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Articles by माइक विटमर

शरण देनेवाले लोग

 
शरणार्थी बच्चों की कहानियों से प्रेरित होकर फिल और सैंडी ने उनमें से दो के लिए अपना दिल और घर खोल दिया। हवाई अड्डे पर उन्हें लेने के बाद, वे घबराए हुए चुपचाप घर चले गए। क्या वे इसके लिए तैयार थे? वे एक ही संस्कृति, भाषा या धर्म साझा नहीं करते थे, लेकिन वे इन अनमोल बच्चों के लिए शरण देने वाले लोग बन गए थे। बोअज़ रूथ की कहानी से प्रेरित हुआ। उसने सुना था कि कैसे उसने नाओमी का समर्थन करने के लिए अपने लोगों को छोड़ दिया, और जब रूथ उसके खेत में कटाई करने आई, तो बोअज़ ने उसके लिए यह आशीर्वाद प्रार्थना की,  "यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दें"  (रूत 2:12)। 
रूत ने एक रात बोअज़ की नींद में बाधा डालते हुए उसे उसकी आशीष की याद दिलाई। अपने पैरों के पास हलचल से जागते हुए, बोअज़ ने पूछा, "तुम कौन हो?" रूत ने उत्तर दिया, “मैं तो तेरी दासी रूत हूँ; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है” (3:9) l  
चद्दर और पंखों के लिए इब्रानी शब्द एक ही है  l बोअज़ ने रुत से विवाह करके उसे शरण दी, और उनके परपोते दाऊद ने इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा में उनकी कहानी को दोहराया : “हे परमेश्वर, तेरी करुणा कैसी अनमोल है! मनुष्य तेरे पंखों के तले शरण लेते हैं” (भजन 36:7) l  
—माइक विटनर 

आत्मा में स्वतंत्र

न तो ऑरविल और न ही विल्बर राइट के पास पायलट का लाइसेंस था। दोनों में से कोई भी कॉलेज नहीं गए थे। वें साइकिल मैकेनिक थे जो सपने देखने और उड़ने की कोशिश करने का साहस रखते थे। 17 दिसंबर, 1903 को, उन्होंने बारी-बारी से चार अलग-अलग उड़ानों में अपने राइट फ़्लायर का संचालन किया। सबसे लंबा समय केवल एक मिनट तक चला, लेकिन इसने हमारी दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया। 
न तो पतरस और न ही यहुन्ना के पास प्रचार का लाइसेंस था। दोनों में से कोई भी शिक्षालय में नहीं गए थे। वे मछुआरे थे, जो यीशु की आत्मा से भरे हुए थे, उन्होंने साहसपूर्वक सुसमाचार का प्रचार किया: "किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें" (प्रेरितों 4:12)।  
राइट ब्रदर्स के पड़ोसियों ने तुरंत उनकी उपलब्धि की सराहना नहीं की। उनके गृहनगर अखबार ने उनकी कहानी पर विश्वास नहीं किया, और कहा कि भले ही यह सच हो, उड़ानें अर्थपूर्ण होने के लिए बहुत छोटी है। जनता को यह पहचानने से पहले कि उन्होंने वास्तव में क्या किया है, उन्हें अपने विमानों को उड़ाने और परिष्कृत करने में कई साल लग गए। 
धार्मिक अगुवे पतरस और यूहन्ना को पसंद नहीं करते थे और उन्होंने उन्हें दूसरों को यीशु के बारे में बताना बंद करने का आदेश दिया। पतरस ने कहा, नहीं। "यह तो हम से हो नहीं सकता, कि जो हमने देखा और सुना है, वह न कहें" (पद 20)। 
हो सकता है कि आप स्वीकृत सूची में न हों। शायद आप लोगों द्वारा तिरस्कृत हो। पर कोई बात नहीं। यदि आपके पास यीशु की आत्मा है, तो आप उसके लिए साहसपूर्वक जीने के लिए स्वतंत्र हैं! 

