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Articles by जॉन ब्लैस

यीशु के समान प्रेम करना

सभी उससे प्यार करते थे—ये शब्द कैस्निगो(Casnigo), इटली के डॉन जिसेपी बेरार्डेली(Don Guiseppe Berardelli) का वर्णन करने के लिए उपयोग किये गए थे l डॉन एक प्रिय व्यक्ति था जो एक पुरानी मोटरसाइकिल पर शहर में घूमकर हमेशा इस अभिवादन के साथ आगे बढ़ता था : “शांति और भलाई l” उसने दूसरों की अथक भलाई की l लेकिन जीवन के अंतिम वर्षों में, उनकी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ कोरोनोवायरस के संक्रमण से और भी बदतर हो गयीं; जवाब में, उनके समुदाय ने उनके लिए एक श्वासयंत्र(respirator) खरीदा l लेकिन उनकी हालत गंभीर होने पर, उन्होंने श्वास उपकरण लेने के बजाय इसे एक जरूरतमंद युवा रोगी के लिए उपलब्ध कराने का फैसला किया l इससे किसी को भी आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि यह केवल उनके चरित्र में एक ऐसे व्यक्ति के लिए था जिसे दूसरों से प्यार करने के लिए प्यार किया जाता था और उनकी प्रशंसा की जाती थी l

प्रेम करने के कारण प्यार किया जाना, यही वह सन्देश है जो प्रेरित यूहन्ना अपने पूरे सुसमाचार में सुनाता रहता है l प्यार किया जाना और दूसरों से प्यार करना प्रार्थनालय की घंटी की तरह है जो मौसम की परवाह किए बिना रात-दिन बजती रहती है l और यूहन्ना 15 में, वे कुछ हद तक चरम सीमा तक पहुँचते हैं, क्योंकि यूहन्ना स्पष्ट करता है कि सभी के द्वारा प्रेम किया जाना नहीं लेकिन सबसे प्रेम करना ही सबसे बड़ा प्रेम है : “अपने मित्रों के लिए अपना प्राण देना” (पद.13) l 

त्यागमय प्रेम के मानवीय उदाहरण हमें सदैव प्रेरित करते हैं l फिर भी वे परमेश्वर के महान प्रेम की तुलना में फीके हैं l लेकिन उस चुनौती से न चूकें जो वह लाती है, क्योंकि यीशु आज्ञा देता है : “जैसा मैं में तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो” (पद.12) l हाँ, सबसे प्यार करो l 

परमेश्वर को पुकारना

डॉ. रसेल मूर ने अपनी पुस्तक एडॉप्टेड फॉर लाइफ में एक बच्चे को गोद लेने के लिए अपने परिवार की अनाथालय यात्रा का वर्णन किया है। जैसे ही वे नर्सरी में दाखिल हुए, सन्नाटा चौंका देने वाला था। पालने में रहने वाले बच्चे कभी नहीं रोते थे, और ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि उन्हें कभी किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं होती थी, बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने सीख लिया था कि कोई भी इतनी परवाह नहीं करता कि उनके रोने का जवाब दे।

उन शब्दों को पढ़कर मेरा दिल दुख गया। मुझे अनगिनत रातें याद हैं जब हमारे बच्चे छोटे थे। मैं और मेरी पत्नी गहरी नींद मेंसोये होते थे तभी उनके रोने की आवाज से हमारी  नींद खुल जाती: "पिताजी, मैं बीमार हूँ!" या "माँ, मुझे डर लग रहा है!" हममें से कोई तुरंत उठता और उन्हें आराम देने और उनकी देखभाल करने की पूरी कोशिश करने के लिए उनके शयनकक्ष में जाता था। अपने बच्चों के प्रति हमारे प्यार ने उन्हें हमारी मदद के लिए पुकारने का कारण दिया।

