यीशु में विश्राम पाना
फ़ुजियान, चीन में शोधकर्ता गहन देखभाल इकाई(ICU) के मरीजों को अधिक अच्छी तरह से सोने में मदद करना चाहते थे l उन्होंने सिमुलेटेड/simulated ICU वातावरण (किसी वास्तविक चीज़,प्रक्रम या कार्यकलाप का किसी अन्य विधि से नक़ल करना)में परीक्षण मरीजों पर नींद में सहायक(sleep aids) के प्रभावों को मापा, तेज/साफ़, अस्पताल-ग्रेड प्रकाश व्यवस्था और मशीनों की बीप की आवाज़ और नर्सों की बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग की l उनके शोध से पता चला कि स्लीप मास्क(sleep mask) और ईयर प्लग(ear plug) जैसे उपकरणों ने उनके मरीजों के आराम में सुधार किया l लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि वास्विक ICU में वास्तव में बीमार मरीजों के लिए, शांतिपूर्ण नींद अभी भी मुश्किल होगी l
जब हमारा संसार संकट में है, तो हम विश्राम कैसे पा सकते हैं? बाइबल स्पष्ट है : उनके लिए शांति है जो परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, चाहे उनकी परिस्थितियाँ कैसी भी हों l नबी यशायाह ने भविष्य के समय के बारे में लिखा जब प्राचीन इस्राएलियों को कठिनाई के बाद पुनर्स्थापित किया जाएगा l वे नगर में निडर बसे रहेंगे, क्योंकि वे जानते थे, कि परमेश्वर ने उसे सुरक्षित किया है (यशायाह 26:1) वे भरोसा करेंगे कि वह उनके चारों ओर के संसार में भलाई लाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा था—“वह ऊँचे पदवाले को झुका देता [है],” उत्पीड़ितों को ऊँचा उठाता है, और न्याय लाता है (पद.5-6) वे जानेंगे कि “यहोवा सनातन चट्टान है,” और वे हमेशा के लिए उस पर भरोसा रख सकते थे (पद.4)
यशायाह ने लिखा, “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है, क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है” (पद.3) परमेश्वर आज भी हमें शांति और विश्राम प्रदान कर सकता है l हम उसके प्रेम और शक्ति की निश्चयता में आराम कर सकते हैं, चाहे हमारे आसपास कुछ भी हो रहा हो l
हमारे महान शिक्षक की तरह
एक वायरल वीडियो में तीन साल की सफेद बेल्ट कराटे की शिष्या ने अपने प्रशिक्षक की अनुकरण किया। छोटी लड़की ने लगन और दृढ़ विश्वास के साथ कहा कि शिष्य अपने अगुवे पर विश्वास रखता है। फिर, शिष्टता और सावधानी के साथ, ऊर्जा की छोटी, प्यारी गेंद के सामान उस शिष्या ने अपने शिक्षक की हर बात का अनुकरण करके दिखाया और—कम से कम उसने बहुत अच्छा काम करने का प्रयास किया!
