वफ़ादार लेकिन भुलाया नहीं गया
जैसे जैसे वह बड़ा हो रहा था, शॉन को इस बारे में बहुत कम पता था कि परिवार का क्या मतलब होता है। उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी और उसके पिता मुश्किल से घर पर रहते थे। वह अक्सर अकेलापन और छोड़ा हुआ महसूस करता था। हालाँकि पास में रहने वाला एक दम्पति उससे मिलता रहता था। वे उसे अपने घर ले गए और अपने बच्चों को उसके लिए “बड़ा भाई” और “बड़ी बहन” बना दिया, जिससे उसे आश्वासन मिला कि वे उससे प्यार करते थे। वे उसे चर्च भी ले गए जहां शॉन, जो अब एक आत्मविश्वासी युवक है, आज एक यूथ लीडर (युवाओं का अगुवा )है।
हालाँकि इस दम्पति ने एक युवा जीवन को बदलने में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन उन्होंने शॉन के लिए जो किया वह उनके चर्च के अधिकांश लोगों को अच्छी तरह मालूम नहीं है। लेकिन परमेश्वर जानता है, और मेरा मानना है कि उन्हें अपनी वफ़ादारी का किसी दिन प्रतिफल मिलेगा, जैसा कि बाइबल के हॉल ऑफ़ फेथ (दृढ़ विश्वास के लिए मिला सम्मान) में सूचीबद्ध लोगों को मिलेगा। इब्रानियों 11 बाइबल के बड़े नामों से शुरू होता है, लेकिन यह अनगिनत अन्य लोगों के बारे में बात करता है जिन्हें हम शायद कभी नहीं जानते होंगे, फिर भी जो अपने विश्वास के लिए प्रशंसित थे (पद 39)। और संसार उनके योग्य नहीं था (पद 38)।
यहां तक कि जब हमारे दयालुता के कार्यों पर दूसरों का ध्यान नहीं जाता, तब भी परमेश्वर देखता है और जानता है। हम जो करते हैं वह एक छोटी सी बात लग सकती है — एक दयालु कार्य या एक उत्साहजनक शब्द — लेकिन परमेश्वर इसका उपयोग अपने नाम के लिए महिमा लाने के लिए कर सकते हैं अपने समय से और अपने तरीके से; भले ही अन्य लोग न जानते हों वह जानता है ।
लेस्ली कोह
अज्ञात मार्ग
शायद मुझे एक दौड़ में ब्रायन से नहीं जुड़ना चाहिए था l मैं विदेश में था, और अज्ञान था कि हम कहाँ या कितनी दूर जाएंगे या इलाका कैसा होगा l साथ ही, वह एक तेज दौड़ने वाला था l क्या उसके साथ बने रहने की कोशिश में मेरा टखना तो नहीं मुड़ जाएगा? मुझे ब्रायन पर, जो रास्ता जानता था, भरोसा करना ही था l आरम्भ में, मैं बहुत चिंतित हो गया l रास्ता उबड़-खाबड़ था, जो असमतल ज़मीन पर घने जंगल से होकर गुज़रता था। शुक्र है कि ब्रायन बार-बार मुझे देखने के लिए मुड़ता रहा और मुझे आगे आने वाली मुश्किलों के बारे में चेतावनी देता रहा। शायद बाइबल के समय में कुछ लोगों ने अपरिचित क्षेत्र में प्रवेश करते समय ऐसा ही महसूस किया होगा - कनान में अब्राहम, जंगल में इस्राएली और सुसमाचार साझा करने के अपने मिशन पर निकले यीशु के शिष्य। उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि यात्रा कैसी होगी, सिवाय इसके कि यह निश्चित रूप से कठिन होगी। लेकिन उनके पास कोई था जो उनका नेतृत्व कर रहा था जो आगे का रास्ता जानता था। उन्हें भरोसा करना था कि परमेश्वर उन्हें सामना करने की शक्ति देंगे और उनका ख्याल रखेंगे। वे उसका अनुसरण कर सकते थे क्योंकि वह ठीक से जानता था कि आगे क्या होने वाला है।
