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Articles by केनेथ पीटरसन

प्रकाश के हज़ार बिंदु

संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्तर-पश्चिमी अलबामा में डिसमल्स कैनियन(Dismals Canyon) कई पर्यटकों को आकर्षित करता है, अधिकतर मई और जून में जब जुगनू के लार्वा फूटकर जुगनू बन जाते हैं l रात में, ये शानदार नीली चमक बिखेरते हैं, और हज़ारों मिलकर एक असाधारण रौशनी उत्पन्न करते हैं l   
एक तरह से, प्रेरित पौलुस मसीह में विश्वासियों को जुगनू कहता है l वह समझाता है कि “तुम तो पहले अन्धकार थे, परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो” (इफिसियों 5:8) l लेकिन कभी-कभी हम सोचते हैं कि “मेरा यह छोटा सा प्रकाश अंतर कैसे ला सकता है l पौलुस का सुझाव है कि यह एकल कार्य नहीं है l वह हमें “ज्योति की संतान” कहता है (पद.8) और समझाता है कि हम “ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में सहभागी” हैं (कुलुस्सियों 1:12) l संसार में ज्योति होना सामूहिक प्रयास है, मसीह की देह का कार्य है, कलीसिया का कार्य है l पौलुस ने हम जुगनुओं की तस्वीर के साथ इसे पुष्ट किया है जो एक साथ आराधना करते हैं,, “आपस में भजन और स्तुतिगान, और आत्मिक गीत गाते हुए” (इफिसियों 5:19) l   
जब हम निराश हो जाते हैं, यह सोचकर कि हमारे जीवन की गवाही आधी रात के अंधेरे में बस एक छोटा सा बिंदु है, तो हम बाइबल से आश्वासन ले सकते हैं।  हम अकेले नहीं हैं l एक साथ, जब परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है, हम एक अंतर लाते हैं और एक शानदार रौशनी चमकाते हैं l ऐसा लगता है कि जुगनुओं की एक पूरी मण्डली बहुत सारी दिलचस्पी आकर्षित कर सकती है l  
—केनेथ पीटरसन 
 

न बदलनेवाला परमेश्वर

एक प्रतिष्ठित तस्वीर भूरे रंग की पृष्ठभूमि पर बूट के चिन्ह को दिखाती है। यह अंतरिक्ष यात्री बज़ एल्ड्रिन का पदचिह्न है, जिसे उन्होंने 1969 में चंद्रमा पर छोड़ा था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने सालों के बाद भी पदचिन्ह अभी भी है, अपरिवर्तित है। हवा या पानी के बिना, चंद्रमा पर कुछ भी नष्ट नहीं होता है, इसलिए चंद्र परिदृश्य पर जो कुछ भी होता है, वह वहीं रहता है।  
स्वयं परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति पर चिंतन करना और भी अद्भुत है। याकूब लिखता हैं, " हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।" (याकूब 1:17)। प्रेरित इसे हमारे अपने संघर्षों के संदर्भ में कहता हैं: "जब किसी भी प्रकार की परेशानी आपके सामने आए, तो इसे बड़े आनंद का अवसर मानें" (पद 2) क्यों? क्योंकि हमसे एक महान और न बदलनेवाला परमेश्वर प्रेम करता हैं! 
संकट के समय में, हमें परमेश्वर के निरंतर प्रावधान को याद रखने की आवश्यकता है। शायद हमें महान भजन "तेरी विश्वासयोग्यता महान है"”( “Great Is Thy Faithfulness”) के शब्द याद आ सकते हैं: “तू कभी प्रभु बदलता नहीं; / ना बदलता, ना तुम्हारा दया मिटता है; / जैसा तू है सदा रहेगा भी।” हाँ, हमारे परमेश्वर ने हमारे संसार पर अपना स्थायी पदचिन्ह छोड़ा है। वह हमेशा हमारे लिए रहेगा। उसकी विश्वासयोग्यता महान है। 

