मदद के लिए एक पुकार
डेविड विलिस वॉटरस्टोन्स बुकशॉप में ऊपर की मंजिल पर थे, जब वह नीचे आए तो देखा कि लाइटें बंद थीं और दरवाजे भी ताला बंद थे। वह दुकान के अंदर फंस गए थे! न जाने और क्या किया जाए, उन्होंने ट्विटर का रुख किया और ट्वीट किया: “हेलो वॉटरस्टोन्स, मैं आपके ट्राफलगर स्क्वायर किताबों की दुकान में 2 घंटे से बंद हूँ। कृपया मुझे बाहर निकाले।” उनके ट्वीट के कुछ देर बाद ही उन्हें बहार निकाल लिया गया।
जब हम मुसीबत में हों तो मदद पाने का एक तरीका अपनाना अच्छा है। यशायाह ने कहा कि कोई है जो हमारे रोने का जवाब देता है जब हम अपनी खुद की बनाई समस्या में फसें हो। भविष्यवक्ता ने लिखा कि ईश्वर ने अपने लोगों पर गैर-जिम्मेदाराना तरीके से अपनी धार्मिक भक्ति का अभ्यास करने का आरोप लगाया है। देखने पर तो वे धर्म के रास्ते पर चल रहे थे, लेकिन गरीबों पर अपने उत्पीड़न को खोखले और स्वार्थी रीति-रिवाजों से छिपा रहे थे (यशायाह 58:1-7)। इससे ईश्वरीय कृपादृष्टि प्राप्त नहीं हुई। परमेश्वर ने उनसे अपनी आँखें छिपा लीं और उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं दिया (1:15)। उसने उनसे पश्चाताप करने और दूसरों की परवाह करने के बाहरी कार्य प्रदर्शित करने के लिए कहा (58:6-7)। यदि वें ऐसा करेंगे, तो वह उनसे कहता है, तुम पुकारोगे, और यहोवा उत्तर देगा; तुम सहायता के लिये दोहाई दोगे, और वह कहेगा, मैं यहां हूं। यदि तू अन्धेर करना और उंगली मटकाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे (पद 9)
गरीबों के करीब जाएं, उनसे कहें: "मैं यहां हूं।" क्योंकि परमेश्वर सहायता के लिये हमारी पुकार सुनता है, और हम से कहता है, मैं यहां हूं।
एक प्रेम भरी चेतावनी
2010 में इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर सुनामी आई थी, जिसमें चार सौ से ज़्यादा लोग मारे गए थे। लेकिन अगर सुनामी चेतावनी प्रणाली ठीक से काम कर रही होती तो मौतों को रोका जा सकता था या कम किया जा सकता था। सुनामी का पता लगाने वाले नेटवर्क (ब्यूय) अलग हो गए थे और और बहकर दूर चले गए थे।
यीशु ने कहा कि उसके चेलों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने साथी चेलों को उन बातों के बारे में चेतावनी दें जो उन्हें आत्मिक रूप से हानि पहुँचा सकती हैं, जिसमें वह पाप भी शामिल है जिसका पश्चाताप नहीं किया गया है। किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के विरुद्ध, विनम्रतापूर्वक, निजी तौर पर, और प्रार्थनापूर्वक अपराधी विश्वासी को पाप के बारे में “बताया” जा सकता है (मत्ती 18:15)। यदि व्यक्ति पश्चाताप करता है, तो संघर्ष को सुलझाया जा सकता है और संबंध बहाल किया जा सकता है । यदि वह विश्वासी पश्चाताप करने से इन्कार करता है, तो “एक या दो अन्य लोग” उस संघर्ष को सुलझाने में सहायता कर सकते हैं (पद 16)। यदि वह पापी व्यक्ति फिर भी पश्चाताप नहीं करता, तो इस मुद्दे को “कलीसिया” के सामने लाया जाना चाहिए (पद 17)। यदि वह अपराधी फिर भी पश्चाताप न करे, तो उस व्यक्ति को मंडली की संगति से निकाल देना चाहिए, परन्तु निश्चित रूप से उसके लिए अब भी प्रार्थना की जा सकती है और उस पर मसीह का प्रेम प्रकट किया जा सकता है।
