Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by करेन पिम्पो

जीवन देने वाला सुधार

श्रेया ने कहा, "दुर्भाग्य से, हमने हाल ही में बहुत कठिन बातचीत की थी।" "मुझे नहीं लगता कि हम दोनों में से किसी ने इसका आनंद लिया होगा, लेकिन मुझे वास्तव में लगा की उसके रवैये और कार्यों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि उसके आसपास के लोगों को चोट न पहुंचे।" श्रेया उस युवती के बारे में बात कर रही थी जिसकी वह एक सलहाकार है। हालांकि असुविधाजनक थी, पर उनकी बातचीत फलदायी रही और वास्तव में उनके रिश्ते को मजबूत किया। कुछ ही हफ्तों बाद, दोनों महिलाओं ने नम्रता के विषय पर साथ में एक चर्च-व्यापी प्रार्थना समय का नेतृत्व किया।

औपचारिक परामर्श संबंध के बाहर भी, हम मसीह में एक भाई या बहन के साथ कुछ कठिन बातचीत का सामना कर सकते है। नीतिवचन में, जो कालातीत ज्ञान से भरी पुस्तक है, सुधार देने और प्राप्त करने में नम्रता के  महत्व के विषय को दोहराती है। वास्तव में, रचनात्मक आलोचना को "जीवन देने वाला" कहा जाता है और यह सच्चे ज्ञान  की ओर ले जाता है (नीतिवचन १५:३१)। नीतिवचन १५:५ कहता है कि मूर्ख अनुशासन को ठुकराता है, परन्तु जो डाँट को मानता है, वह चतुर हो जाता है। स्पष्ट रूप से कहें, "जो सुधार से बैर रखता है, वह मर जाता है" (पद १०)। जैसा कि श्रेया ने देखा, प्रेम में बोला गया सच एक रिश्ते में नई जान ला सकता है।

क्या आपके जीवन में कोई है जिससे प्रेमपूर्ण, जीवनदायिनी सुधार की बात कही जानी चाहिए ? या हो सकता है कि आपको हाल ही में बुद्धिमान फटकार दी गई हो और आप क्रोध या उदासीनता के साथ जवाब देने की परीक्षा में पड़े हो। अनुशासन की अवहेलना करना स्वयं का तिरस्कार करना है, परन्तु जो डाँट को सुनता है, वह बुद्धि प्राप्त करता है (पद ३२)। आइए हम परमेश्वर से प्रार्थना करें की वह आज हमारी नम्रता के साथ सुधार देने और प्राप्त करने में सहायता करे।

एक जीवित दस्तावेज़

अपने दादा के कार्य को यादगार बनाते हुए, पीटर क्रोफ्ट ने लिखा, “उस व्यक्ति के लिए जो अपनी बाइबल उठाते हैं, मेरी गहरी इच्छा है कि, कोई भी संस्करण जो वे उपयोग करते हैं, केवल समझें नहीं लेकिन पवित्रशास्त्र को एक जीवित दस्तावेज़ के रूप में अनुभव करें, वर्तमान में प्रासंगिक, खतरनाक, और उत्तेजक जैसे वह हज़ारों वर्ष पहले था l” पीटर के दादा जे.बी. फिलिप्स थे, एक युवा सेवक जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने चर्च में विद्यार्थियों के लिए बाइबल को जीवित बनाने के लिए अंग्रेजी में उसकी एक नई व्याख्या(paraphrase) की l 

फिलिप्स के विद्यार्थियों के समान, हम भी पवित्रशास्त्र को पढ़ने एवं अनुभव करने में बाधाओं का सामना करते हैं, और ज़रूरी नहीं कि अपने बाइबल अनुवाद के कारण l हम समय, अनुशासन, या समझने के लिए सही साधन की कमी महसूस कर सकते हैं l लेकिन भजन 1 हमसे कहता है कि क्या ही धन्य है वह . . . जो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता [है]” (पद.1-2) l पवित्रशास्त्र पर दैनिक चिंतन हमें सभी समय “यशस्वी” करता है, चाहे हम जिस भी कठिनाई का सामना कर रहें हों l 

आप अपनी बाइबल को किस तरह देखते हैं? यह आज भी अंतर्दृष्टि के साथ जीने के लिए प्रासंगिक है, यीशु पर विश्वास करने और उसका अनुसरण करने की अपनी बुलाहट में अभी भी खतरनाक है, परमेश्वर और मानवता के अन्तरंग ज्ञान में जो वह प्रदान करता है अभी भी उत्तेजक है l यह बहती हुई  नालियों की तरह है (पद.3) जो हमें आवश्यक दैनिक पोषण देता है l आज, हम उसकी ओर झुकें──समय निकालें, सही साधन ढूंढें, और परमेश्वर से पवित्रशास्त्र को एक जीवित दस्तावेज की तरह अनुभव करने में परमेश्वर से मदद मांगें l 

