परदेशियों का स्वागत
जैसे ही हजारों यूक्रेनी महिलाएं और बच्चे युद्ध से भागकर बर्लिन के रेलवे स्टेशन पर पहुंचे उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जर्मन परिवार अपने घरों में शरणार्थियों को शरण देने के लिये अपने हाथों से बने विज्ञापन लेकर खड़े थे । एक में लिखा था “दो लोगों को रख सकते हैं।” दूसरे में था “एक बड़ा कमरा उपलब्ध है।” एक महिला से यह पूछे जाने पर कि उसने अजनबियों को ऐसा अतिथि सत्कार (मेहमानदारी) क्यों दिया, उस महिला ने कहा कि उसकी माँ को नाज़ियों से भागते समय शरण की आवश्यकता पड़ी थी और अब वह भी ऐसी ज़रूरत में पड़े दूसरों लोगों की मदद करना चाहती थी।
व्यवस्थाविवरण की पुस्तक में परमेश्वर इस्राएलियों को अपने देश से दूर रहने वालों की देखभाल करने के लिए कहता है। क्यों? क्योंकि वह अनाथों, विधवाओं, और परदेशियों का रक्षक है (10:18), और क्योंकि इस्राएली जानते थे कि इस तरह के असुरक्षित और खतरनाक हालातों में होने से क्या महसूस होता है:“क्योंकि तुम भी मिस्र में परदेशी थे” (पद 19)। सहानुभूति उनकी देखभाल को प्रेरित करने के लिए थी।
लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है। जब सारपत की विधवा ने परदेशी एलिय्याह का अपने घर में स्वागत किया तो वह आशीषित हुई (1 राजा 17:9–24), ठीक वैसे ही जैसे इब्राहीम को तीन परदेशी आगंतुकों ने आशीष दी थी (उत्पत्ति 18:1–15)। परमेश्वर अक्सर मेहमानदारी का उपयोग मेजबान को आशीर्वाद देने के लिए करते हैं, केवल मेहमान को नहीं।
अपने घर में अजनबियों का स्वागत करना कठिन है, पर हो सकता है कि वे जर्मन परिवार वास्तविक लाभार्थी हैं। जब हम भी परमेश्वर की सहानुभूति के साथ कमजोरों के प्रति सहानुभूति दिखाते हैं तो हम उन वरदानों से चकित हो सकते हैं जो वह हमें उनके द्वारा देता है।
शेरिडेन वोयसी
कौन सा ज्ञान?
ईस्टर 2018 से ठीक पहले, एक आतंकवादी ने बाजार में प्रवेश किया, दो लोगों की हत्या कर दी और एक तीसरी महिला को बंधक बना लिया। जब महिला को मुक्त करने के प्रयास विफल हो गए, तो एक पुलिसकर्मी ने आतंकवादी को एक प्रस्ताव दिया: महिला को छोड़ दो और उसकी जगह उसे ले जाओ। यह प्रस्ताव चौंकाने वाला था क्योंकि यह लोकप्रिय ज्ञान के खिलाफ था। आप हमेशा किसी संस्कृति की "बुद्धिमत्ता" को उसके द्वारा मनाए जाने वाले कथनों से पहचान सकते हैं, जैसे कि सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले सेलिब्रिटी उद्धरण। एक लोकप्रिय उद्धरण में लिखा है, "सबसे बड़ा साहसिक कार्य जो आप कर सकते हैं वह है अपने सपनों का जीवन जीना।" एक और कहता है, "सबसे पहले खुद से प्यार करो और बाकी सब अपने आप हो जाएगा।" एक तीसरा कहता है, "जो तुम्हें करना है, वह अपने लिए करो।" अगर पुलिस अधिकारी ने ऐसी सलाह मानी होती, तो वह खुद को पहले रखता और भाग जाता।
याकूब प्रेरित कहता है कि इस संसार में दो प्रकार की बुद्धि है: एक “सांसारिक” है, और दूसरी “स्वर्गीय” है। पहले वाली को स्वार्थी महत्वाकांक्षा और गड़बड़ी (विकार) द्वारा चिन्हित किया गया है (याकूब 3:14-16); तो दूसरी को नम्रता, अधीनता और मेल-मिलाप के द्वारा चिन्हित किया गया है (पद 13, 17-18)। सांसारिक ज्ञान स्वयं को सबसे पहले रखता है। स्वर्गीय ज्ञान दूसरों का पक्ष लेता है, जो विनम्र कर्मों के जीवन की ओर अगुवाई करता है (पद 13)। उस आतंकवादी ने पुलिस अधिकारी के उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, और उस बंधक को स्वतंत्र करके पुलिसकर्मी को गोली मार दी, और उस ईस्टर पर संसार ने एक निर्दोष व्यक्ति को किसी दूसरे के लिए मरते हुए देखा। स्वर्गीय ज्ञान विनम्र कार्यों की ओर अगुवाई इसलिए करता है क्योंकि यह परमेश्वर को स्वयं से ऊपर रखता है (नीतिवचन 9:10)। आज आप किस ज्ञान का अनुसरण कर रहे हैं?
