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Articles by माइक विटमर

क्या मैं किसी का हूँ?

अभिनेत्री सैली फील्ड को आखिरकार वह महसूस हुआ जिसकी हम सभी को चाहत थी। जब उन्होंने 1985 में दूसरा ऑस्कर जीता, तो उन्होंने अपने स्वीकृति भाषण में कहा: " मैंने हर चीज से बढ़कर आपका सम्मान चाहा है।” पहली बार मुझे यह महसूस नहीं हुआ। लेकिन इस बार मुझे ये महसूस हो रहा है, और मैं इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकती  कि आप मुझे पसंद करते हैं, अभी, आप मुझे पसंद करते हैं।

उनकी इस स्वीकृति से एक इथियोपियाई किन्नर भी आश्चर्यचकित रह गया। एक गैर-यहूदी नास्तिक व्यक्ति और एक किन्नर के रूप में, उसे मंदिर के भीतरी आंगनों में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था (इफिसियों 2:11-12; व्यवस्थाविवरण 23:1 देखें)। फिर भी वह शामिल होने के लिए उत्सुक था। फिलिप्पुस ने उसे यरूशलेम की एक और असंतोषजनक तीर्थयात्रा से लौटते हुए पाया (प्रेरितों 8:27)। 

इथियोपियाई व्यक्ति यशायाह को पढ़ रहा था, जिसमें वादा किया गया था कि जो खोजे मेरी वाचा को पालते हैं, उनके विषय यहोवा यों कहता है कि मैं अपने भवन और अपनी शहर- पनाह के भीतर उनको ऐसा नाम दूंगा जो पुत्र- पुत्रियों से कहीं उत्तम होगा; मैं उनका नाम सदा बनाए रखूंगा और वह कभी न मिटाया जाएगा। (यशायाह 56:4-5)। यह कैसे हो सकता है? तब फिलिप्पुस ने “उसे यीशु के विषय में शुभ सन्देश सुनाया,” और उस मनुष्य ने उत्तर दिया, “देखो, यहाँ पानी है। मेरे बपतिस्मा लेने में क्या बाधा आ सकती है?” (प्रेरितों 8:35-36)।

वह पूछ रहा था, क्या मुझे सचमुच अंदर आने की इजाजत है? क्या मैं किसी का हूँ?  फिलिप्पुस ने उसे एक संकेत के रूप में बपतिस्मा दिया कि यीशु ने हर बाधा को तोड़ दिया था (इफिसियों 2:14)। यीशु उन सभी को गले लगाते हैं और एकजुट करते हैं जो पाप से दूर हो जाते हैं और उस पर भरोसा करते हैं। वह आदमी “आनन्द करता हुआ अपने रास्ते चला गया” (प्रेरितों 8:39)। वह अंततः और पूरी तरह से किसी का हो गया।

 

अपने स्वर्गीय पिता को बुलाना

अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की घोषणा के कुछ मिनट बाद, ग्रैंडव्यू, मिसौरी में एक छोटे से क्लैपबोर्ड घर (क्लैपबोर्ड घरों की दीवारें लकड़ी के लंबे संकीर्ण टुकड़ों से ढकी होती हैं),में एक फोन बज उठा। एक नब्बे वर्षीय महिला ने फोन उठाया । उसके मेहमान ने उसे यह कहते हुए सुना, “हैलो। . . . हाँ, मैं बिलकुल ठीक हूँ। हाँ, मैंने रेडियो सुना है । . . . अब यदि हो सके तो तुम आकर मुझसे मिलो। . . . अलविदा।" बुजुर्ग महिला अपने मेहमान के पास लौट आई। “वह [मेरा बेटा] हैरी था। हैरी एक अद्भुत व्यक्ति है। . . . मुझे पता था कि वह फोन करेगा. जो कुछ  होता है उसके ख़त्म होने के बाद वह हमेशा मुझे फ़ोन करता है।” चाहे हम कितने ही निपुण क्यों न हों, चाहे कितने ही बूढ़े क्यों न हों, हम अपने माता-पिता को बुलाने के लिए तरसते हैं। उनके सकारात्मक शब्दों को सुनने के लिए, "शाबाश!", हम बेहद सफल हो सकते हैं, लेकिन हम हमेशा उनके बेटे या बेटी बने रहेंगे।