इस आश्वासन ने दाऊद को यह दिलासा दिया जब वह भाग रहा था l बड़ी अनिश्चितता के बावजूद, उसने परमेश्वर से कहा : “जब मेरी आत्मा मेरे भीतर से व्याकुल हो...तब तू मेरा पथ जानता [है]” (भजन संहिता 142:3) l जीवन में कई बार हम डरते हैं कि आगे क्या है l परन्तु हम यह जानते हैं कि हमारे संग चलने वाला हमारा परमेश्वर, मार्ग जानता है l
—लेस्ली को
दुःख में आश
लुईस एक खुश, चंचल लड़की थी जो अपने मिलने वाले सभी लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देती थी। पांच साल की उम्र में वह एक दुर्लभ बीमारी का दुखद शिकार हो गईं। उसका अचानक निधन उसके माता-पिता, डे डे और पीटर और उनके साथ काम करने वाले हम सभी लोगों के लिए एक झटका था। हमने उनके साथ शोक व्यक्त किया।'
फिर भी, डे डे और पीटर को बढ़ते रहने की सामर्थ्य मिली। जब मैंने डे डे से पूछा कि वे कैसे इससे निपट रहे हैं, तो उसने कहा कि लुईस जहां है वहां ध्यान केंद्रित करने से - यीशु की प्रेमपूर्ण बाहों में - उन्हें सामर्थ मिलती है। उन्होंने कहा, "हम अपनी बेटी के लिए खुश हैं, जिसका अनंत जीवन में जाने का समय आ गया है।" "परमेश्वर के अनुग्रह और सामर्थ्य से, हम दु:ख में चलते रह सकते हैं और वह करना जारी रख सकते हैं जो उसने हमें करने के लिए सौंपा है।"
डे डे ने अपनी शांति उसके उस विश्वास में पायी जो उसे परमेश्वर के ह्रदय पर था जिसने स्वमं को यीशु में प्रकट किया है। मात्र आशावादी होने से कई अधिक बढ़कर है बाइबिल आधारित आशा; यह परमेश्वर के वादे पर आधारित पूर्ण निश्चितता है, जिसे वह कभी नहीं तोड़ेगा। अपने दुःख में, हम इस शक्तिशाली सत्य पर टिके रह सकते हैं, जैसा कि पौलुस उन लोगों को जो अपने मृतक मित्रों के लिए शोक मन रहे थे, प्रोत्साहित करता है: "यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा" ( 1 थिस्सलुनीकियों 4:14)। यह निश्चित आशा आज हमें सामर्थ और शांति दे- हमारे दुःख में भी।
आशीषित दिनचर्या
सुबह की भीड़ को ट्रेन में चढ़ते देख, मुझे लगा कि सोमवार की उदासी छा गई है। खचाखच भरे केबिन में बैठे लोगों के नींद से भरे, चिड़चिड़े चेहरों से मैं बता सकता था कि कोई भी काम पर जाने के लिए उत्सुक नहीं था। कुछ लोग जगह के लिए धक्का-मुक्की कर रहे थे और कुछ और लोग अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे, तो लोगों की भौंहें तन गईं। फिर से, दफ़्तर में एक और नीरस दिन। फिर, मुझे लगा कि ठीक एक साल पहले, ट्रेनें खाली होती थीं क्योंकि कोविड-19 लॉकडाउन ने हमारी दिनचर्या को अस्त-व्यस्त कर दिया था। हम खाने के लिए भी बाहर नहीं जा सकते थे और कुछ लोग तो दफ़्तर जाने से चूक गए थे। लेकिन अब हम लगभग सामान्य हो गए थे और कई लोग हमेशा की तरह काम पर वापस जा रहे थे। मुझे एहसास हुआ कि "दिनचर्या" अच्छी खबर थी और "उबाऊ" एक वरदान था!