भजनों की एक बड़ी संख्या परमेश्वर के लिए पुकार या विलाप है। इस्राएल  उनके साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर अपना विलाप उनके पास लाये । ये वे लोग थे जिन्हें परमेश्वर ने अपना "पहिलौठा (जेठा) " कहा था (निर्गमन 4:22) और वे अपने पिता से परिस्थिति के अनुसार कार्य करने के लिए कह रहे थे। भजनसंहिता 25 में ऐसा ईमानदार विश्वास देखा जाता है:“ हे यहोवा मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर; क्योंकि मैं अकेला और दीन हूं।” (पद 16-17)। जो बच्चे देखभाल करने वाले के प्यार के प्रति आश्वस्त होते हैं वे रोते हैं। यीशु में विश्वासियों के रूप में—परमेश्वर की संतानहोने के नाते  —उसने हमें उसे पुकारने का कारण दिया है। वह अपने महान प्रेम के कारण सुनता है और परवाह करता है।

कितना अच्छा मित्र

मेरे पुराने मित्र और मेरी मुलाकात हुए कुछ वर्ष बीत गए थे l उस समय के दौरान, उसने कैंसर निदान प्राप्त कर उपचार आरम्भ किया l उनके राज्य की एक अनपेक्षित यात्रा ने मुझे उनसे पुनः मिलने का अवसर दिया l मैं रेस्टोरेंट में गया, और हम दोनों रोने लगे l बहुत समय बीत गया था जब हम एक ही कमरे में रहा करते थे, और अब मौत कोने में छिपी हुयी हमें जीवन की संक्षिप्तता याद दिला रही थी l रोमांच और हंसी खेल और खिलखिलाहट और हानि—और अत्यधिक प्यार से भरी लम्बी मित्रता से हमारी आँखों में आँसू छलक पड़े l

यीशु भी रोया l यूहन्ना का सुसमाचार उस पल को अंकित करता है, जब यहूदियों ने कहा, “हे प्रभु, चलकर देख ले” (11:34), और यीशु अपने अच्छे मित्र लाजर की कब्र के सामने खड़ा था l फिर हम उन दो शब्दों को पढ़ते हैं जो हम पर उन गहराइयों को प्रकट करते हैं जिनसे मसीह हमारी मानवता को साझा करता है : “यीशु रोया” (पद. 35) l क्या उस क्षण में बहुत कुछ चल रहा था, जो यूहन्ना ने लिखा  और नहीं लिखा? हाँ l यद्यपि मेरा यह भी मानना है कि यीशु के प्रति यहूदियों की प्रतिक्रिया बता रहा है : “देखो, वह उससे कितना प्रेम रखता था!” (पद. 36) l वह रेखा हमारे लिए उस मित्र को रोकने और उसकी उपासना करने के लिए पर्याप्त आधार से अधिक है जो हमारी हर कमजोरी को जानता है l यीशु मांस और लहू और आँसू था l यीशु उद्धारकर्ता है जो प्यार करता है और समझता है l

हमारा शरणस्थान

उत्तरी अमेरिका में एक जगह जहाँ भैंस घूमते थे।  वास्तव में शुरुआत में यही था। मैदानों में भारतीयों ने जंगली भैसों का पीछा किया जब तक बाहरी लोग अपने झुण्ड और फसलों के साथ उस में प्रवेश न किये। बाद में द्वितीय विश्व युद्ध में पर्ल हार्बर के बाद वह भूमि रसायनिक उत्पादन के रूप में उपयोग किया गया, और फिर बाद में शीत युद्ध(cold war), हथियार ग़ैरफ़ौजीकरण के लिए भी। लेकिन एक दिन गंजे चिल का बसेरा वहां पाया गया, और जल्द ही वह रॉकी माउंटेन आर्सेनल नेशनल वाइल्डलाइफ रिफ्यूज  का जन्म हुआ—डेनवर, कोलोराडो के महानगर के किनारों पर प्रेयरी, आर्द्रभूमि, और वुडलैंड निवास स्थान जो  पंद्रह-हज़ार एकड़ में फैला हुआ है । यह अब देश का सबसे बड़े शहरी शरणस्थलों या सैंक्चुअरी में से एक है--जानवरों के तीन सौ से अधिक प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित, संरक्षित घर, काले पैर वाले फेरेट्स से लेकर बिल खोदने वाला उल्लू से लेकर गंजा चील, और आपने यह अनुमान लगा लिया: घूमने वाला भैंस।

