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Articles by लिसा एम समरा

मैंने परमेश्वर की विश्वासयोग्यता देखी है

ब्रिटेन के शासक के रूप में अपने ऐतिहासिक सत्तर वर्षों के दौरान, महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने व्यक्तिगत प्रस्तावना के साथ अपने जीवन के बारे में केवल एक आत्मकथा का समर्थन किया, द सर्वेंट क्वीन एंड द किंग शी सर्वस(The Servant Queen and the King She Serves) l उनके नब्बेवें जन्मदिन के उपलक्ष्य में जारी की गयी यह पुस्तक बताती है कि कैसे उनके विश्वास ने उन्हें अपने देश की सेवा करते समय मार्गदर्शन किया l प्रस्तावना में, महारानी एलिज़ाबेथ ने सभी प्रार्थना करनेवालों के प्रति आभार व्यक्त किया, और परमेश्वर को उनके दृढ़ प्रेम के लिए धन्यवाद दिया l उन्होंने निष्कर्ष निकाला, “मैंने वास्तव में उसकी विश्वासयोग्यता देखी है l”

महारानी एलिज़ाबेथ का सरल कथन पूरे इतिहास में उन लोगों साक्षी को दोहराता है जिन्होंने अपने जीवन में ईश्वर की व्यक्तिगत, विश्वासयोग्य देखभाल का अनुभव किया है l यह वह विषय है जो राजा दाऊद द्वारा अपने जीवन पर चिंतन करते हुए लिखे गए एक सुन्दर गीत में ख़ास है l 2 शमुएल 22 में लिखित, यह गीत दाऊद की रक्षा करने, उसका भरण-पोषण करने और यहाँ तक कि जब उसका जीवन खतरे में था तब उसे बचाने में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता की बात करता है (पद.3-4, 44) l परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के अपने अनुभव के जवाब में, दाऊद ने लिखा, “मैं . . . तेरे नाम का भजन गाऊँगा” (पद.50) l 

हालाँकि जब परमेश्वर की विश्वासयोग्यता लम्बे जीवनकाल में देखी जाती है तो इसमें अतिरिक्त सुन्दरता होती है, हमें अपने जीवन में उसकी देखभाल का वर्णन करने के लिए इंतज़ार नहीं करना पड़ता है l जब हम पहचानते हैं कि यह हमारी अपनी क्षमताएं नहीं हैं जो हमें जीवन भर आगे बढ़ाती हैं, बल्कि एक प्यारे पिता की विश्वासयोग्य देखभाल है तो हम कृतज्ञता और प्रशंसा की ओर प्रेरित होते हैं l 

स्फूर्तिदायक (ताज़गी देने वाला) शब्द

रसोई में खड़े होकर, मेरी बेटी ने कहा, "माँ, शहद में एक मक्खी है!" मैंने परिचित कहावत के साथमजाक में कहा, "तुम हमेशा सिरके की तुलना में शहद से अधिक मक्खियाँ पकड़ोगी।” जबकि यह पहली बार था जब मैंने (संयोग से) शहद के साथ एक मक्खी पकड़ी थी,मैंने स्वयं को इस आधुनिक कहावत को इसकी बुद्धिमत्ता के कारण कहते हुए पाया: एक कड़वे रवैये की तुलना में दयालु अनुरोधों से दूसरों को मनाने की अधिक संभावना होती है।

नीतिवचन की पुस्तक हमें परमेश्वर की आत्मा से प्रेरित बुद्धिमान नीतिवचनों और कहावतों का संग्रह देती है।

ये प्रेरित बातें हमारा मार्गदर्शन करने में मदद करती हैं और हमें ईश्वर का सम्मान करने वाले तरीकों से जीने के बारे में महत्वपूर्ण सच्चाइयां सिखाती हैं।कई कहावतें पारस्परिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिसमें हमारे शब्दों का दूसरों पर पड़ने वाला गहरा प्रभाव भी शामिल है।