आइए हम उस ज्ञान और साहस के लिए प्रार्थना करें जिसकी हमें आवश्यकता है, अपश्चातापी पाप के खतरों के बारे में एक दूसरे को प्यार से चेतावनी देने के लिए और हमारे स्वर्गीय पिता और अन्य विश्वासियों के लिए पुनःस्थापन की खुशियों के बारे में बताने के लिए। जब हम ऐसा करेंगे तो यीशु “ वहां मैं उन के बीच में होता हूं” (पद 20)।
प्यार की खातिर
लंबी दौड़ दौड़ना शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को आगे बढ़ाने के बारे में है। एक हाई स्कूल धावक के लिए, हालांकि, एक क्रॉस-कंट्री दौड़ में मुक़ाबला करना किसी और को आगे बढ़ाने के बारे में है। हर अभ्यास और मुलाकात में, चौदह वर्षीय सुसान बर्गमैन अपने बड़े भाई जेफरी को व्हीलचेयर में धक्का देती है। जब जेफरी बाईस महीने का था, तो उसे कार्डियक अरेस्ट हुआ - जिससे उसे गंभीर मस्तिष्क क्षति और सेरेब्रल पाल्सी हो गई। आज, सुसान अपने व्यक्तिगत दौड़ने के लक्ष्यों का त्याग करती है ताकि जेफरी उसके साथ मुक़ाबला कर सके। कितना प्यार और त्याग !
प्रेरित पौलुस के मन में प्रेम और बलिदान था जब उसने अपने पाठकों को "एक दूसरे के प्रति समर्पित" रहने के लिए प्रोत्साहित किया (रोमियों 12:10)। वह जानता था कि रोम में विश्वासी ईर्ष्या, क्रोध और तीखी असहमति (पद 18) से संघर्ष कर रहे थे। इसलिए, उसने उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे दिव्य प्रेम को अपने दिलों पर राज करने दें। इस प्रकार का प्रेम, जो मसीह के प्रेम में निहित है, दूसरों की यथासंभव भलाई के लिए संघर्ष करेगा। यह निष्कपट होगा, और यह उदार साझेदारी की ओर ले जाएगा (पद. 13)। जो इस प्रकार से प्रेम रखते हैं, वे दूसरों को अपने से अधिक आदर के योग्य समझने के लिए उत्सुक रहते हैं (पद 16)।
यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम दूसरों को भी दौड़ पूरी करने में मदद करते हुए प्रेम की दौड़ में भाग ले रहे हैं। यद्यपि यह कठिन हो सकता है, यह यीशु के लिए आदर लाता है। इसलिए, प्रेम के लिए, आइए हम दूसरों से प्रेम करने और उनकी सेवा करने के लिए हमें सशक्त बनाने के लिए उन पर भरोसा करें।
एक छोटे से टुकड़े से ज्यादा
जब हम किसी नई जगह पर जाते हैं तो हम सभी अपना कुछ हिस्सा पीछे छोड़ देते हैं। लेकिन विलास लास एस्ट्रेलास, अंटार्कटिका, एक ठंडी और उजाड़ जगह का एक दीर्घकालिक निवासी बनने के लिए, अपने आप को पीछे छोड़ना एक वास्तविक बात है। वहां निकटतम अस्पताल ही 625 मील दूर है, यदि किसी व्यक्ति का अपेंडिक्स(appendix) फट जाए तो गंभीर संकट में पड़ जाएगा। इसलिए प्रत्येक नागरिक को वहां जाने से पहले अपेंडिक्स को निकालने के लिए सर्जिकल ऑपरेशन से गुजरना पड़ता है।