—शेरिडेन वोयसी
यीशु में एक साथ भिन्न
व्यापार विश्लेषक फ्रांसिस इवांस ने एक बार 125 बीमा सेल्समैनों का अध्ययन किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें सफल होने में क्या बात मदद करती है। आश्चर्यजनक रूप से, योग्यता प्रमुख कारक नहीं थी l इसके बजाय, इवांस ने पाया कि ग्राहक उन्हीं सेल्समैन से खरीदारी करने के लिए अधिक इच्छुक थे जिनकी राजनीति, शिक्षा और कद-काठी उनके जैसी ही थी। विद्वान इसे होमोफिली(homophily) कहते हैं: अपने जैसे लोगों को पसंद करने की प्रवृत्ति।
होमोफिली जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम कर रही है, जहाँ हम अपने जैसे लोगों से शादी करने और उनसे दोस्ती करने की प्रवृत्ति रखते हैं। स्वाभाविक होते हुए भी होमोफिली अनियंत्रित होने पर विनाशकारी हो सकती है। जब हम केवल "अपनी तरह" के लोगों को पसंद करते हैं, तो समाज नस्लीय, राजनीतिक और आर्थिक आधार पर टूट सकता है।
पहली शताब्दी में, यहूदी यहूदियों के, यूनानी यूनानियों के साथ रहे, और अमीर और गरीब कभी भी घुलमिल नहीं पाए l और फिर भी, रोमियों 16:1-16 में, पौलुस रोम की कलीसिया के वर्णन में, प्रिस्किल्ला और अक्विला(यहूदी), इपैनितुस(यूनानी) फीबे(बहुतों का उपकार करनेवाली”, इसलिए शायद धनवान), और फिलुलुगुस (दासों के लिए सामान्य नाम) को शामिल कर सकता था l ऐसे अलग-अलग लोगों को एक साथ क्या लाया था? यीशु—जिसमें “न तो यहूदी है और न अन्यजाति, न दास और न स्वतंत्र” (गलातियों 3:28) l
अपने जैसे लोगों के साथ रहना, काम करना और चर्च जाना स्वाभाविक है l यीशु हमें उससे आगे ले जाता है l इस संसार में जो विभिन्न रेखाओं से बटी हुयी है, वह हमें एक ऐसे लोग बना रहा है जो एक साथ हैं पर अलग हैं—एक परिवार के रूप में एक हैं l
—शेरिडैन वोयसे
निचले डेक के लोग
मेरा एक मित्र अफ़्रीका मर्सी नामक एक अस्पताल जहाज़ पर काम करता है, जो विकासशील देशों में मुफ़्त स्वास्थ्य सेवाएँ ले जाता है। कर्मचारी प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों की सेवा करते हैं जिनकी बीमारियों का अन्यथा इलाज नहीं हो पाता।
टी.वी. क्रू जो समय-समय पर जहाज पर चढ़ते हैं, अपने कैमरे को उसके अद्भुत चिकित्सा कर्मचारियों पर केंद्रित करते हैं। कभी-कभी वे अन्य क्रू सदस्यों का साक्षात्कार लेने के लिए डेक के नीचे जाते हैं, लेकिन मिक जो काम करता है उस पर आम तौर से किसी का ध्यान नहीं जाता।
मिक, एक इंजीनियर, इस बात से आश्चर्यचकित है कि उसे कहाँ काम सौंपा गया है - जहाज के सीवेज प्लांट में। प्रतिदिन चालीस हजार लीटर तक कचरा उत्पन्न होने के कारण, इस जहरीले पदार्थ का प्रबंधन करना एक गंभीर कार्य है। मिक के पाइपों और पंपों की देखभाल के बिना, अफ़्रीका मर्सी का जीवनदायी कार्य रुक जाएगा।
मसीही सेवकाई में "ऊपर डेक" पर मौजूद लोगों की सराहना करना आसान है, जबकि नीचे कक्ष में मौजूद लोग अनदेखे रह जाते है। जब कुरिन्थियों ने बड़े वरदानों वाले लोगों को दूसरों से ऊपर उठाया, तो पौलुस ने उन्हें याद दिलाया कि प्रत्येक विश्वासी की मसीह के कार्य में एक भूमिका है (1 कुरिन्थियों 12:7-20), और प्रत्येक वरदान महत्वपूर्ण है, चाहे वह चमत्कारी चंगाई हो या दूसरों की मदद करना (पद 27-31). वास्तव में, भूमिका जितनी कम प्रमुख होती है, वह उतने ही अधिक सम्मान पाने की हकदार होती है(पद 22-24)।