हृदय के स्थान

 
यहाँ छुट्टियाँ मनाने के कुछ सुझाव दिए गए हैं: अगली बार जब आप संयुक्त राज्य अमेरिका में विस्कॉन्सिन मिडलटन से होकर यात्रा कर रहे हों, तो हो सकता है कि आप राष्ट्रीय मस्टर्ड (सरसों) संग्रहालय की यात्रा करना चाहें। हम में से जो लोग ऐसा महसूस करते हैं कि एक सरसों ही बहुत होता है, उन्हें यह जगह आश्चर्य से भर देगी, जिसमें संसार भर से 6,090 विभिन्न सरसों के प्रकारों को प्रस्तुत किया गया है। टेक्सास के मैक्लीन में, आप कंटीले तार वाले संग्रहालय को पा कर आश्चर्यचकित हो सकते हैं — या वहाँ इससे भी अधिक आश्चर्य की बात है बाड़ा लगाने के लिए विशेष जुनून। यह बता रहा है कि हम महत्वपूर्ण बनाने के लिए किस प्रकार की चीजें चुनते हैं। एक लेखक का कहना है कि आप केले के संग्रहालय में दोपहर बिताने से भी बुरा कुछ और कर सकते हैं (यद्यपि हम इससे सहमत नहीं हैं)। 
हम मस्ती में हँसते हैं, फिर भी यह स्वीकार करना साहस की बात है कि हम अपने स्वयं के संग्रहालयों को बनाए रखते हैं — अर्थात् हृदय के ऐसे स्थान जहाँ हम अपनी स्वयं की बनाई हुई कुछ मूर्तियों का उत्सव मनाते हैं। परमेश्वर हमें निर्देश देता है कि “तू मुझे छोड़ दूसरों को परमेश्‍वर करके न मानना” (निर्गमन 20:3) और “तू उनको दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना” (पद 5)। लेकिन हम करते हैं, हम खुद के तराशे हुए देवता बनाते हैं — शायद धन या वासना या सफलता के, या किसी अन्य रिक्त स्थान को भरने के लिए किसी “खजाने” की जिसकी हम गुप्त रूप से आराधना करते हैं। 
इस अनुच्छेद को पढ़ते हुए इसके मतलब को न जानना आसान है। हाँ, परमेश्वर हमें पाप के उन संग्रहालयों के लिए जवाबदेह ठहराता है जिनका निर्माण हम स्वयं ही करते हैं। परन्तु वह “[उससे] प्रेम रखनेवालों की हजारों पीढ़ियों पर करुणा करने” के बारे में भी बात करता है (पद 6)। वह जानता है कि हमारे “संग्रहालय” वास्तव में कितने तुच्छ हैं। वह जानता है कि केवल उसके लिए हमारे प्रेम में ही हमारी सच्ची संतुष्टि वास करती है।  

दादी की खोज

एमोरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दादी-नानी के दिमाग का अध्ययन करने के लिए एमआरआई स्कैन का इस्तेमाल किया। उन्होंने उन छवियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण प्रतिक्रियाओं को मापा, जिनमें उनके अपने पोते, उनके अपने वयस्क बच्चे और एक अज्ञात बच्चा शामिल था। अध्ययन से पता चला कि दादी-नानी अपने वयस्क बच्चे की तुलना में अपने पोते-पोतियों के प्रति अधिक सहानुभूति रखती हैं। इसका श्रेय वे "प्यारा कारक" को देते हैं - उनका अपना पोता-पोती वयस्क की तुलना में अधिक "प्यारा" होता है। 
इससे पहले कि हम कहें "ठीक है, जाहिर है!" हम अध्ययन करनेवाले जेम्स रिलिंग के शब्दों पर गौर कर सकते हैं: “अगर उनका पोता मुस्कुरा रहा है, [दादी] बच्चे की खुशी महसूस कर रही है। और अगर उनका पोता रो रहा है, तो वे बच्चे के दर्द और संकट को महसूस कर रहे हैं।” 
एक भविष्यवक्ता ने परमेश्वर की भावनाओं की एक “एमआरआई छवि” चित्रित की है जब वह अपने लोगों को देखता है: “वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा,; फिर ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा। ” (सपन्याह 3:17)। कुछ लोग इसका अनुवाद इस प्रकार करते हैं, “तुम उसका हृदय आनन्द से भर दोगे, और वह जोर से गाएगा।” एक सहानुभूतिपूर्ण दादी की तरह, परमेश्वर हमारे दर्द को महसूस करता है: “उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया, ” (यशायाह 63:9), और वह हमारे आनंद को महसूस करता है: “प्रभु यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है” (भजन संहिता 149:4)। जब हम निराश महसूस करते हैं, तो यह याद रखना अच्छा होता है  
जब वह अपने लोगों को देखता है तो एक भविष्यवक्ता परमेश्वर की भावनाओं की एक "एमआरआई छवि" चित्रित करता है: "वह तुम से बहुत प्रसन्न होगा; अपने प्रेम में वह करेगा। . . तेरे कारण गीत गाकर आनन्दित होगा” (सपन्याह 3:17)। कुछ इसका अनुवाद यह कहने के लिए करते हैं, "तू उसके हृदय को आनन्द से भर देगा, और वह ऊंचे स्वर से गाएगा।" एक सहानुभूतिपूर्ण दादी की तरह, परमेश्वर हमारे दर्द को महसूस करता है: "उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया" (यशायाह 63:9), और वह हमारे आनंद को महसूस करता है: "यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है" (भजन संहिता 149:4)। 
जब हम निराश महसूस करते हैं, तो यह याद रखना अच्छा होता है कि परमेश्वर के मन में हमारे लिए सच्ची भावनाएँ हैं। वह उदासीन, वह आपसे दूर नहीं है, बल्कि वह है जो हमसे प्रेम करता है और हमसे प्रसन्न होता है। यह उनके करीब आने, उनकी मुस्कान को महसूस करने और उनके गायन को सुनने का समय है। 