राजा सुलैमान को श्रेय दिये जाने वाले नीतिवचनों के एक भाग में, उसने पड़ोसी के खिलाफ झूठी साक्षी देने सेहोने वाले नुकसान के प्रति चेतावनी दी थी (नीतिवचन 25:18)। उन्होंने सलाह दी कि "धूर्त (कपटी) जीभ" का परिणाम नीरस रिश्ते होते हैं (पद 23)। सुलैमान ने लगातार शिकायती शब्दों का प्रयोग करने के भयावह प्रभाव के प्रति चेतावनी दी (पद 24)। और राजा ने पाठकों को प्रोत्साहित किया कि आशीर्वाद तब मिलता है जब हमारे शब्द अच्छी खबर लाते हैं (पद 25)।

जब हम इन सच्चाइयों को लागू करना चाहते हैं,तोहमारे पास परमेश्वर की आत्मा है जो हमें "उचित उत्तर" देने में मदद करती है (16:1)। उसके द्वारा सशक्त होकर, हमारे शब्द मधुर और ताज़ा हो सकते हैं।

एक थैंक्सगिविंग आशीर्वाद

2016 में, वांडा डेंच ने अपने पोते को थैंक्सगिविंग भोज के लिए आमंत्रित करते हुए एक संदेश भेजा, यह नहीं जानते हुए कि उसने हाल ही में अपना फोन नंबर बदल दिया है। इसके बजाय संदेश एक अजनबी जमाल के पास चला गया। जमाल की कोई योजना नहीं थी, और इसलिए, यह स्पष्ट करने के बाद कि वह कौन है, पूछा कि क्या वह अभी भी भोज पर आ सकता है। वांडा ने कहा, "बेशक आप आ सकते हैं।" जमाल उस पारिवारिक भोज में शामिल हुआ जो तब से उसके लिए एक वार्षिक परंपरा बन गई है। एक ग़लत निमंत्रण वार्षिक आशीर्वाद बन गया।

एक अजनबी को भोज पर आमंत्रित करने में वांडा की दयालुता मुझे लूका के सुसमाचार में यीशु के प्रोत्साहन की याद दिलाती है। एक "प्रमुख" फ़रीसी के घर पर भोज के दौरान(लूका 14:1) यीशु ने देखा कि किसे आमंत्रित किया गया है और मेहमानों ने मुख्य जगह के लिए किस प्रकार धक्का-मुक्की की (पद 7) यीशु ने उसकी मेजबानी करने वाले व्यक्ति को कहा कि केवल व्यक्तिगत लाभ (पद 12) के लिए दूसरों को आमंत्रित करने से आशीर्वाद सीमित हो जाएगा। इसके बजाय, यीशु ने मेज़बान से कहा कि जिन लोगों के पास उसे चुकाने के लिए संसाधन नहीं हैं, उनका आतिथ्य सत्कार करने से और भी अधिक आशीर्वाद मिलेगा (पद 14)।

वांडा के लिए, जमाल को थैंक्सगिविंग भोज के लिए अपने परिवार में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने के परिणामस्वरूप एक स्थायी दोस्ती का अप्रत्याशित आशीर्वाद मिला जो उसके पति की मृत्यु के बाद उसके लिए एक बड़ा प्रोत्साहन था। जब हम दूसरों तक पहुंचते हैं, इसलिए नहीं कि हमें कुछ मिल सकता है, बल्कि इसलिए कि परमेश्वर का प्रेम हमारे भीतर बह रहा है, तो हमें कहीं अधिक बड़ा आशीर्वाद और प्रोत्साहन मिलता है।

सोने से भी अधिक कीमती

क्या आपने कभी यार्ड सेल (किसी घर के आंगन में पुरानी चीजों की ब्रिकी) में कम कीमत वाली वस्तुओं को देखा है और सपना देखा है कि आपको अविश्वसनीय मूल्य की कोई चीज़ मिल सकती है? यह कनेक्टिकट में हुआ जब एक यार्ड बिक्री में केवल $35 (लगभग 2800 भारतीय रुपये) में खरीदा गया एक प्राचीन फूलदार चीनी कटोरा 2021 की नीलामी में $700,000 (लगभग 6 करोड़ भारतीय रुपये) से अधिक में बेचा गया। यह टुकड़ा पंद्रहवीं शताब्दी की एक दुर्लभ, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कलाकृति साबित हुई। यह एक आश्चर्यजनक अनुस्मारक है कि जिसे कुछ लोग कम मूल्य का समझते हैं वह वास्तव में बहुत मूल्यवान हो सकता है ।

