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Articles by माइक विटमर

मसीह में उपयोगी (फलदायी) विश्वासी

सिंडी एक गैर-लाभकारी कंपनी में अपनी नई नौकरी के लिए उत्साहित थी। बदलाव लाने का क्या ही बढ़िया अवसर है! उसे जल्द ही पता चला कि उसके सहकर्मी उसके उत्साह से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कंपनी के उद्देश्य का मज़ाक उड़ाया और अपने खराब प्रदर्शन के लिए बहाने बनाए क्योंकि वे कहीं और अधिक आकर्षक पदों की तलाश में थे। सिंडी ने सोचा कि काश उसने इस नौकरी के लिए कभी आवेदन ही न दिया होता। जो दूर से अच्छा लग रहा था वह नजदीक से निराशाजनक था।

आज की कहानी में वर्णित अंजीर के पेड़ के साथ यीशु की यही समस्या थी (मरकुस 11:13)। यह मौसम की शुरुआत थी, फिर भी पेड़ की पत्तियों ने संकेत दिया कि इसमें ताज़े अंजीर हो सकते हैं। परन्तु नहीं, पेड़ में पत्तियाँ तो उग आई थीं, मगर अभी तक फल नहीं लगे थे। निराश होकर, यीशु ने पेड़ को श्राप दिया कि, "अब से कोई तेरा फल कभी न खाए" (पद 14)। और अगली सुबह तक पेड़ पूरी तरह सूख गया था (पद-20)।

एक बार मसीह ने चालीस दिन का उपवास किया था, इसलिए वह जानते थे कि बिना भोजन के कैसे रहना है। अंजीर के पेड़ को श्राप देना उनकी भूख के बारे में नहीं था। यह एक प्रेरणादायक पाठ था। पेड़ इस्राएल का प्रतिनिधित्व करता था, जिसके पास सच्चे धर्म की पकड़ तो थी लेकिन वह अपना मतलब खो चुका था। वे अपने मसीहा, परमेश्वर के पुत्र को मारने वाले थे। वे और कितने बंजर (बेकार) हो सकते हैं?

हम दूर से अच्छे दिख सकते हैं, लेकिन यीशु पास आते हैं, उस फल की तलाश में जो केवल उनकी आत्मा ही पैदा कर सकती है। हमारा फल शानदार नहीं होना चाहिए, लेकिन यह अलौकिक (दिव्‍य) अवश्य होना चाहिए, जैसे कठिन समय में प्रेम, आनंद और शांति (गलातियों 5:22)। आत्मा पर भरोसा करते हुए, हम तब भी यीशु के लिए फल उत्पन्न कर सकते हैं।

आवश्‍यकता से अधिक प्रेम

फ्लाइट (उड़ान) में मेरी सह यात्री ने मुझे बताया कि वह नास्तिक थी और एक ऐसे शहर में आकर बस गई थी जहाँ कई मासीहियो के घर थे । जब उसने बताया कि उसके अधिकांश पड़ोसी चर्च जाते हैं, तो मैंने उसके अनुभव के बारे में पूछा। उसने कहा कि वह उनकी उदारता का बदला कभी नहीं चुका सकती। जब वह अपने विकलांग पिता को अपने नए देश में लेकर आई, तो उसके पड़ोसियों ने उसके घर तक एक रैंप बनाया और एक अस्पताल का बिस्तर और चिकित्सा का सामान  दान किया। उन्होंने कहा, "अगर मसीही होना किसी को इतना दयालु बनाता है, तो हर किसी को मसीही होना चाहिए।" 

बिल्कुल वही जो यीशु को आशा थी कि वह कहेगी! उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में बढाई करें I" (मत्ती 5:16) पतरस ने मसीह की आज्ञा सुनी और उसे आगे बढ़ाया: "अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिए कि जिन जिन बातों में वह तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं; वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें ।" (1 पतरस 2:12)

