विनम्र बनो दिवस
मैं अक्सर उन अनौपचारिक छुट्टियों से मनोरंजित/विनोदित होता हूँ जिनके साथ लोग आते हैं। सिर्फ फरवरी में “स्टिकी बन डे,” “स्वोर्ड स्वोलोअर्स डे”(sword swollowers), यहां तक कि “डॉग बिस्किट एप्रिसिएशन डे” भी है! आज के दिन को “बी हम्बल डे” (विनम्र बनो दिवस) का लेबल दिया गया है। सार्वभौमिक रूप से एक गुण के रूप में मान्यता प्राप्त विनम्रता निश्चित रूप से जश्न मनाने लायक है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हमेशा ऐसा नहीं रहा है।
विनम्रता को एक गुण नहीं, बल्कि एक कमजोरी माना जाता था, प्राचीन दुनिया इसके बजाये सम्मान को महत्त्व देती थी। अपने उपलब्धियों के बारे में शेखी बघारना अपेक्षित था, और आपको अपने रुतबे को बढ़ाने की कोशिश करनी थी, इसे कभी भी घटना नहीं था। नम्रता का अर्थ था हीनता, जैसे स्वामी का दास। लेकिन यह सब बदल गया, इतिहासकार कहते हैं, यीशु के क्रूस पर चढ़ने पर। वहां, जो "परमेश्वर के स्वरूप में ही था”, उसने "दास" बनने के लिए अपनी दिव्य रुतबे/हैसियत को त्याग दिया और दूसरों के लिए मरने के लिए स्वयं को विनम्र/दीन कर दियाI (फिलिप्पियों 2:6-8) इस तरह के एक सराहनीय कार्य ने विनम्रता को नए सिरे से परिभाषित करने पर मजबूर कर दिया। पहली सदी के अंत तक, यहाँ तक कि धर्मनिरपेक्ष लेखक भी मसीह द्वारा किए गए कार्यों के कारण विनम्रता को सद्गुण कह रहे थे।
आज हर बार जब किसी की विनम्र होने के लिए प्रशंसा की जाती है, तो सुसमाचार का सूक्ष्मता से प्रचार किया जा रहा है। यीशु के बिना, विनम्रता "अच्छी" नहीं होगी, या एक विनम्र दिन भी सोचे जाने योग्य नहीं होगा। पूरे इतिहास में परमेश्वर के विनम्र स्वभाव को प्रकट करते हुए मसीह ने हमारे लिए अपने रुतबे/हैसियत को त्याग दिया, ।
जागृति आता है
अरुकुन पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया देश का एक छोटा सा शहर है - इसकी आदिवासी आबादी सात कुलों से ली गई है। जबकि सुसमाचार एक सदी पहले ही अरुकुन में आया था, कभी-कभी आँख के बदले आँख का प्रतिशोध बना रहता था। 2015 में, कबीलों में आपसी तनाव बढ़ गया, और जब एक हत्या हुई, तो बदले में अपराधी के परिवार में से किसी को बदले में मरने की आवश्यकता थी।
लेकिन 2016 की शुरुआत में कुछ उल्लेखनीय हुआ। अरुकुन के लोगों ने प्रार्थना में परमेश्वर की तलाश शुरू कर दी। इसके बाद पश्चाताप हुआ, फिर बड़े पैमाने पर बपतिस्मा हुआ, जैसे ही जागृति(revival) ने शहर को व्यापक बनाना शुरू किया। लोग इतने खुश थे कि उन्होंने गलियों में नृत्य किया, और बदला लेने के बजाय, मारे गए व्यक्ति के परिवार ने कष्ट पहुँचाने वाले कबीले को माफ कर दिया। शीघ्र ही 1,000 लोग प्रत्येक रविवार को चर्च में उपस्तिथ होते थे— वो भी सिर्फ 1,300 की आबादी वाले शहर में!