ज्ञात दुनिया भर में बिखरे हुए विश्वासियों को लिखते हुए, पतरस ने समझाया कि यीशु में उनका विश्वास उस व्यक्ति पर  था जिसे बहुत बड़ी संस्कृति ने अस्वीकार कर दिया था। अधिकांश धार्मिक यहूदी नेताओं द्वारा तिरस्कार किये गये  और रोमी शासन  द्वारा क्रूस पर चढ़ाए गए, यीशु  मसीह को कई लोगों द्वारा बेकार समझा गया क्योंकि उन्होंने उनकी अपेक्षाओं और इच्छाओं को पूरा नहीं किया। लेकिन यद्यपि दूसरों ने यीशु के मूल्य को अस्वीकार कर दिया था, वह "परमेश्वर द्वारा चुना गया और उनके लिए बहुमूल्य था" (1 पतरस 2:4)। हमारे लिए उसका मूल्य चाँदी या सोने से कहीं अधिक बहुमूल्य है (1:18-19)। और हमें यह आश्वासन है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह किसी रीति  से लज्जित नहीं होगा (2:6)।

जब अन्य लोग यीशु को बेकार मानकर अस्वीकार कर देते हैं, तो आइए एक और नज़र डालें। परमेश्वर की आत्मा हमें मसीह के अनमोल उपहार को देखने में मदद कर सकती है, जो सभी लोगों को परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बनने के लिए अमूल्य निमंत्रण प्रदान करता है (पद 10)।

दुखियों के लिए आशा

"ज्यादातर लोगों के मन में ऐसे घाव के निशान होते हैं जिन्हें दूसरे लोग देख या समझ नहीं सकते।" यह बेहद ईमानदार शब्द मेजर लीग बेसबॉल खिलाड़ी एंड्रेल्टन सिमंस की ओर से आए, जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 2020 के नियमित सीज़न के अंत से बाहर होने का विकल्प चुना। अपने निर्णय पर विचार करते हुए, सिमंस ने महसूस किया कि उन्हें उनकी तरह समान चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने और दूसरों को दया दिखाने के लिए याद दिलाने के लिए अपनी कहानी साझा करने की आवश्यकता है।

अदृश्य निशान वे गहरी चोटें और घाव हैं जिन्हें देखा नहीं जा सकता है लेकिन फिर भी वे बहुत वास्तविक दर्द और पीड़ा का कारण बनते हैं। भजन संहिता 6 में, दाऊद ने अपने स्वयं के गहन संघर्ष के बारे में लिखा - दर्दनाक रूप से  सच्चे शब्द लिखे। वह "पीड़ा में" (पद- 2) और "बहुत संताप" (पद- 3) में था। वह कराहते-कराहते "थक गया" था, और उसका बिस्तर आँसुओं से भीग गया था (पद- 6)। हालाँकि दाऊद अपने दुख का कारण साझा नहीं करता, फ़िर भी हममें से कई लोग उसके दर्द से जुड़ सकते हैं।

जिस तरह से दाऊद ने अपने दर्द पर प्रतिक्रिया दी उससे हम भी प्रोत्साहित हो सकते हैं। अपनी अत्यधिक पीड़ा के बीच, दाऊद ने परमेश्वर को पुकारा और सच्चाई से अपना हृदय खोलकर, उसने उपचार (पद- 2), बचाव (पद 4), और दया (पद- 9) के लिए प्रार्थना की। यहाँ तक कि इस प्रश्न के साथ भी कि "कब तक?" पद- 3) लम्बे समय से अपनी स्थिति को न बदलते हुए देखने पर भी, दाऊद ने आश्वस्त रह कर कहा कि परमेश्वर ने "दया के लिए [उसकी] पुकार सुनी" (पद- 9) और [वह] अपने समय में कार्य करेगा (पद- 10)।

हमारा परमेश्वर कौन है, इस कारण हमें सदैव आशा बनी रहती है।

परमेश्वर को जानना

मेरी आयरलैंड की यात्रा में, मैं सजावटी शेमरॉक पौधे की भरमार (प्रचुरता) से अभिभूत था। ऐसा प्रतीत होता था कि वह छोटा-सा हरे रंग का, तीन पत्तियों वाला पौधा - कपड़े, टोपी, गहने, और अन्य बहुत से सामानों में सभी दुकानों में मिल जाता था!

