विश्वास से देखना
गवाही का समय हमारी चर्च आराधना का वह समय था जब लोग साझा करते थे कि परमेश्वर उनके जीवन में क्या काम कर रहे थे। आंटी - या सिस्टर लैंगफ़ोर्ड, जैसा कि हमारे चर्च परिवार में अन्य लोग उन्हें जानते थे - अपनी गवाही में बहुत सारी प्रशंसाएँ भरने के लिए जानी जाती थीं। ऐसे अवसरों पर जब उसने अपनी व्यक्तिगत उद्धार की कहानी साझा की, तो कोई उम्मीद कर सकता था की आराधना का ज्यादा समय लेंगी। उसका हृदय परमेश्वर की स्तुति से गूँज उठा जिसने दयालुता पूर्वक उसका जीवन बदल दिया!
इसी प्रकार, भजन संहिता 66 के लेखक की गवाही प्रशंसा से भरी हुई है क्योंकि वह इस बात की गवाही देता है कि परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए क्या किया है। "आओ परमेश्वर के कामों को देखो; वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भययोग्य देख पड़ता है।"(पद 5) उनके कार्यों में चमत्कारी बचाव(पद 6), सुरक्षा (पद 9), और परीक्षण और अनुशासन भी शामिल था जिसके परिणामस्वरूप उनके लोगों को एक बेहतर स्थान पर लाया गया (पद 10-12)। जबकि ऐसे ईश्वर-अनुभव हैं जो यीशु में अन्य विश्वासियों के साथ हमारे समान हैं,लेकिन हमारी व्यक्तिगत यात्राओं के लिए कुछ अनोखी चीज़ें भी हैं। क्या आपके जीवन में ऐसे समय आए हैं जब परमेश्वर ने स्वयं को विशेष रूप से आपके सामने प्रकट किया है? वे दूसरों के साथ साझा करने लायक हैं जिन्हें यह सुनने की ज़रूरत है कि उसने आपके जीवन में कैसे काम किया है। "हे परमेश्वर के सब डरवैयो, आकर सुनो, मैं बताऊँगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है।"(पद 16)
— आर्थर जैक्सन
एक चुनाव (विकल्प)
एक प्रिय मित्र की मृत्यु के कुछ सप्ताह बाद, मैंने उसकी माँ से बात की। मैं उनसे यह पूछने में झिझक रहा था कि वह कैसी थी क्योंकि मुझे लगा कि यह एक अनुचित प्रश्न था; वह शोक मना रही थीI लेकिन अपनी अनिच्छा को हटाते हुए मैंने बस पूछ ही लिया कि वह कैसी स्थिति में है। उनका उत्तर था: "सुनो, मैं आनंद चुनती हूँ।"
उस दिन जब मैं अपने जीवन में कुछ अप्रिय परिस्थितियों से आगे बढ़ने के लिए संघर्ष कर रहा था, तो उनके वह शब्द मेरे लिए सहायक साबित हुए। और उनके शब्दों ने मुझे व्यवस्थाविवरण के अंत में इस्राएलियों को दिए गए मूसा के आदेश की भी याद दिला दी। मूसा की मृत्यु और वादा किए गए देश में इस्राएलियों के प्रवेश से ठीक पहले, परमेश्वर चाहता था कि उन्हें पता चले कि उनके पास एक चुनाव (विकल्प) है। मूसा ने कहा, “मैंने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है। इसलिए तू जीवन ही को अपना ले” (व्यवस्थाविवरण 30:19)। वे परमेश्वर के नियमों का पालन कर सकते थे और अच्छी तरह से जीवन जी सकते थे, या वे उससे दूर हो सकते थे और "मृत्यु और विनाश" के परिणामों के साथ जीवन जी सकते थे (पद 15)।
किस प्रकार जीवन जीना है हमें इसका भी चुनाव करना होगा। हम अपने जीवन के लिए परमेश्वर के वादों पर विश्वास और भरोसा करके आनंद चुन सकते हैं। या फिर हम अपनी जीवन यात्रा के नकारात्मक और कठिन हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करना चुन सकते हैं, जिससे वे हमारी खुशियाँ छीन सकें। ऐसा करने के लिये पवित्र आत्मा से मदद के लिए उस पर निर्भर रहने और अभ्यास की आवश्यकता होगी, लेकिन हम आनंद को चुन सकते हैं - यह जानते हुए कि “जो लोग परमेश्वर से प्रेम करतें हैं उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है " (रोमियों 8:28)।
-कटारा पैटन
परमेश्वर हमारे पापों को ढक देता है