दुर्भाग्यवश, हर किसी का अपने सांसारिक माता-पिता के साथ इस तरह का रिश्ता नहीं होता है। लेकिन यीशु के माध्यम से, हम सभी परमेश्वर को अपने पिता के रूप में पा सकते हैं। हम जो मसीह का अनुसरण करते हैं, परमेश्वर के परिवार में लाए गए हैं, क्योंकि " तुम्हें लेपालकपन की आत्मा मिली है" (रोमियों 8:15)। अब हम "परमेश्वर के उत्तराधिकारी और मसीह के सह-वारिस" हैं (पद 17)। हम एक दास के रूप में परमेश्वर से बात नहीं करते हैं, लेकिन अब हमें उस अंतरंग नाम का उपयोग करने की स्वतंत्रता है जो यीशु ने अपनी निराशाजनक जरूरत के समय इस्तेमाल किया था, "अब्बा, पिता" (पद 15; मरकुस  14:36 ​​भी देखें)। क्या आपके पास समाचार है? क्या आपकी ज़रूरतें हैं? उसे बुलाओ जो तुम्हारा अनन्त घर है।

 

उपासना स्थल

जब द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स/लोकसभा(House of Commons) पर बमबारी की गयी, तो प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल ने संसद से कहा कि उन्हें इसके मूल डिज़ाइन के अनुसार इसका पुनर्निर्माण करना चाहिए l यह छोटा होना चाहिए, इसलिए बहसें आमने-सामने रहेंगी l यह अर्धवृत्ताकार के बजाय आयताकार(oblong) होना चाहिए, जिससे राजनेताओं को “केंद्र के चारों ओर घूमने” की अनुमति मिल सके l इसने ब्रिटेन की पार्टी प्रणाली को संरक्षित रखा, जहाँ वामपंथी(Left) और दक्षिणपंथी(Right) पूरे कमरे में एक-दूसरे का सामना करते थे, जिससे पक्ष बदलने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होती थी l चर्चिल ने निष्कर्ष निकाला, “हम अपने इमारतों को आकार देते हैं और उसके बाद हमारी इमारतें हमें आकार देती हैं l”

परमेश्वर सहमत प्रतीत होते हैं l निर्गमन के आठ अध्याय (अध्याय 24-31) तम्बू के निर्माण सम्बंधित निर्देश देते हैं, और छह और (अध्याय 35-40) वर्णन करते हैं कि इस्राएल ने यह कैसे किया l परमेश्वर उनकी आराधना की परवाह करता था l जब लोग आँगन में दाखिल हुए, तो चमचमाते सोने और तम्बू के रंगीन पर्दों ने उन्हें चकाचौंध कर दिया (26:1, 31-37) l होमबली की वेदी (27:1-8) और जल पात्र (30:17-21) ने उन्हें उनकी क्षमा की कीमत की याद दिलाई l तम्बू में एक दीवट (25:31-40), रोटी की मेज़ (25:23-30), धूप की वेदी (30:1-6), और वाचा का संदूक (25:10-22) था l प्रत्येक वस्तु का बहुत महत्व था l 

परमेश्वर हमें हमारे उपासना स्थल के लिए विस्तृत निर्देश नहीं देते हैं जैसा उसने इस्राएल के साथ किया था, फिर भी हमारी उपासना कम महत्वपूर्ण नहीं है l हमारा असली अस्तित्व उसके रहने के लिए अलग रखा गया एक तम्बू/उपासना स्थल होना है l हम जो कुछ भी करें वह हमें याद दिलाए कि वह कौन है और क्या करता है l 

 

घर के ईश्वर

बाइबल अध्ययन समूह के पुरुष लगभग अस्सी वर्ष के थे, इसलिए मुझे यह जानकार आश्चर्य हुआ कि वे वासना से संघर्ष कर रहे थे l एक लड़ाई जो उनकी युवावस्था में आरम्भ हुयी थी वह अभी भी जारी है l हर दिन वे इस क्षेत्र में यीशु का अनुसरण करने की प्रतिज्ञा करते थे और उन क्षणों के लिए क्षमा मांगते थे जिनमें वे असफल रहे थे l 

यह हमें आश्चर्यचकित कर सकता है कि धर्मी लोग अभी भी जीवन के अंतिम चरण में निम्न स्तर के प्रलोभनों के विरुद्ध लड़ते हैं, लेकिन शायद ऐसा नहीं होना चाहिए l मूर्ति वह चीज़ है जो हमारे जीवन में ईश्वर का स्थान लेने का खतरा उत्पन्न करती है, और ऐसी चीजें तब दिखायी दे सकती हैं जब हम मान लेते हैं कि वे चली गयी हैं l 

