प्रभु नाम याद रखता है
रविवार के बाद जब मैंने एक कलीसिया में एक युवा अगुवे के रूप में काम करना शुरू किया और कई युवा लोगों से मिला, तो मैंने अपनी माँ के बगल में बैठी एक लडकी से बात की। जैसे ही मैंने उस शर्मीली लड़की का मुस्कराते हुए अभिवादन किया, मैंने उसका नाम बताया और पूछा कि वह कैसी है। उसने अपना सिर उठा लिया और उसकी खूबसूरत भूरी आँखें चौड़ी हो गईं। वह भी मुस्कुराई और धीमी आवाज़ में बोली: "तुमने मेरा नाम याद रखा।" बस उस युवा लड़की को नाम से बुलाकर - एक लड़की जो वयस्कों से भरे चर्च में खुद को महत्वहीन महसूस कर सकती थी - मैंने भरोसे का रिश्ता शुरू किया। उसने देखा और मूल्यवान महसूस किया।
यशायाह 43 में, परमेश्वर भविष्यद्वक्ता यशायाह का उपयोग इस्राएलियों को एक समान संदेश देने के लिए कर रहा है: उन्हें देखा और महत्व दिया गया था। यहां तक कि जंगल में बंधुआई और समय के दौरान, परमेश्वर ने उन्हें देखा और उन्हें "नाम से" जाना (पद. 1)। वे अजनबी नहीं थे; वे उसके थे। भले ही उन्होंने त्यागा हुआ महसूस किया हो, वे "कीमती" थे, और उनका "प्रेम" उनके साथ था (पद. 4)। और इस स्मरण के साथ कि परमेश्वर उन्हें नाम से जानता था, उसने वह सब कुछ साझा किया जो वह उनके लिए करेगा, विशेषकर परीक्षा के समय में। जब वे परीक्षाओं से होकर निकले, तो वह उनके साथ रहेगा (पद 2) । क्योंकि परमेश्वर ने उनके नामों का स्मरण किया, उन्हें डरने या चिंतित होने की आवश्यकता नहीं थी।
परमेश्वर अपने प्रत्येक बच्चे के नाम जानता है — और यह शुभ सन्देश है, विशेष रूप से जब हम जीवन में गहरे, कठिन जल से गुजरते हैं।
तनाव से शांति तक
स्थान बदलना जीवन में सबसे बड़े तनावों में से एक के रूप में है l लगभग बीस वर्षों तक अपने पिछले घर में रहने के बाद हम अपने वर्तमान घर में आ गए l विवाह से पूर्व आठ साल तक मैं उस पहले घर में अकेली रही l फिर मेरे पति अपनी सारी वस्तुओं के साथ आ गएl बाद में,हमदोनों को एक बच्चा भी हुआ,और इसका मतलब और भी ज्यादा सामान बढ़ गया l
नए घर में जाने का दिन किसी घटना से कम नहीं था I मूवर्स(movers)(समान स्थानांतरित करनेवाले) के आने से पांच मिनट पहले तक, मैं एक पुस्तक पाण्डुलिपि(manuscript) को पूरा कर रही थीI नए घर में ढेर सीढ़ियाँ थीं, इसलिए जो योजना बनायीं थी उससे दोगुना समय और दोगुना मूवर्स लग गए l
लेकिन मैं उस दिन की घटनाओं से तनावग्रस्त महसूस नहीं कर रही थी l फिर मुझे स्मरण हुआ: मैंने एक पुस्तक लिखने में कई घंटे बिताएँ हैं—पवित्रशास्त्र और बाइबल की अवधारणाओं से भरपूर l परमेश्वर के अनुग्रह से, मैं अपनी समय सीमा को पूरा करने के लिए बाइबल पर ध्यान दे रही थी, प्रार्थना कर रही थी और लिख रही थी l इसलिए मेरा मानना है कि इसका मुख्य कारण पवित्रशास्त्र और प्रार्थना में मेरा ध्यानमग्न होना थाl
पौलुस ने लिखा, “किसी भी बात की चिंता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ” (फिलिप्पियों 4:6) जब हम प्रार्थना करते हैं—और परमेश्वर में “आनंदित” रहते हैं(पद.4)— जब हम अपने मन को समस्या से हटाकर अपने प्रबंध करनेवाले की ओर केन्द्रित करते हैं l हो सकता है कि हम परमेश्वर से एक तनाव से निपटने में हमारी मदद करने के लिए कह रहे हों, लेकिन हम उसके साथ भी जुड़ रहे हैं, जो एक ऐसी शांति प्रदान कर सकता है “जो सारी समझ से परे है” (पद.7)
