विश्वास के प्रति समर्पण
एक सर्दियों की सुबह जब मैंने पर्दा खोला तो मुझे एक चौंकाने वाले दृश्य का सामना करना पड़ा — कोहरे की एक दीवार I मौसम पूर्वानुमानकर्ता ने इसे "जमने वाला कोहरा" बताया। हमारे स्थान के लिए यह असामान्य था , यह कोहरा और भी बड़े आश्चर्य के साथ आया: थोड़ी ही देर में "एक घंटे में" नीले आकाश और धूप के लिए एक और पूर्वानुमान आया I "असंभव," मैंने अपने पति से कहा। "हम मुश्किल से एक फुट आगे देख सकते हैं।" परन्तु निश्चित रूप से, एक घंटे से भी कम समय में, कोहरा छंट गया था, और स्पष्ट नीले आकाश और धूप, में बदल चुका था।
खिड़की के पास खड़े होकर, मैंने अपने भरोसे के स्तर पर विचार किया जब मैं जीवन में केवल कोहरा ही देख सकती हूँ। मैंने अपने पति से पूछा, "क्या मैं केवल उसी चीज़ के लिए परमेश्वर पर भरोसा करती हूँ जिसे मैं पहले से देख सकती हूँ?"
जब राजा उज्जिय्याह की मृत्यु हो गई और यहूदा में कुछ भ्रष्ट शासक सत्ता में आए, तो यशायाह ने भी ऐसा ही प्रश्न पूछा। हम किस पर भरोसा कर सकते हैं? परमेश्वर ने यशायाह को इतना अद्भुत दर्शन देकर प्रतिक्रिया व्यक्त की कि इससे भविष्यवक्ता को विश्वास हो गया कि आने वाले बेहतर दिनों के लिए वर्तमान में उस पर भरोसा किया जा सकता है। जैसा कि यशायाह ने प्रशंसा की, "जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है" (यशायाह 26:3)। भविष्यवक्ता ने आगे कहा, "यहोवा पर सदा भरोसा रख, क्योंकि प्रभु, यहोवा, सनातन चट्टान है" (पद. 4)।
जब हमारा मन परमेश्वर पर केंद्रित होता है, तो हम धुंधले और भ्रमित करने वाले समय में भी उस पर भरोसा कर सकते हैं। हम अभी स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते हैं, लेकिन अगर हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, तो हम आश्वस्त हो सकते हैं कि उसकी मदद आने वाली है।
-पैट्रिशिया रेबोन
कार्य में करुणा
बेंच बनाना जेम्स वॉरेन का काम नहीं है। हालांकि जब से उन्होंने डेनवर में एक महिला को बस के इंतज़ार में गंदगी में बैठे हुए देखा तब से उन्होंने बेंच बनाना शुरू किया था । उस औरत को देखकर वह चिेतित हो गये थे और उन्होंने सोचा कि यह अपमानजनक है। तो, इस अट्ठाईस वर्षीय कर्मचारी सलाहकार को कुछ बेकार (स्क्रैप) लकड़ी मिली, उसने एक बेंच बनाई और उसे बस स्टॉप पर रख दिया। जल्दी ही लोगों ने इसका उपयोग करना शुरू कर दिया। यह महसूस करते हुए कि उनके शहर के नौ हजार बस स्टॉपों में से कई में बैठने की जगह की कमी है,उसने एक और बेंच बनाई, फिर कई और बेंचें बनाईं, और प्रत्येक पर “दयालु बनें” लिखा। वॉरेन ने कहा, “उसका लक्ष्य किसी भी तरह से लोगों के जीवन को थोड़ा सा बेहतर बनाना है ।”
ऐसे काम का वर्णन करने का एक और तरीका है — वह है करुणा । जैसा कि यीशु किया करते थे, करुणा एक भावना है जो इतनी शक्तिशाली है कि यह हमें दूसरे की ज़रूरत को पूरा करने के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करती है। जब निराश लोगों की भीड़ ने यीशु का पीछा किया तो उसे उन पर दया आई, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे जिनका कोई रखवाला न हो (मरकुस 6:34)। उसने उनके बीमारों को चंगा करके उस करुणा को कार्य में बदल दिया (मत्ती 14:14)। हमें भी अपने “आप को करुणा से ढक लेना चाहिए” पौलुस ने आग्रह किया (कुलुस्सियों 3:12)। इसका क्या लाभ है ? जैसा कि वॉरेन कहते हैं, “यह टायरों में हवा के समान है; यह मुझे भर देता है (मुझे संतुष्टि देता है) ।”