पूरे आयरलैंड में केवल एक प्रचुर पौधे से अधिक, शेमरॉक को पीढ़ियों से त्रिएक (ट्रिनिटी), ऐतिहासिक ईसाई विश्वास को समझाने के एक सरल तरीके के रूप में अपनाया गया था कि ईश्वर एक सार है जो तीन अलग-अलग व्यक्तियों में अनंत काल तक मौजूद है: परमेश्वर पिता, परमेश्वर पुत्र, और परमेश्वर पवित्र आत्मा. जबकि त्रिएक की सभी मानवीय व्याख्याएँ अपर्याप्त हैं, शेमरॉक एक सहायक प्रतीक है क्योंकि यह तीन अलग-अलग पत्तियों वाला एक ही पदार्थ से बना एक पौधा है।

त्रिएक शब्द पवित्रशास्त्र में नहीं पाया जाता है, लेकिन यह उस धार्मिक सत्य का सारांश प्रस्तुत करता है जिसे हम उन अंशों में स्पष्ट रूप से देखते हैं जहां त्रिएक के सभी तीन व्यक्ति एक ही समय में मौजूद हैं। जब यीशु, परमेश्वर पुत्र, बपतिस्मा लेते हैं, तो परमेश्वर की आत्मा को "कबूतर की तरह" स्वर्ग से उतरते हुए देखा जाता है, और परमेश्वर पिता की आवाज यह कहते हुए सुनी जाती है, "तुम मेरे पुत्र हो" (मरकुस 1:11)।

यीशु में विश्वास करने वाले आयरिश लोगों ने शेमरॉक का उपयोग किया क्योंकि वे लोगों को परमेश्वर को जानने में मदद करना चाहते थे। जैसे-जैसे हम त्रिएक की सुंदरता को पूरी तरह से समझते हैं, यह हमें परमेश्वर को जानने में मदद करता है और "आत्मा और सच्चाई से" उसकी आराधना करने की हमारी क्षमता को गहरा करता है (यूहन्ना 4:24)।

अकेला, लेकिन भुलाया हुआ नहीं

उनकी कहानियाँ सुनकर, यह स्पष्ट हो जाता है कि संभवतः एक कैदी होने का सबसे कठिन भाग अलगाव और अकेलापन है l वास्तव में, एक अध्ययन से पता चला है कि उनके कैद की अवधि के बावजूद, अधिकाश कैदियों को सलाखों के पीछे अपने समय के दौरान दोस्तों या प्रियजनों से केवल दो मुलाकातें मिलती हैं l अकेलापन एक स्थायी वास्तविकता है l

यह एक पीड़ा है जिसकी मैं कल्पना करता हूँ यूसुफ़ ने जेल में आभास किया, उस पर अन्यायपूर्ण तरीके से एक अपराध का आरोप लगाया गया था l आशा की एक किरण दिखी थी l परमेश्वर ने यूसुफ़ को एक साथी कैदी के सपने का सही अर्थ बताने में सहायता की, जो फिरौन का एक भरोसेमंद सेवक था l यूसुफ ने उस आदमी से कहा कि वह अपने पद पर लौटेगा और फिर वह फिरौन से उसका जिक्र करे ताकि यूसुफ़ छूट सके (उत्पत्ति 40:14) l लेकिन वह “यूसुफ़ को स्मरण न रखा; परन्तु उसे भूल गया” (पद.23) l दो और वर्षों तक, यूसुफ़ कैद रहा l प्रतीक्षा के उन वर्षों में, बिना किसी संकेत के कि उसकी परिस्थितियाँ बदल जाएंगी, यूसुफ़ कभी भी पूरी तरह से अकेला नहीं था क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था l आखिरकार, फिरौन के सेवक को अपना वादा याद आया और यूसुफ़ को एक और सपने का सही अर्थ बताने के बाद स्वतंत्र कर दिया गया (41:9-14) l

परिस्थितियों के बावजूद जो हमें भुलाया हुआ महसूस कराती हैं, और अकेलेपन की भावनाएँ जो घेरती हैं, हम परमेश्वर की अपने बच्चों के लिए आश्वास्त करने वाली प्रतिज्ञा से चिपके रह सकते हैं : “मैं तुझे नहीं भूल सकता!” (यशायाह 49:15) l