 

परमेश्वर का हमसे बोलना

मुझे एक अनजान नंबर से फोन आया। अक्सर,  मैं उन कॉल्स को वायसमेलपर (voicemail – इलेक्‍ट्रॉनिक प्रणाली जिसकी सहायता से संदेशों को बाद में सुना जा सकता है) जाने देता था,  लेकिन इस बार मैंने फोन उठाया। अनजान फोन करने वाले ने विनम्रता से पूछा कि क्या मेरे पास उनके द्वारा बाइबल का एक छोटा अंश साझा करने के लिए सिर्फ एक मिनट का समय है। उसने प्रकाशितवाक्य 21:3-5 को उद्धृत किया कि कैसे परमेश्वर “उनकी आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा ।“ उसने यीशु के बारे में बात की,  कैसे वह हमारा आश्वासन और आशा है। मैंने उससे कहा कि मैं पहले से ही यीशु को अपने व्यक्तिगत उद्धारकर्ता के रूप में जानता हूं। लेकिन फोन करने वाले का लक्ष्य मुझे “साक्षी” देना नहीं था। इसके बजाय, उसने बस पूछा कि क्या वह मेरे साथ प्रार्थना कर सकता है। और उसने परमेश्वर से मुझे प्रोत्साहन और शक्ति देने के लिए प्रार्थना करी।   
उस कॉल ने मुझे पवित्रशास्त्र में एक और “पुकार (कॉल)” की याद दिला दी—परमेश्वर ने युवा लड़के शमूएल को आधी रात में बुलाया (1 शमूएल 3:4-10)। शमूएल ने तीन बार आवाज सुनी, यह सोचकर कि यह बुजुर्ग याजक एली है। अंतिम बार, एली के निर्देश का पालन करते हुए, शमूएल ने महसूस किया कि परमेश्वर उसे बुला रहा था : “कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है” (पद.10) l उसी तरह,  हमारे दिनों और रातों में, परमेश्वर हमसे भी बात कर रहा हो। हमें परमेश्वर की “पुकार सुनने” की जरूरत है ,  जिसका अर्थ उसकी उपस्थिति में अधिक समय व्यतीत करना और उसकी आवाज़ सुनना हो सकता है ।  
मैंने फिर “कॉल (पुकार) ” के बारे में दूसरे तरीके से सोचा। क्या होगा यदि हम कभी-कभी किसी और के लिए परमेश्वर के वचनों के संदेशवाहक होते हैं?  हमें लग सकता है कि हमारे पास दूसरों की मदद करने का कोई तरीका नहीं है। लेकिन जैसा कि परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है,  हम एक मित्र को फोन कर सकते हैं और पूछ सकते हैं,  “क्या यह ठीक होगा यदि मैं आज आपके साथ प्रार्थना करूं?” 