1950 के दशक में जब एक अकेली माँ को अपने परिवार की देखभाल के लिए काम ढूंढना पड़ा, तो उसने टाइपिंग का काम करना शुरू कर दिया। पर समस्या यह थी कि वह बहुत अच्छी टाइपिस्ट नहीं थी और गलतियाँ करती रहती थी। वह अपनी गलतियों को छिपाने के तरीकों को ढूंढती रही और अंततः उसने एक सफेद रंग का तरल पदार्थ’ बनाया जिसे लिक्विड पेपर का नाम दिया गया और जिसका उपयोग टाइपिंग त्रुटियों को छिपाने के लिए किया जाता था। एक बार इसे लगाने के बाद जब यह सूख जाता, तो आप उस पर टाइप कर सकते हैं जैसे कि कोई गलती हुई ही नहीं थी।
यीशु हमें हमारे पापों से निपटने के लिए एक असीम रूप से अधिक शक्तिशाली और महत्वपूर्ण तरीका प्रदान करते हैं – कोई छिपाव नहीं बल्कि पूर्ण क्षमा। इसका एक अच्छा उदाहरण यूहन्ना 8 अध्याय के शुरु में मिलता है जहां एक महिला व्यभिचार में पकड़ी गई थी (पद 3–4)। फरीसी और शास्त्री चाहते थे कि यीशु उस स्त्री और उसके पापों के बारे में कुछ करे। व्यवस्था (कानून) के अनुसार उसे पत्थरवाह किया जाना चाहिए, लेकिन मसीह ने इस पर कोई विचार नहीं किया कि व्यवस्था क्या कहती है और क्या नहीं। उसने बस उन्हें याद दिलाया कि सभी ने पाप किया है (रोमियों 3:23)। और “जिसने पाप नहीं किया वही उस महिला को पहिला पत्थर मारे” (यूहन्ना 8:7, यीशु की यह बात सुनकर किसी ने भी पत्थर नहीं मारा।
यीशु ने उसे एक नई शुरुआत की सलाह दी। उसने कहा कि “मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता, जा और फिर पाप न करना।” (यूहन्ना 8:11) । मसीह ने उसे उसके पापों को माफ करने और उसके अतीत पर जीने का एक नया तरीका “टाइप” करने का समाधान दिया। उसके अनुग्रह से यही प्रस्ताव आज हमें भी उपलब्ध है।
कटारा पैटन
आशीषित मास्क
महामारी के दौरान मास्क अनिवार्यता की आवश्यकताओं में ढील दिए जाने के बाद, मुझे यह याद रखने में संघर्ष करना पड़ा कि मास्क को उन जगहों पर कैसे रखा जाए जहाँ अभी भी इसकी आवश्यकता है - जैसे मेरी बेटी का स्कूल। एक दिन जब मुझे मास्क की आवश्यकता थी, तो मुझे अपनी कार में केवल एक मास्क मिला: जिसे मैं पहनने से बचता था क्योंकि उस पर सामने की तरफ आशीषित लिखा हुआ था।
मैं बिना संदेश वाले मास्क पहनना पसंद करता हूँ, और मेरा मानना है कि मैंने जो मास्क पाया उस पर लिखा शब्द बहुत ज़्यादा इस्तेमाल किया गया है। लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था, इसलिए मैंने अनिच्छा से मास्क पहन लिया। और जब मैंने स्कूल में एक नए रिसेप्शनिस्ट के साथ अपनी नाराज़गी दिखाने की कोशिश की, तोकुछ हद तक मेरे मास्क पर लिखे शब्द की वजह से, मैंने खुद को रोक लिया । मैं एक पाखंडी की तरह नहीं दिखना चाहता था, जो अपने मुंह पर आशीषित लिखे हुए घूम रहा हो और एक जटिल प्रणाली को समझने की कोशिश कर रहे व्यक्ति के प्रति अधीरता दिखा रहा हो।
यद्यपि मेरे मास्क पर लगे अक्षरों ने मुझे मसीह के निमित्त मेरी गवाही की याद दिला दी, परन्तु मेरे हृदय में पवित्रशास्त्र के वचन दूसरों के साथ धीरज धरने के लिए एक सच्चा अनुस्मारक होने चाहिए। जैसे पौलुस ने कुरिन्थियों को लिखा कि “तुम मसीह की पत्री हो, ...जो स्याही से नहीं, परन्तु जीविते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की माँसरूपी पटियों पर लिखी है” (2 कुरिन्थियों 3:3), वैसे ही“जीवन देने वाला”पवित्र आत्मा (पद 6), “प्रेम, आनन्द, शांति” और हाँ, “धीरज” के साथ जीवन व्यतीत करने में हमारी सहायता कर सकता है (गलातियों 5:22)। हम अपने भीतर उसकी उपस्थिति से वास्तव में आशीषित हैं!
