चोरी की हुई मिठाइयों की कड़वाहट
जर्मनी में चोरों ने बीस टन से अधिक चॉकलेट से भरा एक ट्रक का रेफ्रिजरेटेड ट्रेलर चुरा लिया। चोरी की गई चॉकलेट की अनुमानित कीमत 80,000 डॉलर (लगभग 66 लाख) थी। स्थानीय पुलिस ने अपरंपरागत चैनलों के माध्यम से बड़ी मात्रा में चॉकलेट की पेशकश करने वाले किसी भी व्यक्ति से तुरंत इसकी रिपोर्ट करने को कहा। निश्चित रूप से जिन लोगों ने भारी मात्रा में चॉकलेट चुराईं, यदि वे पकड़े गए और मुकदमा चलाया गया तो उन्हें कड़वे और असंतोषजनक परिणाम भुगतने होंगे!
नीतिवचन इस सिद्धांत की पुष्टि करता है: "चोरी-छिपे की रोटी मनुष्य को मीठी तो लगती है, लेकिन अंत में उसका मुंह कंकड़ से भर जाता है" (20:17)। जो चीजें हम धोखे से या गलत तरीके से हासिल करते हैं, वे पहले-पहल उत्साह और अस्थायी आनंद से भरी हुई मीठी लग सकती हैं। लेकिन आख़िरकार इसका स्वाद ख़त्म हो जाएगा और हमारा धोखा हमारे लिए अभाव और संकट की स्थिति उत्पन्न कर देगा। अपराधबोध, भय और पाप के कड़वे परिणाम हमारे जीवन और प्रतिष्ठा को बर्बाद कर सकते हैं। "यहां तक कि छोटे बच्चे भी अपने कार्यों से जाने जाते हैं, [यदि] उनका आचरण वास्तव में शुद्ध और ईमानदार है" (पद 11)। हमारे शब्दों और कार्यों से परमेश्वर के प्रति शुद्ध हृदय प्रकट हो - स्वार्थी इच्छाओं की कड़वाहट नहीं।
जब हम प्रलोभित होते हैं, तो आइए परमेश्वर से हमें मजबूत करने और उसके प्रति वफादार बने रहने में मदद करने के लिए कहें। वह हमें प्रलोभन में पड़ने की अल्पकालिक "मिठास" के परिणाम देखने में मदद कर सकता है और हमारी पसंद के दीर्घकालिक परिणामों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के लिए हमारा मार्गदर्शन कर सकता है।
यीशु, हमारा स्थानापन्न व्यक्ति (किसी अन्य का स्थान लेने वाला व्यक्ति
एक बीस वर्षीय अमीर युवक अपने दोस्तों के साथ ड्रैग-रेस (एक प्रकार की मोटर या बाइक रेसिंग) कर रहा था, और उसी दौरान उसने एक पैदल चल रहे व्यक्ति को टक्कर मारकर मार डाला। हालाँकि उस युवक को तीन साल की जेल की सज़ा मिली, कुछ लोगों का मानना है कि जो व्यक्ति अदालत में पेश हुआ (और जिसने बाद में जेल की सज़ा काटी) वह उस अपराधी ड्राइवर(अमीर युवक) की जगह पर या उसके बदले में किराए पर लिया गया प्रतिनिधी व्यक्ति था; इस प्रकार की घटना कुछ देशों में होती देखी गई है जहाँ लोग अपने अपराधों के लिए भुगतान करने से बचने के लिए बॉडी डबल्स(एक समान दिखने वाला) को काम पर रखते हैं।
यह निंदनीय और अपमानजनक लग सकता है, लेकिन दो हजार साल से भी पहले, यीशु हमारा विकल्प बन गये और “अधर्मियों के लिये धर्मी ने [हमारे ]पापों के कारण एक बार दुःख उठाया” (1 पतरस 3:18)। परमेश्वर के पापरहित बलिदान के रूप में, मसीह ने एक ही बार में सभी के लिए कष्ट उठाया और मर गए (इब्रानियों 10:10), उन सभी के लिए जो उन पर विश्वास करते हैं। उन्होंने हमारे सभी पापों का दंड क्रूस पर अपने शरीर में ले लिया। आज उस व्यक्ति के विपरीत जो कुछ धन पाने के लिए अपराधी का विकल्प बनना चुनता है, क्रूस पर मसीह की हमारे बदले में (स्थानापन्न) मृत्यु ने हमारे लिए "आशा" प्रदान की क्योंकि उन्होंने स्वतंत्र रूप से, स्वेच्छा से हमारे लिए अपना जीवन दे दिया (1 पतरस 3:15, 18; यहुन्ना) 10:15)I उन्होंने हमारे और परमेश्वर के बीच की की दूरी को दूर करने के लिये ऐसा किया। क्यों न हम आनन्दित हो, और इस गहरे सत्य में आराम और आत्मविश्वास पाए कि: केवल यीशु की हमारे बदले में मृत्यु से ही हम - जरूरतमंद पापी - अपने प्यारे परमेश्वर के साथ एक रिश्ता बना सकते हैं और उस तक पूरी आत्मिक पहुंच बना सकते हैं।