यीशु के साथ चलना

पहाड़ों पर पैदल चलनेवाले बिना चर्बी की भोजन  आपूर्ति, जलरोधक जूते, और एक नक्शा, जैसे आवश्यक सामन हैं जो वे लेकर चलते हैं l यह लम्बी पैदल यात्रा मार्ग में संकरी खाड़ी, आसपास की झील और जंगल, और ऊपर पहाड़ों पर, हज़ारों फीट की ऊंचाई पार करना शामिल होता है l इसलिए कि पहाड़ की ऊंचाई के कारण पहाड़ पर तिरछे चढ़ने में कई सप्ताह लग सकते हैं, सही मात्रा में आपूर्ति लेकर चलना जोखिम का काम है l बहुत अधिक आपूर्ति लेकर चलने से आप इसे लेकर चलने में थक जाएंगे; बहुत कम लेकर चलेंगे तो यात्रा में आपकी ज़रूरत की वस्तु कम पड़ जाएगी l 

यीशु में विश्वासियों के रूप में अपनी यात्रा को अच्छी तरह से समाप्त करने के लिए भी सावधनीपूर्वक विचार की आवश्यकता है कि हम क्या लेकर चलते हैं l इब्रानियों 12 में, प्रेरित पौलुस हमसे “हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर” करने की नसीहत देता है l वह हमारे जीवन की तुलना “एक दौड़” से करता है “जिसमें हमें दौड़ना है” जिसमें हमें “निराश होकर साहस नहीं [छोड़ना]” है (पद. 1,3) l हमारे लिए परमेश्वर के उद्देश्य के बाहर पाप का  अत्यधिक बोझ उठाना या चीजों द्वारा विकर्षित होना अनावश्यक बोझ ढोना है l 

जैसे पहाड़ पर पैदल चलने के लिए पैकिंग सूची दी गयी है, परमेश्वर ने बाइबल में यीशु का अनुसरण करने के लिए दिशा निर्देश दिया है l हम जान सकते हैं कि पवित्रशास्त्र के प्रकाश में कौन-सी आदतें, सपने और इच्छाएँ हैं जिनकी जांच आवश्यक है l जब हम कम सामान लेकर यात्रा करते हैं, हम सही तौर से समाप्त करेंगे l 

परमेश्वर हमें उठाए चलता है

2015 में, बाढ़ ने चेन्नई के शहर को तेज बारिश, हवा और जल भराव द्वारा जलप्लावित

कर दिया जिससे बहुत लोग प्रभावित हुए──देश के इतिहास में एक सबसे खराब प्राकृतिक आपदा । जब वह अपने एक महीने के बच्चे के साथ घर में शरण लिए हुए था, वह जानता था कि उसे वह स्थान छोड़ना होगा l यद्यपि वह दृष्टिहीन था, उसे अपने बेटे को बचाना था l कोमलता से, उसने अपने बच्चे को बचाने के लिए उसे अपने कन्धों पर रखा और ठुड्डी तक पानी में उतर गया l 

यदि एक सांसारिक पिता बड़ी बाधा का सामना करते हुए अपने बेटे की मदद करने के लिए उत्सुक था, तो स्वर्गीय पिता के बारे में सोचे कि वह अपने बच्चों के बारे में और कितना अधिक चिंतित रहता है । पुराने नियम में, मूसा ने याद किया कि परमेश्वर के लोगों द्वारा डगमगाते विश्वास के खतरे का अनुभव करने के बावजूद, वह उन्हें उठाकर लिए चला l उसने इस्राएलियों को याद दिलाया कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें छुड़ाया, मरुभूमि में उनके लिए भोजन और जल का प्रबंध किया, उनके शत्रुओं से लड़ा, बादल और आग के खम्भे द्वारा इस्राएलियों का मार्गदर्शन करता रहा l अनेक तरीकों पर विचार करते हुए जिसके द्वारा परमेश्वर ने उनके पक्ष में काम किया था, मूसा ने कहा, “फिर तुम ने जंगल में भी देखा, कि जिस रीति कोई पुरूष अपने लड़के को उठाए चलता है, उसी रीति हमारा परमेश्वर यहोवा हम को इस स्थान पर पहुँचने तक, उस सारे मार्ग में जिस से हम आए हैं, उठाये रहा” (व्यवस्थाविवरण 1:31) l

जंगल की यात्रा इस्राएलियों के लिए सरल नहीं थी, और उनका विश्वास कई बार घटा l लेकिन वह परमेश्वर की सुरक्षा और प्रावधान के सबूत से भरा हुयी थी──पिता का एक बेटे को उठाकर लिए चलने की तस्वीर──कोमलता, साहस और आत्मविश्वास के साथ──एक अद्भुत तस्वीर है कि परमेश्वर ने कैसे इस्राएलियों की देखभाल की । हमारे द्वारा चुनौतियों का सामना करने के बावजूद जो हमारे विश्वास की परीक्षा करता है, हम याद कर सकते हैं कि परमेश्वर वहां रहकर हमें उसमें से लिए चल रहा है l