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Articles by शेरिडन योयता

सत्य ढूंढने वाले

एक महिला ने एक बार मुझे एक असहमति के बारे में बताया था जो उसके कलीसिया को तोड़ रही थी। "असहमति किस बारे में है?" मैंने पूछ लिया। "क्या पृथ्वी चपटी है," उसने कहा। कुछ महीने बाद, एक मसीही व्यक्ति के बारे में खबर आई जो एक रेस्तरां में घुसा था, हथियारों से लैस, बच्चों को बचाने के लिए जिनके पीछे के कमरे में कथित रूप से दुर्व्यवहार किया जा रहा था। पीछे कोई कमरा नहीं था, और उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों ही मामलों में, शामिल लोग साजिश के सिद्धांतों(झूठा समाचार) पर काम कर रहे थे जो उन्होंने इंटरनेट पर पढ़े थे।

यीशु में विश्वासियों को अच्छा नागरिक होने के लिए बुलाया गया है (रोमियों 13:1-7), और अच्छे नागरिक गलत खबर नहीं फैलाते हैं। लूका के दिनों में, यीशु के बारे में बहुत सी कहानियाँ प्रचलित थीं (लूका 1:1), उनमें से कुछ गलत थीं। उसने जो कुछ भी सुना, उसे बताने के बजाय, लूका अनिवार्य रूप से एक खोजी पत्रकार बन गया, चश्मदीद गवाहों से बात कर रहा था (पद. 2), “शुरुआत से सब कुछ” पर शोध कर रहा था (पद. 3), और अपने निष्कर्षों को एक ऐसे सुसमाचार में लिख रहा था जिसमें नाम, उद्धरण, और ऐतिहासिक तथ्य प्रत्यक्ष ज्ञान वाले लोगों पर आधारित हैं, असत्यापित दावे नहीं।

हम भी ऐसा ही कर सकते हैं। चूँकि झूठी जानकारी कलीसियाओं को विभाजित कर सकती है और जीवन को जोखिम में डाल सकती है, तथ्यों की जाँच करना अपने पड़ोसी से प्रेम करने का एक कार्य है (10:27)। जब कोई सनसनीखेज कहानी हमारे पास आती है, तो हम उसके दावों को योग्य, जवाबदेह विशेषज्ञों के साथ सत्यापित कर सकते हैं, सत्य की तलाश करने वाले—त्रुटि फैलाने वाले नहीं। ऐसा कार्य सुसमाचार में विश्वसनीयता लाता है। आखिरकार, हम उसकी आराधना करते हैं जो सत्य से परिपूर्ण है (यूहन्ना 1:14)।

किराय-का -मित्र?

दुनिया भर में कई लोगों के लिए जीवन अकेला होता जा रहा है। 1990 के बाद से अमेरिकियों की संख्या चौगुनी हो गई है, जिनका कोई दोस्त नहीं है। कुछ यूरोपीय देशों में उनकी आबादी का 20 प्रतिशत तक अकेलापन महसूस कर रहा है, जबकि जापान में, कुछ बुजुर्ग लोगों ने अपराध का सहारा लिया है ताकि वे जेल में कैदियों की संगति कर सकें।

उद्यमी इस अकेलेपन की महामारी के लिए एक "समाधान" लेकर आए हैं- रेंट-ए-फ्रेंड। घंटे के हिसाब से किराए पर लिए गए, ये लोग आपसे बात करने या किसी पार्टी में आपके साथ जाने के लिए एक कैफे में मिलेंगे। ऐसे ही एक "दोस्त" से पूछा गया कि उसका ग्राहक कौन था। "अकेला, 30- से 40 वर्षीय पेशेवर," उसने कहा, "जो लंबे समय तक काम करते हैं और कई दोस्त बनाने के लिए समय नहीं है।"

सभोपदेशक 4 एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन करता है जो बिल्कुल अकेला है, जिसके पास "बेटा या भाई" नहीं है। इस कार्यकर्ता के परिश्रम का "अंत नहीं" है, फिर भी उसकी सफलता पूर्ण नहीं है (पद. 8)। “मैं किसके लिए मेहनत कर रहा हूँ। . . ?” वह अपनी दुर्दशा के प्रति जागते हुए पूछता है। रिश्तों में निवेश करना कहीं बेहतर है, जो उसके काम का बोझ हल्का कर देगा और परेशानी में मदद करेगा (पद.9-12)। क्योंकि, अंततः, मित्रता के बिना सफलता "अर्थहीन" है (पद. 8)।