यीशु ने एक बार कहा था, "चेला गुरू से बड़ा नहीं, परन्तु जो कोई सिद्ध होगा वह अपने गुरू के समान होगा" (लूका 6:40)। उसने अपने शिष्यों से कहा कि उसका अनुकरण करने में उदार, प्रेमपूर्ण, गैर-न्यायिक बनना भी शामिल है(पद. 37-38) और इस बात को समझना कि वे किसके पीछे चल रहे हैं: “क्या अन्धा अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या वे दोनों गड़हे में नहीं गिरेंगे?” (व. 39) उसके शिष्यों को यह समझने की आवश्यकता थी कि यह मानक उन फरीसियों को अयोग्य ठहराता है जो अंधे अगुवे थे – वे लोगों को विपत्ति की ओर ले जा रहे थे (मत्ती 15:14) उन्हें अपने शिक्षक का अनुसरण करने के महत्व को समझने की आवश्यकता थी। मसीह के शिष्यों का उद्देश्य स्वयं यीशु के समान बनना था। और इसलिए उनके लिए ज़रूरी था कि वे उदारता और प्रेम के बारे में मसीह की शिक्षा पर ध्यान दें और उसे लागू करें।
विश्वासियों के रूप में आज यीशु की अनुकरण करने का प्रयास करते हैं, आइए हम अपने जीवन को अपने प्रधान शिक्षक को सौंप दें ताकि हम ज्ञान, बुद्धि और व्यवहार में उनके जैसे बन सकें। केवल वही हमें अपने उदार, प्रेमपूर्ण तरीकों को दर्शाने में मदद कर सकता है I
यीशु हमारा बचानेवाला
जो एक पाकिस्तानी घाटी में एक सामान्य केबल कार(cable car) यात्रा के रूप में शुरू हुयी वह एक भयानक कटु अनुभव में बदल गयी l यात्रा आरम्भ होने के कुछ ही समय बाद, दो सहायक केबल टूट गए, जिससे स्कूली बच्चों सहित आठ यात्री हवा में सैकड़ों फीट ऊपर लटक गए l स्थिति के कारण पाकिस्तानी सेना को बारह घंटे का कठिन बचाव अभियान चलाना पड़ा, जिन्होंने यात्रियों को बचाने के लिए ज़िपलाइन(ziplines), हेलीकॉप्टर और बहुत कुछ का इस्तेमाल किया l
उन अच्छी तरह से प्रशिक्षित बचावकर्ताओं की सराहना की जानी चाहिए, लेकिन उनका काम यीशु के शाश्वत कार्य की तुलना में छोटा है, जिसका मिशान हमें पाप और मृत्यु से बचाना और रक्षा करना था l यीशु मसीह के जन्म से पहले, एक स्वर्गदूत ने युसूफ को निर्देश दिया कि वह मरियम के घर जाए क्योंकि उसकी गर्भावस्था “पवित्र आत्मा” से थी(मत्ती 1:18,20) l युसूफ को अपने बेटे का नाम यीशु रखने के लिए भी कहा गया था, क्योंकि वह “अपने लोगों को उनके पापों से उद्धार करेगा”(पद.21) l फिर भी, जबकि यह नाम पहली सदी में सामान्य था, केवल यही बच्चा उद्धारकर्ता बनने के योग्य था(लूका 2:30-32) l मसीह उन सभी के शाश्वत उद्धार को सील/सुनिश्चित करने और सुरक्षित करने के लिए सही समय पर आया जो पश्चाताप करते हैं और उस पर विश्वास करते हैं l
हम सभी पाप और मृत्यु की केबल कार में फंस गए थे, जो परमेश्वर से अनंत अलगाव की घाटी पर लटका हुआ था l लेकिन अपने प्यार और अनुग्रह में, यीशु हमें बचाने और हमें सुरक्षित रूप से हमारे स्वर्गिक पिता के घर ले जाने के लिए आया l उसकी प्रशंसा करें!
मसीह में मजबूत समर्थन
लन्दन मैराथन(लम्बी दौड़) में एक धावक ने अनुभव किया कि बड़ी/लम्बी दौड़ में अकेले दौड़ना क्यों महत्वपूर्ण नहीं है l महीनों की कठिन तैयारी के बाद, वह आदमी जोरदार अंत करना चाहता था l लेकिन जैसे ही वह समापन रेखा की ओर लड़खड़ाने लगा, उसने खुद को दोगुना थका हुआ और गिरने की कगार पर पाया l इससे पहले कि वह भूमि पर गिरता, दो साथी मैराथन धावकों ने उसकी बाँहें पकड़ लीं—एक बायीं ओर से और एक दायीं ओर से—और संघर्षरत धावक को दौड़ पूरी करने में मदद की l