बैरियों के सिर पर अंगारे ड़ालना

 
डैन को उसी जेल प्रहरी से रोजाना पिटाई सहन करनी पड़ती थी। उसने महसूस किया कि यीशु ने उसे इस आदमी से प्यार करने के लिए बाध्य किया है, इसलिए एक सुबह, पिटाई शुरू होने से पहले, डैन ने कहा, “महोदय, अगर मैं जीवन भर आपको प्रतिदिन देखने जा रहा हूं, तो आइये हम दोस्त बन जाएं।” गार्ड ने कहा, “नहीं, हम कभी दोस्त नहीं हो सकते।” पर डैन ने अपनी बात पर जोर दिया और अपना हाथ बढ़ाया। पहरेदार कुछ भी नहीं बोल सका और शान्त खड़ा रहा। वह कांपने लगा, फिर उसने डैन का हाथ पकड़ लिया और छोड़ा नहीं। उसकी आंखों से आँसू बहने लगे। उसने कहा, “डैन, मेरा नाम रोसोक है। मैं आपका दोस्त बनना पसंद करूँगा।” उस दिन या फिर कभी बाद में भी गार्ड ने डैन को नहीं पीटा। 
पवित्रशास्त्र हमें बताता है “यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे भोजन खिलाना, यदि वह प्यासा हो तो उसे पानी पिला। ऐसा करने से तू उसके सिर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल देगा” नीतिवचन 25:21—22। कोयले की कल्पना मिस्र के एक अनुष्ठान (रिवाज़) को दर्शाती है जिसमें एक दोषी व्यक्ति अपने सिर पर गर्म अंगारों का कटोरा लेकर अपना पश्चाताप दिखाता है। इसी तरह, हमारी दयालुता हमारे शत्रुओं के चेहरे को शर्मिंदगी से लाल कर सकती है, जो उन्हें पश्चाताप की ओर ले जा सकती है। 
आपका दुश्मन कौन है? आप किसे नापसंद करते हैं? डैन ने पाया कि मसीह की दया इतनी प्रबल थी कि वह किसी भी हृदय को बदल सकती थी — उसके शत्रु का और स्वयं उसका। हम भी ऐसा कर सकते हैं। 

अब यह खाली है

 
मेरे भाइयों और हमारे परिवारों ने हमारे माता–पिता के सामान को हमारे बचपन के घर से हटाने में सारा दिन बिताया। दोपहर में देर से, हम आखिरी बार सामान उठाने के लिए वापस गए और यह जानते हुए कि हम अपने पारिवारिक घर में आखिरी बार हैं हमने पीछे के बरामदे में एक तस्वीर खिंचवाने का फैसला किया। मैं आँसुओं को छिपाने की कोशिश कर रहा था कि मेरी माँ ने मेरी ओर मुड़कर कहा, “अब यह सब खाली है।” इसने मुझे पूरी तरह से भावात्मक तरह से हिला दिया। चौवन साल की यादें समेटे वह घर अब सूना है। मैं इसके बारे में न सोचने की कोशिश करता हूं। 
मेरे दिल का दुख यिर्मयाह के विलापगीत के पहले शब्दों के साथ गूँजता है — “जो नगरी लोगों से भरपूर थी वह अब कैसी अकेली है” (1:1); एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि यरूशलेम नगरी अपने बहुत से अपराधों के कारण सूनी थी (पद 5)। परमेश्वर ने अपने लोगों को बाबुल में बंधुआई में भेजा क्योंकि उन्होंने उसके विरुद्ध विद्रोह किया और पश्चाताप करने से इनकार कर दिया (पद 18)। मेरे माता–पिता पाप के कारण नहीं जा रहे थे, कम से कम कम से कम सीधे तौर पर तो नहीं। । परन्तु अदन की वाटिका में आदम के पाप के बाद से, प्रत्येक व्यक्ति के जीवनकाल में उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई है। जैसे–जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे लिए यह असामान्य नहीं है कि हम छोटे घरों में रहें जिनका रख–रखाव आसान हो।  
मैं उन यादों के लिए शुक्रगुजार हूं जिन्होंने हमारे साधारण घर को विशेष बनाया। दुख, प्यार की कीमत है। मुझे पता है कि अगली अलविदा मेरे माता–पिता के घर के लिये नहीं, बल्कि मेरे माता–पिता के लिए होगी। और मैं रोता हूं, मैं यीशु को आने के लिए पुकारता हूं, कि वह आये और इस अलविदा को समाप्त करे, और सभी चीजों को बहाल करे। मेरी आशा उस पर है। 