—कटारा पैटन
बच्चे के समान विश्वास
जब हमारी दत्तक नानी कई आघात(stroke) झेलने के बाद अस्पताल के अपने बिस्तर पर लेटी थी, उनके डॉक्टर इस को लेकर अनिश्चित थे कि उनके मस्तिष्क को कितना नुकसान हुआ है। उन्हें उनके मस्तिष्क के कार्य का परिक्षण करने के लिए उनके थोड़ा बेहतर होने तक प्रतीक्षा करना था । वह बहुत कम शब्द बोलती थी और उससे भी कम शब्द समझ में आते थे। लेकिन जब छियासी वर्ष की वह स्त्री जिसने 12 वर्ष मेरी बेटी की देखभाल की थी ने मुझे देखा, तो उसने अपना सूखा मुँह खोलकर पूछा : कैला कैसी है?” उसने मुझसे जो पहले शब्द कहे, वे मेरे बच्चे के बारे में थे, जिसे उसने इतनी अधिकता और पूरी तरह से प्यार किया था ।
यीशु भी बच्चों से प्यार करता था और उन्हें आगे रखता था भले ही उसके शिष्यों ने उन्हें अस्वीकार किया। कुछ माता-पिता मसीह को ढूँढकर अपने बच्चों को उसके पास लाते थे l उसने बच्चों को आशीष देते हुए “उन पर हाथ रखे” (लूका 18:15) । लेकिन सब इस बात से प्रसन्न नहीं थे कि वह छोटों को आशीष दे रहा था l चेलों ने माता-पिता को डांटा और उनसे यीशु को परेशान करना बंद करने को कहा l लेकिन उसने कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो” (पद.16) । उसने उन्हें एक उदाहरण बताया कि हमें कैसे परमेश्वर के राज्य को स्वीकार करना चाहिए—सरल भरोसा, विश्वास और सच्चाई के साथ ।
छोटे बच्चों के पास संभवतः ही कोई छिपी हुयी कार्य-सूची होती है । आप जो देख रहे हैं वही आपको मिलेगा । जैसा कि हमारा स्वर्गीय पिया हमें बच्चों के समान विश्वास प्राप्त करने में सहायता करता है, काश हमारा विश्वास और उस पर भरोसा एक बच्चे की तरह खुली हो ।
—कटारा पैटन
नम्रता को धारण करना
फ्रोजन ट्रीट्स फ्रैंचाइज़ की सी.ई.ओ, टेलीविजन श्रृंखला अंडरकवर बॉस में खजांची की वर्दी पहनकर गुप्त रूप से गई। फ्रैंचाइज़ी के एक स्टोर में काम करते हुए, उनके विग और मेकअप ने उसकी पहचान छिपा दी क्योंकि वह "नई" कर्मचारी बन गई थी। उनका लक्ष्य यह देखना था कि अंदर और ज़मीन पर चीज़ें वास्तव में कैसे काम कर रही हैं। अपनी टिप्पणियों के आधार पर, वह स्टोर में आने वाली कुछ समस्याओं को हल करने में सक्षम रही।
यीशु ने हमारी समस्याओं को हल करने के लिए "विनम्र स्थान" (फिलिप्पियों 2:7) लिया। वह मानव बन गया - पृथ्वी पर चला, हमें परमेश्वर के बारे में सिखाता रहा, और अंततः हमारे पापों के लिए क्रूस पर मारा गया (पद 8)। इस बलिदान ने मसीह की विनम्रता को उजागर किया क्योंकि उसने आज्ञाकारितापूर्वक हमारे पापबलि के रूप में अपना जीवन दे दिया। वह एक मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर चला और उसने वही अनुभव किया जो हम अनुभव करते हैं—जमीनी स्तर से।