चौखट पर दिलासा
जब मैंने दक्षिणी लुइसियाना में 2016 की बाढ़ के बाद अपने सोशल मीडिया फीड को स्कैन किया, मुझे एक सहेली का पोस्ट मिलाl यह अनुभव करने के बाद कि उसके घर को गिराकर फिर से बनाया जाएगा, मेरी सहेली की माँ ने उसे सफाई के अत्यंत कष्टदायी कार्य में भी परमेश्वर को ढूँढने के लिए प्रोत्साहित कियाl मेरी सहेली ने बाद में बाइबल के उन पदों की तस्वीरें पोस्ट कीं जिन्हें उसने घर के खुले हुए चौखटों पर पाया,जो स्पष्ट रूप से उस समय लिखे गए थे जब घर बनाया गया थाl लकड़ी के तख्तों पर बाइबल के वचन पढ़कर उसे दिलासा मिलाl
सम्भवतःदरवाजे की चौखटों पर बाइबल के पदों को लिखने की परंपरा इस्राएल को परमेश्वर की आज्ञा से आयी होगी l परमेश्वर ने इस्राएलियों को निर्देश दिया कि वे उसके आदेशों को याद रखने के तरीके के रूप में चौखटों पर लगाये कि वह(परमेश्वर) कौन है l आज्ञाओं को अपने हृदय पर लिख कर(व्यवस्थाविवरण 6:6) उन्हें अपने बच्चों को सिखा कर (पद.7) परमेश्वर की आज्ञाओं को याद करने के लिए प्रतीकों और अन्य साधनों का उपयोग करके (पद.8), और शब्दों को चौखटों और प्रवेश मार्गों पर लगा कर (पद.9) इस्राएलियों को लगातार परमेश्वर के वचन का स्मरण कराते थे l उन्हें प्रोत्साहित किया गया कि जो कुछ परमेश्वर ने उनसे कहा था या उनके साथ की वाचा को कभी न भूलें l
अपने घरों में परमेश्वर के वचनों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ उनके अर्थ को अपने हृदयों में बोने से हमें एक ऐसी नींव बनाने में मदद मिल सकती है जो पवित्रशास्त्र में प्रकट की गयी उसकी विश्वासयोग्यता पर निर्भर करती है l और वह उन शब्दों का उपयोग त्रासदी या अत्यंत कष्टदायी नुक्सान के बीच भी हमें दिलासा देने के लिए कर सकता है l
वास्तव में क्या चाहिए
भोजन तैयार करते समय, एक युवा मां ने मांस पकाने से पहले उसे बड़े बर्तन में आधा काट कर डाल दिया। उसके पति ने उससे पूछा कि उसने मांस को आधा क्यों काटा। उसने उत्तर दिया, "क्योंकि मेरी माँ ऐसा ही करती है।"
हालाँकि, उसके पति के सवाल ने महिला की जिज्ञासा को बढ़ा दिया।उसने अपनी मां से इस परंपरा के बारे में पूछा। वह यह जानकर चौंक गई कि उसकी माँ के पास छोटा बर्तन था, वह मांस को आधा काट कर बर्तन में इसलिए डालती थी ताकि मांस उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले एक छोटे से बर्तन में आ सके। और क्योंकि उसकी बेटी के पास कई बड़े बर्तन थे, मांस काटने का कार्य अनावश्यक था।
कई परंपराएँ एक आवश्यकता से शुरू होती हैं, लेकिन बिना किसी प्रश्न के चलती हैं - " हम जिस तरह से इसे करते हैं।" मानवीय परम्पराओं को थामे रहना स्वाभाविक है - कुछ ऐसा जो फरीसी अपने समय में कर रहे थेI (मरकुस 7:1-2) वे इस बात से विचलित/विक्षिप्त थे कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनके एक धार्मिक नियम को तोड़ा जा रहा है।
