Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by

हे प्रभु, मेरे हृदय को जांच

भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए, सिंगापुर में एक सुपरमार्केट श्रृंखला थोड़े दागदार फल और सब्जियाँ कम कीमतों पर बेचती है। एक वर्ष में, इस पहल से 850 टन (778,000 किलोग्राम) से अधिक उपज की बचत हुई, जिसे पहले सुंदरता मानकों को पूरा न करने के कारण फेंक दिया जाता था। दुकानदारों को जल्द ही पता चला कि बाहरी दिखावे- निशान और विचित्र आकार, स्वाद और पोषण मूल्य को प्रभावित नहीं करते हैं। बाहर क्या है यह हमेशा यह निर्धारित नहीं करता कि अंदर क्या है।

भविष्यवक्ता शमूएल ने भी यह सबक  सीखा जब उसे परमेश्वर द्वारा इस्राएल के अगले राजा का अभिषेक करने के लिए भेजा गया था (1 शमूएल 16:1)। जब उसने यिशै के ज्येष्ठ पुत्र एलीआब को देखा, तो शमूएल ने सोचा कि वह चुना हुआ है। परन्तु परमेश्‍वर ने कहा: “  न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है।" ( पद 7)। यिशै के आठ पुत्रों में से, परमेश्वर ने सबसे छोटे पुत्र दाऊद को, जो अपने पिता की भेड़ों की देखभाल कर रहा था (पद 11) को अगला राजा चुना।  

यहोवा को बाहरी रूप की तुलना में हमारे मनों  की अधिक चिंता है - हमने किस स्कूल में पढ़ाई की, हम क्या कमाते हैं, या हम कितनी स्वेच्छा से काम करते हैं। यीशु ने अपने शिष्यों को अपने मनों को स्वार्थी और बुरे विचारों से शुद्ध करने पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया क्योंकि "जो मनुष्य से निकलता है वही उसे अशुद्ध करता है" (मरकुस 7:20)। जैसे शमूएल ने बाहरी दिखावे पर विचार न करना सीखा, यहोवा की सहायता से, क्या हम, ईश्वर की सहायता से, जो कुछ भी करते हैं उसमें अपने मनों , अपने विचारों और इरादों की जाँच कर सकते हैं । 

 

उदार विश्वास

कुछ साल पहले, हमारे चर्च को राजनितिक नेतृत्व में उथल-पुथल भरे बदलाव के बाद अपने देश से भाग रहे शरणार्थियों के अतिथि-सत्कार के लिए आमंत्रित किया गया था l कई परिवार केवल उतना ही लेकर आए जितना वे एक छोटे बैग में रख सकते थे l हमारे कई चर्च परिवारों ने उनके लिए अपने घर दिए, जिनमें कुछ ऐसे भी थे जिनके पास बहुत कम जगह थी l 

जब वे प्रतिज्ञात देश में प्रवेश किये तो उनका दयालु आतिथ्य इस्राएलियों को दिए गए परमेश्वर के तिगुना आदेश को दर्शाता है (व्यवस्थाविवरण 24:19-21) l एक कृषक समाज के रूप में, वे फसल का महत्व समझते थे l अगले वर्ष तक के लिए फसलें प्राप्त करना आवश्यक था l यह परमेश्वर की आज्ञा को “परदेशी, अनाथ, और विधवा” के लिए [कुछ] छोड़ने” (पद.19) को उस पर भरोसा करने का एक अनुरोध भी बनाता है l इस्राएलियों को उदारता का अभ्यास न केवल तब देना था जब वे जानते थे कि उनके पास पर्याप्त है, बल्कि ऐसे हृदय से देना जो परमेश्वर के प्रबंध पर भरोसा करता हो l ऐसा आतिथ्य एक अनुस्मारक भी था “कि [वे] मिस्र में दास थे” (पद.18,22) l वे एक समय उत्पीडित और निराश्रित थे l उनकी उदारता उन्हें बंधन से मुक्त करने में परमेश्वर की दयालुता की याद दिलाती थी l 