बाइबल में, याकूब को उसके मामा लाबान और उसके बाई एसाव से बचाया गया था l वह परमेश्वर की उपासना करने और उसके कई आशीषों का जश्न मानाने के लिए बेतेल लौट रहा था, फिर भी उसके परिवार ने अभी भी पराए देवताओं को रखा था जिन्हें याकूब को दफनाना पड़ा था (उत्पत्ति 35:2-4) l यहोशू की पुस्तक के अंत में, जब इस्राएल ने अपने शत्रुओं को हरा दिया था और कनान में बस गए थे, तब भी यहोशू को उनसे आग्रह करना पड़ा था कि “अपने बीच में से पराए देवताओं को दूर करके अपना अपना मन इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की ओर लगाओ” (यहोशू 24:23) l और राजा दाऊद की पत्नी मीकल ने प्रत्यक्ष रूप से मूर्तियाँ रखीं, क्योंकि उसने उन सैनिकों को धोखा देने के लिए जो उसे मारने आए थे, उसके बिस्तर पर एक मूर्ति रखी (1 शमूएल 19:11-16) l 

मूर्तियाँ जितना हम सोचते हैं उससे कहीं अधिक सामान्य हैं, और परमेश्वर हमसे कहीं अधिक धैर्यवान है l उनकी ओर मुड़ने का प्रलोभन आएगा, लेकिन परमेश्वर की क्षमा अधिक बड़ी है l हम यीशु के लिए अलग किए जा सकते हैं—अपने पापों से फिरकर उनमें क्षमा प्राप्त करें l  

 

हमारी आत्मिक बढ़त बनाए रखना

रॉकी फिल्म एक ऐसे बॉक्सर की कहानी बताती हैं, जो कभी न मरने वाले दृढ़ संकल्प से प्रेरित है, जो हैवीवेट चैंपियन बनने के लिए असंभव बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है। रॉकी भाग-III में, अब यह सफल रॉकी अपनी उपलब्धियों से प्रभावित हो जाता है। जिम में टेलीविज़न विज्ञापन उसके समय को बाधित करते हैं। विजेता नरम पड़ जाता है, और एक दावेदार उसे हरा देता है। फिल्म का बाकी हिस्सा रॉकी की अपनी लड़ाई की धार वापस पाने की कोशिश है।

आत्मिक दृष्टि से, यहूदा के राजा आसा ने अपनी युद्ध शक्ति खो दी थी। अपने शासनकाल के आरंभ में, कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी उसने परमेश्वर पर भरोसा किया। जैसे ही शक्तिशाली कूशी हमला करने के लिए तैयार हुए, आसा ने प्रार्थना की, "हे हमारे परमेश्वर यहोवा, हमारी सहायता कर, क्योंकि हम ने तुझ पर भरोसा रखा है, और तेरे नाम से हम इस विशाल सेना के विरुद्ध आए हैं" (2 इतिहास 14:11)। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी, और यहूदा ने उनके शत्रुओं को मार डाला और तितर-बितर कर दिया (पद 12-15)।

वर्षों बाद, यहूदा फिर से संकट में पड़ा। इस बार आत्मसंतुष्ट आसा ने परमेश्वर की उपेक्षा की और इसके बजाय अराम के राजा से मदद मांगी (16:2-3)। ऐसा लग रहा था जैसे यह काम कर रहा है। लेकिन परमेश्वर प्रसन्न नहीं थे। भविष्यवक्ता हनानी ने आसा से कहा कि उसने परमेश्वर पर भरोसा करना बंद कर दिया है (पद 7-8)। उसने पहले की तरह अब भी परमेश्वर पर भरोसा क्यों नहीं किया?

हमारा परमेश्वर सदैव विश्वासयोग्य है। उसकी आँखें "सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है वह उनकी सहायता करे" (पद 9)। जब हम अपनी आत्मिक बढ़त बनाए रखते हैं - पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर रहते हैं - तो हम उसकी शक्ति का अनुभव करेंगे।

 

मसीह में उपयोगी (फलदायी) विश्वासी

सिंडी एक गैर-लाभकारी कंपनी में अपनी नई नौकरी के लिए उत्साहित थी। बदलाव लाने का क्या ही बढ़िया अवसर है! उसे जल्द ही पता चला कि उसके सहकर्मी उसके उत्साह से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कंपनी के उद्देश्य का मज़ाक उड़ाया और अपने खराब प्रदर्शन के लिए बहाने बनाए क्योंकि वे कहीं और अधिक आकर्षक पदों की तलाश में थे। सिंडी ने सोचा कि काश उसने इस नौकरी के लिए कभी आवेदन ही न दिया होता। जो दूर से अच्छा लग रहा था वह नजदीक से निराशाजनक था।