भजनकार हमें कहता है की “परमेश्वर हमारा शरणस्थान है” (62:8)। पार्थविक शरणस्थान के जगह से कहीं अधिक महान परमेश्वर हमारा सच्चा पवित्रस्थान, एक सुरक्षित, संरक्षित उपस्थिति है जिसमें हम “जीवित रहते, और चलते-फिरते,और स्थिर रहते हैं;” (प्रेरितों 17:28)। और वह हमारा शरणस्थान है जिस पर हम “हर समय” भरोसा रख सकते हैं (भजन 62:8)। और वह हमारा पवित्रस्थान जहां हम हिम्मत के साथ अपनी सारी प्रार्थनाएं ला सकते, मन की बातों को उंडेल सकते हैं।  

परमेश्वर हमारा शरणस्थान है यह वही है जो वह आदि में थे, जो अब है, और जो हमेशा रहेंगे।

संपर्क में रहना

मेडेलीन ल'एंगल ने अपनी मां को सप्ताह में एक बार फोन करने की आदत बना ली थी। जैसे-जैसे उसकी माँ बुढी होती चली गई, तब प्रिय आध्यात्मिक लेखीका ने अधिक बार फोन किया, "सिर्फ संपर्क में रहने के लिए।" उसी तरह, मेडेलीन को लगा कि उसके बच्चे कॉल करें और उस संबंध को बनाए रखें। कभी-कभी यह महत्वपूर्ण सवालों और जवाबों से भरी लंबी बातचीत होती थी। दूसरी बार कॉल केवल यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त थी कि संख्या अभी भी वैध थी। जैसा कि उसने अपनी पुस्तक वॉकिंग ऑन वॉटर में लिखा है, “बच्चों के संपर्क में रहना अच्छा है। हम सभी बच्चों के लिए यह अच्छा है कि हम अपने पिता के संपर्क में रहें।”

हम में से अधिकांश मत्ती 6:9-13 में प्रभु की प्रार्थना से परिचित हैं। लेकिन इसके पहले के वचन उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने कि वे आने वाले के लिए लहजा सेट करते हैं। हमारी प्रार्थना दिखावटी नहीं होनी चाहिए, "दूसरों को दिखाई देनी के लिए" (पद. 5)। और जबकि हमारी प्रार्थनाओं को कितने भी समय तक करने की कोई सीमा नहीं है, "बहुत से शब्द" (पद. 7) स्वचालित रूप से गुणवत्तापूर्ण प्रार्थना के बराबर नहीं होते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जोर हमारे पिता के साथ नियमित संपर्क बनाए रखने पर है जो "उससे [हम] मांगने से पहले" हमारी आवश्यकता को जानते हैं (पद. 8)। यीशु ज़ोर देकर कहते हैं कि अपने पिता के संपर्क में रहना हमारे लिए कितना अच्छा है। फिर हमें निर्देश देता है: "इस प्रकार प्रार्थना करना चाहिए" (पद. 9)।

प्रार्थना एक अच्छा, महत्वपूर्ण विकल्प है क्योंकि यह हमें हम सभी के ईश्वर और पिता के संपर्क में रखता है।

परमेश्वर का पक्का पीछा

कुछ वर्ष पहले, एक व्यक्ति मुझसे लगभग एक ब्लॉक आगे चल रहा था। मैं स्पष्ट रूप से देख सकता था कि उसकी बाहें सामान से भरी थीं। अचानक, वह सब कुछ गिराते हुए फिसल गया। कुछ लोगों ने, जो उसने गिराया उसे इकट्ठा करने, और उसे उसके पैरों पर खड़े होने में उसकी मदद की, लेकिन उन लोगों से कुछ रह गया —उसका बटुआ। मैंने उसे उठाया और, उस महत्वपूर्ण चीज को लौटाने की आशा करते हुए उस अजनबी का पीछा करने लगा। मैं चिल्लाया “सर, सर!” और अंत में उसका ध्यान खींचा। जैसे ही मैं उसके पास पहुँचा वह मुड़ा। जैसे ही मैंने बटुआ निकाला, मैं उसके आश्चर्यजनक राहत और अपार कृतज्ञता के उसके रूप को कभी नहीं भूलूंगा। 