उस धावक की तरह, सभोपदेशक का लेखक हमें कई महत्वपूर्ण फायदों की याद दिलाता है जो दूसरों को हमारे साथ जीवन की दौड़ में दौड़ने से मिलते हैं l सुलैमान ने यह सिद्धांत निर्धारित किया कि “एक से दो अच्छे हैं”(सभोपदेशक 4:9) l उसने संयुक्त प्रयासों और आपसी परिश्रम के फायदों पर प्रकाश डाला l उसने यह भी लिखा कि साझेदारी से “उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है”(पद.9) l कठिनाई के समय में, एक साथी “[दूसरे को उठाने]” के लिए उपस्थित रहता है(पद.10) l जब रातें अँधेरी और ठंडी होती हैं, तो मित्र “गर्म [रहने]” के लिए इकठ्ठा हो सकते हैं(पद.11) l और, खतरे के मध्य, दो लोग एक हमलावर का “सामना कर [सकते हैं]”(पद.12) l जिनका जीवन एक साथ बुना हुआ है, उनमें अत्यधिक शक्ति हो सकती है l
हमारी सभी कमजोरियों और निर्बलताओं के बावजूद, हमें यीशु में विश्वास करने वाले समुदाय के मजबूत समर्थन और सुरक्षा की ज़रूरत है l आइये एक साथ आगे बढ़ें क्योंकि वह हमारा नेतृत्व करता है l
पवित्र आत्मा उपस्थित है
एक घरेलू उड़ान के लिए उड़ान से पहले जांच करते समय, एक फ्लाइट अटेंडेंट ने देखा कि एक महिला यात्री उड़ान के बारे में बहुत ही व्याकुल और चिंतित दिख रही थी l अटेंडेंट गलियारे वाली सीट पर बैठ गया, और उसका हाथ पकड़ लिया, उड़ान प्रक्रिया के प्रत्येक चरण को समझाया, और उसे निश्चित किया कि वह अच्छी रहेगी l उसने कहा, “जब आप विमान पर चढ़ते हैं, तो यह हमारे बारे में नहीं है, यह आपके बारे में है l” “और यदि आप अच्छा महसूस नहीं कर रही हैं, तो मैं यह कहने के लिए वहाँ रहना चाहता हूँ, ‘अरे, क्या परेशानी है? क्या ऐसा कुछ है जो मैं कर सकता हूँ?” उनकी देखभाल करने वाली उपस्थिति इस बात की एक तस्वीर हो सकती है कि यीशु ने क्या कहा था कि पवित्र आत्मा उसके विश्वासियों के लिए क्या करेगा l
मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण लोगों को उनके पापों से बचाने के लिए आवश्यक और लाभदायक था, लेकिन यह शिष्यों के हृदयों में भावनात्मक अशांति और गहरा दुःख भी पैदा करने वाला था(यूहन्ना 14:1) l इसलिए उसने उन्हें निश्चित किया कि संसार में उसके मिशन/उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाएगा l वह पवित्र आत्मा को उनके साथ रहने के लिए भेजने वाला था—“एक सलाहकार/पक्ष-समर्थक/advocate[उनकी] सहायता करने के लिए और हमेशा के लिए [उनके] साथ रहने के लिए एक वकील”(पद.16) l आत्मा यीशु के बारे में साक्षी देगा और उन्हें मसीह द्वारा किये और कहे गए सभी कार्यों की याद दिलाएगा(पद.26) l कठिन समय में उसके द्वारा उनकी “उन्नति” होगी(प्रेरितों 9:31) l
इस जीवन में, हर कोई—मसीह में विश्वासियों सहित—चिंता, भय और दुःख की अशांति का अनुभव करेगा l लेकिन उसने वादा किया है कि उसकी अनुपस्थिति में, पवित्र आत्मा हमें सांत्वना देने के लिए मौजूद है l
आत्मिक राजसी सत्ता
जब यू एस ए के जे स्पाइट्स ने डी.एन.ए परीक्षण कराया, तो उन्हें जो परिणाम मिले, उसके लिए उन्हें कोई भी चीज़ तैयार नहीं कर सकती थी। एक बहुत बड़ी आश्चर्य कर देने वाली बात पता चली—वह पश्चिमी अफ़्रीकी देश बेनिन के राजकुमार थे! जल्द ही वह एक विमान में बैठे और देश का दौरा किया। जब वह वहाँ पहुंचे, तो शाही परिवार ने उनका स्वागत किया और घर वापसी पर जश्न मनाया - नाच, गाना, झंडे फहराना और एक परेड।