यीशु उत्तर है

 
यह कहानी बताई जाती है कि अल्बर्ट आइंस्टीन के व्याख्यान दौरे पर एक और पड़ाव के बाद, उनके ड्राईवर ने उल्लेख किया कि उन्होंने उनके भाषण के बारे में पर्याप्त सुना है जो वह दे सकते थे। आइंस्टीन ने सुझाव दिया कि वे अगले कॉलेज में जगह बदल लें, क्योंकि वहां किसी ने उनकी तस्वीर नहीं देखी थी। ड्राईवर सहमत हो गया और एक अच्छा व्याख्यान दिया। फिर आया सवाल-जवाब का दौर। एक आक्रामक जिज्ञासु के लिए, ड्राइवर ने उत्तर दिया, "मैं देख सकता हूं कि आप एक शानदार प्रोफेसर हैं, लेकिन मुझे आश्चर्य है कि आप एक इतना सरल प्रश्न पूछेंगे कि मेरा ड्राइवर भी इसका उत्तर दे सकता है।" तब उनके "ड्राइवर" - अल्बर्ट आइंस्टीन ने स्वयं इसका उत्तर दिया! इस प्रकार मजेदार लेकिन काल्पनिक कहानी समाप्त होती है। 
दानियेल के तीन दोस्त सही मायने में खतरे में थे। राजा नबूकदनेस्सर ने धमकी दी कि यदि वे उसकी मूर्ति की पूजा नहीं करेंगे तो वे उन्हें धधकते भट्ठी में फेंक देंगे। उसने पूछा, “ फिर ऐसा कौन देवता है, जो तुम को मेरे हाथ से छुड़ा सके??” (दानिय्येल 3:15)। मित्रों ने फिर भी दण्डवत् करने से इनकार कर दिया, इसलिए राजा ने भट्ठी को सात गुना अधिक धधका दिया और उन्हें भट्ठे में डाल दिया।   
वे अकेले नहीं गए। एक "स्वर्गदूत" (पद. 28), शायद स्वयं यीशु, उनके साथ आग में शामिल हो गया, उन्हें नुकसान से बचाते हुए और राजा के प्रश्न का निर्विवाद उत्तर प्रदान करते हुए (पद. 24-25)। नबूकदनेस्सर ने "शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर" की प्रशंसा की और स्वीकार किया कि "कोई अन्य देवता इस प्रकार नहीं बचा सकता" (पद. 28-29).  
कई बार, हम अपने सिर के ऊपर परेशानी महसूस कर सकते हैं। लेकिन यीशु उनके साथ खड़ा है जो उसकी सेवा करते हैं। वह हमें  बचाता है । 

जाने दें

 
ऑगस्टीन की आत्मकथात्मक कंफेशंस (Confessions)  यीशु के लिए उनकी लंबी और घुमावदार यात्रा का वर्णन करती है । एक अवसर पर,  वह सम्राट के लिए चापलूसी भरा भाषण देने के लिए महल में जा रहे थे । बाद में, वह अपनी भ्रामक तालियों पर चिंतन ही कर था, तभी उसकी नजर एक शराबी भिखारी पर पड़ी जो “मजाक कर रहा था और हंस रहा था।“ । उन्होंने महसूस किया कि नशे में धुत व्यक्ति को पहले से ही वह क्षणिक खुशी मिल चुकी थी जो उसका बदलता करियर ला सकता था, और वह भी बहुत कम प्रयास के साथ।  इसलिए ऑगस्टीन ने सांसारिक सफलता के लिए प्रयास करना बंद कर दिया। 
 