उस व्यक्ति का पीछा करना जिस रूप में शुरु हुआ था वह आगे कुछ अलग ही रूप में बदल गया। अधिकांश अंग्रेजी अनुवाद भजन 23 के अंतिम पद में साथ बनी रहेंगी शब्द का उपयोग्य करते है-“ निश्‍चय भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी;” (6)। और जबकि “साथ बनी रहेंगी” सही बैठता है, वास्तविक इब्रानी शब्द अधिक शक्तिशाली, आक्रामक भी है। इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है “पीछा करना”, जिस तरह एक शिकारी अपने शिकार का पीछा करता है (एक भेड़िया को भेड़ का पीछा करते हुए कल्पना करें)। 

परमेश्वर की कृपा और भलाई हमारा पीछा किसी ढीली गति या इस तरह कि वास्तव में कोई जल्दी न हो नहीं करती, जैसे एक पालतू जानवर इत्मीनान से घर तक आपका पीछा कर सकता है। नहीं, "निश्चित रूप से" हमारा पीछा किया जा रहा है - उदेश्य के साथ। बहुत हद तक इस तरह कि एक व्यक्ति को उसका बटुआ लौटाने के लिए उसका पीछा करना, हमारा पीछा भी उस अच्छे चरवाहे के द्वारा किया जा रहा है जो हमसे अनंत प्रेम से प्रेम करते है (1,6)।

विचार और प्रार्थनाएँ

“आप मेरे विचारों और प्रार्थनाओं में रहेंगे l” यदि आप इन शब्दों को सुनते हैं, आप जानने के लिए उत्सुक होंगे कि क्या वास्तव में वह व्यक्ति ऐसा मानता है l लेकिन आपको कभी भी संदेह नहीं होता जब यह बात एड्ना डेविस ने कही होती l हर एक व्यक्ति उस छोटे, एक यातायात बत्ती(one stoplight) शहर में “मिस. एड्ना”’ के येलो लीगल  पैड (yellow legal pad) पर —पृष्ठ दर पृष्ठ, नामों की एक लम्बी पंक्तिबद्ध सूची के विषय में जानता था l हर सुबह उस वृद्ध स्त्री ने ऊंची आवाज़ में परमेश्वर से प्रार्थना की l उसकी सूची में सभी को उनकी प्रार्थना का उत्तर नहीं मिला जो वे चाहते थे, लेकिन लोगों ने उनके अंतिम संस्कार में यह साक्षी दी कि उनके जीवन में कुछ अलौकिक घटा थाI, और उन्होंने इसका श्रेय मिस.एड्ना की पूरी लगन से की गयी प्रार्थनाओं को दिया l 

परमेश्वर ने प्रार्थना की सामर्थ्य को पतरस के बंदीगृह के अनुभव में दर्शाया l हेरोदेस के आदमियों द्वारा प्रेरित को पकड़ लिए जाने, बंदीगृह में डाल दिए जाने और उसके बाद “चार-चार सिपाहियों के चार पहरों में” रखने के बाद  (प्रेरितों 12:4), उसकी आशा निराशाजनक दिखाई दी l लेकिन “कलीसिया उसके लिए लौ लगाकर परमेश्वर से प्रार्थना कर रही थी” (पद.5) l उनके विचार और प्रार्थना में पतरस था l परमेश्वर ने जो किया वह आश्चर्यजनक था! बंदीगृह में पतरस के सामने एक स्वर्गदूत आया, उसे जंजीरों से स्वतंत्र किया, और उसे सुरक्षित रूप से बंदीगृह के फाटक से बाहर निकला (पद.7-10) l 

यह संभव है कि कुछ लोग “विचार और प्रार्थनाओं” का वास्तव में अर्थ के बिना उपयोग कर सकते हैं l लेकिन हमारा पिता हमारे विचारों को जानता है, हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है, और अपने सिद्ध इच्छा के अनुसार हमारे पक्ष में कार्य करता है l आपके लिए प्रार्थना की जाए और आपका दूसरों के लिए प्रार्थना करें, कोई छोटी बात नहीं है जब हम महान और शक्तिशाली परमेश्वर की सेवा करते हैं l 