सभोपदेशक हमें बताता है कि जो दोरी तीन तागे से बटी हो जल्दी नहीं टूटती (पद. 12)। लेकिन न तो यह जल्दी से बुनी जाती है। चूँकि सच्चे दोस्त किराए पर नहीं लिए जा सकते हैं, आइए हम उन्हें बनाने के लिए आवश्यक समय का निवेश करें, परमेश्वर को हमारे तीसरे सूत्र के रूप में, हमें एक साथ मजबूती से बुनते हुए।

संतोष को पकड़ना

एक मनोचिकित्सक के सलाह स्तम्भ में, उन्होंने ब्रेन्डा नामक एक पाठक को जवाब दिया, जिसने अफ़सोस जताया था कि उसकी महत्वाकांक्षी गतिविधियों ने उसे असंतुष्ट कर दिया था l मनोचिकित्सक के शब्द स्पष्टवादी/रूखे(blunt) थे l मनुष्य को खुश रहने के लिए नहीं बनाया गया है, उन्होंने कहा, “केवल जीवित रहने और प्रजनन करने के लिए l” हम संतोष की “चिढ़ाने वाली और मायावी तितली” का पीछा करने के लिए अभिशप्त हैं, उन्होंने कहा, “हमेशा इसे पकड़ने के लिए नहींl” 

मुझे आश्चर्य है कि मनोचिकित्सक के शून्यवादी/नकारवादी(nihilistic) शब्दों को पढ़कर ब्रेन्डा को कैसा लगा होगा और अगर उसने इसके बजाय भजन 131 पढ़ा होता तो उसे कितना अलग आभास होताl अपने शब्दों में, दाऊद हमें संतोष पाने के तरीके पर एक निर्देशित विचार देता है l वह विनम्रता की मुद्रा में आरम्भ करता है,अपनी राजसी महत्वकांक्षाओं को एक तरफ रख देता है, और जबकि जीवन के बड़े सवालों से जूझना महत्वपूर्ण है, वह उन्हें भी एक तरफ रख देता है (पद.1) तब वह परमेश्वर के सामने अपने हृदय को शांत करता है (पद.2) भविष्य को उसके हाथों में सौंपता है (पद.3) l परिणाम खुबसूरत है : वह कहता है, “जैसा दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी माँ की गोद में रहता है, वैसे ही . . . मेरा मन भी रहता है” (पद.2) 

हमारी तरह एक टूटी-फूटी दुनिया में, संतोष कई बार हाथ न आने वाला लगेगा l फिलिप्पियों 4:11-13 में प्रेरित पौलुस ने कहा कि संतोष सीखने की चीज़ है l लेकिन अगर हम मानते हैं कि हम केवल “जीवित रहने और पुनरुत्पादन” के लिए रचे गए हैं, तो संतोष निश्चित रूप से एक न पकड़ने वाली तितली ही होगी l दाऊद हमें एक और तरीका दिखाता है: ईश्वर की उपस्थिति में चुपचाप आराम करने के द्वारा संतोष प्राप्त करना l 

विनम्र बनो दिवस

मैं अक्सर उन अनौपचारिक छुट्टियों से मनोरंजित/विनोदित होता हूँ जिनके साथ लोग आते हैं। सिर्फ फरवरी में “स्टिकी बन डे,”  “स्वोर्ड स्वोलोअर्स डे”(sword swollowers), यहां तक ​​कि “डॉग बिस्किट एप्रिसिएशन डे” भी है! आज के दिन को “बी हम्बल डे” (विनम्र बनो दिवस) का लेबल दिया गया है। सार्वभौमिक रूप से एक गुण के रूप में मान्यता प्राप्त विनम्रता निश्चित रूप से जश्न मनाने लायक है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हमेशा ऐसा नहीं रहा है।

विनम्रता को एक गुण नहीं, बल्कि एक कमजोरी माना जाता था, प्राचीन दुनिया इसके बजाये सम्मान को महत्त्व देती थी। अपने उपलब्धियों के बारे में शेखी बघारना अपेक्षित था, और आपको अपने रुतबे को बढ़ाने की कोशिश करनी थी, इसे कभी भी घटना नहीं था। नम्रता का अर्थ था हीनता, जैसे स्वामी का दास। लेकिन यह सब बदल गया, इतिहासकार कहते हैं, यीशु के क्रूस पर चढ़ने पर। वहां, जो "परमेश्‍वर के स्वरूप में ही था”, उसने "दास" बनने के लिए अपनी दिव्य रुतबे/हैसियत को त्याग दिया और दूसरों के लिए मरने के लिए स्वयं को विनम्र/दीन कर दियाI (फिलिप्पियों 2:6-8) इस तरह के एक सराहनीय कार्य ने विनम्रता को नए सिरे से परिभाषित करने पर मजबूर कर दिया। पहली सदी के अंत तक, यहाँ तक कि धर्मनिरपेक्ष लेखक भी मसीह द्वारा किए गए कार्यों के कारण विनम्रता को सद्‌गुण कह रहे थे।