राजा सुलैमान दैनिक परिश्रम की प्रतीत होने वाली व्यर्थता पर विचार करने के बाद इसी तरह के निष्कर्ष पर पहुंचा (सभोपदेशक 2:17-23)। कभी-कभी, यह अंतहीन, "निरर्थक," और अप्रतिफल प्रतीत होता था (पद. 21)। लेकिन फिर उसने महसूस किया कि हर दिन खाने, पीने और काम करने में सक्षम होना परमेश्वर की ओर से एक आशीष है (पद 24)।
जब हम दिनचर्या से वंचित हो जाते हैं, तो हम देख सकते हैं कि ये सरल कार्य एक सुख हैं। आइए हम परमेश्वर का धन्यवाद करें कि हम खा-पी सकते हैं और अपने सारे परिश्रम में संतोष पा सकते हैं, क्योंकि यह उसका वरदान है (3:13)।
यीशु में आगे बढ़ना
जंगल में दौड़ते समय, मैंने एक छोटा मार्ग(shortcut) खोजने की कोशिश की और एक अपरिचित रास्ते पर चला गया। सोच रहा था कि कहीं मैं खो तो नहीं गया, मैंने दूसरे रास्ते से आ रहे एक धावक से पूछा कि क्या मैं सही रास्ते पर हूं। “हाँ,” उसने आत्मविश्वास से उत्तर दिया । मेरे संदेहपूर्ण रूप को देखते हुए, उन्होंने जल्दी से कहा : “चिंता मत करो, मैंने सभी गलत रास्ते आज़मा लिए हैं! लेकिन यह ठीक है, यह सब दौड़ का हिस्सा है।
मेरी आत्मिक यात्रा का कितना उपयुक्त वर्णन है! कितनी बार मैं परमेश्वर से भटका हूँ, प्रलोभन में पड़ गया हूँ, और जीवन की बातों से विचलित हुआ हूँ? फिर भी परमेश्वर ने हर बार मुझे माफ़ किया है और आगे बढ़ने में मेरी मदद की है—यह जानते हुए कि मैं निश्चित रूप से फिर से ठोकर खाऊँगा । परमेश्वर गलत रास्ते पर जाने की हमारी प्रवृत्ति को जानता है । लेकिन वह बार-बार क्षमा करने के लिए हमेशा तैयार रहता है, यदि हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं और उसकी आत्मा को हमें बदलने की अनुमति देते हैं ।
पौलुस भी जानता था कि यह सब विश्वास की यात्रा का हिस्सा है। अपने पापपूर्ण अतीत और वर्तमान कमजोरियों के बारे में पूरी तरह से अवगत होने के कारण, वह जानता था कि अभी उसे मसीह जैसी सिद्धता को प्राप्त करना बाकी है जिसे वह चाहता था (फिलिप्पियों 3:12)। "परन्तु मैं एक काम करता हूं," उसने आगे कहा, "जो पीछे रह गया है उसे भूल कर, जो आगे है उस की ओर बढ़ता हुआ, मैं दौड़ा चला जाता हूं" (पद. 13-14)। ठोकरें खाना परमेश्वर के साथ हमारे चलने का हिस्सा है: यह हमारी गलतियों के माध्यम से है कि वह हमें शुद्ध करता है। उनका अनुग्रह हमें क्षमा किए गए बच्चों के रूप में आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है।
कभी भी बहुत दूर नहीं
राज ने अपनी युवास्था में यीशु पर उद्धारकर्ता के रूप में भरोसा किया था, लेकिन जल्द ही, वह विश्वास से भटक गया और परमेश्वर से अलग जीवन व्यतीत करने लगा l फिर एक दिन, उसने यीशु के साथ अपने रिश्ते को नया करने और चर्च वापस जाने का फैसला किया—सिर्फ़ एक महिला द्वारा डांटे जाने के लिए जिसने उसे इतने वर्षों तक अनुपस्थित रहने के लिए फटकार लगाई l इस डांट ने राज के वर्षों के भटकने में शर्म और ग्लानी की भावना को और बढ़ा दिया l क्या मैं आशा से परे हूँ? उसने आश्चर्य किया l तब उसने स्मरण किया कि कैसे मसीह ने शमौन पतरस को पुनर्स्थापित/पुनरुद्धार किया था (यूहन्ना 21:15-17) यद्यपि उसने उसका इनकार किया था (लूका 22:34, 60-61)