तुम परमेश्वर की आज्ञा को टालकर मनुष्य की रीतियों को मानते होI (पद. 8) उन्होंने प्रकट किया कि परम्पराओं को कभी भी पवित्रशास्त्र के ज्ञान का स्थान नहीं लेना चाहिए। परमेश्वर का अनुसरण करने की सच्ची इच्छा (पद. 6-7) बाहरी कार्यों के बजाय हमारे हृदय के व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करेगी।
परंपराओं का लगातार मूल्यांकन करना एक अच्छा विचार है—जो कुछ भी हम अपने दिल के करीब रखते हैं और जिसका धार्मिक रूप से पालन करते हैं। जिन चीज़ों को परमेश्वर ने वास्तव में आवश्यक होने के लिए प्रकट किया है, उन्हें हमेशा परंपराओं का स्थान लेना चाहिए।
नई दृष्टि
अपना नया चश्मा पहने हुए जैसे ही मैं पवित्र स्थान में गई, मैं बैठ गई। चर्च के दूसरी तरफ सीधे गलियारे के सामने मैंने अपनी एक दोस्त को बैठे देखा। मैंने उसे देखकर अपना हाथ हिलाया, वह बहुत पास और साफ दिख रही थी। भले ही वह कुछ गज़ की दूरी पी थी, पर मुझे ऐसा लगा कि मैं उस तक पहुंचकर उसे छू सकती हूं। बाद में, जब हमने आराधना के बाद बात की, मुझे एहसास हुआ कि वह उसी सीट पर थी जिस पर वह हमेशा बैठती थी। अपने नए चश्मे के कारण मैं उसे बेहतर तरीके से देख सकती थी।
भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा बोलते हुए, परमेश्वर जानता था कि बेबीलोन की बंधुआई में फंसे इस्राएलियों को एक नए नुस्खे की आवश्यकता होगी—एक नया दृष्टिकोण। उसने उनसे कहा, “मैं एक नई बात करता हूँ! मैं जंगल में मार्ग बनाऊंगा।” (यशायह 43:19)। और उसके आशा के संदेश में अनुस्मारक शामिल थे कि उसने उन्हें बनाया था, उन्हें छुडाया था, और वह उनके साथ रहेगा। “तुम मेरे हो”, उसने उन्हें प्रोत्साहित किया (पद 1)।
आज आप जिस चीज़ का भी सामना कर रहे हैं, उसमें पवित्र आत्मा आप के लिए बेहतर दृष्टि प्रदान कर सकता है; पुरानी को पीछे छोड़ने और नई की तलाश करने के लिये। परमेश्वर के प्रेम से (पद 4) यह आपके चारों ओर नजर आ रहा है। क्या आप देख सकते हैं कि वह आपके दुख और बंधनों में क्या काम कर रहा है? आइए हम अपना नया आध्यात्मिक चश्मा पहनें ताकि वह नया देख सकें जो परमेश्वर हमारे वीराने में भी कर रहा है।
जो अच्छा है उससे चिपके रहना
जब हम अपनी कार एक खुले मैदान के पास पार्क करते हैं और अपने घर जाने के लिए उस पार चलकर जाते हैं, लगभग हमेशा हमारे कपड़ों पर कुछ चिपचिपे कँटीला बीजकोष चिपकते हैं- खासकर सर्दियों में। ये छोटे "सहयात्री" कपड़ों, जूतों, या जो कुछ भी गुज़रता है, उससे जुड़ जाते हैं और सवार होकर उनकी अगली मंज़िल तक पहुँच जाते है। यह प्रकृति का तरीका है मेरे स्थानीय क्षेत्र और दुनिया भर में कँटीला बीजकोष को फैलाने का ।
जब मैं चिपके हुए कँटीला बीजकोष को ध्यान से हटाने की कोशिश करता हूं, मैं अक्सर उस संदेश के बारे में सोचता हूँ जो यीशु में विश्वासियों को कहता है “भलाई में लगे रहो ”(रोमियों 12:9)। जब हम दूसरों से प्रेम करने की कोशिश कर रहे होते है, तो यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालाँकि, जब पवित्र आत्मा जो कुछ भी हमारे पास अच्छा है, उसे पकड़े रहने में हमारी सहायता करता है, हम बुराई को दूर कर सकते हैं और अपने प्रेम में "निष्कपट" हो सकते हैं (12:9) क्योंकि वह हमारा मार्गदर्शन करता है।