आज हर बार जब किसी की विनम्र होने के लिए प्रशंसा की जाती है, तो सुसमाचार का सूक्ष्मता से प्रचार किया जा रहा है। यीशु के बिना, विनम्रता "अच्छी" नहीं होगी, या एक विनम्र दिन भी सोचे जाने योग्य नहीं होगा। पूरे इतिहास में परमेश्वर के विनम्र स्वभाव को प्रकट करते हुए मसीह ने हमारे लिए अपने रुतबे/हैसियत को त्याग दिया, ।

जागृति आता है

अरुकुन पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया देश का एक छोटा सा शहर है - इसकी आदिवासी आबादी सात कुलों से ली गई है। जबकि सुसमाचार एक सदी पहले ही अरुकुन में आया था, कभी-कभी आँख के बदले आँख का प्रतिशोध बना रहता था। 2015 में, कबीलों में आपसी  तनाव बढ़ गया, और जब एक हत्या हुई, तो बदले में अपराधी के परिवार में से किसी को बदले में मरने की आवश्यकता थी।

लेकिन 2016 की शुरुआत में कुछ उल्लेखनीय हुआ। अरुकुन के लोगों ने प्रार्थना में परमेश्वर की तलाश शुरू कर दी। इसके बाद पश्चाताप हुआ, फिर बड़े पैमाने पर बपतिस्मा हुआ, जैसे ही जागृति(revival) ने शहर को व्यापक बनाना शुरू किया। लोग इतने खुश थे कि उन्होंने गलियों में नृत्य किया, और बदला लेने के बजाय, मारे गए व्यक्ति के परिवार ने कष्ट पहुँचाने वाले कबीले को माफ कर दिया। शीघ्र ही 1,000 लोग प्रत्येक रविवार को चर्च में उपस्तिथ होते थे— वो भी सिर्फ 1,300 की आबादी वाले शहर में!

हम इस तरह के, जागृति को पवित्रशास्त्र में देखते हैं, जैसे कि हिजकिय्याह के दिन में जब भीड़ खुशी से परमेश्वर के पास लौट आईI (2 इतिहास 30), और पिन्तेकुस्त के दिन जब हजारों ने पश्चाताप कियाI (प्रेरितों के काम 2:38-47) जबकि जागृति परमेश्वर का कार्य है, जो उसके समय में होता है, इतिहास दिखाता है कि प्रार्थना उससे पहले आती है। “यदि मेरी प्रजा जो मेरे लोग कहलाते है ...... दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें," परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, "मैं उनका पाप क्षमा करूंगा, और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा" (2 इतिहास 7:14)

जैसा कि अरुकुन के लोगों ने पाया, जागृति एक कस्बे में आनंद और मेल मिलाप लाता है। कैसे हमारे अपने शहरों को इस तरह के बदलाव की जरूरत है! पिता, हमारे लिए भी जागृति लाइए।

रोमांच के लिये बनना

मैंने हाल ही में एक अद्भुत खोज की है। अपने घर के पास, पेड़ों के एक समूह में गंदे  रास्ते पर चलते हुये हुए, मुझे एक छिपा हुआ, घर का बना, खेल का मैदान मिला। लकडियों से बनी एक सीढ़ी ताक (देखने की जगह) तक जाती थी, शाखाओं से लटके पुराने केबल स्पूल से बने झूले, और यहाँ तक कि  शाखाओं के बीच एक झूला पुल भी था। किसी ने कुछ पुरानी लकड़ी और रस्सी को एक रचनात्मक अद्भुत कारनामें में  बदल दिया था!