हम इस तरह के, जागृति को पवित्रशास्त्र में देखते हैं, जैसे कि हिजकिय्याह के दिन में जब भीड़ खुशी से परमेश्वर के पास लौट आईI (2 इतिहास 30), और पिन्तेकुस्त के दिन जब हजारों ने पश्चाताप कियाI (प्रेरितों के काम 2:38-47) जबकि जागृति परमेश्वर का कार्य है, जो उसके समय में होता है, इतिहास दिखाता है कि प्रार्थना उससे पहले आती है। “यदि मेरी प्रजा जो मेरे लोग कहलाते है ...... दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें," परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, "मैं उनका पाप क्षमा करूंगा, और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा" (2 इतिहास 7:14)
जैसा कि अरुकुन के लोगों ने पाया, जागृति एक कस्बे में आनंद और मेल मिलाप लाता है। कैसे हमारे अपने शहरों को इस तरह के बदलाव की जरूरत है! पिता, हमारे लिए भी जागृति लाइए।
रोमांच के लिये बनना
मैंने हाल ही में एक अद्भुत खोज की है। अपने घर के पास, पेड़ों के एक समूह में गंदे रास्ते पर चलते हुये हुए, मुझे एक छिपा हुआ, घर का बना, खेल का मैदान मिला। लकडियों से बनी एक सीढ़ी ताक (देखने की जगह) तक जाती थी, शाखाओं से लटके पुराने केबल स्पूल से बने झूले, और यहाँ तक कि शाखाओं के बीच एक झूला पुल भी था। किसी ने कुछ पुरानी लकड़ी और रस्सी को एक रचनात्मक अद्भुत कारनामें में बदल दिया था!
स्विस चिकित्सक पौलूस टूर्नियर का मानना था कि हम रोमांच के लिए बने हैं क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में बने हैं (उत्पत्ति 1:26–27)। जिस तरह परमेश्वर ने एक ब्रह्मांड का आविष्कार करने का साहस किया (पद 1:25), ठीक उसी तरह जैसे उसने मनुष्यों को बनाने का जोखिम उठाया जो अच्छे या बुरे को चुन सकते थे (3:5–6), और जैसे उसने हमें कहा “लो फलो पृथ्वी को भर दो और उसे अपने वश में कर लो” 1:28, हमारे पास भी आविष्कार करने, जोखिम उठाने और नई चीजों को बनाने की एक प्रेरणा है,क्योंकि हम पृथ्वी पर लाभकारी रूप से शासन करते हैं। इस तरह के रोमांच बड़े या छोटे हो सकते हैं, लेकिन जब वे दूसरों को लाभ पहुंचाते हैं तो वे सबसे अच्छे होते हैं। मुझे यकीन है कि उस खेल के मैदान के निर्माताओं को इसे खोजने और इसका आनंद लेने वाले लोगों से प्रसननता मिलेगी।
चाहे नए संगीत का आविष्कार करना हो, सुसमाचार प्रचार के नए रूपों की खोज करना हो, या एक उदासीन हो चुके विवाह को फिर से जगाना हो, सभी प्रकार के रोमांच हमारे दिल की धड़कन को बनाए रखते हैं। इस समय कौन सा नया कार्य या प्रकल्प आपको आकर्षित कर रहा है? शायद परमेश्वर आपको एक नए रोमांच की ओर ले जा रहे हैं।
अनुग्रह के कार्य
उपन्यास अबाउट ग्रेस(About Grace) में, डेविड विंकलर अपनी विमुख/विरक्त हुयी बेटी को ढूंढना चाहता है, और हरमन शीलर एकमात्र व्यक्ति है जो उसकी मदद कर सकता है l लेकिन एक अड़चन है l डेविड की बेटी का जन्म हरमन की पत्नी के साथ डेविड के सम्बन्ध से हुआ था, और हरमन ने उसे फिर कभी उनसे सम्पर्क न करने की चेतावनी दी थी l
दशकों बीत गए, इससे पहले कि डेविड ने हरमन को अपने किये के लिए माफ़ी मांगते हुए लिखा l “मेरे जीवन में एक खामी है क्योंकि मैं अपनी बेटी के बारे में बहुत कम जानता हूँ,” वह उसके विषय जानकारी मांगते हुए आगे कहता है l वह यह देखने का इंतज़ार करता है कि क्या हरमन उसकी मदद करेगा l