यीशु में विश्वास करने वालों से भी इसी तरह उदार होने का आग्रह किया जाता है l पौलुस हमें याद दिलाता है, “वह [मसीह]धनी होकर भी तुम्हारे लिए कंगाल बन गया, ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ” (2 कुरिन्थियों 8:9) l हम देते हैं क्योंकि उसने हमें दिया है l 

 

मसीह द्वरा साफ़ किया गया

मेरा पहला थोड़े समय का मिशन, यात्रा ओडिशा के जंगल में नदी के किनारे एक चर्च बनाने में सहायता करने के लिए थी l एक दोपहर, हम उस क्षेत्र के कुछ घरों में से एक में गए जहाँ पानी का फ़िल्टर था l जब हमारे मेजबान ने कुंए का गन्दा पानी फ़िल्टर के ऊपर डाला, तो कुछ ही मिनटों में सारी गन्दगी दूर हो गयी और साफ़. स्वच्छ पीने का पानी दिखाई देने लगा l वहीँ उस आदमी के बैठक कक्ष(living-room) में, मैंने इस बात का आभास हुआ कि मसीह द्वारा  शुद्ध किये जाने का क्या अर्थ है l 

जब हम पहली बार अपने दोष और शर्म के साथ यीशु के पास आते हैं और उससे हमें क्षमा  करने के लिए कहते हैं और हम उन्हें अपने उद्धारकर्ता के रूप में मान लेते हैं, तो वह हमारे पापों से शुद्ध करता है और हमें नया बनाता है l हम ठीक वैसे ही शुद्ध हो जाते हैं जैसे गंदा पानी साफ़ फीने के पानी में बदल गया था l यह जानना कितनी ख़ुशी की बात है कि यीशु के बलिदान के कारण हम परमेश्वर के साथ सही स्थिति में हैं (2 कुरिन्थियों 5:21) और यह जानना कि परमेश्वर हमारे पापों को उतनी ही दूर कर देता है जितना पूर्व पश्चिम से है (भजन 103:12) l

लेकिन प्रेरित यूहन्ना हमें याद दिलाता है कि इसका अर्थ यह नहीं है कि हम फिर कभी पाप नहीं करेंगे l जब हम पाप करते हैं तो हम पानी के फ़िल्टर की छवि से सुनिश्चित हो सकते हैं और यह जानकर सांत्वना पा सकते हैं कि “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” (1 यूहन्ना 1:9) l

आइये यह जानकार आत्मविश्वास से जीएं कि हम लगातार मसीह द्वारा शुद्ध किए जा रहे हैं l 

 

बिना तैयारी किए हुए स्तुति करना

इथियोपिया की एक अल्पकालिक मिशन यात्रा के दौरान, हमारी टीम एक स्थानीय मंत्रालय की एक अन्य टीम के साथ उन युवाओं के एक समूह तक पहुंच रही थी, जो कठिन समय से जूझ रहे थे और वस्तुतः कबाड़खाने में झोंपड़ियों में रह रहे थे। कैसा अद्भुत आनंद था उनसे मिलना! हमने एक साथ अपनी गवाहियाँ, प्रोत्साहन के शब्द और प्रार्थनाएँ साझा कीं। उस शाम मेरे पसंदीदा क्षणों में से एक वह था जब एक स्थानीय टीम के सदस्य ने अपना गिटार बजाया और हमें रोशन चाँद के नीचे अपने नए दोस्तों के साथ आराधना करने का मौका मिला। कितना पवित्र क्षण! अपनी निराशाजनक स्थिति के बावजूद, इन लोगों के पास आशा और खुशी थी जो केवल यीशु में ही पाई जा सकती है।

प्रेरितों के काम 16 में, हम एक और अचानक रूप से की गयी प्रशंसा के समय के बारे में पढ़ते हैं। यह फिलिप्पी शहर की एक जेल में हुआ। यीशु की सेवा करते समय पौलुस और सीलास को गिरफ्तार कर लिया गया, पीटा गया, कोड़े मारे गए और कैद में डाला गया। निराशा में पड़ने के बजाय, उन्होंने जेल की कोठरी में "प्रार्थना और गायन" करके परमेश्वर की आराधना की। "अचानक इतना भयंकर भूकंप आया कि जेल की नींव हिल गई। एक ही बार में सभी जेल के दरवाजे खुल गए, और सभी की जंजीरें खुल गईं” (पद 25-26)।