कठिन, है ना? लेकिन यह परमेश्वर के राज्य का निवासी बनने जितना कठिन नहीं है। क्योंकि लोग यीशु का अनुसरण अपनी शर्तों पर करना चाहते हैं न कि उसकी शर्तों पर (मत्ती 16:25-27)), वह इसे पुनः परिभाषित करता है कि चेला होने का क्या अर्थ है। उसने कहा, “जो कोई मेरा चेला बनना चाहे वह अपने आप से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे हो ले” (पद. 24)। इसमें हमारा हर उस चीज़ को छोड़ना शामिल है जो उसके और उसके राज्य के बीच में आए। और जैसे ही हम अपना क्रूस उठाते हैं, हम मसीह की भक्ति के लिए सामाजिक और राजनीतिक उत्पीड़न और यहाँ तक कि मृत्यु को सहने की इच्छा की घोषणा करते हैं। जाने देने और क्रूस उठाने के साथ-साथ, हमें वास्तव में उसका अनुसरण करने की इच्छा भी रखनी है। ये बहुत तेजी से उसकी अगुवाई में चलने का ढंग है जैसे-जैसे वह अपनी सेवा और बलिदान में हमारा मार्गदर्शन करता है।
यीशु के पीछे चलने का अर्थ हमारे जीवन के एक छोटे से हिस्से को पीछे छोड़ने से कहीं अधिक है। जब वह हमारी मदद करता है, तो यह हमारे पूरे जीवन को, हमारे शरीर सहित, उसके आधीन और उसे समर्पित करने की बात है——केवल उसी को।
बताने वाला कमरा
उत्तरी स्पेन ने सहभागिता और मित्रता को व्यक्त करने का एक सुन्दर तरीका निकाला l हस्तनिर्मित गुफाओं से भरे ग्रामीण इलाकों में,प्रत्येक फसल के बाद कुछ किसान एक गुफा के ऊपर बने कमरे में बैठते और अपने विभिन्न खाद्य पदार्थों की सूची बनाते थेl जैसे-जैसे समय बीतता गया, कमरे को “बताने वाले कमरे” के रूप में जाना जाने लगा—एक ऐसा स्थान जहाँ मित्र और परिवार अपनी कहानियों, गोपनीय बातों और सपनों को साझा करने के लिए इकठ्ठा होते थेl यदि आपको सुरक्षित मित्रों की अन्तरंग सहभागिता की आवश्यकता पड़ती है,तो आप बताने वाले कमरे में जाते है l
अगर योनातान और दाऊद उत्तरी स्पेन में रहते होते, तो उनकी गहरी मित्रता ने उन्हें भी एक बताने वाला कमरा बनाने के लिए प्रेरित किया होताl जब राजा शाऊल इतना ईर्ष्यालु हो गया कि वह दाऊद को मारना चाहता था, तो शाऊल के सबसे बड़े पुत्र योनातान ने उसकी रक्षा की और उससे मित्रता की l वे दोनों “एक मन हो गए” (1 शमुएल 18:1) और योनातान “उसे अपने प्राण के समान प्यार करने लगा” (पद.1,3) और—यद्यपि वह सिंहासन का प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी था—राजा बनने के लिए दाऊद के दिव्य चुनाव को स्वीकार किया l उसने दाऊद को अपना वस्त्र, तलवार, धनुष और कटिबंध दिया (पद.4) बाद में,दाऊद ने घोषणा की कि एक मित्र के रूप में उसके लिए योनातान का गहरा प्रेम अद्भुत था I(2 शमुएल 1:26)
यीशु में विश्वासियों के रूप में, वह हमारे स्वयं के संबंधपरक(relational) “बताने के कमरे” बनाने में हमारी मदद करे—मित्रता जो मसीह के प्रेम और देखभाल को दर्शाती हैl आइए हम दोस्तों के साथ रहने के लिए समय निकालें, अपने हृदयों को खोलें, और उसमें एक दूसरे के साथ सच्ची संगति में रहें l
यीशु में विश्राम पाना
फ़ुजियान, चीन में शोधकर्ता गहन देखभाल इकाई(ICU) के मरीजों को अधिक अच्छी तरह से सोने में मदद करना चाहते थे l उन्होंने सिमुलेटेड/simulated ICU वातावरण (किसी वास्तविक चीज़,प्रक्रम या कार्यकलाप का किसी अन्य विधि से नक़ल करना)में परीक्षण मरीजों पर नींद में सहायक(sleep aids) के प्रभावों को मापा, तेज/साफ़, अस्पताल-ग्रेड प्रकाश व्यवस्था और मशीनों की बीप की आवाज़ और नर्सों की बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग की l उनके शोध से पता चला कि स्लीप मास्क(sleep mask) और ईयर प्लग(ear plug) जैसे उपकरणों ने उनके मरीजों के आराम में सुधार किया l लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि वास्विक ICU में वास्तव में बीमार मरीजों के लिए, शांतिपूर्ण नींद अभी भी मुश्किल होगी l