प्रार्थना में याद रखें

मैल्कम क्लौट्ट को ब्रिटिश पुरुषों और महिलाओं को दिया जाने वाला वार्षिक सेवा पुरस्कार, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा 2021 के मौंडी मनी सम्मान से सम्मानित किया गया। क्लौट्ट, जो मान्यता के समय एक सौ वर्ष के थे, को अपने जीवनकाल में एक हजार बाइबल  बांटने के लिए सम्मानित किया गया था। क्लौट्ट ने उन सबका  रिकॉर्ड रखा है जिसने बाइबल पाया और उनके लिए नियमित रूप से प्रार्थना किया। 

प्रार्थना में क्लौट्ट का विश्वासयोग्यता उस प्रेम का एक सामर्थी उद्धारण है जो हम नए नियम में पौलुस के लेख में पाते हैं। पौलुस अक्सर अपने पत्रों के प्राप्तकर्ताओं को आश्वस्त करता था कि वह नियमित रूप से उनके लिए प्रार्थना कर रहा था। अपने मित्र फिलेमोन को उसने लिखा, “मैं सदा परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ; और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूँ।” (फिलेमोन 1:4)। तीमुथियुस को लिखे अपने पत्र में, पौलुस ने लिखा, “अपनी प्रार्थनाओं में तुझे लगातार स्मरण करता हूँ,” (2 तीमुथियुस 1:3)। रोम के कलीसिया के लिए, पौलुस ने इस बात पर बल दिया कि वह उन्हें "निरन्तर" और "हर समय" प्रार्थना में स्मरण रखता है (रोमियों 1:9-10)।

जबकि हमारे पास मैल्कम की तरह प्रार्थना करने के लिए एक हजार लोग न हो, लेकिन जिन्हें हम जानते हैं उनके लिए ध्यान से की गई प्रार्थना शक्तिशाली है क्योंकि परमेश्वर हमारे प्रार्थनाओं का उत्तर देता है। किसी विशेष व्यक्ति के लिए प्रार्थना करने के लिए आत्मा प्रेरित और सशक्त कर सकता है, लेकिन मैंने पाया कि एक साधारण प्रार्थना कैलेंडर एक उपयोगी उपकरण हो सकता है। दैनिक या साप्ताहिक कैलेंडर में नामों को विभाजित करने से मुझे प्रार्थना करने में विश्वासयोग्य रहने में मदद मिलता है। जब हम दूसरों को प्रार्थना में याद करते हैं तो प्रेम का कितना सुन्दर प्रदर्शन होता है।

रोज सशक्त होना

हर पल पवित्र  विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के लिए प्रार्थनाओं की एक सुंदर पुस्तक है, जिसमें भोजन तैयार करना या कपड़े धोना शामिल है। आवश्यक कार्य जो दोहराव या उबाऊ लग सकता हैं। पुस्तक ने मुझे लेखक जी. के. चेस्टरटन के शब्दों की याद दिला दी, जिन्होंने लिखा था, “आप भोजन से पहले प्रार्थना करते हैं। ठीक है। लेकिन मैं स्केचिंग, पेंटिंग, तैराकी, तलवारबाजी, मुक्केबाजी, चलने, खेलने, नृत्य से पहले प्रार्थना करता हूं और स्याही में कलम डुबाने से पहले भी प्रार्थना।”

           

इस तरह के प्रोत्साहन से मेरे दिन की गतिविधियों पर मेरा नजरिया बदल जाता है। जैसे भोजन से पहले अध्ययन करना, और अन्य गतिविधियाँ जो मुझे लगता है कि जिसमें आत्मिक मूल्य हैं, जैसे कि भोजन के बाद बर्तन धोना। पौलुस ने कुलुस्से के लोगों जिन्होंने यीशु के लिए जीना चुना था के पत्र में इन शब्दों के साथ उस विभाजन को मिटा दिया। “वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, ..” (3:17)। यीशु के नाम में चीजों को करना मतलब दोनों उनका सम्मान करना जैसे हम करते है और यह निश्चिंतता होना की उनका आत्मा हमें उसे करने में सामर्थ्य देता और मदद करता।

          

“जो कुछ भी करो” हमारे जीवन के सारे साधारण काम, हर पल, परमेश्वर के आत्मा द्वारा सशक्त हो सकता है और उस तरीके से किया जा सकता है जो यीशु को महिमा दे।