यीशु में विश्वासियों के रूप में, हमें विशेष रूप से अन्य विश्वासियों के साथ हमारे संबंधों में हमारे उद्धारकर्ता के समान "समान स्वाभाव" रखने के लिए बुलाया गया है (पद 5)। परमेश्वर हमें नम्रता धारण करने में (पद 3) और मसीह का स्वाभाव अपनाने में (पद 5) मदद करते हैं। वह हमें दूसरों की जरूरतों को पूरा करने और मदद के लिए तैयार रहने वाले सेवकों की तरह रहने के लिए प्रेरित करते है। जैसे-जैसे परमेश्वर हमें दूसरों से विनम्रतापूर्वक प्रेम करने के लिए प्रेरित करते जाते है, हम उनकी सेवा करने और उनके सामने आने वाली समस्याओं का करुणापूर्वक समाधान खोजने की बेहतर स्थिति में होते हैं।
सच्चा धर्म
मेरे कॉलेज के दूसरे वर्ष के बाद की गर्मियों में, मेरे एक सहपाठी की अचानक से मृत्यु हो गई। मैंने उसे कुछ दिन पहले ही देखा था और वह ठीक लग रहा था। मेरे सहपाठी और मैं युवा थे और हमने सोचा था कि हम अपने जीवन के सबसे अच्छे और शक्तिशाली दिनों में हैं, और हमने जीवन भर के लिए बहन और भाई बनने का संकल्प लिया था।
लेकिन मुझे अपने सहपाठी की मृत्यु के बारे में जो सबसे ज्यादा याद है वह यह था कि मैं अपने दोस्तों को उस तरह का जीवन जीते देख रहा था जिसे प्रेरित याकूब “शुद्ध और निर्मल भक्ति” कहते हैं (याकूब 1:27)। बिरादरी के पुरुष मृतक की बहन के लिए भाई की तरह बन गए। वे उसकी शादी में शामिल हुए और उसके भाई की मृत्यु के कई साल बाद उसके गोद भराई समारोह में गए। एक ने तो उसे एक सेल फोन भी उपहार में दिया ताकि जब भी उसे ज़रूरत हो, वह उससे संपर्क कर सके।
याकूब के अनुसार, “शुद्ध और निर्मल भक्ति अनाथों और विधवाओं के संकट में उनकी सुधि लेना है”(पद 27)। जबकि मेरे दोस्त की बहन शाब्दिक अर्थों में अनाथ नहीं थी, पर अब उसका भाई नहीं था। उसके नए भाइयों ने उसके खाली स्थान को भर दिया।
और यही वह है जो हम सभी जो यीशु में शुद्ध और निर्मल भक्ति का अभ्यास करना चाहते हैं, कर सकते हैं — “वचन पर चलने वाले बनो” (पद 22) जिसमें ज़रूरतमंदों की देखभाल करना भी शामिल है (2:14–17)। उस पर हमारा विश्वास हमें कमजोर लोगों की देखभाल करने के लिए प्रेरित करता है क्योंकि हम खुद को दुनिया के नकारात्मक प्रभावों से दूर रखते हैं, क्योंकि वह हमारी मदद करता है। आखिरकार, यही वह शुद्ध और निर्मल भक्ति है जिसे परमेश्वर स्वीकार करता है।
परमेश्वर नाम याद रखता है
रविवार को जब मैंने एक चर्च में युवा अगुवे के रूप में काम करना शुरू किया और कई युवा लोगों से मिली थी , तो मैंने अपनी माँ के बगल में बैठी एक किशोरी से बात की। जब मैंने उस शर्मीली लड़की को मुस्कुराते हुए अभिवादन किया, तो मैंने उसका नाम लिया और पूछा कि वह कैसी है। उसने अपना सिर उठाया और उसकी खूबसूरत भूरी आँखें चौड़ी हो गईं। उसने भी मुस्कुराते हुए धीमी आवाज़ में कहा: "तुम्हें मेरा नाम याद है।" उस युवा लड़की को नाम से पुकारने से - एक लड़की जो वयस्कों से भरे चर्च में खुद को महत्वहीन महसूस कर सकती थी - मैंने उसके साथ विश्वास का रिश्ता शुरू किया। उसे लगा कि उसे देखा जा रहा है और महत्व दिया जा रहा है।