स्विस चिकित्सक पौलूस टूर्नियर का मानना था कि हम रोमांच के लिए बने हैं क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में बने हैं (उत्पत्ति 1:26–27)। जिस तरह परमेश्वर ने एक ब्रह्मांड का आविष्कार करने का साहस किया (पद 1:25), ठीक उसी तरह जैसे उसने मनुष्यों को बनाने का जोखिम उठाया जो अच्छे या बुरे को चुन सकते थे (3:5–6), और जैसे उसने हमें कहा “लो फलो पृथ्वी को भर दो और उसे अपने वश में कर लो” 1:28, हमारे पास भी आविष्कार करने, जोखिम उठाने और नई चीजों को बनाने की एक प्रेरणा है,क्योंकि हम पृथ्वी पर लाभकारी रूप से शासन करते हैं। इस तरह के रोमांच बड़े या छोटे हो सकते हैं, लेकिन जब वे दूसरों को लाभ पहुंचाते हैं तो वे सबसे अच्छे होते हैं। मुझे यकीन है कि उस खेल के मैदान के निर्माताओं को इसे खोजने और इसका आनंद लेने वाले लोगों से प्रसननता  मिलेगी।

चाहे  नए संगीत का आविष्कार करना हो, सुसमाचार प्रचार के नए रूपों की खोज करना हो, या एक उदासीन हो चुके विवाह को फिर से जगाना हो, सभी प्रकार के रोमांच हमारे दिल की धड़कन को बनाए रखते हैं। इस समय कौन सा नया कार्य या प्रकल्प आपको आकर्षित कर रहा है? शायद परमेश्वर आपको एक नए रोमांच की ओर ले जा रहे हैं।

आप कौन हैं

निःसंतानता के एक दशक के बाद, 2011 में, मेरी पत्नी और मैंने एक नए देश में नए सिरे से शुरुआत करना चुना। जैसे वह जगह-बदलाव रोमांचक था, इसके लिए मुझे मेरा प्रसारण का करियर छोड़ना ज़रूरी था, जो मुझे याद आया। खोया हुआ महसूस करते हुए, मैंने अपने मित्र लियं से सलाह माँगा।  

“मुझे नहीं पता कि मेरी बुलाहट अब क्या है,” मैंने लियं को विषादपूर्वक कहा। तुम यहाँ प्रसारण नहीं कर रहें? उसने पूछा। मैंने कहा कि मैं नहीं कर रहा था। 

“और तुम्हारा वैवाहिक जीवन कैसा है?”असके विषय के बदलाव पर आश्चर्यचकित, मैंने लियं से कहा की मेर्र्यन और मैं अच्छे हैं। हमने एक साथ बड़े दुःख का सामना किया था पर इसके कारण से हम और करीब हो गए..“प्रतिबद्धता सुसमाचार का मूल है,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “ओह, दुनिया को तुम्हारे जैसे प्रतिबद्ध विवाहों को देखना चाहिए! हो सकता है तुम उस प्रभाव को महसूस न कर सको जो तुम्हारे द्वारा पहले ही से पड़ रहा है, इससे परे कि तुम क्या करते हो, बस तुम जो हो, उसके होने से,”

जब एक कठिन कार्य परिस्थिति ने तीमुथियुस को निराश कर दिया, प्रेरित पौलुस ने आजीविका के लक्ष्य नहीं दिए। बल्कि उसने तीमुथियुस को वचन, और चाल–चलन, और प्रेम, और विश्‍वास, और पवित्रता में आदर्श बनने और एक धर्मी जीवन, जीने को प्रोत्साहित किया, (4:12-13, 15)। वह विश्वासयोग्ता से जीने के द्वारा दूसरों को सर्वोत्तम रूप से प्रभावित करता।

अपने आजीविका की सफलता के आधार पर अपने जीवन को महत्व देना आसान है जबकि जो सबसे ज्यादा मायने रखता है वह हमारा चरित्र है। मैं यह भूल गया था। लेकिन एक सत्य वचन, एक दयालु कार्य, एक प्रतिबद्ध शादी भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकते है—क्योंकि उसके द्वारा परमेश्वर की स्वयं की भलाई का कुछ दुनिया को छूता है।

मेरे संग चलें

कुछ साल पहले, एक लोकप्रिय गीत सबसे अधिक हिट (प्रसिद्ध) हुआ, जिसमें सुसमाचार संगीत मण्डली(choir) ने एक वृन्दगान (कोरस/chorus) गाया, “यीशु मेरे साथ चलता है(Jesus walks with me) l”  इस गीत के पीछे एक जबरदस्त कहानी है l 

