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वह जानता है

यमुना नर्स के रूप में मुम्बई में एक नौकरी शुरू करने वाली थी। वह अपने परिवार के लिए गाँव से ज्यादा कमा  सकती थी, जहाँ नौकरी के अवसर सीमित थे। उसने जाने से पहले रात को अपनी बहन को निर्देश दिया जो उसकी 5 साल की बेटी का ध्यान रखती। “यदि तुम उसे एक चम्मच चीनी  दो, तो वह अपनी दवाइयां पी लेगी” यमुना ने समझाया और, याद रखो वह शर्मीली है। वह अपने चचेरे भाई–बहनों के साथ अंततः खेलेगी। और वह अँधेरे से डरती है।

अगले दिन ट्रेन की खिड़की से बाहर देखते हुए यमुना ने प्रार्थना की प्रभु मेरी बेटी को मेरे जैसे कोई नहीं जानता। मैं उसके साथ नहीं रह सकती, पर आप रह सकते हैं।

जिनसे हम प्रेम करते हैं हम  उन्हें जानते हैं, और हम उनकी सारी बातों पर पर ध्यान देते हैं क्योंकि वह हमारे लिए अनमोल है। जब हम विभिन्न परिस्थितियों के कारण उनके साथ नहीं रह सकते, तो हम अक्सर चिंतित रहते हैं क्योंकि जितना हम उन्हें जानते है उतना कोई नहीं जानता, वे नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

भजन 139 में दाऊद हमें याद दिलाता है  कि परमेश्वर हमें किसी और से ज्यादा जानता है। उसी तरह वह हमारे प्रियजनों को घनिष्टता से जानता है (पद1–4)।वह उनका सृष्टिकर्ता है (पद13–15) इसलिए वह उनकी जरूरतों को समझता है। वह जानता है कि प्रतिदिन उनकी जिंदगियों में क्या होगा।(पद16) और वह उनके साथ है और उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा (5: 7–10)

जब आप दूसरों के लिए चिंतित है, तो उन्हें परमेश्वर को सौंपे क्योंकि वह उन्हें सबसे अच्छे से जानता और सबसे ज्यादा प्यार करता।

जल से बढ़कर

चर्च की मेरी शुरूआती बचपन की यादें एक पास्टर का गलियारे में चलकर, हमें चुनौती देने की है, “अपने बप्तिस्मा के जल को याद करें l” “जल को याद करें?” मैंने खुद से पूछा l आप जल को किस तरह याद कर सकते हैं? वह आगे बढ़कर सभी लोगों पर जल छिड़कने लगे, जिससे एक किशोर होने के कारण मैं हर्षित किया और भ्रमित भी l

हम बप्तिस्मा के विषय विचार क्यों करें? जब एक व्यक्ति बप्तिस्मा लेता है, इसमें जल से बढ़कर और बहुत कुछ है l बप्तिस्मा संकेत है कि किस प्रकार यीशु में विश्वास के द्वारा, हम उसे “पहन लेते हैं” (गलातियों 3:27) l या दूसरे शब्दों में, यह उत्सव मानना है कि हम उसके हैं और वह हमारे साथ और हमारे अन्दर जीवित है l

मानो यदि वह पर्याप्त रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, यह परिच्छेद हमें बताता है कि यदि हमने मसीह को पहन लिया है हमारी पहचान उसी में पाई जाती है l हम परमेश्वर की संतान हैं (पद.26) l वैसे तो, परमेश्वर के साथ हमारा मेल विश्वास के द्वारा हुआ है – पुराना नियम की व्यवस्था के पालन से नहीं (पद.23-25) l हम लिंग, संस्कृति और स्थिति द्वारा एक दूसरे के खिलाफ विभाजित नहीं हैं। हम स्वतंत्र हैं और मसीह के द्वारा एकता में लाये गए हैं और अब उसके हैं (पद.29) l

इसलिए बप्तिस्मा और उसके हर एक प्रतीक को याद करने के बहुत अच्छे कारण हैं l हम केवल उस कार्य पर ध्यान नहीं देते हैं परन्तु यह कि हम यीशु के हैं और परमेश्वर की संतान बन गए हैं l हमारी पहचान, भविष्य, और आत्मिक स्वतंत्रता उसी में पायी जाती है l

दृष्टिकोण में अंतर

पिछले 30 वर्षों के अंतराल में मेरे गृह-शहर ने इस वर्ष सबसे अधिक सर्दी के मौसम का अनुभव किया था l घंटों बर्फ को बेलचे से साफ़ करते हुए मेरी बाँहें दर्द करने लगीं l अपने प्रयास को व्यर्थ समझकर जब मैं थकी हुई घर के अन्दर आयी, जलती हुई आग की गर्मी मुझे मिली जिसके चारों-ओर मेरे बच्चे थे l घर के अन्दर से खिड़की से देखने पर मौसम के प्रति मेरा दृष्टिकोण बिलकुल बदला हुआ था l यह न देखकर कि मेरे पास बहुत काम है, मैंने पेड़ों पर जमीं बर्फ की खूबसूरती देखी और किस तरह पूरा परिदृश्य बर्फ से ढका हुआ था l

भजन 73 में आसाप के शब्दों को पढ़ते हुए, मैं उसके समान, बल्कि और अधिक मार्मिक अंतर देखती हूँ l प्रारम्भ में, वह संसार के कार्य करने के तरीके पर दुखित हुआ, अर्थात् किस तरह बुरे लोगों का कुशल होता है l वह भीड़ से अलग जीवन जीने के महत्त्व पर एवं दूसरों की भलाई के लिए जीवन पर शक करता है (पद.13) l किन्तु जब वह परमेश्वर के पवित्रस्थान में प्रवेश करता है, उसका दृष्टिकोण बदल जाता है (पद.16-17) : वह स्मरण करता है कि परमेश्वर संसार के साथ और उसकी समस्याओं के साथ न्याय करेगा, और उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है, कि परमेश्वर के साथ रहना भला है (पद.28) l

जब हम अपने संसार के अनवरत समस्याओं से प्रभावित होते हैं, हम प्रार्थना में परमेश्वर के पवित्रस्थान में प्रवेश करके जीवन-परिवर्तन करनेवाली, दृष्टिकोण- बदलनेवाली सच्चाई की गर्माहट प्राप्त कर सकते हैं अर्थात् उसका निर्णय हमारे निर्णय से उत्तम है l भले ही हमारी परिस्थितियां न बदलें, हमारी दृष्टिकोण बदल सकती है l