लेकिन वह अभी भी वासना के गुलाम थे। वह जानते थे कि वह पाप से मुड़े बिना यीशु की ओर नहीं मुड़ सकते,  और वह अभी भी यौन अनैतिकता से जूझ रहे थे। इसलिए उन्होंने प्रार्थना की,  “मुझे पवित्रता प्रदान करो . . . लेकिन अब तक नहीं ।“  
ऑगस्टीन उद्वार और पाप के बीच उलझे,  लड़खड़ाते हुये चलते रहे जब तक उन्होंने सोचा कि बस अब और नहीं। दूसरों से प्रेरित होकर जो यीशु की ओर फिरे थे,  उन्होंने बाइबल में रोमियों 13:13-14  पढ़ा । “हम सीधी चाल चलें, न कि लीला-क्रीड़ा और पियक्कड़पन में, न व्यभिचार . . . वरन् प्रभु यीशु को पहिन लो, और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय न करो l”  
 
उनके लिए यह काम कर गया। परमेश्वर ने ऑगस्टीन की वासना की जंजीरों को तोड़ने के लिए उन प्रेरित शब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें “अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया, जिस में हमें छुटकारा अर्थात् पापों की क्षमा प्राप्त होती है” (कुलुस्सियों 1:13-14)। ऑगस्टीन एक बिशप बन गए  जो ख्याति और वासना की परीक्षा में बने रहे, लेकिन अब वह जानते थे कि उनके पाप करने पर उन्हें किसकी ओर देखना है। वह यीशु की ओर मुड़े। क्या आप मुड़े है? 

हम अकेले नहीं हैं

फ्रेड्रिक ब्राउन की लघु रोमांचक कहानी “नॉक”(दस्तक/Knock) में उन्होंने लिखा, पृथ्वी (गृह/planet) पर का आखिरी आदमी एक कमरे में अकेला बैठा थाl दरवाजे पर दस्तक हुयीl” हाँ! वे कौन हो सकते हैं,और वे क्या चाहते हैं? उसके लिए कौन रहस्यमय प्राणी आया है? आदमी अकेला नहीं है l

हम भी नहीं हैं l 

लौदीकिया की कलीसिया ने अपने द्वार पर दस्तक सुनीI (प्रकाशितवाक्य 3:20) उनके लिए कौन सा अलौकिक प्राणी आया था? उसका नाम यीशु था, “प्रथम और अंतिम . . . जो जीवता हैI” (1:17-18) उसकी आखें आग की तरह प्रज्वलित थीं, और उसका मुख “ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है” (पद.16) जब उसके सबसे अच्छे मित्र यूहन्ना ने उसकी महिमा की एक झलक देखी, तो वह “उसके पांवों पर मुर्दा सा गिर पड़ा” (पद.17) मसीह में विश्वास का आरम्भ परमश्वर के भय से होती हैl 

हम अकेले नहीं हैं,और यह सुकून देने वाला भी हैl यीशु “परमेश्वर की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्व की छाप है,और सब वस्तुओं को अपनी सामर्थ्य के वचन से संभालता है”(इब्रानियों 1:3) फिर भी मसीह हमें मारने के लिए नहीं बल्कि हमसे प्रेम करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता हैl उसका निमंत्रण सुने, “यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ” (प्रकाशितवाक्य 3:20) हमारा विश्वास डर से शुरू होता है—दरवाजे पर कौन है?—और यह एक स्वागत और मजबूत आलिंगन में समाप्त होता है l यीशु हमेशा हमारे साथ रहने की प्रतिज्ञा करता है, भले ही हम पृथ्वी पर अंतिम व्यक्ति हों l ईश्वर का धन्यवाद हो, हम अकेले नहीं हैं l 

आपका क्या नाम है?

अपने पहले पति की मृत्यु के बाद जीना ने दूसरी शादी कर ली। उनके नए पति के बच्चों ने उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया, और अब जब उनका भी निधन हो गया है, तो वे उनसे नफरत करते हैं क्योंकि वह उनके बचपन के निवास स्थान में रह रही है। उनके पति ने उन्हें प्रावधान के लिए एक मामूली राशि छोड़ी; उनके बच्चों का कहना है कि वह उनकी विरासत चुरा रही है। जीना स्वाभाविक रूप से निराश है, और वह कड़वी हो गयी है।