क्या आप "निचले डेक" के व्यक्ति हैं? तो अपना सिर ऊंचा उठाएं। आपका कार्य परमेश्वर द्वारा आदरयोग्य है और हम सभी के लिए अत्यावश्यक है।
त्यागित विश्वास
जून 1965 में, छह टोंगन किशोर रोमांच की तलाश में अपने द्वीप घर से रवाना हुए। लेकिन जब पहली रात एक तूफान ने उनके मस्तूल और पतवार को तोड़ दिया, तो वे दक्षिण प्रशांत महासागर में 'अटा' के निर्जन द्वीप पर पहुंचने से पहले कई दिनों तक बिना भोजन या पानी के बहते रहे। यह उनके ढूंढे जाने से लगभग पंद्रह महीने पहले है।
लड़कों ने जीवित रहने के लिए 'अता' पर एक साथ काम किया, एक छोटा सा खाद्य उद्यान स्थापित किया, बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए पेड़ों के तनों को खोखला किया, यहां तक कि एक अस्थायी व्यायामशाला भी बनाया। जब एक लड़के का पैर टीले से गिरने के कारण टूट गया, तो बाकियों ने उसे लाठियों और पत्तों की मदद से ठीक किया। बहस को अनिवार्य सुलह के साथ अंत किया जाता था, और प्रत्येक दिन की शुरआत और अंत गा के और प्रार्थना करके होती थी। जब लड़के इस कठिन परीक्षा से स्वस्थ होकर निकले, तो उनके परिवार आश्चर्यचकित रह गए - उनका अंतिम संस्कार हो चुका था।
पहली शताब्दी में यीशु में विश्वासी होना एक अलग अनुभव हो सकता है। अपने विश्वास के कारण सताए जाना और अक्सर परिवार से अलग कर दिया जाना , किसी व्यक्ति को भटका हुआ महसूस करा सकता है। ऐसे त्यागे हुए लोगों को प्रेरित पतरस ने प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वें संयमी होकर प्रार्थना के लिये सचेत रहें (1 पतरस 4:7), एक दूसरे से अधिक प्रेम करें (पद 8), और काम पूरा करने के लिए जो भी वरदान उन्हें मिले है उसका उपयोग करें (पद 10-11)। समय आने पर, परमेश्वर उन्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा (5:10)।
परीक्षा के समय में, "त्यागित विश्वास" की आवश्यकता होती है। हम प्रार्थना करते हैं और एकजुटता से काम करते हैं, और परमेश्वर हमें इसमें मदद करते हैं।
गो–कार्ट ठीक करना
मेरे बचपन के घर का गैरेज कई यादें समेटे हुए है। हर शनिवार की सुबह, मेरे पिताजी हमारी कार को गैरेज़ से निकालकर ड्राइववे में पार्क कर देते थे, ताकि हमारे पास काम करने के लिए जगह हो जाये — मेरी पसंदीदा एक टूटी हुई गो–कार्ट(एक छोटी रेसिंग कार) को ठीक करने के लिये, जो हमें कहीं से मिली थी। उस गैराज में, हमने उसमें नए पहिए लगाये, प्लास्टिक की एक अच्छी विंडशील्ड लगाई, और जब मेरे पिताजी सड़क पर ट्रैफिक को देख रहे होते थे तो मैं ड्राइववे पर उत्तेजना के साथ दौड़ाता था! पीछे मुड़कर देखता हूं, तो उस गैरेज में केवल गो–कार्ट को ठीक करने के अलावा कहीं ज़्यादा कुछ चल रहा था। एक छोटे लड़के को उसके पिता द्वारा आकार दिया जा रहा था - और इस प्रक्रिया में उसे परमेश्वर की एक झलक मिल रही थी।