सिर्फ़ परमेश्वर ही संतुष्टि दे सकता है
बहुत बड़ा झींगा, शावर्मा, सलाद, और बहुत कुछ - हज़ारों रुपये के मूल्य का भोजन - एक घर के मालिक को दिया गया। लेकिन वह आदमी पार्टी नहीं कर रहा था। वास्तव में, उसने स्मोर्गास्बोर्ड (बुफे जो विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ और व्यंजन पेश करता है)का ऑर्डर नहीं दिया था; बल्कि उसके छह साल के बेटे ने किया था। यह कैसे हो गया? पिता ने अपने बेटे को सोने से पहले अपने फोन से खेलने दिया और बेटे ने इसका इस्तेमाल कई रेस्तरां से महंगे इनाम खरीदने के लिए किया। "तुमने ऐसा क्यों किया?" पिता ने अपने बेटे से पूछा, जो उसकी रजाई के नीचे छिपा हुआ था। छह साल के बच्चे ने उत्तर दिया, "मैं भूखा था।" लड़के की भूख और अपरिपक्वता के कारण इसका परिणाम महंगा पड़ा।
एसाव की भूख की कीमत हजारों रुपये से भी अधिक थी। उत्पत्ति 25 की कहानी में वह थका हुआ और भोजन के लिए बेचैन दिखता है। उसने अपने भाई से कहा, “उसी लाल वस्तु में से मुझे कुछ खिला! मैं भूखा हूं!" (पद- 30)I याकूब ने उत्तर में एसाव से उसका पहिलौठे का जन्मसिद्ध अधिकार माँग लिया (पद-31)। जन्मसिद्ध अधिकार में एसाव का पहिलौठे पुत्र के रूप में विशेष स्थान, परमेश्वर के वादों का आशीर्वाद, विरासत का दोगुना हिस्सा और परिवार का आत्मिक अगुवा होने का विशेषाधिकार शामिल था। अपनी भूख के आगे झुकते हुए, एसाव ने "खाया और पिया" और "अपने पहिलौठे के अधिकार को तुच्छ जाना" (पद 34)।
जब हम प्रलोभित होते हैं और किसी चीज़ की इच्छा करते हैं, तब अपनी भूख को हमें महंगी गलतियों और पाप की ओर ले जाने के बजाय, आइए हम अपने स्वर्गीय पिता के पास जाएं - सिर्फ़ वे ही भूखी आत्मा को "उत्तम पदार्थों से" तृप्त करते है (भजन संहिता 107:9)।
भाग्य नहीं, लेकिन मसीह
डिस्कवर पत्रिका बताती है कि सृष्टि में लगभग 700 क्विनटिलियन(7 के बाद 20 शून्य) ग्रह हैं, लेकिन पृथ्वी जैसा केवल एक ही है l खगोलभौतिकीविद्(Astrophysicist) एरिक जैक्रिसन ने कहा कि जीवन को बनाए रखने के लिए किसी ग्रह की आवश्यकताओं में से एक “गोल्डीलॉक्स(Goldilocks)” क्षेत्र में परिक्रमा करना है, जहाँ तापमान बिलकुल सही है, और पानी मौजूद हो सकता है l 700 क्विनटिलियन ग्रहों में से, पृथ्वी एक ऐसा ग्रह प्रतीत होता है जहाँ स्थितियाँ बिलकुल सही है l जैक्रिसन ने निष्कर्ष निकाला कि पृथ्वी को किसी तरह “काफी भाग्यशाली सफलता(fairly lucky hand)” मिली है l
पौलुस ने कुलुस्से के विश्वासियों को निश्चय दिया कि सृष्टि किस्मत के कारण नहीं, बल्कि यीशु के कार्य के कारण अस्तित्व में है l प्रेरित मसीह को संसार के रचयिता के रूप में प्रस्तुत करता है : “क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुयी” (कुलुस्सियों 1:16) l न केवल यीशु संसार का शक्तिशाली निर्माता था, बल्कि पौलुस कहता है कि “सब वस्तुएँ उसी में स्थिर रहती हैं” (पद.17)—एक ऐसा संसार जो न बहुत गर्म है और न बहुत ठंडा, बल्कि एक ऐसा संसार जो मानव अस्तित्व के लिए बलकुल सही है l यीशु ने जो बनाया, वह अपनी सम्पूर्ण बुद्धि और अनवरत शक्ति से कायम है l