हमारे पड़ोसी जिन्हें यीशु पर विश्वास नहीं है, वे यह नहीं समझ सकते कि हम क्या विश्वास करते हैं और हम उस पर क्यों विश्वास करते हैं। परेशान मत होइए, जब तक कि वे एक और चीज़ को समझ नहीं लेते हैं: वह है हमारा आवश्‍यकता से अधिक प्रेम। मेरी सहयात्री को आश्चर्य हुआ कि उसके मसीही पड़ोसी उसकी देखभाल करना जारी रखते हैं, भले ही वह, उसके शब्दों में, "उनमें से एक" नहीं है। वह जानती है कि यीशु के कारण प्रेम किया गया है, और वह परमेश्वर को धन्यवाद देती है। हो सकता है कि वह अभी भी उस पर विश्वास न करती हो, लेकिन वह आभारी है कि दूसरे ऐसा करते हैं। 

अजनबी का स्वागत

एवरीथिंग सैड इज़ अनट्रू(Everything Sad Is Untrue) में, डैनिएल नेयरी ने अपनी माँ और बहन के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में एक शरणार्थी शिविर के द्वारा उत्पीड़न से सुरक्षा तक की अपनी कष्टदायक उड़ान का वर्णन किया है l एक बुजुर्ग दम्पति उनके आर्थिक संरक्षक बनने के लिए सहमत हो गए, हालाँकि वे उन्हें नहीं जानते थे l वर्षों बाद भी, डैनिएल अभी भी इससे उबर नहीं पाया है l वे लिखते हैं, “क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? पूरी तरह से दृष्टिहीन होकर, उन्होंने ऐसा किया l वे हमसे कभी मिले भी नहीं l और अगर हम ईमानदार नहीं निकले, तो उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी l वह तो लगभग उतना ही बहादुर, दयालु और लापरवाह है जितना मैंने किसी भी व्यक्ति के बारे में सोच सकता हूँ l” 

फिर भी ईश्वर चाहता है कि हम दूसरों के प्रति उस स्तर की चिंता रखें l उन्होंने इस्राएल से कहा कि वह विदेशियों के प्रति दयालु रहे l “उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (लैव्यव्यवस्था 19:34) l वह यीशु में विश्वास करने वाले गैर-यहूदी विश्वासियों को याद दिलाता है—अर्थात हम में से कई लोग—कि एक बार हम “मसीह से अलग” थे . . . प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वररहित थे” (इफिसियों 2:12) l इसलिए वह हम सभी पूर्व विदेशियों, चाहे यहूदी हो या गैरयहूदी, को आदेश देता है कि हम “अतिथि-सत्कार करना न [भूलें]” (इब्रानियों 13:2) l 

अब अपने स्वयं के परिवार के साथ बड़े होकर, डैनिएल जिम और जीन डॉसन की प्रशंसा करते हैं, “जो इतने मसीही थे कि उन्होंने शरणार्थियों के एक परिवार को अपने साथ तब तक रहने दिया जब तक कि उन्हें घर नहीं मिल गया l” 

ईश्वर अजनबी का स्वागत करता है और हमसे भी उनका स्वागत करने का आग्रह करता है l

निशान/दाग़ से सीखना

फेय ने अपने पेट पर के निशान को छुआ। पेट के कैंसर को हटाने के लिए उसे एक और सर्जरी करवाना पड़ा था। इस बार डॉक्टरों ने उसके पेट का कुछ हिस्सा निकाला और एक दांतेदार निशान छोड़ दिया जो उनके काम के दायरे को प्रकट किया। उसने अपने पति से कहा, “निशान या तो कैंसर के दर्द को या चंगाई के शुरुआत को प्रदर्शित करता हैं। मैं अपने घावों को चंगाई के चिन्ह के रूप में चुनती हूं।

 

याकूब को भी परमेश्वर के साथ पूरी रात मल्लयुद्ध करने के बाद इसी प्रकार के चुनाव का सामना करना पड़ा । दिव्य हमलावर ने याकूब के कूल्हे को सॉकेट(socket) से उखाड़ दिया, जिससे याकूब थक गया और ध्यान देने योग्य लंगड़ाता हुआ रह गया। महीनों बाद, जब याकूब ने अपने कोमल कमर का मालिश किया, तो मैं सोचता हूँ कि उसने किस चीज पर विचार किया?