मनुष्यों को परमेश्वर के अपने स्वभाव के अनुरूप बनाया गया है (उत्पत्ति 1:27–28)। मानव पालन पोषण का मूल परमेश्वर में भी है, क्योंकि “वह पिता है, जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर हर एक घराने का नाम रखा जाता है” (इफिसियों 3:14–15)। जिस तरह माता पिता बच्चों को दुनिया में लाकर परमेश्वर की जीवन देने वाली क्षमताओं का अनुकरण करते हैं, जब वे अपने बच्चों का पालन–पोषण और सुरक्षा करते हैं, तो वे अपने आप में नहीं बल्कि पिता परमेश्वर के गुणों को व्यक्त करते हैं। वह एक ऐसा नमूना (मॉडल) है जिस पर सभी परवरिश (पेरेंटिंग) आधारित हैं।
मेरे पिता पूरी तरह से निपुण तो नहीं थे। हर पिता और माता की तरह उनका पालन–पोषण कभी कभी स्वर्ग की नकल करने में विफल रहा। लेकिन जब अक्सर परमेश्वर की नकल की, तो इसने मुझे परमेश्वर के अपने पालन–पोषण और सुरक्षा की एक झलक दिखाई — ठीक वहीं पर जहां हमने गैराज के फर्श पर गो–कार्ट ठीक करी।
मौसम
हाल ही में मुझे एक सहायक शब्द मिला: शीतकाल। जिस प्रकार से सर्दियों का मौसम अधिकांश प्राकृतिक संसार के धीमे हो जाने का समय होता है, लेखिका कैथरीन जीवन के “ठंडे” मौसमों के दौरान विश्राम करने और स्वस्थ होने की हमारी आवश्यकता का वर्णन करने के लिए इस शब्द का उपयोग करती हैं। मैंने अपने पिता को कैंसर की बीमारी से खो देने के बाद उस समरूपता को सहायक पाया, जिसने मुझे महीनों तक मुझे शक्तिहीन बना कर रखा। इस जबरदस्ती की धीमी गति से नाराज होकर, यह प्रार्थना करते हुए मैंने अपनी शीतकाल (शोक का समय) से लड़ाई लड़ी कि गर्मी (आनन्द) का जीवन वापस लौट आए। परन्तु मुझे तो बहुत कुछ सीखना था।
सभोपदेशक की पुस्तक प्रसिद्ध रूप से कहती है कि “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है”— अर्थात् बोने और काटने का समय, रोने और हँसने का, शोक मनाने और नाचने का समय (3:1-4)। वर्षों से मैंने इन वचनों को पढ़ा था, परन्तु इन्हें समझना मैंने अपने शीतकाल में ही आरम्भ किया। क्योंकि यद्यपि हमारा उन पर थोड़ा नियंत्रण हो भी, तौभी प्रत्येक मौसम सीमित होता है और जब उसका कार्य पूरा हो जाएगा तो वह बीत जाएगा। और जबकि हम हमेशा यह नहीं समझ सकते कि यह क्या हुआ, परमेश्वर उनके द्वारा हमारे भीतर कुछ महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है (पद 11)। मेरा शोक का समय समाप्त नहीं हुआ था। परन्तु जब यह समाप्त होगा तो आनन्द लौट आयेगा। जैसे पौधे और पशु सर्दी से संघर्ष नहीं करते, वैसे ही मुझे भी आवश्यकता थी कि विश्राम करूँ और उसे अपना नवीनीकरण का काम करने दूँ।
मेरे एक मित्र ने प्रार्थना की, “हे प्रभु, क्या आप इस कठिन समय में शेरीडेन के जीवन में अपना भला काम करेंगे।” यह प्रार्थना मेरी प्रार्थना से बेहतर थी। क्योंकि परमेश्वर के हाथों में, मौसम तो उद्देश्यपूर्ण वस्तुएँ हैं। आइए हम हर एक के जीवन में उसके नवीनीकरण के कार्य के प्रति समर्पित हो जाएँ।
सत्य ढूंढने वाले
एक महिला ने एक बार मुझे एक असहमति के बारे में बताया था जो उसके कलीसिया को तोड़ रही थी। "असहमति किस बारे में है?" मैंने पूछ लिया। "क्या पृथ्वी चपटी है," उसने कहा। कुछ महीने बाद, एक मसीही व्यक्ति के बारे में खबर आई जो हथियारों से लैस एक रेस्तरां में घुसा था, बच्चों को बचाने के लिए जिनके साथ पीछे के कमरे में कथित रूप से दुर्व्यवहार किया जा रहा था। पीछे कोई कमरा नहीं था, और उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों ही मामलों में, शामिल लोग साजिश के सिद्धांतों(झूठा समाचार) पर काम कर रहे थे जो उन्होंने इंटरनेट पर पढ़े थे।