कँटीला बीजकोष केवल हाथ से हटाने से नहीं गिरते, वे आप पर चिपके रहते हैं। और जब हम परमेश्वर की दया, करुणा और आज्ञाओं को मन में रखते हुए अपना ध्यान अच्छाई पर केंद्रित करते हैं, तब हम भी—उनके सामर्थ्य में—उन लोगों से लिपटे रह सकते हैं जिनसे हम प्रेम करते हैं। वह हमें “भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे से स्नेह..” रखने में मदद करता है, और दूसरों की ज़रूरतों को अपनी ज़रूरतों से पहले रखने को याद दिलाता है (पद। 10)।
हाँ, वो कँटीला बीजकोष चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन वे मुझे दूसरों से प्यार में पकड़े रहने और परमेश्वर की सामर्थ्य के द्वारा “जो अच्छा है” उसे कसकर पकड़े रहने के लिए याद दिलाते हैं (पद 9; फिलिप्पियों 4:8-9 भी देखें)।
एक गर्म भोजन
बारबेक्यू चिकन, हरी बीन्स, पास्ता, ब्रेड l अक्टूबर के एक ठन्डे दिन पर, लगभग चौवन(54) बेघर लोगों ने जीवन के चौवन वर्ष का जश्न मनाने वाली एक स्त्री से यह गरमा-गर्म भोजन प्राप्त किया l उस स्त्री ने अपने जन्मदिन पर अपने साथियों के साथ एक रेस्टोरेंट में सामान्य तौर पर जन्मदिन का भोजन न खाकर उसके स्थान पर भोजन बनाकर शिकागो की सड़कों पर के लोगों के लिए परोसा l सोशल मीडिया पर, उसने दूसरों को जन्मदिन के उपहार के रूप में दयालुता का एक अनियत कार्य करने को कहा l
यह कहानी मुझे मत्ती 25 में यीशु के शब्दों की याद दिलाती है: मैं तुम से सच कहता हूँ कि तुमने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों (और बहनों) में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया” (पद.40) l यह घोषणा करने के बाद कि उसकी भेड़ें उस अनंत राज्य में अपना मीरास पाने के लिए आमंत्रित की जाएंगी, उसने ये शब्द कहे (पद.33,34) l उस वक्त, यीशु यह मान लेगा कि यही वे लोग हैं जिन्होंने उसे भोजन खिलाया और उसे कपडे पहनाए क्योंकि वे उसमें अपना असली विश्वास रखे थे (उन अहंकारी धार्मिक लोगों के विपरीत जो उसपर विश्वास नहीं करते थे (देखें 26:3-5) l यद्यपि “धर्मी लोग” पूछेंगे कि कब उन्होंने यीशु को भोजन खिलाया और उसे कपड़े पहनाए (25:37), वह उन्हें आश्वस्त करेगा कि जो उन्होंने दूसरों के लिए किया वही उसके लिए भी किया था (पद.40) l
भूखे को खाना खिलाना केवल एक तरीका है जिससे परमेश्वर अपने लोगों की देखभाल करने में हमारी सहायता करता है— जिससे की हम उसके लिए अपना प्रेम और उसके साथ अपना सम्बन्ध दर्शा सकें l आज हमें दूसरों की ज़रूरतों को पूरा करने में वह हमारी मदद करे l
दर्पण परिक्षण
आत्म-पहचान परीक्षण करने वाले मनोवैज्ञानिकों ने बच्चों से पूछा "आईने में कौन है?”। अठारह महीने या उससे कम उम्र में, बच्चे आमतौर पर खुद को आईने में छवि के साथ नहीं जोड़ते हैं। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे समझने लगते हैं कि वे खुद को देख रहे हैं। आत्म-पहचान स्वस्थ विकास और परिपक्वता का एक महत्वपूर्ण चिह्न है।
