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Articles by पैटरिसीए रेबॉन

मसीह में हमारा नया स्वभाव

हमारा शंकुधारी वृक्ष चीड़ और सुइयाँ गिरा रहा था। वृक्ष चिकित्सक ने इस पर एक नज़र डाली और समस्या बताई। "यह सिर्फ एक शंकुवृक्ष है," उन्होंने कहा। मुझे बेहतर स्पष्टीकरण की आशा थी। या एक उपाय। लेकिन उस व्यक्ति ने कंधे उचकाते हुए फिर से कहा, "यह सिर्फ शंकुवृक्ष है।" स्वभावतः, पेड़ सुइयां गिराता है। यह बदल नहीं सकता।

शुक्र है, हमारा आध्यात्मिक जीवन अपरिवर्तनीय कार्यों या दृष्टिकोणों तक सीमित नहीं है। पौलुस ने इफिसुस में नए विश्वासियों को इस मुक्तिदायक सत्य को बताने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "अन्यजातियों की समझ अंधकारमय हो गई है", उनके मन परमेश्वर के लिए बंद हो गए हैं। उनके हृदय कठोर थे जिनमें "हर प्रकार की अशुद्धता" थी और वे केवल सुख-विलास और लालच की खोज में रहते थे (इफिसियों 4:18-19)।

लेकिन "चूंकि तुमने यीशु और उसकी सच्चाई के बारे में सुना है" और प्रेरित ने लिखा, "अपने पुराने पापी स्वभाव और अपने पूर्व जीवन के तरीके को त्याग दो" (पद 22)। पौलुस ने बताया कि कैसे हमारा पुराना स्वभाव “वासना और धोखे से भ्रष्ट हो गया है।” उन्होंने कहा, “आत्मा को आपके विचारों और दृष्टिकोणों को नवीनीकृत करने दें। अपने नए स्वभाव को धारण करें, जो परमेश्वर के समान बनाया गया है - वास्तव में धर्मी और पवित्र" (पद 22-24)।

फिर उन्होंने जीने के नए तरीके गिनाए। झूठ बोलना बंद करो। क्रोध का विरोध करें, कोसना बंद करो, चोरी करना छोड़ो। "इसके बजाय, अपने हाथों का उपयोग अच्छी मेहनत के लिए करें, और फिर जरूरतमंदों को उदारतापूर्वक दें" (पद 28)। मसीह में हमारी नई आत्मा हमें हमारे बुलावे के योग्य जीवन जीने की अनुमति देती है, जो हमारे उद्धारकर्ता के मार्ग के अनुरूप है।

मदद करना जैसे परमेश्वर हमारी मदद करता है

न्यूजीलैंड के ओले कासो को साइकिल चलाना बहुत पसंद था। एक सुबह, जब उसने पार्क में एक बुजुर्ग व्यक्ति को अपने वॉकर(walker) के साथ अकेले बैठे देखा, तो ओले को एक सरल विचार से प्रेरणा मिली: क्यों न बुजुर्ग लोगों को बाइक की सवारी का आनंद और स्वतंत्रता प्रदान की जाए। इसलिए, एक दिन जब धूप निकली थी, वह किराए की ट्राइशॉ  (पैडल वाला हल्का तिपहिया वाहन) लेकर एक नर्सिंग होम में रुका और वहाँ लोगों को सवारी की पेशकश की। उन्हें ख़ुशी हुई जब एक स्टाफ सदस्य और एक बुजुर्ग निवासी “साइकिलिंग विदआउट ऐज(Cycling Without Age) के पहले सवार बने।

अब, बीस साल से अधिक समय के बाद, साइकिल चलाने से चूकने वालों की मदद करने के ओले के सपने ने लगभग 575,000 बुजुर्गों को 2.5 मिलियन (2.5 लाख) सवारी कराके उन्हें  आशीषित किया है । कहाँ? किसी मित्र से मिलने के लिए, आइसक्रीम कोन का आनंद ले कर , और "अपने बालों में हवा को महसूस कर के ।" प्रतिभागियों का कहना है कि वे बेहतर सोते हैं, बेहतर खाते हैं और कम अकेलापन महसूस करते हैं।

