क्रोध प्रबंधन
जब मैं एक सहेली के संग रात्री भोजन कर रही थी, उसने बताया कि वह परिवार के एक ख़ास सदस्य से ऊब चुकी है l किन्तु वह अनदेखा करने अथवा उपहास करने की उसकी कष्टकर आदत के विषय उससे कुछ कहने में हिचकिचाती थी l समस्या के विषय जब उसने उसका सामना करना चाहा, उसने निन्दापूर्ण आलोचना की l वह उससे अत्यधिक क्रोधित हुई l दोनों पक्षों के एक दूसरे के विरुद्ध बोलने से, पारिवारिक फूट बढ़ गयी l
मैं भी ऐसी हूँ, क्योंकि मैं भी क्रोध से ऐसे ही पेश आती हूँ l मैं भी लोगों का सामना करने में कठिनाई महसूस करती हूँ l यदि कोई मित्र या परिवार का कोई सदस्य कुछ गन्दी बातें बोलता है, मैं अक्सर अपनी भावनाओं को दबा देती हूँ जब तक कि वह व्यक्ति या कोई और आकर कुछ और गन्दी बातें कहता या बोलता नहीं है l थोड़े समय बाद मैं, अधिक क्रोधित हो जाती हूँ l
इसलिए इफिसियों 4:26 में प्रेरित पौलुस ने कहा, “सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे l” अनसुलझी बातों के लिए समय सीमा निर्धारित करने पर क्रोध नियंत्रित रहता है l किसी गलती को बढ़ाने की अपेक्षा, जो कड़वाहट का घर है, हम परमेश्वर के “प्रेम में सच्चाई [बोलें]” (इफि.4:15) l
क्या किसी के साथ समस्या है? उसे पकड़े रहने की अपेक्षा परमेश्वर को प्रथम रखें l वह क्षमा और प्रेम की सामर्थ्य से क्रोध की आग बुझा सकता है l
लालच
2016 की गर्मी में, मेरी भांजी ने मुझे स्मार्ट फोन में फोन के कैमरा द्वारा खेला जानेवाला खेल पोकेमोन गो खेलने को मजबूर किया l इस खेल का लक्ष्य पोकेमोन नामक छोटे प्राणियों को पकड़ना होता है l जो कोई खेल शुरु करता हैं, एक लाल और सफ़ेद बॉल फोन की स्क्रीन पर दिखाई देता है l किसी पोकेमोन के पकड़ने के लिए ऊँगली से बॉल को पोकेमोन की ओर करना होता है l पोकेमोन को, हालाँकि, लालच देकर भी पकड़ा जा सकता है l
केवल पोकेमोन के चरित्रों को ही लालच नहीं दिया जा सकता है l नये नियम में विश्वासियों को लिखते हुए यीशु का भाई, याकूब, हमें याद दिलाता है कि हम “अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर और फँसकर परीक्षा में” पड़ते हैं (1:14, पर महत्व दिया गया है) l अर्थात्, हमारी इच्छाएँ परीक्षाओं के साथ मिलकर हमें गलत मार्ग में जाने की लालच देते हैं l हमारे पास अपनी समस्याओं के लिए परमेश्वर अथवा शैतान को दोषी ठहराने की परीक्षा आ सकती है, किन्तु वास्तविक खतरा हमारे अन्दर है l
किन्तु अच्छा समाचार है l यदि हम हमें परीक्षाओं में ले जानेवाली बातों के विषय परमेश्वर से बातचीत करते हैं हम उनसे बच सकते हैं l यद्यपि, “न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है,” जिस तरह याकूब 1:13 में समझाता है, वह गलत करने की हमारी मानवीय इच्छा समझता है l हमें केवल उस बुद्धि को माँगना है जिसे परमेश्वर ने देने की प्रतिज्ञा की है (1:1-6) l
उसके पंखों की आड़ में
सुरक्षा के विषय सोचते हुए, मैं अपने आप से चिड़ियों के पंखों के विषय नहीं सोचता हूँ l यद्यपि किसी चिड़िया के पंख एक कमज़ोर सुरक्षा की तरह दिखाई देते हैं, उनमें और भी है जो हमारी आँखें नहीं देखती हैं l
चिड़ियों के पंख परमेश्वर की रचना का अद्भुत उदाहरण है l पंखों में कोमल और रोयेंदार, दोनों भाग होते हैं l पंख के कोमल भाग में कठोर कांटें होते हैं जिसमें हुक होते हैं जो जिपर के दांतों की तरह आपस में बंद हो जाते हैं l रोयेंदार भाग चिड़िया को गरम रखता है l पंख के दोनों भाग चिड़िया को हवा और बारिश से बचाते हैं l किन्तु शिशु पक्षी रोयें से ढके होते हैं और उनके पंख अभी पूरे विकसित नहीं हुए हैं l इसलिए माँ पक्षी उन्हें अपने पंखों से ढांक कर हवा और बारिश से बचाती है l
भजन 91:4 और बाइबिल के दूसरे परिच्छेदों में(देखें भजन 17:8) “अपने पंखों से [हमें] अपने आड़ में” लेने की परमेश्वर की तस्वीर आराम और सुरक्षा की है l हमारे मनों में एक माँ चिड़िया द्वारा अपने बच्चों को अपने पंखों से ढकने की तस्वीर दिखायी देती है l जिस तरह माता-पिता की बाहें एक डरावने तूफ़ान या एक हानि में एक सुरक्षित स्थान है, उसी तरह आराम देनेवाली परमेश्वर की उपस्थिति जीवन की भावनात्मक तूफानों में सुरक्षा और बचाव है l
यद्यपि हम परेशानी और दुःख से होकर निकलते हैं, हम उनका सामना भय के बिना कर सकते हैं जब तक हमारे चेहरे परमेश्वर की ओर हैं l वह हमारा “शरणस्थान” है (91:2, 4, 9) l