फल देखो

एक लोकप्रिय रियल्टी  शो में, चार सेलिब्रिटी जजों का एक पैनल एक ही व्यक्ति होने का दावा करने वाले तीन व्यक्तियों से सवाल पूछता है। बेशक, दो धोखेबाज हैं, लेकिन वास्तविक व्यक्ति को पहचानना पैनल पर निर्भर है । अभिनेताओं को पता चला कि अच्छे सवाल पूछने पर भी यह पता लगाना कितना मुश्किल था कि कौन है। धोखेबाजों ने सच को बरगलाया, जो टेलीविजन को मनोरंजक बना दिया ।

जब “झूठे शिक्षक” की बात आती है तो इन्हें पता लगाना टेलीविजन गेम शो से बहुत अलग है, लेकिन यह उतना ही चुनौतीपूर्ण हो सकता है और असीम रूप से अधिक महत्वपूर्ण हैं। “फाड़नेवाले भेड़िए” अक्सर हमारे पास “भेड़ों के भेस” में आते हैं, और यीशु बुद्धिमानों को भी चेतावनी देते हैं  कि “सावधान रहें” (मत्ती 7:15)। सबसे अच्छी परीक्षा अच्छे सवालों से नहीं, बल्कि अच्छी आंखें से होती है। उनके फल को देखो, क्योंकि तुम उन्हें कैसे पहचानोगे (पद 16-20)। 

पवित्र शास्त्र हमें अच्छे और बुरे फल देखने में सहायता करता है। अच्छे फल "प्रेम, आनन्द, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम” के रूप में दिखते हैं  (गलातियों 5:22-23)। हमें गौर करके ध्यान देना है, क्योंकि भेड़िये धोखे से खेलते हैं। लेकिन विश्वासियों के रूप में, “अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण” (यूहन्ना 1:14) हम सच्चे अच्छे चरवाहे की सेवा करते हैं।

हमें यीशु की मदद चाहिए

सुनील मजाकिया, स्मार्ट और लोकप्रिय था। लेकिन गुप्त रूप से वह डिप्रेशन से जूझ रहा था। पंद्रह साल की उम्र में उसके आत्महत्या करने के बाद, उसकी माँ प्रतिभा ने उसके बारे में कहा, "यह समझना मुश्किल है कि कोई व्यक्ति जिसके लिए इतना कुछ हो रहा था वह उस मुकाम पर कैसे आगया। सुनील . . आत्महत्या से अछूता नहीं था। "एकांत के कुछ ऐसे क्षण होते थे जब प्रतिभा अपना दुःख परमेश्वर के सामने उँड़ेलती थी। वह कहती है कि आत्महत्या के बाद का गहरा दुख "दुख का एक अलग स्तर" है। फिर भी उसने और उसके परिवार ने सामर्थ के लिए परमेश्वर और दूसरों पर निर्भर रहना सीख लिया था, और अब वें ऐसे लोगों से प्रेम करने में अपना समय उपयोग करते है जो अवसाद से जूझ रहे हैं।

प्रतिभा का सिद्धांत अब "प्रेम और निर्भरता" बन गया था। यह विचार पुराने नियम की रूत की कहानी में भी देखा जाता है। नाओमी ने अपने पति और दो पुत्रों को खो दिया—एक जिसका विवाह रूत से हुआ था (रूत १:३-५)। नाओमी, कटु  और उदासी से भरी, रूत से अपनी माँ के परिवार में लौटने का आग्रह किया जहाँ उसकी देखभाल की जा सकती थी। रूत, हालांकि दुख में थी, पर अपनी सास से "चिपकी रही" और उसके साथ रहने और उसकी देखभाल करने के लिए प्रतिबद्ध थी (वव. १४-१७)। वे नाओमी की मातृभूमि बेतलेहेम लौट आए, जहाँ रूत एक परदेशी थी। परन्तु प्रेम और निर्भरता के लिए उनके पास एक दूसरे का साथ था, और परमेश्वर ने उनके लिए प्रयोजन किया (२:११-१२)।

हमारे दुःख के समय में, परमेश्वर का प्रेम स्थिर रहता है। वह हमेशा हमारे पास है की हम उस पर निर्भर रह सके जैसे हम भी उसकी सामर्थ द्वारा दूसरों पर निर्भर रहते और उनसे प्रेम करते हैं।