पवित्रशास्त्र प्रशिक्षण

1800 के अंत में, विभिन्न स्थानों के लोगों ने एक ही समय में एक सी सेवकाई संसाधनों का विकास किया l पहला 1877 में मोंट्रियल,कनाडा में थाl 1898 में, न्यूयार्क शहर में एक और विचार/प्रत्यय शुरू की गयी l1922 तक, इनमें से कुछ पांच हज़ार कार्यक्रम हर वर्ष गर्मियों में उत्तरी अमेरिका में सक्रिय थे l 

इस प्रकार वेकेशन बाइबल स्कूल(VBS) का प्रारंभिक इतिहास शुरू हुआl जिस जुनून(passion) उन VBS अग्रदूतों को प्रेरित किया, वह युवा लोगों के लिए बाइबल जानने की इच्छा थी l 

पौलुस को अपने युवा शिष्य, तीमुथियुस के लिए भी ऐसा ही जुनून था, यह लिखते हुए कि “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है” और “और हर एक भले काम के लिए” तैयार करता हैI (2 तीमुथियुस 3:16-17) लेकिन यह केवल हितकारी सुझाव नहीं था कि “अपनी बाइबल पढ़ना अच्छा है l” पौलुस की सलाह सख्त चेतावनी का पालन करती है कि “अंतिम दिनों में कठिन समय आएँगे” (पद.1) झूठे शिक्षकों के साथ जो “सत्य की पहचान कभी नहीं” कर पाते हैं (पद.7)यह ज़रूरी है कि हम पवित्रशास्त्र के द्वारा स्वयं की रक्षा करें, क्योंकि यह हमें हमारे उद्धारकर्ता के ज्ञान में डुबो(ध्यानमग्न) देता है, हमें “मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिए बुद्धिमान बना सकता है” (पद.15)  

बाइबल का अध्ययन करना केवल बच्चों के लिए ही नहीं है; यह वयस्कों के लिए भी है l और यह सिर्फ गर्मियों के अवकाश के लिए नहीं है; यह हर दिन के लिए हैं l पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा, “बचपन से पवित्रशास्त्र तेरा जाना हुआ है” (पद.15), लेकिन आरम्भ करने के लिए कभी देर नहीं होती l हम जीवन के किसी भी अवस्था में हों, बाइबल का ज्ञान हमें यीशु से जोड़ता है l यह हम सबके लिए परमेश्वर का VBS पाठ है l

यीशु को देखना

चार महीने की उम्र तक लिओ ने अपने माता-पिता को कभी नहीं देखा था। वह एक असाधारण स्थिति के साथ पैदा हुआ था जिससे उसकी दृष्टि धुंधली हो गई थी। उसके लिए यह घने कोहरे में जीने जैसा था। लेकिन फिर आंखों के डॉक्टर ने उसे एक ख़ास तरह का चश्मा पहनने को दिया।

लिओ के पिता ने एक विडिओ पोस्ट किया जिसमे लिओ की माँ उसे पहली बार चश्मा पहना रही थीI हम देखते हैं जैसे लिओ की आंखें धीरे-धीरे ध्यान केंद्रित करती हैं। जब वह पहली बार अपनी मां को देखता है तो उसके चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है। अमूल्य! उस पल में, नन्हा लिओ स्पष्ट देख सकता था।

यूहन्ना यीशु के अपने शिष्यों के साथ हुई बातचीत के बारे में बताता है। फिलिप्पुस ने उससे पूछा, ''पिता को हमें दिखा'' (यूहन्ना 14:8) इतने समय तक एक साथ रहने के बाद भी, यीशु के शिष्य यह नहीं पहचान सके कि उनके ठीक सामने कौन था। उसने उत्तर दिया, “क्या तू विश्वास नहीं करता, कि मैं पिता में हूँ, और पिता मुझ में है?” (पद. 10) पहले यीशु ने कहा था, "मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूं" (पद. 6) यीशु के साथ "मैं हूँ" कथनों में से यह छठा है। वह हमें इस "मैं हूँ" के कथन को चश्मा के माध्यम से देखने के लिए कह रहा है ताकि हम यह देख सके कि वास्तव में वह कौन है—स्वयं परमेश्वर।

हम अधिकतर शिष्यों के समान है। कठिन समय में, हम संघर्ष करते हैं और धुंधली दृष्टि विकसित करते हैं। हम इस बात पर ध्यान केन्द्रित करने में विफल रहते हैं कि परमेश्वर ने क्या किया है और क्या कर सकता है। जब छोटे लिओ ने विशेष चश्मा पहना, तो वह अपने माता-पिता को स्पष्ट रूप से देख सकता था। शायद हमें अपना ईश्वरीय -चश्मा पहनने की आवश्यकता है ताकि हम स्पष्ट रूप से देख सकें कि यीशु वास्तव में कौन है।

आप कौन हैं, प्रभु?