ऐसा उपहार यशायाह 58:10-11 में अपने लोगों के लिए परमेश्वर के सुंदर शब्दों को जीवन से भर देता है। उन्होंने उनसे कहा, " मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करो, तब अंधियारे में तुम्हारा प्रकाश चमकेगा। और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा।” परमेश्वर ने वादा किया, "और यहोवा तुझे लगातार लिए चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हडि्डयों को हरी भरी करेगा; और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता।" ।

परमेश्वर ने अपने लोगों से कहा, " तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे;" (पद- 12)। वह हमारे द्वाराक्या कर सकता है? जैसे वह हमारी मदद करता है, हम हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहें।

यीशु हमारे भीतर रहते हैं

जैसे ही पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में मेरे राज्य पर बर्फ़ीला तूफ़ान प्रबल हुआ, मेरी विधवा माँ तूफ़ान से "निपटने" के लिए मेरे परिवार के साथ रहने के लिए सहमत हो गई। हालाँकि, बर्फ़ीले तूफ़ान के बाद, वह कभी अपने घर वापस नहीं लौटी। वह जीवन भर के लिए हमारे पास आकर हमारे साथ रहने लगी। उनकी उपस्थिति ने हमारे घर को कई सकारात्मक तरीकों से बदल दिया। वह परिवार के सदस्यों को ज्ञान प्रदान करने, सलाह देने और पैतृक (बाप दादो का) कहानियाँ साझा करने के लिए प्रतिदिन मौजूद रहती थीं। वह और मेरे पति सबसे अच्छे दोस्त बन गए, क्योंकि वे खेलों के लिये हास्य और प्रेम की समान भावना साझा करते थे। वह अब कोई मेहमान नहीं थीं। वह एक स्थायी और महत्वपूर्ण निवासी थी- जो अपनी मृत्यु के बाद भी हमारे ह्रदयों को बदल रही थी।

यह अनुभव यहुन्ना के यीशु के वर्णन को याद दिलाता है - कि वह "हमारे बीच में रहता था" (यहुन्ना 1:14 KJV)। यह एक प्रबल प्रेरक (दमदार)वर्णन है क्योंकि मूल ग्रीक में डेल्ट शब्द का अर्थ है "तम्बू (डेरा) गाड़ना।" एक अन्य अनुवाद कहता है — “उसने हमारे बीच निवास किया।” "हमारे बीच अपना घर बनाया" (NLT)।

विश्वास के द्वारा, हम यीशु को भी अपने हृदय में वास करने वाले के रूप में प्राप्त करते हैं। जैसा कि पौलुस ने लिखा, "कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ। और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डाल कर सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ ।  (इफ़िसियो 3:16-17 NLT)।

यीशु, समान्य तौर पर कभी-कभार आने वाला मेहमान नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए एक सशक्त स्थायी निवासी है जो उसका अनुसरण करते हैं। क्या हम अपने हृदय के द्वार खोलकर उसका स्वागत कर सकते हैं।

परमेश्वर के खुले द्वार

एक बड़े शहर के पास मेरे नए स्कूल में, मार्गदर्शन परामर्शदाता ने मुझ पर एक नज़र डाली और मुझे सबसे कम प्रदर्शन करने वाली अंग्रेजी लेखन कक्षा में रखा l मैं अपने पिछले स्कूल से उत्कृष्ट इम्तहान प्राप्तांक, उत्कृष्ट अंक और यहाँ तक कि अपने लेखन के लिए श्रेष्ठ पुरूस्कार के साथ पहुंची थी l मेरे नए स्कूल में “सर्वश्रेष्ठ” लेखन कक्षा का दरवाज़ा मेरे लिए बंद था, हालाँकि, जब परामर्शदाता ने निर्णय लिया कि मैं सही या तैयार नहीं हूँ l 