 

क्या वह धोखे के वर्षों के लिए पछतावे से भरा था जिसने यह विनाशक युद्ध को मजबूर किया? दिव्य दूत ने उससे सत्य निकाल लिया था, और उसे तब तक आशीर्वाद देने से इनकार किया जब तक याकूब ने उसे स्वीकार नहीं किया कि वह कौन है। उसने यह स्वीकार किया कि वह याकूब था, "एड़ी पकड़ने वाला" (उत्पत्ति 25:26 देखें)। उसने लाभ प्राप्त करने के लिए अपने भाई एसाव और ससुर लाबान के साथ छल किया और उन्हें धोखा दिया। दिव्य मल्लयोद्धा ने कहा कि याकूब का नया नाम "इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्‍वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।" (पद.28)।

 

याकूब का लंगड़ाना उसके धोखे के पुराने जीवन की मृत्यु और परमेश्वर के साथ उसके नए जीवन की शुरुआत को दर्शाता है। याकूब का अंत और इस्राएल का आरंभ। उसके लंगड़ाहट ने उसे परमेश्वर पर निर्भर होने के लिए प्रेरित किया, जो अब उसके अंदर और उसके द्वारा शक्तिशाली रूप से आगे बढ़ रहा था।

प्रार्थना के माध्यम से प्रेम

एलेन का बजट सीमित था, इसलिए क्रिसमस बोनस पाकर वह खुश थी। उतना काफी था, लेकिन जब उसने पैसा जमा किया तो उसे एक और आश्चर्य मिला। अकाउंटेंट ने कहा कि क्रिसमस के तोहफे के रूप में बैंक ने उसका जनवरी का लोन भुगतान उसके चेकिंग/चालू खाते में जमा कर दिया था। अब वह और ट्रे(Trey) अन्य बिलों का भुगतान कर सकते थे और किसी और को क्रिसमस का उपहार दे सकते थे!

 

हमारी अपेक्षा से परे हमें आशीर्वाद देने का तरीका परमेश्वर के पास है। नाओमी अपने पति और बेटों के मौत से दुखी और टूट गई थी (रूत 1:20-21)। बोअज़ ने उसके निराशाजनक स्थिति से बचाया, एक रिश्तेदार जिसने उसके बहू से विवाह किया और उसके और नाओमी के लिए एक घर प्रदान किया (4:10)।

 

शायद नाओमी यही उम्मीद कर सकती थी। लेकिन फिर परमेश्वर ने रूत और बोअज़ को एक पुत्र का आशीर्वाद दिया। अब नाओमी के पास एक पोता था जो उसके “जी में जी ले आनेवाला और [उसके] बुढ़ापे में पालनेवाला हो” (पद.15) । इतना ही काफ़ी होता। जैसा कि बैतलहम के महिलाओं ने कहा,  "नाओमी के एक बेटा उत्‍पन्‍न हुआ है” (पद.17) l फिर छोटा ओबेद बड़ा हुआ—और “यिशै का पिता और दाऊद का दादा हुआ” (पद.17)। नाओमी का परिवार इस्राएल के शाही वंश से था, जो इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण राजवंश था! इतना ही काफ़ी होता। यद्दपि, दाऊद, यीश का पूर्वज बना।

                                             

यदि हम मसीह में विश्वास करते हैं, तो हम नाओमी के समान स्थिति में हैं। जब तक उन्होंने हमें छुटकारा नहीं दिलाया हमारे पास कुछ नहीं था। अब हम अपने पिता द्वारा पूरी रीती से स्वीकार किए गये हैं, जो हमें दूसरों को आशीर्वाद देने के लिए आशीर्वाद देते हैं। यह पर्याप्त से कहीं अधिक है।

परमेश्वर द्वारा घर में स्वागत

शर्मन स्मिथ ने जब डेलैंड मैककुल्लौघ को मियामी यूनिवर्सिटी, अमेरिका के लिए खेलने का चयन किया तो वह उससे बहुत प्रेम करने लगे और उसके लिए एक पिता समान बन गए जो डेलैंड  के पास न था। डेलैंड शर्मन का बहुत बड़ा प्रशंसक था और वह उसकी तरह ही बनना चाहता था । एक दशक के बाद जब डेलैंड को अपनी जन्म देने वाली माँ का पता चला तो उसकी मां ने उसे एक खबर सुना कर चौका दिया की, "तुम्हारे पिता का नाम शर्मन स्मिथ है" हां यह वही शर्मन स्मिथ । कोच शर्मन स्मिथ यह जानकर चौक गए कि उनके पास एक पुत्र है, और डेलैंड  भी यह जानकर हैरान हो गया कि जिसे वह अपने पिता के समान देखता आया था वह वास्तव में उसका पिता ही था!