आज की कहानी में वर्णित अंजीर के पेड़ के साथ यीशु की यही समस्या थी (मरकुस 11:13)। यह मौसम की शुरुआत थी, फिर भी पेड़ की पत्तियों ने संकेत दिया कि इसमें ताज़े अंजीर हो सकते हैं। परन्तु नहीं, पेड़ में पत्तियाँ तो उग आई थीं, मगर अभी तक फल नहीं लगे थे। निराश होकर, यीशु ने पेड़ को श्राप दिया कि, "अब से कोई तेरा फल कभी न खाए" (पद 14)। और अगली सुबह तक पेड़ पूरी तरह सूख गया था (पद-20)।

एक बार मसीह ने चालीस दिन का उपवास किया था, इसलिए वह जानते थे कि बिना भोजन के कैसे रहना है। अंजीर के पेड़ को श्राप देना उनकी भूख के बारे में नहीं था। यह एक प्रेरणादायक पाठ था। पेड़ इस्राएल का प्रतिनिधित्व करता था, जिसके पास सच्चे धर्म की पकड़ तो थी लेकिन वह अपना मतलब खो चुका था। वे अपने मसीहा, परमेश्वर के पुत्र को मारने वाले थे। वे और कितने बंजर (बेकार) हो सकते हैं?

हम दूर से अच्छे दिख सकते हैं, लेकिन यीशु पास आते हैं, उस फल की तलाश में जो केवल उनकी आत्मा ही पैदा कर सकती है। हमारा फल शानदार नहीं होना चाहिए, लेकिन यह अलौकिक (दिव्‍य) अवश्य होना चाहिए, जैसे कठिन समय में प्रेम, आनंद और शांति (गलातियों 5:22)। आत्मा पर भरोसा करते हुए, हम तब भी यीशु के लिए फल उत्पन्न कर सकते हैं।

आवश्‍यकता से अधिक प्रेम

फ्लाइट (उड़ान) में मेरी सह यात्री ने मुझे बताया कि वह नास्तिक थी और एक ऐसे शहर में आकर बस गई थी जहाँ कई मासीहियो के घर थे । जब उसने बताया कि उसके अधिकांश पड़ोसी चर्च जाते हैं, तो मैंने उसके अनुभव के बारे में पूछा। उसने कहा कि वह उनकी उदारता का बदला कभी नहीं चुका सकती। जब वह अपने विकलांग पिता को अपने नए देश में लेकर आई, तो उसके पड़ोसियों ने उसके घर तक एक रैंप बनाया और एक अस्पताल का बिस्तर और चिकित्सा का सामान  दान किया। उन्होंने कहा, "अगर मसीही होना किसी को इतना दयालु बनाता है, तो हर किसी को मसीही होना चाहिए।" 

बिल्कुल वही जो यीशु को आशा थी कि वह कहेगी! उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में बढाई करें I" (मत्ती 5:16) पतरस ने मसीह की आज्ञा सुनी और उसे आगे बढ़ाया: "अन्यजातियों में तुम्हारा चालचलन भला हो; इसलिए कि जिन जिन बातों में वह तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं; वे तुम्हारे भले कामों को देख कर; उन्हीं के कारण कृपा दृष्टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें ।" (1 पतरस 2:12)

हमारे पड़ोसी जिन्हें यीशु पर विश्वास नहीं है, वे यह नहीं समझ सकते कि हम क्या विश्वास करते हैं और हम उस पर क्यों विश्वास करते हैं। परेशान मत होइए, जब तक कि वे एक और चीज़ को समझ नहीं लेते हैं: वह है हमारा आवश्‍यकता से अधिक प्रेम। मेरी सहयात्री को आश्चर्य हुआ कि उसके मसीही पड़ोसी उसकी देखभाल करना जारी रखते हैं, भले ही वह, उसके शब्दों में, "उनमें से एक" नहीं है। वह जानती है कि यीशु के कारण प्रेम किया गया है, और वह परमेश्वर को धन्यवाद देती है। हो सकता है कि वह अभी भी उस पर विश्वास न करती हो, लेकिन वह आभारी है कि दूसरे ऐसा करते हैं। 

