सम्मानजनक था(33:8-11) l 

अंत में, दोनों भाई उस स्थान पर आए जहां किसी को भी एक दूसरे से कुछ भी नहीं चाहिए था(पद.9,15) l यह क्षमा करने और क्षमा किये जाने तथा अतीत के भारी बोझ से मुक्त होकर चले जाने के लिए पर्याप्त था l 

यीशु में बने रहना

आग ने बलसोरा बैपटिस्ट चर्च को जलाकर राख कर दिया। आग कम होने के बाद जैसे ही आपातकालीन कर्मचारी और समुदाय के सदस्य एकत्र हुए, वे हवा में धुएं और राख के बीच एक जले हुए क्रॉस को सीधा खड़ा देखकर आश्चर्यचकित रह गए। एक फायरफाइटर ने कहा की, आग ने "ईमारत को अपनी चपेट में ले लिया, लेकिन क्रॉस को नहीं। [यह एक याद दिलाने की बात है]  इमारत तो बस, एक इमारत है। पर चर्च एक कलीसिया है।

कलीसिया एक इमारत नहीं है, बल्कि मसीह के क्रूस से एकजुट एक समुदाय है - जो मारा गया, गाढ़ा गया, और फिर से जी उठा। जब यीशु पृथ्वी पर थे, तो उन्होंने पतरस से कहा कि वह अपनी कलीसिया बनाएंगे, और कोई उस पर प्रबल नहीं होगा (मत्ती 16:18)। यीशु दुनिया भर से विश्वासियों को एक समूह में इकट्ठा करेंगे जो अंत तक बनें रहेंगे। इस समुदाय को अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ेगा, लेकिन वे अंततः बना रहेगा। परमेश्वर उनमें वास करेगा और उन्हें सम्भालेगा (इफिसियों 2:22)। 

जब हम स्थानीय चर्च स्थापित करने के लिए संघर्ष करते हैं, जहाँ सिर्फ निष्क्रियता और बड़बड़ाना है , जब इमारतें नष्ट हो जाती हैं, या जब हम दुनिया के अन्य हिस्सों में संघर्ष कर रहे विश्वासियों के बारे में चिंतित होते हैं,  तो हम याद रख सकते हैं कि यीशु जीवित हैं, सक्रिय रूप से परमेश्वर के लोगों को बने रहने में सक्षम बना रहे हैं। हम उस चर्च का हिस्सा हैं जिसे वह आज बना रहा है। वह हमारे साथ है और हमारे लिए है। उसका क्रॉस बना हुआ है ।  

हमारी ताकत को नवीनीकृत करना

मेरे घर से कुछ मील दूर एक पेड़ पर चील के एक जोड़े ने एक विशाल घोंसला बनाया। विशाल पक्षियों के पहले से बच्चे थे। उन्होंने मिलकर अपने बच्चों की देखभाल की, लेकिन एक दिन एक वयस्क बाज को एक कार ने टक्कर मार दी और उसकी मौत हो गई। । कई दिनों तक, जीवित बाज पास की नदी में ऊपर-नीचे उड़ता रहा, मानो खोए हुए साथी की तलाश कर रहा हो। अंत में, चील घोंसले में लौट आई और संतान के पालन-पोषण की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। 

किसी भी स्थिति में, एकल पालन-पोषण चुनौतीपूर्ण हो सकता है। एक बच्चा जो खुशी लाता है, वह संभावित आर्थिक और भावनात्मक दबाव के साथ मिलकर बहुत सारे अनुभवों की एक विस्तृत श्रृंखला बना सकता है।  लेकिन उन लोगों के लिए आशा है जिनकी यह महत्वपूर्ण भूमिका है, और उन लोगों के लिए भी जो ऐसी स्थिति का प्रबंधन करने की कोशिश कर रहे हैं जो भारी लगती है। 

जब हम थका हुआ और निराश महसूस करते हैं तो परमेश्वर हमारे साथ होते हैं। क्योंकि वह सामर्थ्यवान है—सर्वशक्तिमान है—और बदलता नहीं है, उसकी शक्ति कभी समाप्त नहीं होगी। हम उस पर भरोसा कर सकते हैं जो बाइबल कहती है: " जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, " (यशायाह 40:31)। हमारी अपनी सीमाओं के विरुद्ध आने से यह निर्धारित नहीं होगा कि हमारे साथ क्या होगा क्योंकि हम अलौकिक रूप से  हमें नया बनाने के  परमेश्वर पर निर्भर रह सकते हैं। उस पर आशा रखने से हमें चलने की अनुमति मिलती है, थकित होने की नहीं, और "उकाब की तरह पंखों पर उड़ने" की अनुमति मिलती है ( पद 31)।

 