जब हम सृष्टि की सुन्दरता में भाग लेते हैं और उसका आनंद लेते हैं, आइए किस्मत की निरुद्देश्य गतिविधि की ओर इशारा न करें, बल्कि उद्देश्यपूर्ण, संप्रभु, शक्तिशाली और प्रेमपूर्ण व्यक्ति की ओर इशारा करें, जिसके पास “[परमेश्वर की] सभी पूर्णता” है (पद.19) l
विनम्र किया गया
अहंकार पहले आता है और अक्सर अपमान की ओर ले जाता है—कुछ ऐसा जो नॉर्वे के एक व्यक्ति को पता चला l यहाँ तक कि दौड़ने वाले कपड़े के बगैर भी, उस व्यक्ति ने अहंकारपूर्वक 400 मीटर बाधा दौड़ में विश्व रिकॉर्ड धारक कस्टर्न वारहोम, को दौड़ में चुनौती दी l वारहोम, एक इनडोर सार्वजनिक सुविधा/facility में प्रशिक्षण लेते हुए, चुनौती देने वाले से आगे निकल गए l समापन रेखा पर, दो बार का विश्व चैंपियन मुस्कुराया जब उस व्यक्ति ने ज़ोर देकर कहा कि उसका आरम्भ ख़राब रहा है और वह फिर से दौड़ लगाना चाहता है!
नीतिवचन 29:23 में हम पढ़ते हैं, “मनुष्य को गर्व के कारण नीचा देखना पड़ता है, परन्तु नम्र आत्मावाला महिमा का अधिकारी होता है l अभिमानियों के साथ परमेश्वर का व्यवहार इस पुस्तक में सुलैमान के पसंदीदा विषयों में से एक है (1:2; 16:18; 18:12) l इन पदों में अभिमान या अहंकार शब्द का अर्थ है “सूजन” या “फूला हुआ”—जो उचित रूप से ईश्वर का है उसका श्रेय लेना l जब हम अहंकार से भर जाते हैं, तो हम अपने बारे में जरुरत से ज्यादा सोचते हैं l यीशु ने एक बार कहा था, “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा : और जो कोई अपने आपको छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा” (मत्ती 23:12) l वह और सुलेमान दोनों हमें नम्रता और दीनता का अनुसरण करने के लिए निर्देशित करते हैं l यह झूठी विनम्रता नहीं है, बल्कि स्वयं को अधिकार देना और यह स्वीकार करना है कि हमारे पास जो कुछ भी है वह ईश्वर से आया है l यह बुद्धिमानी है और अहंकारपूर्वक “बातें करने में उतावली” नहीं करना है (नीतिवचन 29:) l
आइए परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह हमें खुद को विनम्र बनाकर उसका सम्मान करने और अपमान से बचने के लिए हृदय और बुद्धि दे l
अब और पक्षपात नहीं
कई साल पहले, जूली लैंड्समैन ने न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन ओपेरा ऑर्केस्ट्रा में मुख्य ट्रम्पेटर की भूमिका के लिए ऑडिशन (नमूना प्रदर्शन) दिया था। एमईटी नामक इस संगीतकंपनी ने न्यायाधीशों के पक्षपात से बचने के लिए अपने ऑडिशन को एक स्क्रीन के पीछे आयोजित किया। लैंड्समैन ने अपने ऑडिशन में अच्छा प्रदर्शन किया और प्रतियोगिता जीत ली। लेकिन जब वह स्क्रीन के पीछे से बाहर निकलीं, तो कुछ पुरुष जज कमरे के पीछे की ओर चले गए और उनसे मुंह मोड़ लिया। जाहिर है, वे किसी और की तलाश में थे।
जब इस्राएलियों ने एक राजा की मांग की, तो परमेश्वर ने लोगों को एक ऐसा व्यक्ति दिया जो अन्य राष्ट्रों की तरह शारीरिक रूप से प्रभावशाली था (1 शमूएल 8:5; 9:2)। लेकिन चूँकि राजा के रूप में शाऊल के पहले वर्ष अविश्वास और अवज्ञा से चिह्नित थे, इसलिए परमेश्वर ने शमूएल को एक नए राजा का अभिषेक करने के लिए बेथलेहेम भेजा (16:1-13)। जब शमूएल ने सबसे बड़े बेटे एलीआब को देखा, तो उसने मान लिया कि परमेश्वर ने उसे राजा बनने के लिए चुना है क्योंकि वह शारीरिक रूप से प्रभावशाली था। लेकिन परमेश्वर ने शमूएल की सोच को चुनौती दी: "लोग बाहरी रूप को देखते हैं, परन्तु यहोवा हृदय को देखता है" (पद7)। परमेश्वर ने अपने लोगों का नेतृत्व करने के लिए दाऊद को चुना था (पद12)।