जेलर का पहला विचार अपना जीवन समाप्त करने का आया, लेकिन जब उसे एहसास हुआ कि कैदी भागे नहीं, उसमे परमेश्वर के प्रति भयपूर्वक आदर उत्पन हुआ, और उसके परिवार में उद्धार आया(पद 27-34)।

परमेश्वर प्रसन्न होता है जब हमें उसकी स्तुति करते है। आइए जीवन के उतार-चढ़ाव दोनों के दौरान उसकी आराधना करें।

 

एक आत्मिक विरासत छोड़ना

किशोरावस्था में, मैं और मेरी बहन यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने के मेरी माँ के फैसले को नहीं समझ पाए, लेकिन हमने उनमें जो बदलाव देखे, उन्हें हम नकार नहीं सकते थे। उनमें अधिक शांति और आनंद था और वह विश्वासयोग्यता से कलीसिया में सेवा करने लगी। उनमें बाइबल का अध्ययन करने की ऐसी भूख थी कि उन्होंने मदरसा में दाखिला लिया और ग्रेजुएट भी हुई। मेरी माँ के फैसले के कुछ साल बाद, मेरी बहन ने यीशु मसीह को ग्रहण किया और उनकी सेवा करने लगी। और उसके कुछ साल बाद, मैंने भी यीशु पर भरोसा रखा और उसकी सेवा करना शुरू कर दिया। कई वर्षों के बाद, मेरे पिता भी उस पर विश्वास करने में हमारे साथ शामिल हो गए। मसीह के लिए मेरी माँ के फैसले ने हमारे समीप और विस्तारित परिवार के बीच जीवन बदलने वाला प्रभाव पैदा किया।

जब प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को अपना अंतिम पत्र लिखा और उसे यीशु में अपने विश्वास पर कायम रहने के लिए प्रोत्साहित किया, तो उसने तीमुथियुस की आत्मिक विरासत पर विख्यात किया। "मुझे तेर उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है, जो पहले तेरी नानी लोइस और तेरी माता यूनीके में था, और मुझे निश्चय हुआ है, कि तुझ में भी है" (2 तीमुथियुस 1:5)।

माताओं और दादियों/नानियों, आपके निर्णय पीढ़ियों को प्रभावित कर सकते हैं।

यह कितना सुंदर है कि तीमुथियुस की माँ और नानी ने उसके विश्वास को पोषित करने में मदद की ताकि वह वह व्यक्ति बन सके जिसके लिए परमेश्वर में उसकी बुलाहट थी।

इस मातृ दिवस और उसके बाद, आइए उन माताओं का सम्मान करें जिन्होंने यीशु का अनुसरण करने का निर्णय लिया है।

आइए अपने प्रियजनों के लिए एक आत्मिक विरासत भी छोड़ें।

 

स्वर्ग में स्वामी

सिंगापुर के मिनिस्ट्री ऑफ मैनपावर (जनशक्ति मंत्रालय) ने 2022 में घोषणा की कि सभी प्रवासी घरेलू मज़दूरों को छुट्टी देने के बजाय महीने में कम से कम एक दिन का विश्राम दिया जाना चाहिए, जिसका मुआवज़ा मालिक उन्हें नहीं दे सकते। हालाँकि, मालिक चिंतित थे कि उन दिनों उनके प्रियजनों की देखभाल के लिए उनके पास कोई नहीं होगा। जबकि देखभाल की संचालन व्यवस्था का वैकल्पिक प्रबंध करके हल किया जा सकता था, लेकिन विश्राम की आवश्यकता को न देखने के उनके रवैये को हल करना उतना आसान नहीं था।