प्राचीन फिलदिलफिया की कलीसिया को ऐसे मनमाने झटके समझ में आए होंगे l एक छोटा और साधारण कलीसिया, इसके शहर को हाल के वर्षों में भूकंप का सामना करना पड़ा जिससे स्थायी क्षति हुयी l इसके अतिरिक्त, उन्हें शैतानी विरोध का सामना करना पड़ा (प्रकाशितवाक्य 3:9) l इस तरह के उपेक्षित कलीसिया में “फिर भी थोड़ी ताकत थी,” जैसा कि पुनरुत्थित यीशु ने कहा, “तू ने मेरे वचन का पालन किया है और मेरे नाम का इनकार नहीं किया” (पद.8) l इसलिए, परमेश्वर ने उनके सामने “एक द्वार खोल रखा है, जिसे कोई बंद नहीं कर सकता” (पद.8) l वास्तव में, “[उसके] खोले हुए को कोई बंद नहीं कर सकता और बंद किये हुए को कोई खोल नहीं सकता” (पद.7) l 

यह हमारी सेवा के प्रयासों के लिए सच है l कुछ दरवाजे नहीं खुलते l हालाँकि, ईश्वर के लिए मेरे लेखन के साथ, उसने वास्तव में दरवाजे खोले हैं, जिससे इसे एक परामर्शदाता के बंद रवैये की परवाह किये बिना वैश्विक दर्शकों तक पहुँचने की अनुमति मिली है l बंद दरवाजे आपके  लिए भी बाधा नहीं बनेंगे l “द्वार मैं हूँ,” यीशु ने कहा (यूहन्ना 10:9) l आइए उसके द्वारा खोले गए द्वारों में प्रवेश करें और उसका अनुसरण करें l 

प्यार का उपहार प्राप्त

अपने विवाह के दिन, ग्वेंडोलिन स्टलगिस ने अपने सपनों का विवाह वस्त्र पहनी l फिर उसने इसे दे दिया—एक अजनबी को l स्टलगिस मानती थी कि एक वस्त्र का कोठरी में रहकर धूल खाने से कही अधिक योग्य है l अन्य दुल्हनें सहमत हो गयीं l अब सैकड़ों स्त्रियाँ उनकी सोशल मीडिया साइट पर विवाह के कपड़े दान करने और प्राप्त करने के लिए जुड़ गयी हैं l जैसा कि एक देनेवाले ने कहा, “मुझे आशा है कि यह पोशाक एक दुल्हन से दूसरी दुल्हन, और आगे तक जाती रहेगी, और इसमें किये गए जश्न के कारण अन्त में खराब हो जाएगी और फट जाएगी l 

देने की भावना वास्तव में एक उत्सव की तरह महसूस हो सकती है l जैसा लिखा है, “ऐसे हैं, जो छितरा देते है, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है l उदार प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और दूसरों की खेती सींचता है, उसकी भी सिंचीं जाएगी” (नीतिवचन 11:24-25) l 

प्रेरित पौलुस ने यह सिद्धांत नए नियम में सिखाया l जैसे ही उसने इफिसुस में विश्वासियों को अलविदा कहा, उसने उन्हें आशीष देकर (प्रेरितों 20:32) उन्हें उदारता के महत्व की याद दिलायी l पौलुस ने उनके अनुसरण के लिए एक उदाहरण के रूप में अपने स्वयं की कार्य नीति की ओर इशारा किया l उसने कहा, “मैं ने तुम्हें  . . . करके दिखाया कि . . . परिश्रम करते हुए निर्बलों को संभालना और प्रभु यीशु के वचन स्मरण रखना . . . जो उसने स्वयं ही कहा है : ‘लेने से देना धन्य है’ ” (पद.35) l  

उदार होना परमेश्वर को दर्शाता है l “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने . . . दिया” (यूहन्ना 3:16) l आइए उसके गौरवशाली उदाहरण का अनुसरण करें क्योंकि वह हमारा मार्गदर्शन करता है l  