नाओमी का पति परिवार को मोआब ले गया, जहाँ वह और उसके दो पुत्र मर गए। वर्षों बाद, नाओमी सिर्फ़ अपनी बहू रूत के साथ खाली हाथ बेतलेहेम लौट आई। नगर में हलचल मच गई और उन्होंने पूछा, “क्या यह नाओमी है?” (रूत 1:19) उसने कहा कि उन्हें उस नाम का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसका अर्थ है "मेरा सुखद।" उन्हें उसे "मारा" कहना चाहिए, जिसका अर्थ है "कड़वा", क्योंकि "मैं भरी पूरी चली गई थी, परन्तु यहोवा ने मुझे छूछी करके लौटाया हैI" (पद. 20-21)

क्या आपका नाम “कड़वा” होने की कोई संभावना है? आप अपने मित्रों, परिवार या गिरते स्वास्थ्य से निराश हुए हैं। आप कुछ बेहतर पाने के पात्र थे। परन्तु आपको वह नहीं मिला। अब आप कड़वे हो गए हो।

नाओमी बेतलेहेम में कड़वी होकर लौटी, परन्तु वह लौट आई। आप भी घर आ सकते हैं। बेतलहम में पैदा हुए रूत के वंशज यीशु के पास आओ। उसके प्रेम में विश्राम करो।

समय के साथ, परमेश्वर ने नाओमी की कड़वाहट को उसकी सिद्ध योजना की आनन्दपूर्ण पूर्ति से बदल दिया (4:13-22) वह आपकी कड़वाहट को भी बदल सकता है। उसके पास घर आओ।

आनंद चुनें

सामान खरीदते हुये कीथ अच्छा महसूस नही कर रहा था। उनके हाथ पार्किंसंस रोग के पहले लक्षणों से कांप रहे थे। उसके जीवन की गुणवत्ता कितनी जल्दी कम होने लगी? उसकी पत्नी और बच्चों के लिए इसका क्या अर्थ होगा? कीथ की उदासी, हँसी से टूट गई—व्हीलचेयर में बैठे, हंसते हुए अपने बेटे को एक आदमी ने आलू के ऊपर  धकेल दिया। उस आदमी ने झुक कर अपने बेटे से धीमी आवाज में कुछ कहा जो  अपना मुस्कुराना बंद नहीं कर सका।  उसकी हालत  कीथ की तुलना में काफी खराब थी फिर भी वह और उसके पिता,जहां भी हो सकता था खुशी पा रहे थे ।

अपने मुकदमे के परिणाम की प्रतीक्षा करते हुये, जब प्रेरित पौलुस जेल से या घर में नजरबंद होकर लिख रहा था, तो लगता था कि प्रेरित पौलुस को आनन्दित होने का कोई अधिकार नहीं था (फिलिप्पियों 1 12–13)।  उस समय सम्राट नीरो था, जो एक दुष्ट व्यक्ति था, जो हिंसा और क्रूरता के लिए  बहुत अधिक प्रसिद्ध था, इसलिए पौलूस के  चिंतित होने का कारण था। वह यह भी जानता था कि ऐसे उपदेशक थे जो उसकी अनुपस्थिति का फायदा उठाकर अपने लिए गौरव हासिल कर रहे थे। उन्होंने सोचा था कि वे  पौलुस के लिए “ मुसीबत खड़ी कर सकते हैं”  जब वह कैद में था  (पद 17)।

तौभी पौलुस ने आनन्दित होना चुना (पद 18–21), और उसने फिलिप्पियों से उसके उदाहरण का अनुसरण करने के लिए कहा: “प्रभु में सदा आनन्दित रहो। मैं  फिर कहता हूंरू आनन्दित रहो!” (4:4) । हमारी स्थिति  अंधकारमय लग सकती है, फिर भी यीशु  इस समय हमारे साथ है, और उसने हमारे गौरवशाली भविष्य की गारंटी दी है। मसीह, जो अपनी कब्र से बाहर निकल आया, अपने अनुयायियों को अपने साथ रहने के लिए, उठाने के लिए वापस आएगा। जब  हम इस नए साल की शुरुआत करते हैं, हम आनन्दित हों!