दूसरों के साथ विचारपूर्वक व्यवहार करना कोई नया मुद्दा नहीं है। प्रेरित पौलुस जिस समय में रहते थे तब नौकरों को उनके मालिकों की संपत्ति के रूप में देखा जाता था। फिर भी, मसीह–समान घरों को कैसे संचालित करना चाहिए, इस पर कलीसिया को अपने निर्देशों की अंतिम पंक्ति में, वह कहते हैं कि स्वामियों को अपने सेवकों के साथ "न्यायपूर्वक" व्यवहार करना चाहिए (कुलुस्सियों 4:1 ESV)। एक अन्य अनुवाद कहता है, "उनके साथ निष्पक्ष रहें" (THE MESSAGE)।

जैसे पौलुस सेवकों को कहते है "जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो,यह समझकर कि मनुष्यों के लिए नहीं परन्तु प्रभु के लिए करते हो” (3:23), वह स्वामियों को भी उनके ऊपर यीशु के अधिकार की याद दिलाते है: " स्वर्ग में तुम्हारा भी एक स्वामी है" (4:1)I उनका उद्देश्य कुलुस्से के विश्वासियों को उन लोगों के रूप में जीने के लिए प्रोत्साहित करना था जिनका अंतिम अधिकारी मसीह है। दूसरों के साथ हमारे आपसी व्यवहार में - चाहे एक मालिक, कर्मचारी के रूप में, हमारे घरों या समुदायों में - हम परमेश्वर से "सही और निष्पक्ष" काम करने में मदद करने के लिए कह सकते हैं (पद- 1)।

संकट की पुकार

भूकंप के कारण दो मंजिलों के ढहे मलबे के नीचे फंसी पांच वर्षीय सीरियाई लड़की जिनान ने अपने आस पास के मलबे के बीच घिरे हुए अपने छोटे भाई की रक्षा करते हुए उसने बचाव दल को बुलाया, दिल तोड़ देने वाले शब्दों में कहा कि "मुझे यहाँ से बाहर निकालिए; मैं आपके लिए कुछ भी करूंगी, मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी।   

संपूर्ण भजन संहिता में संकट की पुकार पाई जाती हैं: "मैं ने सकेती में परमेश्वर को पुकारा ,परमेश्वर ने मेरी सुनकर, मुझे चौड़े स्थान पर पहुँचाया"(118:5)। हालाँकि हम कभी भी भूकंप से ढही इमारतों के कुचले हुए भार का अनुभव नहीं करते हैं, हम सभी चुनौतीपूर्ण रोग, आर्थिक कठिनाई, भविष्य के बारे में अनिश्चितता, या रिश्तों को खोने पर दम घुटने वाली आशंकाओं को जानते हैं।

उन क्षणों में हम मुक्ति के लिए परमेश्वर के सामने समझौते का सौदा या सेवा-शर्त का प्रस्ताव रख सकते है। लेकिन परमेश्वर से मदद के लिए हमें उन्हें राज़ी करने की जरूरत नहीं है। वे उत्तर देने का वादा करते है, और हालांकि हम तुरंत अपनी स्थिति में राहत नहीं पाते है, फिर भी वे हमारी ओर से और हमारे साथ है। हमें मृत्यु सहित किसी भी अन्य खतरे से डरने की ज़रूरत नहीं है। हम भजनकार के साथ कह सकते हैं, “यहोवा मेरी ओर मेरे सहायकों में है; मैं अपने बैरियों पर दृष्टी कर संतुष्ट हूँगा” (पद- 7)। 

हमें उतने प्रभावशाली या नाटकीय बचाव का वादा नहीं किया गया है जितना कि जिनान और उसके भाई ने अनुभव किया था, लेकिन हम अपने वफादार परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं, जो भजनकार को "चौड़े स्थान पर" ले आए (पद- 5)। वह हमारी स्थिति जानता है और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, यहाँ तक कि मृत्यु में भी।

पूरी तरह से मसीह के प्रति समर्पित

1920 में, एक चीनी पादरी की छठी संतान जॉन सुंग को संयुक्त राज्य अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली। उन्होंने सर्वोच्च सम्मान के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, मास्टर कार्यक्रम पूरा किया और पीएचडी प्राप्त की। लेकिन पढ़ाई करते-करते वह परमेश्वर से दूर हो गये थे। फिर, 1927 में एक रात, उन्होंने अपना जीवन मसीह को समर्पित कर दिया और उपदेशक बनने के लिए बुलाया गयामहसूस किया।