ध्यान रखने के द्वारा साझा करना

युवा पादरी हर सुबह परमेश्वर से प्रार्थना करता था कि वह उस दिन किसी को आशीष देने के लिए उसका उपयोग करे। और अक्सर जब ऐसा होता था तो उसे  खुशी होती थी। एक दिन अपनी दूसरी नौकरी से अन्तराल के दौरान, वह एक सहकर्मी के साथ धूप में बैठा था जिसने उससे यीशु के बारे में पूछा था। पादरी ने दूसरे व्यक्ति के प्रश्नों का सरलतापूर्वक उत्तर दिया। कोई ऊंची और क्रोधित आवाज नहीं, कोई बहस नहीं, पादरी ने टिप्पणी की कि पवित्र आत्मा द्वारा निर्देशित होने के कारण उन्होंने एक अनौपचारिक बातचीत की जो प्रभावी लेकिन प्रेमपूर्ण लगी। उसने एक नया दोस्त भी बनाया - कोई ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर के बारे में और अधिक जानने का इच्छुक हो।

पवित्र आत्मा को हमारा नेतृत्व करने देना दूसरों को यीशु के बारे में बताने का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।" (प्रेरितों1:8)।

आत्मा का फल " "पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,और कृपा, भालाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; " (गलातियों 5:22-23)। आत्मा के नियंत्रण में रहते हुए, उस युवा पादरी ने पतरस के निर्देश पर अमल किया: “"पर मसीह को प्रभु जानकर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ।" (1 पतरस 3:15)।

भले ही हम मसीह में विश्वास करने के लिए कष्ट सहते हैं, हमारे शब्द दुनिया को दिखा सकते हैं कि उसकी आत्मा हमारा मार्गदर्शन करती है। तब हमारा चलना दूसरों को उसकी ओर आकर्षित करेगा।

परमेश्वर का सुरक्षात्मक प्रेम

एक गर्मी की रात, हमारे घर के पास पक्षी अचानक गड़बड़ीऔर शोर वाली आवाजें करने लगे। उनकी चीख.पुकार तेज हो गई जब गानेवाले पक्षियों ने पेड़ों से भेदने वाली आवाजें करीं ।  आख़िरकार हमें एहसास हुआ कि ऐसा क्यों हो रहा है। जैसे ही सूरज डूबा, एक बड़े बाज़ ने पेड़ की चोटी से झपट्टा मारा, जिससे पक्षी चीखते हुए तितर-बितर हो गए, और उड़ते हुएउन्होंने  खतरे की चेतावनी भी दी।हमारे जीवन में, आत्मिक चेतावनियाँ पूरे पवित्रशास्त्र में सुनी जा सकती हैं - उदाहरण के लिए, झूठी शिक्षाओं के प्रति चेतावनियाँ। हमें संदेह हो सकता है कि हम यही सुन रहे हैं। हालाँकि, हमारे प्रति अपने प्रेम के कारण, हमारे स्वर्गीय पिता हमें ऐसे आत्मिक खतरों को स्पष्ट करने के लिए पवित्रशास्त्र की स्पष्टता प्रदान करते हैं।

यीशु ने सिखाया,"झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्तर में फाड़नेवाले भेड़िए हैं।"(मत्ती7:15)। उसने आगे कहा, “उनके फल से तुम उन्हें पहचान लोगे। . . . हर अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है, परन्तु बुरा पेड़ बुरा फल लाता है।”फिरउसनेहमेंचेतावनीदी, "उनके फल से तुम उन्हें पहचानोगे" (पद16-17; 20)।

नीतिवचन 22:3 हमें याद दिलाता है, “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं।” ऐसी चेतावनियों में परमेश्वरका सुरक्षात्मक प्रेम निहित है, जो हमारे लिए उनके शब्दों में प्रकट होता है।

जैसे पक्षियों ने एक-दूसरे को शारीरिक खतरे के बारे में चेतावनी दी, क्या हम आत्मिक खतरे से बचने औरपरमेश्वर की शरण में जाने के लिए बाइबल की चेतावनियों पर ध्यान दे सकते हैं।