हमारे चारों ओर जरूरतें हैं, और परमेश्वर उनकी तरफ हमारा ध्यान खीचेंगे । वे ज़रूरतें हमें अपनी करुणा को क्रियान्वित (कार्य में लाने) करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, और वे कार्य दूसरों को प्रोत्साहित करेंगे क्योंकि हम उन्हें मसीह का प्रेम दिखाएंगे।
-पेट्रीशिया रेबोन
परमेश्वर की अनंत कलीसिया
“क्या आराधना सभा ख़त्म हो गई है?” जैसे ही रविवारीय सभा समाप्त हो रही थी, एक युवा माँ ने दो बच्चों के साथ हमारे चर्च में आते समय कहा l एक स्वागतकर्ता ने उसे बताया कि निकट के एक चर्च में दो रविवारीय आराधना होती है और दूसरी जल्द ही शुरू होनेवाली है l क्या वह वहां जाना चाहेगी? वह युवा माँ ने हाँ कहा और कुछ दूरी पर उस चर्च में जाने के लिए आभारी थी l बाद में विचार करते हुए, स्वागतकर्ता इस परिणाम पर पहुंचा : “क्या आराधना सभा (चर्च) ख़त्म हो गया है? कभी नहीं l परमेश्वर की आराधना सभा सर्वदा चलती रहती है l”
चर्च एक “नाजुक” इमारत नहीं है l पौलुस लिखता है, "इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिस के कोने का पत्थर मसीह यीशु आप ही है, बनाए गए हो। जिस में सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है। जिस में तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवासस्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो।” (इफिसियों 2:19-22) l
यीशु ने स्वयं ही अपनी कलीसिया को अनंतकाल के लिए स्थापित किया l उसने घोषणा की कि चुनौतियों या मुसीबतों के बावजूद जिसका सामना कलीसिया करती है, “अधोलोक की फाटक उस पर प्रबल न होंगे” (मत्ती 16:18) l इस सशक्त लेंस के माध्यम से, हम अपने स्थानीय चर्चों को - हम सभी को - परमेश्वर की विश्वव्यापी कलीसिया के एक हिस्से के रूप में देख सकते हैं, जो "मसीह यीशु में सभी पीढ़ियों में, हमेशा और हमेशा के लिए" बनाया जा रहा है! (इफिसियों 3:21) l
—पेट्रीशिया रेबॉन
दृढ़ता की सामर्थ्य
1917 में, एक युवा सीमस्ट्रेस (सीनेवाली) न्यूयॉर्क शहर के सबसे प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइन स्कूलों में से एक में दाखिला पाकर खुश थी। लेकिन जब एन लो कोन फ्लोरिडा से कक्षाओं के लिए पंजीकरण कराने आई, तो स्कूल के निदेशक ने उसे बताया कि उसका स्वागत नहीं है। "सीधे शब्दों में कहें तो, श्रीमती कोन, हमें नहीं पता था कि आप एक नीग्रो हैं," उन्होंने कहा। जाने से इनकार करते हुए, उसने फुसफुसाते हुए प्रार्थना की: कृपया मुझे यहाँ रहने दें। उसकी दृढ़ता को देखते हुए, निदेशक ने एन को रहने दिया, लेकिन उसे केवल गोरों के लिए कक्षा से अलग कर दिया और पीछे का दरवाज़ा खुला छोड़ दिया ताकि वह सुन सके।
निस्संदेह प्रतिभाशाली, एन ने छह महीने पहले ही स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उच्च समाज के ग्राहकों को आकर्षित किया, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला जैकलीन कैनेडी भी शामिल थीं, जिनकी विश्व प्रसिद्ध शादी की पोशाक उन्होंने डिज़ाइन की थी। उसके सिलाई स्टूडियो के ऊपर एक पाइप फट गया, जिससे पहली पोशाक बर्बाद होने के बाद, उसने ईश्वर की मदद माँगते हुए गाउन को दो बार बनाया ।