अजनबी का स्वागत

एवरीथिंग सैड इज़ अनट्रू(Everything Sad Is Untrue) में, डैनिएल नेयरी ने अपनी माँ और बहन के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में एक शरणार्थी शिविर के द्वारा उत्पीड़न से सुरक्षा तक की अपनी कष्टदायक उड़ान का वर्णन किया है l एक बुजुर्ग दम्पति उनके आर्थिक संरक्षक बनने के लिए सहमत हो गए, हालाँकि वे उन्हें नहीं जानते थे l वर्षों बाद भी, डैनिएल अभी भी इससे उबर नहीं पाया है l वे लिखते हैं, “क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं? पूरी तरह से दृष्टिहीन होकर, उन्होंने ऐसा किया l वे हमसे कभी मिले भी नहीं l और अगर हम ईमानदार नहीं निकले, तो उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी l वह तो लगभग उतना ही बहादुर, दयालु और लापरवाह है जितना मैंने किसी भी व्यक्ति के बारे में सोच सकता हूँ l” 

फिर भी ईश्वर चाहता है कि हम दूसरों के प्रति उस स्तर की चिंता रखें l उन्होंने इस्राएल से कहा कि वह विदेशियों के प्रति दयालु रहे l “उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (लैव्यव्यवस्था 19:34) l वह यीशु में विश्वास करने वाले गैर-यहूदी विश्वासियों को याद दिलाता है—अर्थात हम में से कई लोग—कि एक बार हम “मसीह से अलग” थे . . . प्रतिज्ञा की वाचाओं के भागी न थे, और आशाहीन और जगत में ईश्वररहित थे” (इफिसियों 2:12) l इसलिए वह हम सभी पूर्व विदेशियों, चाहे यहूदी हो या गैरयहूदी, को आदेश देता है कि हम “अतिथि-सत्कार करना न [भूलें]” (इब्रानियों 13:2) l 

अब अपने स्वयं के परिवार के साथ बड़े होकर, डैनिएल जिम और जीन डॉसन की प्रशंसा करते हैं, “जो इतने मसीही थे कि उन्होंने शरणार्थियों के एक परिवार को अपने साथ तब तक रहने दिया जब तक कि उन्हें घर नहीं मिल गया l” 

ईश्वर अजनबी का स्वागत करता है और हमसे भी उनका स्वागत करने का आग्रह करता है l

निशान/दाग़ से सीखना

फेय ने अपने पेट पर के निशान को छुआ। पेट के कैंसर को हटाने के लिए उसे एक और सर्जरी करवाना पड़ा था। इस बार डॉक्टरों ने उसके पेट का कुछ हिस्सा निकाला और एक दांतेदार निशान छोड़ दिया जो उनके काम के दायरे को प्रकट किया। उसने अपने पति से कहा, “निशान या तो कैंसर के दर्द को या चंगाई के शुरुआत को प्रदर्शित करता हैं। मैं अपने घावों को चंगाई के चिन्ह के रूप में चुनती हूं।

 

याकूब को भी परमेश्वर के साथ पूरी रात मल्लयुद्ध करने के बाद इसी प्रकार के चुनाव का सामना करना पड़ा । दिव्य हमलावर ने याकूब के कूल्हे को सॉकेट(socket) से उखाड़ दिया, जिससे याकूब थक गया और ध्यान देने योग्य लंगड़ाता हुआ रह गया। महीनों बाद, जब याकूब ने अपने कोमल कमर का मालिश किया, तो मैं सोचता हूँ कि उसने किस चीज पर विचार किया?

 

क्या वह धोखे के वर्षों के लिए पछतावे से भरा था जिसने यह विनाशक युद्ध को मजबूर किया? दिव्य दूत ने उससे सत्य निकाल लिया था, और उसे तब तक आशीर्वाद देने से इनकार किया जब तक याकूब ने उसे स्वीकार नहीं किया कि वह कौन है। उसने यह स्वीकार किया कि वह याकूब था, "एड़ी पकड़ने वाला" (उत्पत्ति 25:26 देखें)। उसने लाभ प्राप्त करने के लिए अपने भाई एसाव और ससुर लाबान के साथ छल किया और उन्हें धोखा दिया। दिव्य मल्लयोद्धा ने कहा कि याकूब का नया नाम "इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्‍वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।" (पद.28)।

 

याकूब का लंगड़ाना उसके धोखे के पुराने जीवन की मृत्यु और परमेश्वर के साथ उसके नए जीवन की शुरुआत को दर्शाता है। याकूब का अंत और इस्राएल का आरंभ। उसके लंगड़ाहट ने उसे परमेश्वर पर निर्भर होने के लिए प्रेरित किया, जो अब उसके अंदर और उसके द्वारा शक्तिशाली रूप से आगे बढ़ रहा था।