यशायाह 43 में, परमेश्वर भविष्यद्वक्ता यशायाह का उपयोग इस्राएलियों को एक समान संदेश देने के लिए कर रहा है: उन्हें देखा और महत्व दिया गया था। यहाँ तक कि बन्धुआई में रहने और जंगल में रहने के दौरान भी, परमेश्वर ने उन्हें देखा और उन्हें "नाम से" जाना (पद. 1)। वे अजनबी नहीं थे; वे उसके थे। भले ही उन्होंने त्यागा हुआ महसूस किया हो, वे "अनमोल" थे, और परमेश्वर का "प्रेम" उनके साथ था (पद. 4)। और इस स्मरण के साथ कि परमेश्वर उन्हें नाम से जानता था, उसने वह सब कुछ साझा किया जो वह उनके लिए करेगा, विशेषकर परीक्षा के समय में। जब वे परीक्षाओं से होकर निकले, तो वह उनके साथ रहेगा (पद 2) । क्योंकि परमेश्वर ने उनके नामों का स्मरण किया, उन्हें डरने या चिंतित होने की आवश्यकता नहीं थी।
परमेश्वर अपने प्रत्येक बच्चे के नाम जानता है — और यह शुभ सन्देश है, विशेष रूप से जब हम जीवन में गहरे, कठिन जल से गुजरते हैं।
तनाव से शांति तक
स्थान बदलना जीवन में सबसे बड़े तनावों में से एक के रूप में है l लगभग बीस वर्षों तक अपने पिछले घर में रहने के बाद हम अपने वर्तमान घर में आ गए l विवाह से पूर्व आठ साल तक मैं उस पहले घर में अकेली रही l फिर मेरे पति अपनी सारी वस्तुओं के साथ आ गएl बाद में,हमदोनों को एक बच्चा भी हुआ,और इसका मतलब और भी ज्यादा सामान बढ़ गया l
नए घर में जाने का दिन किसी घटना से कम नहीं था I मूवर्स(movers)(समान स्थानांतरित करनेवाले) के आने से पांच मिनट पहले तक, मैं एक पुस्तक पाण्डुलिपि(manuscript) को पूरा कर रही थीI नए घर में ढेर सीढ़ियाँ थीं, इसलिए जो योजना बनायीं थी उससे दोगुना समय और दोगुना मूवर्स लग गए l
लेकिन मैं उस दिन की घटनाओं से तनावग्रस्त महसूस नहीं कर रही थी l फिर मुझे स्मरण हुआ: मैंने एक पुस्तक लिखने में कई घंटे बिताएँ हैं—पवित्रशास्त्र और बाइबल की अवधारणाओं से भरपूर l परमेश्वर के अनुग्रह से, मैं अपनी समय सीमा को पूरा करने के लिए बाइबल पर ध्यान दे रही थी, प्रार्थना कर रही थी और लिख रही थी l इसलिए मेरा मानना है कि इसका मुख्य कारण पवित्रशास्त्र और प्रार्थना में मेरा ध्यानमग्न होना थाl
पौलुस ने लिखा, “किसी भी बात की चिंता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ” (फिलिप्पियों 4:6) जब हम प्रार्थना करते हैं—और परमेश्वर में “आनंदित” रहते हैं(पद.4)— जब हम अपने मन को समस्या से हटाकर अपने प्रबंध करनेवाले की ओर केन्द्रित करते हैं l हो सकता है कि हम परमेश्वर से एक तनाव से निपटने में हमारी मदद करने के लिए कह रहे हों, लेकिन हम उसके साथ भी जुड़ रहे हैं, जो एक ऐसी शांति प्रदान कर सकता है “जो सारी समझ से परे है” (पद.7)