जब हमारा संसार संकट में है, तो हम विश्राम कैसे पा सकते हैं? बाइबल स्पष्ट है : उनके लिए शांति है जो परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, चाहे उनकी परिस्थितियाँ कैसी भी हों l नबी यशायाह ने भविष्य के समय के बारे में लिखा जब प्राचीन इस्राएलियों को कठिनाई के बाद पुनर्स्थापित किया जाएगा l वे नगर में निडर बसे रहेंगे, क्योंकि वे जानते थे, कि परमेश्वर ने उसे सुरक्षित किया है (यशायाह 26:1) वे भरोसा करेंगे कि वह उनके चारों ओर के संसार में भलाई लाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा था—“वह ऊँचे पदवाले को झुका देता [है],” उत्पीड़ितों को ऊँचा उठाता है, और न्याय लाता है (पद.5-6) वे जानेंगे कि “यहोवा सनातन चट्टान है,” और वे हमेशा के लिए उस पर भरोसा रख सकते थे (पद.4)
यशायाह ने लिखा, “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है” (पद.3) परमेश्वर आज भी हमें शांति और विश्राम प्रदान कर सकता है l हम उसके प्रेम और शक्ति की निश्चयता में आराम कर सकते हैं, चाहे हमारे आसपास कुछ भी हो रहा हो l
हमारे महान शिक्षक की तरह
एक वायरल वीडियो में तीन साल की सफेद बेल्ट कराटे की शिष्या ने अपने प्रशिक्षक की अनुकरण किया। छोटी लड़की ने लगन और दृढ़ विश्वास के साथ कहा कि शिष्य अपने अगुवे पर विश्वास रखता है। फिर, शिष्टता और सावधानी के साथ, ऊर्जा की छोटी, प्यारी गेंद के सामान उस शिष्या ने अपने शिक्षक की हर बात का अनुकरण करके दिखाया और—कम से कम उसने बहुत अच्छा काम करने का प्रयास किया!
यीशु ने एक बार कहा था, "चेला गुरू से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा वह अपने गुरू के समान होगा" (लूका 6:40)। उसने अपने शिष्यों से कहा कि उसका अनुकरण करने में उदार, प्रेमपूर्ण, गैर-न्यायिक बनना भी शामिल है(पद. 37-38) और इस बात को समझना कि वे किसके पीछे चल रहे हैं: “क्या अन्धा अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या वे दोनों गड़हे में नहीं गिरेंगे?” (व. 39) उसके शिष्यों को यह समझने की आवश्यकता थी कि यह मानक उन फरीसियों को अयोग्य ठहराता है जो अंधे अगुवे थे – वे लोगों को विपत्ति की ओर ले जा रहे थे (मत्ती 15:14) उन्हें अपने शिक्षक का अनुसरण करने के महत्व को समझने की आवश्यकता थी। मसीह के शिष्यों का उद्देश्य स्वयं यीशु के समान बनना था। और इसलिए उनके लिए ज़रूरी था कि वे उदारता और प्रेम के बारे में मसीह की शिक्षा पर ध्यान दें और उसे लागू करें।
विश्वासियों के रूप में आज यीशु की अनुकरण करने का प्रयास करते हैं, आइए हम अपने जीवन को अपने प्रधान शिक्षक को सौंप दें ताकि हम ज्ञान, बुद्धि और व्यवहार में उनके जैसे बन सकें। केवल वही हमें अपने उदार, प्रेमपूर्ण तरीकों को दर्शाने में मदद कर सकता है I
यीशु हमारा बचानेवाला