झूठ और सच

एडॉल्फ हिटलर का मानना था कि बड़े झूठ छोटे झूठों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं, और दुखद रूप से, उसने अपने सिद्धांत का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में, उसने दावा किया कि वह दूसरों की आकांक्षाओं का समर्थन करने में संतुष्ट हैं। जब वह सत्ता में आया तो उसने कहा कि उसकी पार्टी का इरादा किसी पर अत्याचार करने का नहीं है। बाद में, उसने मीडिया का उपयोग खुद को एक पिता तुल्य और नैतिक नेता के रूप में चित्रित करने के लिए किया।

शैतान हमारे जीवन में शक्ति प्राप्त करने के लिए झूठ का उपयोग करता है। जब भी संभव हो, वह भय, क्रोध और निराशा को उत्तेजित करता है क्योंकि वह "झूठा और झूठ का पिता" है (यूहन्ना 8:44)। शैतान सच नहीं बोल सकता क्योंकि, जैसा कि यीशु ने कहा, उसके अंदर कोई सच्चाई नहीं है।

यह दुश्मन के कुछ झूठ हैं- सबसे पहले, हमारी प्रार्थनाएँ मायने नहीं रखतीं। नहीं! वे मायने रखती हैं। बाइबल कहती है, "धर्मी व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावी होती है" (याकूब 5:16)। दूसरा, जब हम मुसीबत में होते हैं तो कोई रास्ता नहीं बचता। फिर से गलत। "परमेश्वर से सब कुछ संभव है" (मरकुस 10:27), और "वह इससे निकलने का मार्ग भी देगा" (1 कुरिन्थियों 10:13)। तीसरा, परमेश्वर हमसे प्रेम नहीं करता। यह झूठ है। मसीह यीशु के द्वारा परमेश्वर के प्रेम से कोई भी चीज़ हमें "अलग" नहीं कर सकती (रोमियों 8:38-39)।

परमेश्वर का सत्य झूठ से अधिक शक्तिशाली है। यदि हम यीशु की शिक्षा को उसकी सामर्थ में मानते हैं, तो हम "सत्य को जान लेंगे", जो झूठ है उसे अस्वीकार करेंगे, और "सत्य हमें स्वतंत्र कर देगा" (यूहन्ना 8:31-32)।

 

यीशु में एक साथ सेवा करना

बचावकर्मियों ने माइक्रोनेशिया के एक द्वीप पर फंसे दो लोगों की मदद के लिए सहायता करी। टीम वर्क आवश्यक था क्योंकि व्यापक स्वास्थ्य संकट के कारण उन्हें एक-दूसरे के संपर्क में आने को सीमित करना पड़ा। जिस पायलट ने सबसे पहले मारे गए लोगों को देखा, उसने पास के ऑस्ट्रेलियाई नौसेना जहाज को रेडियो पर सूचना दी। जहाज ने दो हेलीकॉप्टर भेजे जिन्होंने भोजन, पानी और चिकित्सा देखभाल प्रदान की। बाद में, यूएस कोस्ट गार्ड उन लोगों की जांच करने और रेडियो देने के लिए पहुंचे। अंत में, एक माइक्रोनेशियन गश्ती नाव ने उन्हें उनके गंतव्य तक पहुँचाया।

जब हम साथ मिलकर काम करेंगे तो हम बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। फिलिप्पी के विश्वासियों ने प्रेरित पौलुस का समर्थन करने के लिए अपने प्रयासों को एकजुट किया। लुदिया और उसके परिवार ने उसका अपने घर में स्वागत किया (प्रेरितों 16:13-15)। क्लेमंस और यहां तक कि यूओदिया और सुन्तुखे (जिनकी आपस में नहीं बनती थी) सभी ने खुशखबरी फैलाने के लिए सीधे तौर पर प्रेरित के साथ काम किया (फिलिप्पियों 4:2-3)। बाद में, जब पौलुस को रोम में कैद कर लिया गया, तो चर्च ने एक देखभाल के लिए आवश्यक चीजें एकत्र कीं और इसे इपफ्रुदीतुस (पद 14-18) के माध्यम से वितरित किया। शायद सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फिलिप्पियों ने उसके पूरे प्रचार कार्यों के दौरान उसके लिए प्रार्थना की (1:19)। 

इस प्राचीन चर्च में एक साथ सेवा करने वाले विश्वासियों के उदाहरण आज हमें प्रेरित कर सकते हैं। प्रार्थना करने और दूसरों की सेवा करने में साथी विश्वासियों के साथ सहयोग करना, जैसा कि परमेश्वर हमें आगे बढ़ाता है और सशक्त बनाता है, उससे कहीं अधिक हासिल करता है जितना हम अपने दम पर कभी नहीं कर सकते। कहा गया है, ''व्यक्तिगत रूप से, हम एक बूंद हैं। हम सब मिलकर एक महासागर हैं।”

 