यीशु, परमेश्वर की खुशखबरी के एलान के रूप में पृथ्वी पर आये। वह अपनी प्रजा, इस्राएलियों के पास गए, ताकि उन्हें सुसमाचार दे सके और उन्हें अंधकार से बाहर निकलने का रास्ता दिखा सके। कई लोगों ने बेपरवाही के साथ संदेश लिया, "सच्ची ज्योति" (यूहन्ना 1:9) को अस्वीकार कर दिया और उन्हें मसीहा के रूप में स्वीकार करने से इनकार किया (पद 11)। लेकिन लोगों के बीच अविश्वास और बेपरवाही सामान्य नहीं थी। कुछ लोगों ने ख़ुशी और विनम्रता से मसीह के निमंत्रण को स्वीकार किया, यीशु को पाप के लिए परमेश्वर के अंतिम बलिदान के रूप में स्वीकार करके, उनके नाम पर विश्वास किया। और इन शेष विश्वासयोग्य लोगों के लिए एक आश्चर्य इंतज़ार कर रहा था। उसने "उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया" (पद 12) - नए आत्मिक जन्म द्वारा उसके राजकीय संतान बन जाए।
जब हम पाप और अंधकार से फिरते हैं, यीशु को स्वीकार करते हैं, और उनके नाम पर विश्वास करते हैं, तो हम जान पाते है कि हम परमेश्वर की संतान हैं, जिन्हें उनके परिवार में राजघराने के रूप में अपनाया गया है। राजा की संतान होने की जिम्मेदारियों को निभाते हुए इस आशीष का आनंद लें।
मसीह में सच्चाई से बोलना
एक आदमी झूठ बोलकर अपने ट्रैफिक चलान के भुक्तान से बचने में माहिर था। जब वह अदालत में विभिन्न न्यायाधीशों के सामने पेश होता, तो वो एक ही कहानी सुनाता: "मेरा अपने दोस्त से झगड़ा हो गया था और वह मेरी जानकारी के बिना मेरी कार ले गई।" इसके अलावा, नौकरी के दौरान दुर्व्यवहार के लिए उसे बार-बार फटकार भी लगाई जाती थी। अभियोजकों ने अंततः उस पर झूठी गवाही देने के चार आरोप लगाए, और शपथ के तहत न्यायाधीशों से कथित तौर पर झूठ बोलने के लिए जालसाजी के पांच मामले और फर्जी पुलिस रिपोर्ट उपलब्ध कराने के मामले । इस आदमी के लिए झूठ बोलना जीवन भर की आदत बन गई थी।
इसके विपरीत, प्रेरित पौलुस ने कहा कि सच बोलना यीशु में विश्वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण आदत है। उसने इफिसियों को याद दिलाया कि उन्होंने अपने जीवन को मसीह को समर्पित करके अपने पुराने जीवन जीने के तरीके को त्याग दिया है (इफिसियों 2:1-5)। इसलिए अब, जबकि वें एक नई सृष्टि बन गए है तो उन्हें कुछ कामों को अपने जीवन में शामिल करते हुए नया जीवन जीना भी आवश्यक है । ऐसा एक काम जिसे करना छोडना है – वह है –"झूठ को छोडना " - और दूसरा काम जिसे अभ्यास में लाना है- "अपने पड़ोसी से सच बोलना" (4:25)। क्योंकि इससे कलीसिया की एकता सुरक्षित रहती है, इसलिए इफिसियों के लिए था कि उनके शब्द और काम हमेशा "दूसरों के निर्माण (उन्नति) " के लिए हो (पद 29)।
जब पवित्र आत्मा हमारी सहायता करता है (पद 3-4), यीशु में विश्वास करने वाले अपने शब्दों और कामों में सत्य के लिए प्रयास कर सकते हैं। तब कलीसिया एकीकृत होगी, और परमेश्वर को इसके द्वारा आदर पहुँचेगा।
यीशु के प्रकट चिन्ह