यीशु में विश्वासियों के विकास के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। याकूब एक दर्पण पहचान परीक्षण की रूपरेखा तैयार करता है। दर्पण परमेश्वर की ओर से “सत्य के वचन” है(याकूब 1:18)। जब हम पवित्र शास्त्र पढ़ते हैं, तो हम क्या देखते हैं? जब वे प्रेम और नम्रता का वर्णन करते हैं तो क्या हम स्वयं को पहचानते हैं? क्या हम अपने कार्यों को देखते हैं जब हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर हमें क्या करने की आज्ञा देता है? जब हम अपने दिलों में देखते हैं और अपने कार्यों का परीक्षण करते हैं, तो पवित्रशास्त्र हमें यह पहचानने में मदद कर सकता है कि क्या हमारे कार्य हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप हैं या यदि हमें पश्चाताप करने और परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
याकूब हमें चेतावनी देता है कि हम न केवल पवित्रशास्त्र को पढ़ें और फिर मुड़ जाए “जो अपने आप को धोखा देते है” (पद 22), उसे भूलकर जो हमने ग्रहण किया है। बाइबल हमें परमेश्वर की योजनाओं के अनुसार बुद्धिमानी से जीने का नक्शा प्रदान करती है। जब हम इसे पढ़ते हैं, उस पर मनन करते हैं, और इसे पचाते हैं, तो हम उन्हें वह अपने हृदय में झाँकने वाली आंखें और आवश्यक परिवर्तन करने की शक्ति देने के लिए कह सकते हैं।
रोशनी को चालू रहने दे
एक होटल श्रृंखला के विज्ञापन में एक छोटी सी इमारत एक अंधेरी रात के बीच खड़ी थी। आसपास और कुछ नहीं था। दृश्य में एकमात्र प्रकाश इमारत के द्वारमण्डप पर दरवाजे के पास एक छोटे से दीपक से आ रहा था। एक आगंतुक के लिए सीढ़ियों पर चलने और इमारत में प्रवेश करने के लिए बल्ब से पर्याप्त रोशनी आ रही थी। विज्ञापन इस वाक्यांश के साथ समाप्त हुआ, "हम आपके लिए रौशनी को चालू छोड़ रहे है।"
एक द्वारमण्डप की रोशनी एक स्वागत चिन्ह के समान है, जो थके हुए यात्रियों को याद दिलाती है कि एक आरामदायक जगह अभी भी खुली है जहाँ वे रुक सकते हैं और आराम कर सकते हैं। प्रकाश आने-जाने वालों को अंदर आने और अंधेरे, थके हुए सफर से बचने के लिए आमंत्रित करता है।
यीशु कहते हैं कि जो लोग उस पर विश्वास करते हैं उनका जीवन एक स्वागत योग्य प्रकाश के सदृश होना चाहिए। उसने अपने अनुयायियों से कहा, “तुम जगत की ज्योति हो। पहाड़ी पर बसा हुआ नगर छिप नहीं सकता" (मत्ती ५:१४)। विश्वासियों के रूप में, हमें एक अंधेरी दुनिया को रोशन करना है।
जैसा कि वह हमें निर्देश और सामर्थ देता है, "[अन्य] [हमारे] अच्छे कामों को देख सकते हैं और [हमारे] पिता को स्वर्ग में महिमा कर सकते हैं" (व. १६)। और जैसे ही हम अपनी रौशनी को चालू रखते है, तो वे संसार के एक सच्चे प्रकाश—यीशु (यूहन्ना ८:१२) के बारे में अधिक जानने के लिए हमारे पास आने के लिए स्वागत महसूस करेंगे। थके हुए और अंधेरी दुनिया में, उसका प्रकाश हमेशा बना रहता है।
क्या आपने अपनी रोशनी छोड़ दी है? जैसे यीशु आज आपके द्वारा से चमकता है, अन्य लोग भी देख सकें और उसके प्रकाश को प्रकाशित करना शुरू कर सकें।