अपने उद्देश्यों के लिए लोगों की क्षमता और उपयुक्तता का मूल्यांकन करते समय परमेश्वर, चरित्र, इच्छा और उद्देश्यों को देखते हैं। वह हमें दुनिया और लोगों को उसी तरह देखने के लिए तैयार होने के लिए आमंत्रित करता है जैसे वह करता है - लोगों के दिलों पर ध्यान केंद्रित करना, न कि उनके बाहरी स्वरूप या पहचान पर।
गलतियों से सीखना
भविष्य की आर्थिक गलतियों से बचने में मदद करने के लिए, जैसे कि 1929 और 2008 में हुई गलतियाँ, जिन्होंने दुनिया की अर्थव्यवस्था को नीचे ला दिया, लाइब्रेरी ऑफ मिस्टेक की स्थापना एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड में की गई थी। इसमें दो हजार से अधिक पुस्तकों का संग्रह है जो अगली पीढ़ी के अर्थशास्त्रियों को शिक्षित करने में मदद कर सकते हैं। और यह इस बात का एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे, लाइब्रेरी के क्यूरेटर (अध्यक्ष) के अनुसार, "स्मार्ट लोग मूर्खतापूर्ण काम करते रहते हैं।" क्यूरेटर का मानना है कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने का एकमात्र तरीका पिछली गलतियों से सीखना है।
पौलुस ने कुरिन्थियों को याद दिलाया कि प्रलोभन से बचने और एक मजबूत आत्मिक जीवन जीने का एक तरीका अतीत में परमेश्वर के लोगों की गलतियों से सीखना है। इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे अपने आत्मिक विशेषाधिकार के प्रति अति आत्मविश्वासी न हो जाएँए प्रेरित ने ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्राचीन इस्राएल की विफलताओं को एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया। मूर्तिपूजा में लगे इस्राएलियों ने "यौन अनैतिकता करना" चुना, परमेश्वर की योजनाओं और उद्देश्यों के बारे में बड़बड़ाया, और उसके अगुवों के खिलाफ विद्रोह किया। अपने पाप के कारण, उन्होंने उसके अनुशासन का अनुभव किया (1 कुरिन्थियों 10:7-10)। पौलुस ने यीशु में विश्वासियों को इस्राएल की गलतियों को दोहराने से बचने में मदद करने के लिए पवित्रशास्त्र से ये ऐतिहासिक "उदाहरण" प्रस्तुत किए (पद 11)।
जब कि परमेश्वर हमारी सहायता करता है, आइए हम अपनी और दूसरों द्वारा की गई गलतियों से सीखें ताकि हम उसके प्रति आज्ञाकारी हृदय प्राप्त कर सकें।
जीवन का मुकुट
बारह वर्षीय लीएडियानेज़ रोड्रिग्ज-एस्पाडा चिंतित थी कि उसे 5 किमी (3 मील से थोड़ा अधिक) दौड़ में देर हो जाएगी। उसकी उत्सुकता ने उसे अपने प्रारंभ समय से पंद्रह मिनट पहले हाफ-मैराथन (13 मील से अधिक!) के प्रतिभागियों के धावकों के साथ दौड़ शुरू करने को प्रेरित किया । लीएडियानेज़ अन्य धावकों की गति में गई और एक पैर दूसरे के सामने रखते गई। चार मील पर, जब समापन रेखा कहीं दिखाई नहीं दी, तब उसे एहसास हुआ कि वह एक लंबी और अधिक कठिन दौड़ में थी। बाहर निकलने के बजाय, वह बस दौड़ती रही। आकस्मिक हाफ मैराथन धावक ने अपने 13.1 मील का दौड़ पूरा किया और 2,111 धावको में से 1,885वें स्थान पर रही। अब यह है दृढ़ता!