मसीह की तरह देना

जब अमेरिकी लेखक ओ हेनरी ने 1905 की अपनी प्रिय क्रिसमस कहानी "द गिफ्ट ऑफ द मजाई(The Gift of the Magi)" लिखी, वह व्यक्तिगत परेशानियों से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा था। फिर भी, उन्होंने एक प्रेरक कहानी लिखी जो एक सुंदर, मसीह-समान चरित्र विशेषता—बलिदान को उजागर करता है। कहानी में, एक गरीब पत्नी क्रिसमस के पूर्व संध्या पर अपने पति के लिए सोने की पॉकेट घड़ी का चेन खरीदने के लिए अपना सुंदर लंबा बाल बेच देती है। जैसा उसे बाद में पता चलता है कि, उसके पति ने उसके खूबसूरत बालों के लिए कंघी का एक सेट खरीदने के लिए अपनी जेब घड़ी बेच दिया था।

 

एक दूसरे को उनका सबसे बड़ा उपहार? बलिदान। प्रत्येक की ओर से, भाव प्रदर्शन में बहुत प्रेम झलक रहा था।

 

उसी प्रकार, यह कहानी उन प्रेमपूर्ण उपहारों को प्रकट करता है जो ज्योतिषियों ने शिशु मसीह को उनके पवित्र जन्म के बाद दिया। (देखें मत्ती 2:1,11)। तथापि, उन उपहारों से भी अधिक बालक यीशु बड़े होते और एक दिन पूरे विश्व के लिए अपना जीवन बलिदान देते।

 

हमारे दैनिक जीवन में, मसीह में विश्वासी हमारे समय का बलिदान, ख़जाना और एक ऐसा स्वभाव जो सब बात प्रेम का करता है दूसरों को देकर उनके महान उपहार को उजागर कर सकते हैं। जैसा कि प्रेरित पौलुस ने लिखा, “इसलिए हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्‍वर की दया स्मरण दिलाकर विनती करता हूँ, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ” (रोमियों 12:1) l यीशु के प्रेम के द्वारा दूसरों के लिए बलिदान देने से बेहतर कोई उपहार नहीं है।

सब के लिए परमेश्वर का हृदय

नौ वर्षीय महेश अपने सबसे अच्छे दोस्त नीलेश के साथ अपने सहपाठी के बर्थडे पार्टी में पहुंचा। हालांकि, जब जन्मदिन के लड़के की मां ने महेश को देखा, तो उन्होंने उसे प्रवेश करने से मना कर दिया। उसने जोर देकर कहा, “पर्याप्त कुर्सियां ​​नहीं हैं  हैं l” नीलेश ने अपने दोस्त, जो गरीब दिख रहा था, के लिए जगह बनाने के लिए फर्श पर बैठने की पेशकश की, लेकिन माँ ने मना कर दिया। निराश होकर, नीलेश ने उसके पास अपने उपहार छोड़ दिए और महेश के साथ घर लौट आया । इस अस्वीकृति की चोट ने उसके दिल को दहला दिया।

 

अब, दशकों बाद, नीलेश एक शिक्षक हैं जो अपनी कक्षा में एक खाली कुर्सी रखते हैं। जब छात्र पूछते हैं क्यों, तो वह समझाते हैं कि यह उसका अनुस्मारक है कि "कक्षा में हमेशा किसी के लिए जगह हो।"

 

यीशु के स्वागत करने वाले जीवन में सभी लोगों के लिए एक हृदय देखा जा सकता है : “हे सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती 11:28)। यह निमंत्रण यीशु की सेवकाई के “पहले तो यहूदी,” (रोमियों 1:16) के दायरे के विपरीत प्रतीत हो सकता है। लेकिन उद्धार का उपहार उन सभी लोगों के लिए है जो यीशु में अपना विश्वास रखते हैं। पौलुस ने लिखा, “सब विश्वास करनेवालों के लिये है। क्योंकि कुछ भेद नहीं" (3:22 )।

 

सभी के लिए मसीह के निमंत्रण पर हम आनंदित होते हैं : "मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो, क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ, और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे" (मत्ती 11:29)। उसके विश्राम की तलाश करने वाले सभी के लिए, उसका खुला हृदय प्रतीक्षा कर रहा है।