अगली बार जब मिले तो शर्मन डेलैंड को गले लगाते हुए कहा, "मेरे बेटे" । डेलैंड ने ऐसा कभी किसी पिता से नहीं सुना था वह जानता था कि शर्मन किस स्थान से खड़े होकर कह रहे थे, "मैं तुझ पर गर्व करता हूं, यह मेरा पुत्र है" और वह आनंद से भर गया।

हमें भी अपने स्वर्गीय पिता के सिद्ध प्रेम को जानने के बाद आनंद से भर जाना चाहिए । यूहन्ना लिखता है, "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएँ!” (1 यूहन्ना 3:1) हम डेलैंड की तरह स्तब्ध हैं, जिसने यह सोचने की हिम्मत नहीं की कि शर्मन जैसा कोई व्यक्ति उसका पिता हो सकता है। क्या यह सचमुच सच है? यूहन्ना जोर देकर कहते हैं, हाँ,"हम हैं भी" (पद 1)।

यदि तुम यीशु पर विश्वास करते हो तो उसके पिता तुम्हारे भी पिता है । आप अनाथ और दुनिया में अकेला महसूस कर सकते हैं। परंतु सच्चाई यह है कि तुम्हारा एक पिता है और वही एकमात्र सिद्ध है और वह आपको अपना बच्चा कहने में गर्व महसूस करता है।

तीन राजा

खलनायक के रूप में चित्रित किया गया है। हालाँकि, किंग जॉर्ज पर लिखी एक नई जीवनी में यह कहा गया है कि वह हैमिल्टन या एमेरीकास  डिक्लेरेशन आफ इनडीपैन्डैन्स  में  वर्णित अत्याचारी जैसे नहीं थे। यदि जॉर्ज क्रूरनिर्दयी   होते जैसा कि अमेरिकियों ने कहा कि वह थे, तो वह अत्यधिक कठोर सैन्य नीति के साथ स्वतंत्रता के लिए किये गए उनके अभियान को रोक सकते थे। परन्तु उनके "सभ्य, अच्छे स्वभाव” ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।

कौन जानता है कि किंग जॉर्ज अफसोस के साथ मरे हों? यदि वह अपनी प्रजा के प्रति अधिक कठोर होते तो क्या उनका शासनकाल अधिक सफल होता?

यह ज़रुरी नहीं। बाइबल में हम राजा यहोराम के बारे में पढ़ते हैं, जिसने अपना सिंहासन मजबूत किया — “तब उसने अपने सब भाइयों को और इस्राएल के कुछ हाकिमों को भी तलवार से घात किया”(2 इतिहास 21:4)। यहोराम ने "वह उस काम को करता था, जो यहोवा की दृष्टी में बुरा है" (पद 6)। उनके क्रूर शासन ने उनके लोगों को अलग-थलग कर दिया, जो न तो उनकी भयानक मृत्यु पर रोए और न ही उनके सम्मान में " जैसे उसके पुरखाओं के लिए सुगंध द्रव्य जलाया था, वैसा उसके लिए कुछ न जलाया " (पद 19)।

इतिहासकार इस बात पर बहस कर सकते हैं कि क्या जॉर्ज बहुत नरम थे; यहोराम निश्चय ही बहुत कठोर था। एक बेहतर तरीका राजा यीशु का है, जो "अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण" है (यूहन्ना 1:14)। मसीह की अपेक्षाएँ दृढ़ हैं (वह सत्य की मांग करते है), फिर भी वह असफल लोगों को गले लगाते है (वह अनुग्रह प्रदान करते है)। यीशु हमें जो उस पर विश्वास करते हैं, उनके नेतृत्व का पालन करने के लिए बुलाते हैं। फिर, अपनी पवित्र आत्मा के नेतृत्व के माध्यम से, वह हमें ऐसा करने के लिए सशक्त बनाते है।