पतरस ने जो भी डांट की उम्मीद की होगी, उसने केवल क्षमा और पुनर्स्थापना प्राप्त की थीl यीशु ने पतरस के इनकार का उल्लेख भी नहीं किया, बल्कि उसे मसीह के प्रति अपने प्रेम की पुष्टि करने और अपने अनुयायियों की देखभाल करने का मौका दियाI (यूहन्ना 21:15-17) पतरस के इनकार करने से पहले यीशु के शब्द पूरे हो रहे थे : “जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करनाI” (लूका 22:32)
राज ने परमेश्वर से उसी क्षमा और बहाली/पुनरुद्धार को माँगा, और आज वह न केवल यीशु के साथ निकटता से चल रहा है बल्कि एक चर्च में सेवा कर रहा है और अन्य विश्वासियों का भी समर्थन कर रहा है l इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम परमेश्वर से कितनी दूर चले गए हैं, वह न केवल हमें क्षमा करने और वापस स्वागत करने के लिए तैयार है बल्कि हमें पुनर्स्थापित/हमारा पुनरुद्धार करने के लिए भी तैयार है ताकि हम उससे प्रेम कर सकें, उसकी सेवा कर सकें और उसकी महिमा कर सकें l हम कभी भी परमेश्वर से अधिक दूर नहीं हैं : उसकी प्रेममयी बांहे खुली हुयी हैं l
क्या यह एक संकेत है?
प्रस्ताव अच्छा लग रहा था, और ठीक वैसा ही था जैसा पीटर को चाहिए था। निकाले जाने के बाद, एक युवा परिवार के इस एकमात्र कमाने वाले ने नौकरी के लिए अधीरता/अतिउत्सुकता से प्रार्थना की थी। "निश्चित रूप से यह आपकी प्रार्थनाओं का परमेश्वर का उत्तर है," उसके मित्रों ने सुझाव दिया।
लेकिन भावी मालिक के बारे में पढ़कर पीटर को बेचैनी महसूस हुई। कंपनी ने संदिग्ध व्यवसायों में निवेश किया था और भ्रष्टाचार के लिए चिह्नित किया गया था। अंत में, पीटर ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, हालांकि ऐसा करना दर्दनाक था। "मुझे विश्वास है कि परमेश्वर चाहते हैं कि मैं सही काम करूं," उन्होंने मेरे साथ साझा किया। "मुझे बस भरोसा करना है कि वह मुझे प्रदान करेगा।"
पतरस को दाऊद की एक गुफा में शाऊल से मुलाकात का वृतांत याद आया। ऐसा लग रहा था कि उसे शिकार करने वाले व्यक्ति को मारने का पूरा मौका दिया जा रहा था, लेकिन दाउद ने विरोध किया। “यहोवा न करे कि मैं ऐसा काम करूं . . . क्योंकि वह यहोवा का अभिषिक्त है," उसने तर्क किया (1 शमूएल 24:6) दाऊद घटनाओं की अपनी स्वयं की व्याख्या और उसके निर्देश का पालन करने और सही काम करने के लिए परमेश्वर की आज्ञा के बीच अंतर करने के लिए सावधान था।
हमेशा कुछ स्थितियों में "संकेतों" को देखने की कोशिश करने के बजाय, आइए हम परमेश्वर और उसके सत्य की ओर देखें ताकि हम समझ सकें कि हमारे सामने क्या है। वह हमें वह करने में मदद करेगा जो उसकी दृष्टि में सही है।
परमेश्वर का समय