इस तरह की दृढ़ता शक्तिशाली है, खासकर प्रार्थना में। यीशु के दृढ़ विधवा के दृष्टांत में, एक विधवा भ्रष्ट न्यायाधीश से न्याय के लिए बार-बार विनती करती है। पहले तो उसने उसे मना कर दिया, लेकिन "क्योंकि यह विधवा मुझे परेशान करती रहती है, इसलिए मैं उसका न्याय सुनिश्चित करूँगा" (लूका 18:5)। बहुत अधिक प्रेम के साथ, "क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं के लिए न्याय नहीं लाएगा, जो दिन-रात उसकी दुहाई देते हैं?" (पद 7)। वह करेगा, यीशु ने कहा ( पद 8)। जैसा कि वह हमें प्रेरित करता है, आइए हम लगातार प्रार्थना करने और कभी हार न मानने का प्रयास करें। अपने समय और सही तरीके से, परमेश्वर उत्तर देगा
—पेट्रीशिया रेबॉन
गहरे जल
जब बिल पिंकनी ने 1992 में दुनिया भर में अकेले यात्रा की - खतरनाक ग्रेट सदर्न केप के चारों ओर कठिन रास्ता अपनाते हुए - तो उन्होंने ऐसा एक उच्च उद्देश्य के लिए किया। उनकी यात्रा बच्चों को प्रेरित और शिक्षित करने के लिए थी। इसमें उनके पूर्व आंतरिक शहर शिकागो प्राथमिक विद्यालय के छात्र शामिल थे। उनका लक्ष्य? यह दिखाना कि वे कितनी दूर तक जा सकते हैं कड़ी मेहनत से पढ़ाई करके और कमिटमेंट बनाकर - यही शब्द उन्होंने अपनी नाव के नाम के लिए चुना। जब बिल कमिटमेंट में स्कूली बच्चों को पानी पर ले जाते, तो वह कहते है, "उनके हाथ में वह टिलर है और वे नियंत्रण, जिससे आत्म-नियंत्रण के बारे में सीखते हैं, वे एक साथ मिलकर काम करने के बारे में सीखते हैं। . . सफल होने के लिए जीवन में इन सभी बुनियादी बातों की आवश्यकता होती है।''
पिंकनी के शब्द सोलोमन की बुद्धिमत्ता का चित्र चित्रित करते हैं। "मनुष्य के मन की युक्तियाँ गहरे जल की भाँति होती हैं, परन्तु समझवाला उसे निकाल लेता है" (नीतिवचन 20:5)। वह आमंत्रित करता है दूसरों को अपने जीवन के लक्ष्यों को जाँचने के लिए । अन्यथा, "यह एक जाल है," सुलैमान ने कहा, " जो मन्नत मानकर पूछपाछ करने लगे, वह फन्दे में फंसेगा" (पद 25)।
इसके विपरीत, विलियम पिंकनी का एक स्पष्ट उद्देश्य था जिसने अंततः संयुक्त राज्य भर में तीस हजार छात्रों को उनकी यात्रा से सीखने के लिए प्रेरित किया। वह नेशनल सेलिंग हॉल ऑफ फेम में शामिल होने वाले पहले अफ्रीकी अमेरिकी बने। "बच्चे देख रहे थे," उन्होंने कहा। समान उद्देश्य के साथ, आइए हम परमेश्वर के निर्देशों की गहन सलाह के अनुसार अपनी दिशा निर्धारित करें।
वह हमें नया बनाता है
एक यात्रा अधिकारी के रूप में, शॉन सेप्लर एक अजीब सवाल से जूझ रहे थे — होटल के कमरों में बचे हुये साबुन का क्या होता है? सेप्लर का मानना था कि जमीन के भराव (लैंडफिल) के लिए कचरे के रूप में फेंके जाने के बजाय लाखों साबुन के टुकड़ों को नया बनाया जा सकता है। इसलिए उन्होंने एक रीसाइक्लिंग (पुनरावर्तन) कार्य — क्लीन द वर्ल्ड आरम्भ किया, जिसने आठ हजार से अधिक होटलों, क्रूज लाइनों, और रिसॉर्ट्स को लाखों पाउंड के बेकार साबुन को कीटाणुरहित, नए ढाले हुए साबुन बार में बदलने में मदद की है। यह साबुन सौ से अधिक देशों में जरूरतमंद लोगों को भेजा गया। फिर से नया बना यह साबुन अनगिनत स्वच्छता संबंधी बीमारियों और मौतों को रोकने में मदद करता है।