इस संगीत मण्डली का आरम्भ जैज़ संगीतकार(Jazz Musician) कर्टिस लुंडी ने किया था जब उन्होंने कोकीन(नशीला पदार्थ) की लत के लिए एक उपचार कार्यक्रम में प्रवेश किया था l उन्होंने साथी व्यसनियों(अडिक्टस/addicts) को एक साथ आकर्षित किया और एक पुराने भजन से प्रेरणा पाते हुए, उन्होंने उस कोरस को पुनर्वसन(रिहेब/rehab) में उन लोगों के लिए आशा के एक गीत के रूप में लिखा l “हम अपने जीवन के लिए गा रहे थे,” एक गाना बजानेवाले ने इस  गीत के बारे में कहा l “हम यीशु से हमें बचाने के लिए कह रह थे, ताकि हमें नशीले पदार्थों से बाहर निकलने में सहायता मिले l” एक अन्य ने पाया कि जब उसने गाना गाया तो उसका पुराना दर्द कम हो गयाl उस गाने को गानेवाले सिर्फ एक कागज़ पर लिखे शब्द नहीं गा रहे थे बल्कि छुटकारे के लिए अधीरता/उतावलेपन से प्रार्थना कर रहे थे l 

आज का बाइबल पाठ उनके अनुभव का बखूबी वर्णन करता है l मसीह में, हमारा परमेश्वर सभी लोगों को उद्धार देने के लिए प्रकट हुआ है (तीतुस 2:11) l जबकि अनंत जीवन इस उपहार का हिस्सा है (पद.13), परमेश्वर अब हम पर कार्य कर रहा है, हमें आत्म-संयम प्राप्त करने के लिए, सांसारिक वासनाओं को इंकार या ना कहने के लिए,और हमें उसके साथ जीवन के लिए छुट्कारा पाने के लिए सशक्त कर रहा हैI पद.12, 14) l जैसे कि गायक मंडली ने पाया, यीशु न केवल हमारे पापों को क्षमा करता है—वह हमें विनाशकारी जीवन शैली से भी मुक्त करता है l 

यीशु मेरे साथ चलता है l और आपके साथ भी l और जब कोई भी उससे सहायता मांगता है l भविष्य के लिए आशा और उद्धार देने के लिए, वह अभी, इसी समय हमारे साथ है l 

बहन भाई से

जब एक अगुवे ने पूछा कि क्या मैं उसके साथ निजी तौर पर बात कर सकता हूँ, मैंने कैरेन को रिट्रीट सेंटर परामर्श कक्ष में लाल आंखों और गीले गाल में पाया। बयालीस साल की, करेन शादी करना चाहती थी, और एक आदमी वर्तमान में उसमें दिलचस्पी दिखा रहा था। लेकिन यह आदमी उसका बॉस था- और उसकी पहले से ही एक पत्नी थी।

एक ऐसा भाई जो उसे क्रूरता से छेड़ता और एक स्नेह रहित पिता के साथ, कैरन को जल्द ही पता चल गया था कि वह अतिसंवेदनशील थी पुरुषों का उसका फायदा उठाने के लिए । विश्वास के नवीनीकरण ने उसे जीने के लिए नई सीमाएँ दी थीं, लेकिन उसकी लालसा बनी रही, और प्रेम की यह झलक जो उसे नहीं मिल सकती थी, वह एक पीड़ा थी।

बात करने के बाद, करेन और मैंने अपना सिर झुकाया। और एक सच्ची और शक्तिशाली प्रार्थना में, करेन ने अपने प्रलोभन को स्वीकार किया, अपने बॉस को निषिद्ध ठराया, अपनी लालसा को परमेश्वर को सौंप दिया, और कमरे से बहार हल्का महसूस करती हुई निकली।

उस दिन, मुझे विश्वास में भाइयों और बहनों के रूप में एक दूसरे के साथ व्यवहार करने की पौलुस की सलाह की चमक का एहसास हुआ (1 तीमुथियुस 5:1-2)। हम लोगों को कैसे देखते हैं, यह निर्धारित करता है कि हम उनके साथ कैसे बातचीत करते हैं, और एक ऐसी दुनिया में जो वस्तुनिष्ठता और कामुकता के लिए त्वरित है, विपरीत लिंग को परिवार के रूप में देखने से हमें उनके साथ देखभाल और औचित्य के साथ व्यवहार करने में मदद मिलती है। स्वस्थ भाई-बहन एक-दूसरे के साथ दुर्व्यवहार या बहकाते नहीं है।

केवल ऐसे ही पुरुष को जानने के कारण, जो उसे नीचा दिखाते, इस्तेमाल करते, या उसकी उपेक्षा करते थे, करेन को एक ऐसे की आवश्यकता थी जिससे वह एक बहन से भाई वाली बातचीत कर सके। सुसमाचार की सुंदरता यह है कि यह हमें यही प्रदान करता है -हमें नए भाई -बहन देता है हमारी जीवन की समस्याओं का सामना करने के लिए।