एक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने व्यक्तिगत सेल फोन उपयोगकर्ताओं के लक्षणों और जीवनशैली की आदतों की पहचान करने के लिए प्रायोगिक आणविक स्वाब परिक्षण(swab test) चलाया l उन्होंने ऐसी चीज़ों के अलावा, सेल फोन उपयोगकर्ताओं द्वारा उपयोग किये जाने वाले साबुन, लोशन, शैम्पू और मेकअप की खोज की; उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले भोजन, पेय और दवाओं का प्रकार; और उन्होंने किस प्रकार के कपड़े पहने थे l अध्ययन ने शोधकर्ताओं को प्रत्येक व्यक्ति की जीवनशैली का प्रोफाइल बनाने की अनुमति दी l
बेबीलोन में प्रशासकों ने किसी भी नकारात्मक लक्षण या जीवशैली की आदतों का पता लगाने के लिए नबी दानिय्येल के जीवन को लाक्षणिक रूप से “स्वाब/swab” किया l लेकिन उसने लगभग सत्तर वर्षों तक ईमानदारी से साम्राज्य की सेवा की—जिसे “विश्वासयोग्य और . . . [जिसके] काम में कोई भूल या दोष [नहीं पाया गया] (दानिय्येल 6:4) l वास्तव में, नबी को राजा दारा द्वारा अपने कई राज्यपालों के “तीन अध्यक्षों” में से एक के रूप में पदोन्नत किया गया था (पद. 1-2) l शायद ईर्ष्या के कारण, ऐसे अधिकारी दानिय्येल में भ्रष्टाचार के चिन्ह तलाश रहे थे ताकि वे उससे छुटकारा पा सकें l हालाँकि, उन्होंने अपनी ईमानदारी को अखण्ड बनाए रखा, और “जैसा वह . . . करता था, वैसा ही तब भी” परमेश्वर की सेवा और प्रार्थना “करता रहा” (पद.10) l अंत में, नबी अपनी भूमिका में सफल हुआ (पद.28) l
हमारा जीवन प्रकट चिन्ह छोड़ता है जो इंगित करता है कि हम कौन हैं और हम किसका प्रतिनिधित्व करते हैं l हालाँकि हम संघर्ष करते हैं और परिपूर्ण नहीं हैं, जब हमारे आस-पास के लोग हमारे जीवन की “जांच” करते हैं, तो उन्हें यीशु के प्रति निष्ठा और भक्ति के दृश्यमान निशान मिल सकते हैं जब वह हमारा मार्गदर्शन करता है l
उजागर पाप
एक चोर एक फ़ोन की मरम्मत की दुकान में घुस गया, डिस्प्ले केस का शीशा तोड़ दिया, और फ़ोन वगैरह चुराने लगा। उसने अपने सिर को कार्डबोर्ड बॉक्स से ढककर निगरानी कैमरे से अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की। लेकिन चोरी के दौरान, बक्सा कुछ देर के लिए पलट गया, जिससे उसका चेहरा उजागर हो गया। कुछ मिनट बाद, दुकान के मालिक ने डकैती का वीडियो फुटेज देखा, पुलिस को बुलाया और उन्होंने लुटेरे को पास की दुकान के बाहर गिरफ्तार कर लिया। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि हर छिपा हुआ पाप एक दिन उजागर हो जाएगा।
अपने पापों को छिपाने का प्रयास करना मानव स्वभाव है। लेकिन सभोपदेशक में, हम पढ़ते हैं कि हमें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए, क्योंकि हर छिपी हुई चीज़ को उसकी धार्मिक दृष्टि और न्यायपूर्ण फैसले के सामने लाया जाएगा (12:14)। लेखक ने लिखा, " परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। " (पद 13)। यहां तक कि गुप्त बातें जिन्हें दस आज्ञाओं ने धिक्कारा (लैव्यव्यवस्था 4:13) भी उसके मूल्यांकन से नहीं बच पाएंगी। वह हर कार्य का निर्णय करेगा, चाहे वह अच्छा हो या बुरा। लेकिन, उसकी कृपा के कारण, हम यीशु में अपने पापों की क्षमा पा सकते हैं, और हमारी ओर से उनका बलिदान पा सकते हैं (इफिसियों 2:4-5)।
जब हम उसकी आज्ञाओं के प्रति सचेत होते हैं और उन्हें आत्मसात करते हैं, तो इससे उनके प्रति श्रद्धापूर्ण भय पैदा हो सकता है और उससे मेल खाने वाली जीवनशैली बन सकती है। आइए हम अपने पापों को उसके पास लाएँ और उसके प्रेमपूर्ण, क्षमाशील हृदय का नए सिरे से अनुभव करें।