जैसा कि सेप्लर ने कहा, “मुझे पता है कि यह अजीब लगता है, लेकिन आपके होटल के कमरे में काउंटर पर साबुन की वह छोटी सी टिक्की सचमुच एक जीवन बचा सकती है।”
किसी इस्तेमाल की गई या गंदी वस्तु को नया जीवन देने के लिए एकत्र करना हमारे उद्धारकर्ता, यीशु के सबसे प्यारे गुणों में से एक है। इस रीति से, जब उस ने पांच हजार की भीड़ को पांच छोटी रोटियां और दो छोटी मछलियाँ खिलाईं, उसने तब भी अपने शिष्यों से कहा, “बचे हुए टुकड़ों को इकट्ठा करो। कुछ भी फेंका न जाये (व्यर्थ न जाए) यूहन्ना 6:12।
हमारे जीवन में, जब हम असफल महसूस करते हैं, तो परमेश्वर हमें बेकार जीवन के रूप में नहीं बल्कि अपने चमत्कारों के रूप में देखता है। उसकी दृष्टि में हम कभी फेंके हुये नहीं हैं, हमारे पास नए राज्य के कार्य के लिए ईश्वरीय क्षमता है। “इसलिये यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है, पुरानी बातें बीत गई हैं, देखो सब बातें नई हो गई हैं।” (2 कुरिन्थियों 5:17)। हमें नया क्या बनाता है? – हमारे भीतर मसीह।
छोटा लेकिन महान
क्या मैं ओलंपिक में जा पाऊँगी? कॉलेज की तैराक को चिंता थी कि उसकी गति बहुत धीमी है। लेकिन जब गणित के प्रोफेसर केन ओनो ने उसकी तैराकी तकनीक का अध्ययन किया, तो उन्होंने देखा कि कैसे उसके समय को छह सेकंड तक बेहतर बनाया जा सकता है - प्रतियोगिता के उस स्तर पर एक बड़ा अंतर। तैराक की पीठ पर सेंसर लगाते हुए, उन्होंने उसके समय को बेहतर बनाने के लिए कोई बड़ा बदलाव नहीं किया। इसके बजाय, ओनो ने छोटे-छोटे सुधारात्मक उपायों की पहचान की, जिन्हें अगर लागू किया जाए, तो तैराक पानी में अधिक कुशल बन सकता है, जिससे जीत में अंतर आ सकता है।
आत्मिक मामलों में छोटे-छोटे सुधारात्मक कार्य हमारे लिए भी बड़ा अंतर ला सकते हैं। भविष्यद्वक्ता जकर्याह ने अपने निर्माता जरूब्बाबेल के साथ निराश यहूदियों के एक शेष भाग को उनके बंधुआई के बाद परमेश्वर के मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए समान सिद्धांत सिखाया। लेकिन "न तो बल से और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा," सर्वशक्तिमान यहोवा ने जरूब्बाबेल से कहा (जकर्याह 4:6)।
जैसा कि जकर्याह ने कहा, "छोटी बातों के दिन को कौन तुच्छ समझता है?" (वचन 10)। निर्वासितों को चिंता थी कि मंदिर राजा सुलैमान के शासनकाल के दौरान बनाए गए मंदिर से मेल नहीं खाएगा। लेकिन जिस तरह ओनो के तैराक ने ओलंपिक में जगह बनाई - छोटे-छोटे सुधारों के आगे समर्पण करने के बाद पदक जीता - ज़रुब्बाबेल के निर्माणकर्ताओं के समूह ने सीखा कि परमेश्वर की मदद से किया गया एक छोटा, सही प्रयास भी विजयी आनंद ला सकता है यदि हमारे छोटे-छोटे कार्य उनकी महिमा करते हैं। परमेश्वर में, छोटा महान बन जाता है।
पेट्रीसिया रेबन
प्रभु द्वारा जाना जाता है
गोद लेने के बाद दो भाइयों के अलग होने के बाद, लगभग बीस साल बाद एक डीएनए परीक्षण ने उन्हें फिर से मिलाने में मदद की। जब कीरोन ने विन्सेंट को संदेश भेजा, तो जिस आदमी को वह अपना भाई मानता था, विन्सेंट ने सोचा, यह अजनबी कौन है? जब कीरोन ने उससे पूछा कि उसे जन्म के समय क्या नाम दिया गया था, तो उसने तुरंत उत्तर दिया, "टायलर।" तब उन्हें पता चला कि वे भाई हैं। उनके नाम से ही उनकी पहचान हो गई थी!