हमें उन लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए जिन्होंने हमारे साथ अन्याय किया है? इस्राएल के राजा को इस प्रश्न का सामना तब करना पड़ा जब उसके शत्रुओं को आश्चर्यजनक ढंग से उसके हाथों में सौंप दिया गया (2 राजा 6:8-20) l “क्या मैं उन्हें मार डालूं?” वह भविष्यद्वक्ता एलिशा से पूछता है l एलिशा कहता है, नहीं, “तू उनको अन्न जल दे कि खा पी कर अपने स्वामी के पास चले जाएं”(पद.21-22) l अनुग्रह के इस कार्य के द्वारा, इस्राएल को अपने शत्रुओं के साथ शांति मिली (पद.23) l
हरमन डेविड के पत्र का उत्तर देता है, उसे अपने घर आमंत्रित करता है और उसके लिए भोजन बनाता है l वह खाने से पहले प्रार्थना करता है, “प्रभु यीशु, इतने वर्षों तक मुझ पर और डेविड पर नज़र रखने के लिए धन्यवाद l” वह डेविड को उसकी बेटी को ढूँढने में मदद करता है और डेविड बाद में उसकी जान बचाता है l परमेश्वर के हाथों में, जिन लोगों ने हमारे साथ अन्याय किया है उनके प्रति हमारे अनुग्रह के कार्य अक्सर हमारे लिए आशीष के रूप में परिणित होते हैं l
मैत्रीपूर्ण महत्वाकांक्षा
नाज़ियानज़स के ग्रिगरी(Gregory of Nazianzus) और कैसरिया के बेसिल(Basil of Caesarea) चौथी शताब्दी के चर्च में प्रसिद्ध अगुआ और करीबी मित्र थे l वे पहली बार दर्शनशास्त्र के विद्यार्थियों के रूप में मिले थे, और ग्रिगरी ने बाद में कहा कि वे “एक आत्मा वाले दो शरीर” की तरह बन गए l
उनके आजीविका पथ(career paths) इतने समान होने के कारण, ग्रिगरी और बेसिल के बीच प्रतिद्वंद्विता पैदा हो सकती थी l लेकिन ग्रिगरी ने समझाया कि उन्होंने विश्वास, आशा और अच्छे कर्मों के जीवन को अपनी “एकल महत्वाकांक्षा/single ambition” बनाकर एक दूसरे को इस प्रलोभन से बचा लिया, फिर व्यक्तिगत रूप से इस लक्ष्य में दूसरे को अपने से अधिक सफल बनाने के लिए “एक-दूसरे को प्रेरित किया l” परिणामस्वरूप, दोनों में विश्वास बढ़ा और बिना प्रतिद्वंद्विता के नेतृत्व के उच्च सत्र तक पहुँच गए l
इब्रानियों की पुस्तक हमें विश्वास में मजबूत बने रहने में मदद करने के लिए लिखी गयी है(इब्रानियों 2:1), जो हमें “अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे [रहने]” और “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिए एक दूसरे की चिंता [करने के लिए]” प्रोत्साहित करती है(इब्रानियों 10:23-24) l जबकि यह आदेश एक मण्डली के सन्दर्भ में दिया गया है(पद.25), इसे अपनी मित्रता पर लागू करके, ग्रिगरी और बेसिल ने दिखाया कि कैसे मित्र एक-दूसरे को बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं और किसी भी “कड़वी जड़” से बच सकते हैं, जैसे कि प्रतिद्वंद्विता जो उनके बीच बढ़ सकती है(12:15) l
क्या होगा यदि हमने विश्वास, आशा और अच्छे कर्मों को अपनी मित्रता की महत्वाकांक्षा बना लिया, फिर अपने मित्रों को इस लक्ष्य में व्यक्तिगत रूप से हमसे अधिक सफल होने के लिए प्रोत्साहित किया? पवित्र आत्मा हम दोनों को करने में मदद करने के लिए तैयार है l
मैत्रीपूर्ण महत्वाकांक्षा
नाज़ियानज़स के ग्रिगरी(Gregory of Nazianzus) और कैसरिया के बेसिल(Basil of Caesarea) चौथी शताब्दी के चर्च में प्रसिद्ध अगुआ और करीबी मित्र थे l वे पहली बार दर्शनशास्त्र के विद्यार्थियों के रूप में मिले थे, और ग्रिगरी ने बाद में कहा कि वे “एक आत्मा वाले दो शरीर” की तरह बन गए l