जो एक पाकिस्तानी घाटी में एक सामान्य केबल कार(cable car) यात्रा के रूप में शुरू हुयी वह एक भयानक कटु अनुभव में बदल गयी l यात्रा आरम्भ होने के कुछ ही समय बाद, दो सहायक केबल टूट गए, जिससे स्कूली बच्चों सहित आठ यात्री हवा में सैकड़ों फीट ऊपर लटक गए l स्थिति के कारण पाकिस्तानी सेना को बारह घंटे का कठिन बचाव अभियान चलाना पड़ा, जिन्होंने यात्रियों को बचाने के लिए ज़िपलाइन(ziplines), हेलीकॉप्टर और बहुत कुछ का इस्तेमाल किया l
उन अच्छी तरह से प्रशिक्षित बचावकर्ताओं की सराहना की जानी चाहिए, लेकिन उनका काम यीशु के शाश्वत कार्य की तुलना में छोटा है, जिसका मिशान हमें पाप और मृत्यु से बचाना और रक्षा करना था l यीशु मसीह के जन्म से पहले, एक स्वर्गदूत ने युसूफ को निर्देश दिया कि वह मरियम के घर जाए क्योंकि उसकी गर्भावस्था “पवित्र आत्मा” से थी(मत्ती 1:18,20) l युसूफ को अपने बेटे का नाम यीशु रखने के लिए भी कहा गया था, क्योंकि वह “अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार करेगा”(पद.21) l फिर भी, जबकि यह नाम पहली सदी में सामान्य था, केवल यही बच्चा उद्धारकर्ता बनने के योग्य था(लूका 2:30-32) l मसीह उन सभी के शाश्वत उद्धार को सील/सुनिश्चित करने और सुरक्षित करने के लिए सही समय पर आया जो पश्चाताप करते हैं और उस पर विश्वास करते हैं l
हम सभी पाप और मृत्यु की केबल कार में फंस गए थे, जो परमेश्वर से अनंत अलगाव की घाटी पर लटका हुआ था l लेकिन अपने प्यार और अनुग्रह में, यीशु हमें बचाने और हमें सुरक्षित रूप से हमारे स्वर्गिक पिता के घर ले जाने के लिए आया l उसकी प्रशंसा करें!
मसीह में मजबूत समर्थन
लन्दन मैराथन(लम्बी दौड़) में एक धावक ने अनुभव किया कि बड़ी/लम्बी दौड़ में अकेले दौड़ना क्यों महत्वपूर्ण नहीं है l महीनों की कठिन तैयारी के बाद, वह आदमी जोरदार अंत करना चाहता था l लेकिन जैसे ही वह समापन रेखा की ओर लड़खड़ाने लगा, उसने खुद को दोगुना थका हुआ और गिरने की कगार पर पाया l इससे पहले कि वह भूमि पर गिरता, दो साथी मैराथन धावकों ने उसकी बाँहें पकड़ लीं—एक बायीं ओर से और एक दायीं ओर से—और संघर्षरत धावक को दौड़ पूरी करने में मदद की l
उस धावक की तरह, सभोपदेशक का लेखक हमें कई महत्वपूर्ण फायदों की याद दिलाता है जो दूसरों को हमारे साथ जीवन की दौड़ में दौड़ने से मिलते हैं l सुलैमान ने यह सिद्धांत निर्धारित किया कि “एक से दो अच्छे हैं”(सभोपदेशक 4:9) l उसने संयुक्त प्रयासों और आपसी परिश्रम के फायदों पर प्रकाश डाला l उसने यह भी लिखा कि साझेदारी से “उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है”(पद.9) l कठिनाई के समय में, एक साथी “[दूसरे को उठाने]” के लिए उपस्थित रहता है(पद.10) l जब रातें अँधेरी और ठंडी होती हैं, तो मित्र “गर्म [रहने]” के लिए इकठ्ठा हो सकते हैं(पद.11) l और, खतरे के मध्य, दो लोग एक हमलावर का “सामना कर [सकते हैं]”(पद.12) l जिनका जीवन एक साथ बुना हुआ है, उनमें अत्यधिक शक्ति हो सकती है l
हमारी सभी कमजोरियों और निर्बलताओं के बावजूद, हमें यीशु में विश्वास करने वाले समुदाय के मजबूत समर्थन और सुरक्षा की ज़रूरत है l आइये एक साथ आगे बढ़ें क्योंकि वह हमारा नेतृत्व करता है l