यीशु में पहली सदी के कई विश्वासी सताव सहते हुए, मसीह की दौड़ से बाहर होना चाहते थे, लेकिन याकूब ने उन्हें दौड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। यदि उन्होंने धैर्य पूर्वक परीक्षा सहा, तो परमेश्वर उन्हें दोगुना इनाम देने का वादा किया (याकूब 1:4, 12)। पहला, “धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे” (पद.4)। दूसरा, परमेश्वर उन्हें "जीवन का वह मुकुट" देगा—पृथ्वी पर यीशु में जीवन और आने वाले जीवन में उसकी उपस्थिति में रहने का वादा (पद.12) ।
कभी-कभी मसीही दौड़ ऐसा महसूस होता है कि यह वह नहीं है जो मैं इंगित किया था—यह हमारी उम्मीद से अधिक लंबा और कठिन है। लेकिन जैसे परमेश्वर हमारी ज़रूरतों को पूरी करता है, हम दृढ़ रह सकते और दौड़ते रह सकते हैं। आप इस समय कौन सा कठिनाई सह रहे हैं?
परमेश्वर का छुटकारा
एक करुणामय स्वयंसेवक को उसके बहादुरी के कार्य हेतु उसे एक “संरक्षक दूत” (guardian angel) कहके संबोधित किया गया। जेक मन्ना अपने काम के स्थान पर सोलर पैनल लगा रहा था जब वह एक लापता पांच वर्षीय लड़की को ढूंढने के लिए तत्काल खोज में शामिल हो गया। जब पड़ोसियों ने अपनी गराजों और आंगनों में ढूंढा । मन्ना भी लड़की को ढूंढने के लिए एक नजदीकी मार्ग पर सीधा निकल गया जब वह एक जंगली क्षेत्र पर पहुंचा तो उसने वहां पर लड़की को कमर तक कीचड़ में फंसे हुए देखा उसने बड़ी ही सावधानी से उस गंदी दलदल से उसे बाहर निकाला और उसे किसी भी क्षति के बिना उसकी धन्यवादी माँ को लौटा दिया।
उस छोटी बच्ची की तरह, दाऊद ने भी छुटकारे का अनुभव किया। भजनकार भी अपनी पीड़ा में परमेश्वर को पुकार कर उसकी करुणा के लिए "धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की" (भजन संहिता 40:1)। और परमेश्वर ने किया, उसने उसकी पुकार की ओर अपनी दृष्टि की और सहायता देते हुए उसे उस कीचड़ रूपी परिस्थिति से बाहर निकाला (पद 2)—दाऊद के जीवन को स्थिर किया। बीते समय की दलदल से जब परमेश्वर ने उसे बचा निकाला तब उसके हृदय में स्तुति के भजन गाने लगा, जिससे भविष्य की परिस्थितियों में परमेश्वर को अपना भरोसा बनाए और अपनी कहानी दूसरों के साथ साझा कर सके (पद 3-4)।
जब हम स्वयं को जीवन की चुनौतियों जैसे आर्थिक मंदी, विवाहित परेशानियां और अयोग्य महसूस करने जैसी परिस्थितियों से घिरा हुआ पाते हैं, तो हम परमेश्वर की ओर अपनी आवाज को उठाएं और बड़े धीरज के साथ उसके प्रत्युत्तर की अपेक्षा करें (पद 1)। वह वहाँ है, हमारी ज़रूरत के समय में हमारी मदद करने और हमें खड़े होने के लिए एक स्थाई जगह देने के लिए तैयार है।।