उनके आजीविका पथ(career paths) इतने समान होने के कारण, ग्रिगरी और बेसिल के बीच प्रतिद्वंद्विता पैदा हो सकती थी l लेकिन ग्रिगरी ने समझाया कि उन्होंने विश्वास, आशा और अच्छे कर्मों के जीवन को अपनी “एकल महत्वाकांक्षा/single ambition” बनाकर एक दूसरे को इस प्रलोभन से बचा लिया, फिर व्यक्तिगत रूप से इस लक्ष्य में दूसरे को अपने से अधिक सफल बनाने के लिए “एक-दूसरे को प्रेरित किया l” परिणामस्वरूप, दोनों में विश्वास बढ़ा और बिना प्रतिद्वंद्विता के नेतृत्व के उच्च सत्र तक पहुँच गए l
इब्रानियों की पुस्तक हमें विश्वास में मजबूत बने रहने में मदद करने के लिए लिखी गयी है(इब्रानियों 2:1), जो हमें “अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे [रहने]” और “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिए एक दूसरे की चिंता [करने के लिए]” प्रोत्साहित करती है(इब्रानियों 10:23-24) l जबकि यह आदेश एक मण्डली के सन्दर्भ में दिया गया है(पद.25), इसे अपनी मित्रता पर लागू करके, ग्रिगरी और बेसिल ने दिखाया कि कैसे मित्र एक-दूसरे को बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं और किसी भी “कड़वी जड़” से बच सकते हैं, जैसे कि प्रतिद्वंद्विता जो उनके बीच बढ़ सकती है(12:15) l
क्या होगा यदि हमने विश्वास, आशा और अच्छे कर्मों को अपनी मित्रता की महत्वाकांक्षा बना लिया, फिर अपने मित्रों को इस लक्ष्य में व्यक्तिगत रूप से हमसे अधिक सफल होने के लिए प्रोत्साहित किया? पवित्र आत्मा हम दोनों को करने में मदद करने के लिए तैयार है l
जो आप हैं
फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में अपने कॉलेज के दिनों में, चार्ली वार्ड दो-खेल के छात्र एथलीट थे l 1993 में, इस युवा क्वार्टरबैक/quarterback(खेल में एक स्थान) ने देश के सवर्श्रेष्ठ कॉलेज अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में हेज़मैन ट्रॉफी(Heisman Trophy) जीती, और वे बास्केटबॉल टीम में भी सर्वोत्तम रहे l
एक दिन खेल से पहले बातचीत में, उनके बास्केटबॉल कोच ने अपने खिलाड़ियों से बातचीत में कुछ अभद्र भाषा उपयोग किया l उन्होंने देखा कि चार्ली “आरामदायक नहीं था,” और कहा, “चार्ली, क्या चल रहा है?” वार्ड ने कहा, “कोच, आप जानते हैं, कोच बोडेन {फुटबॉल कोच] उस तरह की भाषा का उपयोग नहीं करते हैं, और वह हमें बहुत कठिन खेल खिलाते हैं l”
चार्ली के मसीह जैसे चरित्र ने उसे इस मुद्दे पर अपने बास्केटबॉल कोच से धीरे से बात करने की अनुमति दी l जब कोच ने चार्ली से बात की तो वास्तव में, उन्होंने एक रिपोर्टर से कहा : “यह लगभग ऐसा है जैसे कोई स्वर्गदूत आपको देख रहा है l”
अविश्वासियों के साथ एक नेकनामी और मसीह का एक विश्वासयोग्य साक्षी होना कठिन है l लेकिन साथ ही, यीशु में विश्वास करने वाले उसके जैसे बन सकते हैं क्योंकि वह हमारी सहायता और हमारा मार्गदर्शन करता है l तीतुस 2 में, युवा पुरुषों, और विस्तार से सभी विश्वासियों को, बुलाया गया है कि वे “संयमी”(पद.6) और “[उनके] उपदेश में . . . ऐसी खराई [हो] . . . कि कोई . . . दोष लगाने का अवसर न पा [सके]”(पद.7-8) l
जब हम इस तरह मसीह की सामर्थ्य में जीते हैं, तो हम न केवल उसका आदर करेंगे बल्कि एक अच्छा नाम भी निर्मित करेंगे l फिर चूँकि परमेश्वर हमें आवश्यक बुद्धि प्रदान करता है, लोगों के पास हमें सुनने का कारण होगा l
मेरे संग चलें
राष्ट्रीय धन्यवाद दिवस(Thanksgiving holiday) के आसपास, अमेरिकी राष्ट्रपति दो टर्की(पक्षी) को राष्ट्रपति क्षमादान देने से पहले वाइट हाउस में उनका स्वागत करते हैं l पारंपरिक थैंक्सगिविंग(Thanksgiving) भोजन के मुख्य व्यंजन के रूप में परोसे जाने के बजाय, टर्की(पक्षी) अपना शेष जीवन सुरक्षित रूप से एक खेत में बिताते हैं l हालाँकि टर्की(पक्षी) उस स्वतंत्रता को नहीं समझ सकते जो उन्हें दी गयी है, असामान्य वार्षिक परम्परा क्षमा का जीवन देनेवाली सामर्थ्य को उजागर करती है l