यीशु में विश्वासियों को अच्छा नागरिक होने के लिए बुलाया गया है (रोमियों 13:1-7), और अच्छे नागरिक गलत खबर नहीं फैलाते हैं। लूका के दिनों में, यीशु के बारे में बहुत सी कहानियाँ प्रचलित थीं (लूका 1:1), उनमें से कुछ गलत थीं। उसने जो कुछ भी सुना, उसे बताने के बजाय, लूका अनिवार्य रूप से एक खोजी पत्रकार बन गया, चश्मदीद गवाहों से बात कर रहा था (पद. 2), “शुरुआत से सब कुछ” पर जांच कर रहा था (पद. 3), और वह अपने निष्कर्षों को एक सुसमाचार में लिख रहा था जिसमें नाम, उद्धरण और ऐतिहासिक तथ्य शामिल हैं, जो प्रत्यक्ष ज्ञान वाले लोगों पर आधारित हैं, न कि असत्यापित दावों पर। हम भी ऐसा ही कर सकते हैं। चूँकि झूठी जानकारी कलीसियाओं को विभाजित कर सकती है और जीवन को जोखिम में डाल सकती है, तथ्यों की जाँच करना अपने पड़ोसी से प्रेम करने का एक कार्य है (10:27)। जब कोई सनसनीखेज कहानी हमारे पास आती है, तो हम उसके दावों को योग्य, जवाबदेह विशेषज्ञों के साथ सत्यापित कर सकते हैं, सत्य की तलाश करने वाले—त्रुटि फैलाने वाले नहीं। ऐसा कार्य सुसमाचार में विश्वसनीयता लाता है। आखिरकार, हम उसकी आराधना करते हैं जो सत्य से परिपूर्ण है (यूहन्ना 1:14)।
दोस्त किराए पर लें?
दुनिया भर में कई लोगों के लिए, जीवन अकेला होता जा रहा है। 1990 के बाद से ऐसे अमेरिकियों की संख्या चार गुना हो गई है जिनका कोई मित्र नहीं है। कुछ यूरोपीय देशों में उनकी आबादी का 20 प्रतिशत तक अकेलापन महसूस कर रहा है, जबकि जापान में, कुछ बुजुर्ग लोगों ने अपराध का सहारा लिया है ताकि वे जेल में कैदियों की संगति कर सकें । उद्यमी इस अकेलेपन की महामारी के लिए एक "समाधान" लेकर आए हैं—किराए-पर-मित्र(rent –a-friend) । घंटे के हिसाब से किराए पर लिए गए, ये लोग आपसे बात करने या किसी पार्टी में आपके साथ जाने के लिए एक कैफे में मिलेंगे । ऐसे ही एक “दोस्त” से पूछा गया कि उसका ग्राहक कौन था। उसने कहा, “अकेला, 30- से 40-वर्षीय पेशेवर, जो लंबे समय तक काम करते हैं और उनके पास कई दोस्त बनाने के लिए समय नहीं है l”
सभोपदेशक 4 एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन करता है जो बिल्कुल अकेला है, जिसके पास “बेटा या भाई” नहीं है । इस कार्यकर्ता के परिश्रम का “अंत नहीं” है, फिर भी उसकी सफलता पूर्ण नहीं है (पद. 8) । “मैं किसके लिए मेहनत कर रहा हूँ . . . ?” वह अपनी दुर्दशा के प्रति जागते हुए पूछता है । रिश्तों में निवेश करना कहीं बेहतर है, जो उसके काम का बोझ हल्का कर देगा और परेशानी में मदद करेगा (पद. 9-12) । क्योंकि, अंततः, मित्रता के बिना सफलता “अर्थहीन है” (पद. 8) ।
सभोपदेशक हमें बताता है कि जो डोरी तीन तागे से बटी हो जल्दी नहीं टूटती (पद. 12) । लेकिन न तो यह जल्दी से बुनी जाती है। चूँकि सच्चे दोस्त किराए पर नहीं लिए जा सकते हैं, परमेश्वर को हमारे तीसरी लड़ी के रूप में, हमें एक साथ मजबूती से बुनते हुए आइए हम उन्हें बनाने के लिए आवश्यक समय का निवेश करें ।