सोलह साल की उम्र में, लुइस रोड्रिग्ज कोकीन बेचने के आरोप में पहले ही जेल में बंद था। लेकिन अब, हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार वह फिर से जेल में था–आजीवन कारावास की सजा के बारे में सोच रहा  था। परन्तु परमेश्वर ने उसकी दोषी परिस्थितियों में उससे बात की। सलाखों के पीछे, युवा लुइस ने अपने जीवन के शुरुआती वर्षों को याद किया जब उसकी मां उसे विश्वासपूर्वक चर्च ले गई थी। अब उसे लगा कि ईश्वर अपने दिल को छू रहा है। लुइस ने अंततः अपने पापों का पश्चाताप किया और यीशु के पास आए।

प्रेरितों के काम की पुस्तक में हम शाऊल नाम के एक जोशीले यहूदी व्यक्ति से मिलते हैं, जिसे पौलुस भी कहा जाता था। वह यीशु में विश्वासियों पर गंभीर हमले और घात करने का दोषी था (प्रेरितों के काम 91)। इस बात के प्रमाण हैं कि वह एक प्रकार का गिरोह का नेता था, और स्तिफनुस (7:58) की हत्या के समय भीड़ का एक हिस्सा था। परन्तु परमेश्वर ने शाऊल की दोषी परिस्थितियों  में भी बात की। दमिश्क की ओर जाने वाले मार्ग पर शाऊल एक ज्योति के चमकने से  अन्धा हो गया, और यीशु ने उस से कहा, “तू मुझे क्यों सताता है?” (9:4)। शाऊल ने पूछा, “हे प्रभु तू कौन है?” (पद 5) और वही उसके नए जीवन की शुरुआत थी। वह यीशु के पास आ गया।

लुइस रोड्रिगेज ने अपनी सज़ा का समय पूरा किया लेकिन अंततः उसे कारावास अवकाश दिया गया। तब से, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका और मध्य अमेरिका में जेल सेवकाई के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए परमेश्वर की सेवा की है। परमेश्वर हम में से सबसे बुरे को छुड़ाने में माहिर हैं। वह हमारे दिलों को छूता है और हमारे अपराध–बोध से भरे जीवन में बोलता है। शायद अब समय है कि हम अपने पापों का पश्चाताप करें और यीशु के पास आएं।

हमारे विषय परमेश्वर का दृष्टिकोण

यह1968 था, और अमेरिका वियतनाम के साथ युद्ध में फंस गया था, शहरों में नस्लीय हिंसा भड़क रही थी, और दो सार्वजनिक हस्तियों(public figures) की हत्या कर दी गयी थी l एक साल पहले, आग ने लॉन्चपैड/प्रक्षेपण स्थान पर तीन अन्तरिक्ष यात्रियों की जान ले ली थी, और चंद्रमा पर जाने का विचार एक स्वप्न जैसा लग रहा था l बहरहाल, अपोलो 8 क्रिसमस से कुछ दिन पहले लॉन्च/प्रक्षेपित होने में कामयाब रहा l 

यह चंद्रमा की कक्षा में जाने वाला पहला मानवयुक्त मिशन बन गया l फ्लाइट क्रू(कर्मीदल), बोर्मन, एंडर्स, एवं लोवेल—सभी विश्वासी व्यक्ति—ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक सन्देश प्रसारित किया : “आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की”(उत्पत्ति 1:1) l उस समय, यह संसार में सबसे अधिक देखी जाने वाली टीवी घटना थी, और लाखों लोगों ने पृथ्वी का ईश्वरीय-दृश्य साझा किया जो वर्तमान में एक प्रतिष्ठित तस्वीर(iconic photo) है l फ्रैंक बोर्मन ने पढ़ना समाप्त किया : “और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है”(पद.10) l 

कभी-कभी अपने आप को, और उन सभी कठिनाइयों को देखना जिनमें हम फंसे हुए हैं, और जो कुछ भी अच्छा है उसे देखना कठिन होता है l लेकिन हम सृष्टि की कहानी पर लौट सकते हैं और हमारे बारे में परमेश्वर के दृष्टिकोण को देख सकते हैं : “अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने “[उनको] उत्पन्न किया”(पद.27) l आइये इसे एक और दिव्य-दृष्टि/divine-eye view के साथ जोड़ें : “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा”(यूहन्ना 3:16) l आज, याद रखें कि परमेश्वर ने आपको बनाया है, वह पाप के बावजूद अच्छाई देखता है और जो उसने आपको बनाया है, उससे प्यार करता है l