मैग दूसरे देश की अपनी नियोजित यात्रा की प्रतीक्षा कर रही थी l लेकिन, जैसा कि उसकी सामान्य पद्धति थी, उसने पहले इसके बारे में प्रार्थना की l “यह केवल एक छुट्टी है,” एक मित्र ने टिप्पणी की l “आपको परमेश्वर से परामर्श करने की ज़रूरत क्यों है?” हालाँकि, मैग सब कुछ उसे समर्पित करने में विश्वास करती थी l इस बार, उसने महसूस किया कि वह उसे यात्रा रद्द करने के लिए प्रेरित कर रहा है l उसने ऐसा ही किया, और बाद में—जब वह वहाँ होती—उस देश में एक महामारी फ़ैल गयी l “मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे परमेश्वर मेरी रक्षा कर रहा था,” वह कहती है l
नूह को भी परमेश्वर की सुरक्षा पर भरोसा था जब वह और उसका परिवार जल प्रलय कम होने के बाद लगभग दो महीने तक जहाज में इंतजार करता रहा l दस महीने से अधिक समय तक बंद रहने के बाद, वह बाहर निकलने के लिए उत्सुक रहा होगा l आखिरकार, “जल पृथ्वी पर से सूख गया [था]” और “धरती सूख गयी [थी]”(उत्पत्ति 8:13) l लेकिन नूह ने केवल जो देखा उस पर भरोसा नहीं किया; इसके बजाय उसने जहाज तभी छोड़ा जब परमेश्वर ने उससे कहा(पद.15-19) l उसे भरोसा था कि लम्बे इंतज़ार के लिए परमेश्वर के पास अच्छा कारण था—शायद धरती अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित नहीं था l
जब हम अपने जीवन में निर्णयों के बारे में प्रार्थना करते हैं, अपनी परमेश्वर प्रदत्त क्षमताओं का उपयोग करते हुए और उसकी अगुवाई की प्रतीक्षा करते हुए, हम उसके समय पर भरोसा कर सकते हैं, यह जानते हुए कि हमारा बुद्धिमान सृष्टिकर्ता जानता है कि हमारे लिए सर्वोत्तम क्या है l जैसा कि भजनकार ने कहा, “मैं ने तो तुझ पर भरोसा रखा है . . . मेरे दिन तेरे हाथ में है”(भजन सहिंता 31:14-15) l
परमेश्वर में आशा
जेरेमी को इस बात का एहसास नहीं था कि जब वह अपने तीन साल के पाठ्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय पहुँचा और सबसे सस्ते छात्रावास के कमरे के लिए कहा तो वह क्या कर रहा था l “वह बहुत खराब था,” उसने याद किया l कमरा और उसका बाथरूम भयानक थे l” लेकिन उसके पास बहुत कम पैसे और बहुत कम विकल्प थे l “मैं बस यही सोच सकता था,” उसने कहा, कि “मेरे पास तीन साल बाद वापस जाने के लिए एक अच्छा घर है, इसलिए मैं इसी में पर कायम रहूँगा और यहाँ अपने समय का अधिकतम लाभ उठाऊँगा l”
जेरेमी की कहानी “पृथ्वी पर के तम्बू” में रहने की रोजमर्रा की चुनौतियों को प्रतिबिंबित करती है—एक मानव शरीर जो मर जाएगा(2 कुरिन्थियों 5:1), संसार में काम कर रहा है जो ख़त्म हो रहा है(1 यूहन्ना 2:17) l इस प्रकार हम “बोझ से दबे कराहते रहते हैं”(2 कुरिन्थियों 5:4) जब हम जीवन में आने वाली अनेक कठिनाइयों से निपटने के लिए संघर्ष करते हैं l
जो चीज़ हमें आगे बढ़ाती है वह निश्चित आशा है कि एक दिन हमारे पास एक अमर, पुनरुत्थित शरीर होगा—एक “स्वर्गिक निवास”(पद.4)—और हम वर्तमान कराह और हताशा से मुक्त संसार में रह रहे होंगे(रोमियों 8:19-20) l यह आशा हमें परमेश्वर द्वारा प्रेमपूर्वक प्रदान किये गए इस वर्तमान जीवन का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम बनाती है l वह हमें उन संसाधनों और प्रतिभाओं का उपयोग करने में भी सहायता करेगा जो उसने हमें दिए हैं, ताकि हम उसकी और दूसरों की सेवा कर सकें l और इसलिए “हमारे मन की उमंग यह है कि चाहे साथ रहें चाहे अलग रहें, पर हम उसे भाते रहें”(पद.9) l