विचार करें कि ईस्टर कहानी में एक नाम कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जैसा कि यह प्रकट होता है, मरियम मगदलीनी मसीह की कब्र पर आती है, और जब वह उसके शरीर को गायब पाती है तो वह रोती है। " हे नारी, तू क्यों रोती है ?" यीशु पूछता है (यूहन्ना 20:15)। हालाँकि, उसने उसे तब तक नहीं पहचाना, जब तक कि उसने उसका नाम नहीं बताया: "मरियम" (पद. 16)।
उसे यह कहते सुनकर, " उस ने इब्रानी में कहा, रब्बूनी !' (जिसका अर्थ है 'गुरु')" (पद. 16)। उसकी प्रतिक्रिया यीशु में विश्वासियों को ईस्टर की सुबह महसूस होने वाली खुशी को व्यक्त करती है, यह पहचानते हुए कि हमारे पुनर्जीवित मसीह ने सभी के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त की, हम में से प्रत्येक को अपने बच्चों के रूप में जानते हुए। जैसा कि उसने मरियम से कहा, "मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं" (पद. 17)।
जॉर्जिया में, दो पुनर्मिलित भाई नाम से बंध गए, "इस रिश्ते को अगले स्तर पर ले जाने" की प्रतिज्ञा ली। ईस्टर पर, हम यीशु की स्तुति करते हैं कि उसने उन लोगों के लिए त्यागपूर्ण प्रेम में जी उठने के लिए सबसे बड़ा कदम उठा लिया है जिन्हें वह अपना मानता है। आपके और मेरे लिए, वास्तव में, वह जीवित है!
मजबूत और अच्छा
कैंपस के युवा पास्टर परेशान थे। लेकिन जब मैंने यह पूछने की हिम्मत की कि क्या वे परमेश्वर के मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करते हैं तो वे विरोधात्मक दिखाई दिए l निरंतर प्रार्थना करें, जैसा कि पौलुस ने आग्रह किया; जवाब में, युवक ने कबूल किया, “मुझे यकीन नहीं है कि मैं अब प्रार्थना में विश्वास करता हूँ l” उनकी भौंहों पर बल पड़े। “या विश्वास करूँ कि परमेश्वर सुन रहा है। जरा दुनिया को देखो l” वह युवा अगुवा अपनी शक्ति से एक सेवकाई का “निर्माण” कर रहा था और दुख की बात है कि वह असफल हो रहा था । क्यों? क्योंकि वह परमेश्वर को नकार (अस्वीकार) रहा था ।
यीशु, कलीसिया के सिरे के पत्थर (आधारशिला) के रूप में, हमेशा अस्वीकार किया गया है—वास्तव में, अस्वीकार करना उसके अपने ही लोगों के साथ शुरू हुआ (यूहन्ना 1:11) । बहुत से लोग आज भी उसे अस्वीकार करते हैं, संघर्ष कर रहे हैं अपने जीवन, अपने कार्य में, यहां तक कि कलीसियाओं को एक हलकी नीव—उनकी अपनी योजनाएं, सपने और अन्य अस्थिर भूमि पर बनाने के लिए । फिर भी, केवल हमारा अच्छा उद्धारकर्ता ही हमारी शक्ति और बचाव है (भजन संहिता 118:14) । वास्तव में, “जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का पत्थर हो गया" (पद.22) ।
हमारे जीवन के एक महत्वपूर्ण कोने में स्थित, वह किसी भी चीज़ के लिए एकमात्र सही सीध (सम्मति) प्रदान करता है जिसे उसके विश्वासी उसके लिए पूरा करना चाहते हैं। इसलिए, हम उससे प्रार्थना करते हैं, “हे यहोवा, विनती सुन, सफलता दे!” (पद.25) l परिणाम? “धन्य है वह जो यहोवा के नाम से आता है” (पद.26)। हम उसे धन्यवाद दें क्योंकि वह मजबूत और अच्छा है।