अपने दादा के कार्य को यादगार बनाते हुए, पीटर क्रोफ्ट ने लिखा, “उस व्यक्ति के लिए जो अपनी बाइबल उठाते हैं, मेरी गहरी इच्छा है कि, कोई भी संस्करण जो वे उपयोग करते हैं, केवल समझें नहीं लेकिन पवित्रशास्त्र को एक जीवित दस्तावेज़ के रूप में अनुभव करें, वर्तमान में प्रासंगिक, खतरनाक, और उत्तेजक जैसे वह हज़ारों वर्ष पहले था l” पीटर के दादा जे.बी. फिलिप्स थे, एक युवा सेवक जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने चर्च में विद्यार्थियों के लिए बाइबल को जीवित बनाने के लिए अंग्रेजी में उसकी एक नई व्याख्या(paraphrase) की l 

फिलिप्स के विद्यार्थियों के समान, हम भी पवित्रशास्त्र को पढ़ने एवं अनुभव करने में बाधाओं का सामना करते हैं, और ज़रूरी नहीं कि अपने बाइबल अनुवाद के कारण l हम समय, अनुशासन, या समझने के लिए सही साधन की कमी महसूस कर सकते हैं l लेकिन भजन 1 हमसे कहता है कि क्या ही धन्य है वह . . . जो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता [है]” (पद.1-2) l पवित्रशास्त्र पर दैनिक चिंतन हमें सभी समय “यशस्वी” करता है, चाहे हम जिस भी कठिनाई का सामना कर रहें हों l 

आप अपनी बाइबल को किस तरह देखते हैं? यह आज भी अंतर्दृष्टि के साथ जीने के लिए प्रासंगिक है, यीशु पर विश्वास करने और उसका अनुसरण करने की अपनी बुलाहट में अभी भी खतरनाक है, परमेश्वर और मानवता के अन्तरंग ज्ञान में जो वह प्रदान करता है अभी भी उत्तेजक है l यह बहती हुई  नालियों की तरह है (पद.3) जो हमें आवश्यक दैनिक पोषण देता है l आज, हम उसकी ओर झुकें──समय निकालें, सही साधन ढूंढें, और परमेश्वर से पवित्रशास्त्र को एक जीवित दस्तावेज की तरह अनुभव करने में परमेश्वर से मदद मांगें l