परमेश्वर आपको नाम से बुलाते हैं

नतालिया शिक्षा प्राप्त करने के वादे के साथ एक अलग देश में गई। लेकिन जल्द ही उसके नए घर में पिता ने उसका शारीरिक और यौन शोषण करना शुरू कर दिया। उसने उसे बिना वेतन के अपने घर और बच्चों की देखभाल करने के लिए मजबूर किया। उसने उसे बाहर जाने या फोन का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। वह उसकी गुलाम बन गयी थी ।

हाजिरा अब्राम और सारै की मिस्री दासी था। किसी ने भी उसका नाम नहीं लिया, उन्होंने उसे  “मेरी दासी” या “तेरी दासी” कहा (उत्पत्ति 16:2, 5–6)। वे केवल उसका उपयोग करना चाहते थे ताकि उन्हें एक उत्तराधिकारी मिल सके।

परमेश्वर कितना अलग है! प्रभु का दूत पवित्रशास्त्र में पहली बार प्रकट होता है जब वह रेगिस्तान में  गर्भवती हाजिरा से बात करता है। दूत या तो परमेश्वर का दूत है या स्वयं परमेश्वर  है। हाजिरा का मानना है कि वह परमेश्वर है, क्योंकि वह कहती है, “मैंने अब उसे देखा है जो मुझे देखता है” (पद 13)। यदि दूत परमेश्वर है, तो वह संभवतः पुत्र भी हो सकता है, वह जो परमेश्वर को हमारे सामने प्रकट करता है, प्रारंभिक पूर्व–अवतार रूप में प्रकट होता है। वह उसका नाम बताता है, “सारै की दासी हाजिरा तू कहां से आई है, और कहां को जाती है? (पद 8)

परमेश्वर ने नतालिया को देखा और उसके जीवन में देखभाल करने वाले लोगों को लाया जिन्होंने उसे बचाया। वह अब नर्स बनने के लिए पढ़ाई कर रही है। परमेश्वर ने हाजिरा को देखा और उसका नाम लेकर बुलाया। और परमेश्वर आपको देखता है, आपको नज़रअंदाज़ किया जा सकता है या इससे भी बदतर, आपके साथ दुर्व्यवहार किया जा सकता है। पर यीशु आपको नाम से बुलाते हैं। उसके पास दौड़ कर जाओ।

शरण देनेवाले लोग

फिल और सैंडी, शरणार्थी बच्चों की कहानियों से प्रभावित होकर उनमें से दो को अपने हृदय और घर में स्थान दिया l हवाई अड्डे पर उन्हें लेने के बाद, वे चुपचाप घर लौटे l क्या वे इसके लिए तैयार थे? वे एक ही संस्कृति, भाषा या धर्म को साझा नहीं करते थे, लेकिन वे इन अनमोल बच्चों के शरणस्थान बन गए थे l 

रूत की कहानी से बोअज़ भावुक हो गया l उसने सुना था कि कैसे वह नाओमी का सहयोग करने के लिए अपने लोगों को छोड़ी थी और जब रूत उसके खेत में बीनने को आई, तब बोअज़ ने उसके लिए  आशीष की यह प्रार्थना की, “यहोवा तेरे कार्य का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे” (रूत 2:12) l

रूत ने बोअज़ को उसकी आशीष स्मरण करायी जब एक रात उसने उसकी नींद को बाधित किया l अपने पैरों के निकट हलचल से जागते हुए, बोअज़ ने पूछा, “तुम कौन हो?” रूत ने उत्तर दिया, “मैं तो तेरी दासी रूत हूँ; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है” (3:9) l

चद्दर और पंखों के लिए समान इब्रानी शब्द है l बोअज़ ने रुत से विवाह करके उसे शरण दी, और उनके परपोते दाऊद ने इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा में उनकी कहानी को दोहराया : “हे परमेश्वर, तेरी करुणा कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखों के तले शरण लेते हैं” (भजन 36:7) l