चीन में उच्चवेतन वाले कई अवसर उसका इंतजार कर रहे थे, लेकिन जहाज से घर लौटते समय, उसे पवित्र आत्मा द्वारा अपनी महत्वाकांक्षाओं को त्यागने के लिए समझाया। अपनी प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में, उन्होंने अपने सभी पुरस्कार समुद्र में फेंक दिए, अपने माता-पिता को उनके प्रति सम्मान के कारण देने के लिए केवल अपना पीएचडी प्रमाणपत्र ही रखा।

जॉन सुंग ने समझा कि यीशु ने उनके शिष्य बनने के बारे में क्या कहा था: "यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? (मरकुस 8:36) जैसा कि हम स्वयं को अस्वीकार करते हैं और मसीह और उनके नेतृत्व का अनुसरण करने के लिए अपने पुराने जीवन को पीछे छोड़ देते हैं (पद 34-35), इसका मतलब व्यक्तिगत इच्छाओं और भौतिक लाभ का त्याग करना हो सकता है जो हमें उसका अनुसरण करने से विचलित करते हैं।

अगले बारह वर्षों तक, जॉन ने पूरे चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में हजारों लोगों को सुसमाचार का प्रचार करते हुए, अपने परमेश्वर द्वारा दिया गयामिशन को पूरे दिल से चलाया। हमारे बारे में क्या ख्याल है? हमें प्रचारक या मिशनरी बनने के लिए नहीं बुलाया जा सकता है, परन्तु अपनी आत्मा के द्वारा हम में कार्य करके, जहाँ कहीं परमेश्वर हमें सेवा करने के लिये बुलाता है, क्या हम पूरी तरह से उसके प्रति समर्पित हो सकते हैं।

एक साधारण अनुरोध

"सोने जाने से पहले कृपया सामने का कमरा साफ कर देना”, मैंने अपनी एक बेटी से कहा। तुरंत उत्तर आया,“ वह क्यों नहीं करती है?” जब हमारी बेटियाँ  छोटी थीं तब हमारे घर में ऐसा हल्का विरोध अक्सर होता था। मेरी प्रतिक्रिया हमेशा एक ही थी: “अपनीबहनोंकेबारेमेंचिंतामतकरो; मैनें आपसे कहा है।"

यूहन्ना 21 में, हम शिष्यों के बीच इस मानवीय प्रवृत्ति को चित्रित करते हुए देखते हैं। पतरस द्वारा तीन बार अपना इन्कार किये जाने के बादयीशु ने पतरस को बहाल कर दिया था (यूहन्ना 18:15-18, 25-27देखें)। अब यीशु ने पतरस से कहा, मेरे पीछे हो ले! (पद 21:19)—एक सरल लेकिन दर्दनाक आदेश। यीशु ने समझाया कि पतरस मृत्यु तक उसका पीछा करेगा (पद 18-19)।

पतरस के पास यीशु के शब्दों को समझने का समय ही नहीं था, इससे पहले उसने उनके पीछे आते शिष्य के बारे में पूछा: " हे प्रभु, इस का क्या?" (पद 21). यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं चाहूं कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या??”फिर उन्होंने कहा, "तू मेरे पीछे हो ले।" (पद 22)।

कितनी बार हम पतरसकी तरह होते हैं! हम दूसरों की विश्वास यात्राओं के बारे में सोचते हैं न कि परमेश्वर हमारे साथ क्या कर रहे हैं उसके बारे में । अपने जीवन के अंत में, जब यूहन्ना 21 में यीशु की मृत्यु की भविष्यवाणी बहुत करीब थी, पतरस ने मसीह के सरल आदेश को विस्तार से बताया: और “आज्ञाकारी बालकों की नाई अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो।पर जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो।"(1 पतरस 1:14-15)। यह हममें से प्रत्येक को यीशु पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए पर्याप्त है, न कि हमारे आस-पास के लोगों पर।