मसीह के लिए उत्साह साझा करना

पहली बार जब हम अपने पड़ोसी हेनरी से मिले, तो उसने अपने  बैग से बाइबल निकाली जो बहुत ज्यादा इस्तेमाल किये जाने के कारण पुरानी हो गई थी। आँखों में चमक के साथ उन्होंने पूछा कि क्या हम पवित्रशास्त्र पर चर्चा करना चाहेंगे। हमने सहमती प्रकट की, और उसने कुछ निशान लगाये हुये हिस्सों के पन्ने पलटे। उसने हमें अपने अवलोकनों (विचारों) से भरी एक नोटबुक दिखाई और कहा कि उसने अन्य संबंधित जानकारी से भरी एक कंप्यूटर प्रस्तुति (presentation) भी बनाई है।

हेनरी ने हमें बताया कि कैसे वह एक कठिन पारिवारिक स्थिति से आया था और फिर, अकेले और सबसे खराब स्थिति में, उसने यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान को अपने विश्वास की नींव के रूप में स्वीकार किया (प्रेरितों के काम 4:12)। उसका जीवन बदल गया था क्योंकि पवित्र आत्मा ने उसे बाइबल के सिद्धांतों का पालन करने में मदद की थी। हालाँकि हेनरी ने वर्षों पहले अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित कर दिया था, उसका उत्साह अभी भी ताज़ा और शक्तिशाली था।

हेनरी के उत्साह ने मेरे आत्मिक जुनून पर विचार करने के लिए  मुझे प्रेरित किया— मुझे, एक ऐसे इन्सान को, जो कई वर्षों तक यीशु के साथ चली। प्रेरित पौलुस ने लिखा: "आत्मिक उन्माद में भरे रहो; प्रभु की सेवा करते रहो I" (रोमियों 12:11)। यह एक कठिन आदेश की तरह लगता है, जब तक कि मैं पवित्रशास्त्र को ऐसे दृष्टिकोण को विकसित करने की अनुमति नहीं देता जो निरंतर यीशु के प्रति मेरी कृतज्ञता को दर्शाता है जो उसने मेरे लिए किया है । 

जीवन में हमारे द्वारा अनुभव किए जाने वाले भावनात्मक उतार-चढ़ाव के विपरीत, मसीह के लिए उत्साह उसके साथ निरंतर बढ़ते रिश्ते से आता है। जितना अधिक हम उसके बारे में सीखते हैं, वह उतना ही अधिक मूल्यवान होता जाता है और उतनी ही अधिक उसकी भलाई हमारी आत्माओं में भर जाती है और संसार में फैल जाती है।

असाधारण विनम्रता

एक गेम के बाद, एक कॉलेज का प्रमुख बास्केटबॉल खिलाड़ी श्रमिकों को खाली कप और खाद्य रैपर बाहर फेंकने में सहायता करने के लिए रुका l एक प्रशंसक द्वारा उसके एक्शन के वीडियो पोस्ट को अस्सी हज़ार से अधिक लोगों ने देखा l एक व्यक्ति ने टिप्पणी की, “[युवक] उन सबसे विनम्र लोगों में से एक है जिनसे आप अपने जीवन में कभी मिले होंगे l” बास्केटबॉल खिलाड़ी के लिए साथियों के साथ जीत का जश्न मनाना आसान होता l इसके बजाय, उसने स्वेच्छा से लाभ रहित कार्य किया l  

विनम्रता की सर्वोत्तम भावना यीशु में देखी जाती है, जिसने पृथ्वी पर एक सेवक की भूमिका निभाने के लिए स्वर्ग में अपना उच्च पद छोड़ दिया (फिलिप्पियों  2:7) l यीशु को ऐसा करने की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन उसने स्वेच्छा से स्वयं को दीन किया l पृथ्वी पर उसकी सेवा में सभी लोगों को शिक्षा देना, चंगाई देना, और सभी लोगों को प्यार करना—और उनको बचाने के लिए मरना और जी उठाना शामिल था l 

हालाँकि मसीह का उदाहरण हमें फर्श साफ़ करने, हथौड़ा उठाने या भोजन पकाने के लिए प्रेरित कर सकता है, लेकिन यह तब सबसे शक्तिशाली हो सकता है जब यह दूसरों के प्रति हमारे दृष्टिकोण में अपना रास्ता खोज लेता है l सच्ची विनम्रता एक आंतरिक गुण है जो न केवल हमारे कार्यों को बदलता है बल्कि हमारे लिए जो ज़रूरी है उसे भी बदलता है l यह हमें “दूसरे को अपने से अच्छा [समझने] के लिए भी प्रेरित करता है” (पद.3) l 

लेखक और उपदेशक एंड्रू मुरे ने कहा, “विनम्रता पवित्रता का खिलना और सुन्दरता है l” हमारा जीवन इस सुन्दरता को प्रतिबिंबित करे जैसे, उसकी आत्मा की शक्ति के द्वारा, हम मसीह के हृदय को प्रतिबिंबित करते हैं (पद.2-5) l