नबी मीका को क्षमा का महत्व तब समझ में आया जब उसने अभी भी यरूशलेम में रह रहे इस्राएलियों को कड़ी चेतावनी लिखी l कानूनी शिकायत के समान, मीका ने परमेश्वर को बुराई की इच्छा करने और लालच, बेईमानी और हिंसा में लिप्त होने(6:10-15) के लिए राष्ट्र के विरुद्ध साक्षी देते हुए रिकॉर्ड किया(मीका 1:2) l
इन विरोधी कार्यों के बावजूद, मीका(पुस्तक) इस वादे में निहित आशा के साथ समाप्त होता है कि परमेश्वर हमेशा क्रोधित नहीं रहता बल्कि इसके बजाय “अधर्म को क्षमा [करता है] . . . और अपराध को ढांप [देता है]”7:18) l सृष्टिकर्ता और सबके ऊपर न्यायधीश होने के कारण, वह आधिकारिक तौर पर घोषणा कर सकता है कि वह अब्राहम से किये गए अपने वादे(पद.20) के कारण हमारे कार्यों को हमारे विरुद्ध नहीं रखेगा—जो अंततः यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान में पूरा हुआ l
उन सभी तरीकों से क्षमा किया जाना, जिनसे हम परमेश्वर के मानकों के अनुरूप जीवन जीने में विफल रहते हैं, एक अनुपयुक्त उपहार है जो अपार आशीष लाता है l जैसे-जैसे हम उसकी पूर्ण क्षमा के अधिक से अधिक लाभों को समझते हैं, आइये प्रशंसा और धन्यवाद की प्रतिक्रिया दें l
आनंद की गति
आनंद की गति से चलो l यह वाक्यांश मेरे दिमाग में आया जब एक सुबह मैंने प्रार्थनापूर्वक आने वाले वर्ष पर विचार किया, और यह उपयुक्त लगा l मुझ में अत्यधिक काम करने का झुकाव था, जिससे अक्सर मेरा आनंद ख़त्म हो जाता था l इसलिए, इस मार्गदर्शन का पालन करते हुए, मैंने खुद को आने वाले वर्ष में आनंददायक गति से काम करने, मित्रों और आनंददायक गतिविधियों के लिए जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध किया l
यह योजना काम कर गयी . . . मार्च तक! फिर मैंने खुद के द्वारा विकसित किये जा रहे पाठ्यक्रम के परीक्षण की देखरेख के लिए एक विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की l विद्यार्थियों के नामांकन और अध्यापन के साथ-साथ, मैं जल्द ही लम्बे समय तक काम करने लगा l अब मैं आनंद की गति से कैसे जा सकता था?
यीशु उन लोगों को ख़ुशी का वादा करता है जो उस पर विश्वास करते हैं, वह हमें बताता है कि यह उसके प्रेम में बने रहने(यूहन्ना 15:9) और प्रार्थनापूर्वक अपनी ज़रूरतों को उसके पास लाने से आता है(16:24) l वह कहता है, “मैं ने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि मेरा आनंद तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए”(15:11) l यह ख़ुशी उसकी आत्मा के द्वारा एक उपहार के रूप में आती है, जिसके साथ हमें कदम से कदम मिलाकर चलना है(गलातियों 5:22-25) l मैंने पाया कि मैं अपने व्यस्त समय के दौरान केवल तभी आनंद बनाए रख सकता था जब मैं हर रात आराम से, भरोसेमंद प्रार्थना में समय बिताता था l
चूँकि आनंद बहुत विशेष है, इसलिए इसे अपने समय-सारणी में प्राथमिकता देना उचित है l लेकिन चूँकि जीवन कभी भी पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में नहीं होता है, मुझे ख़ुशी है कि ख़ुशी का एक और श्रोत—आत्मा—हमारे लिए उपलब्ध है l मेरे लिए, आनंद की गति से जाने का अर्थ अब प्रार्थना की गति से जाना है—आनंद देने वाले से प्राप्त करने के लिए समय निकालना l